दुनिया की सबसे अच्छी जगह विद्यालय है – चिंता राम सिन्हा

छुरा (गंगा प्रकाश)। अर्धवार्षिकी आयु पूर्ण कर सेवा से अवकाश प्राप्त कर रहे शिक्षक चिंताराम सिन्हा को धूमधाम से विदाई दिया गया। सर्वप्रथम पुष्प वर्षा एवं बैंड बाजा के साथ उनका परिवार सहित स्वागत किया गया। सभी बच्चों और नगर के सभी विद्यालय के शिक्षकों ने अपने आदर्श शिक्षक का करतल ध्वनि से अभिनंदन किया। मां शारदे की स्तुति उपरांत सेवानिवृत्त हो रहे चिंताराम सिन्हा, उनकी माता श्रीमती रूपा सिन्हा एवं धर्मपत्नी श्रीमती कुंती बाई सिन्हा का पुष्प माल से सत्कार किये। शिक्षिका श्यामा नेताम एवं बच्चों की ओर से तनुजा सोनवानी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। संचालन करते हुए वरिष्ठ शिक्षक मुरारी राम देवांगन ने चिंताराम सिन्हा का जीवन परिचय, सेवा कल के अनछुए पहलुओं, शिक्षकीय जीवन की विशेषताओं को पटल पर रखा। विदित हो कि श्री सिन्हा द्वारा 40 वर्ष 4 माह की सेवाकाल में आदर्श विद्यालय में ही 37 वर्ष 4 माह का शिक्षकीय जीवन व्यतीत किए। चिंताराम सिन्हा के शिष्य एवं वर्तमान में उनके साथ अध्यापन कर रहे शिक्षक अर्जुन धनंजय सिन्हा ने उनके व्यक्तित्व को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। सेवानिवृत शिक्षक बंशी लाल तारक ने कहा कि श्री सिन्हा बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। वे कमांडिग ऑफिसर की तरह अनुशासन स्थापित करके रखते थे। वरिष्ठ शिक्षक मदन लाल सेन ने श्री सिन्हा के साथ बिताए पलों को याद करते हुए कहा कि चिंताराम सिन्हा की संवेदना सागर से गहरी है। श्री सिन्हा में समन्वय का अद्भुत समझ रहा है। संकुल समन्वयक शंकर लाल यदु ने कहा कि सिन्हा सर ने शिक्षा के उच्च मानकों को तय किया है। प्राचार्य एन.सी. साहू, के.के. साहू एवं प्रदीप मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि आदर्श शिक्षा के रूप में वे सदैव जाने जाएंगे। वे सुख-दुख के साथी हैं। करुणा, प्रेम, सहयोग की भावना उन्हें ऊंचा उठता है। शिक्षकीय जीवन की शुरुआती दौर के साथी डी.एस. काशी ने कहा कि वे सामाजिक आदर्श को स्थापित करने में हमेशा अग्रणी रहे हैं। उनके शिष्यों में डिंपल निषाद, सोहेल खान ने उनके पढ़ाने के विशिष्ट शैली को याद किया। विदाई के अवसर पर चिंता राम सिन्हा ने कहा कि अनेक जन्मों के श्रेष्ठ कर्मों का पुण्य फल रहा होगा कि मुझे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। इसके लिए परमात्मा का, नगर का, शिक्षक साथियों का एवं छात्र-छात्राओं का सदैव कृतज्ञ रहूंगा। उन्होंने आगे कहा कि यदि मुझे मनुष्य जन्म मिले तो मैं हर जन्म में एक शिक्षक बनकर राष्ट्र सेवा करना पसंद करूंगा। विद्यालय परिवार द्वारा प्रतीक चिन्ह, शाल, श्रीफल एवं अंग वस्त्र सम्मान स्वरूप भेंट किए। साथ ही नगर के सभी विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओ ने भी अपने आदर्श शिक्षक का अभिनंदन किया। संस्था के प्रधान पाठक निर्भय राम ठाकुर ने उपस्थित सभी शिक्षकवृंद का आभार व्यक्त करते हुए रुदन कंठ से कहा कि सिन्हा सर के साथ बिताए हुए हर क्षण प्रेरणादायी एवं स्मरणीय रहेगा। कार्यक्रम में सेवानिवृत्त शिक्षक ऊखराज ध्रुवा, एल.आर.सेन, प्रधान पाठक एम.एल. साहू, होरी लाल कुर्रे, योगेश्वरी बंजारे, सबीना नाज, सतरूपा कुर्रे, हेमा चंद्राकर, शाला प्रबंधन एवं विकास समिति के अध्यक्ष संतराम साहू, गोवर्धन यादव, रामरतन यादव, आश्रम अधीक्षक गिरधारी लाल कुंभकार, देवव्रत साहू, कुलेश्वर मरकाम, शिक्षकगण तुलेंद्र वर्मा, संतोष कुमार निषाद, उमेश कुमार ढीढी, चंद्रभूषण निषाद, सुशील कुमार पांडे, तरुण कुमार साहू, श्रीमती करुणा वर्मा, श्रीमती शीतल चंद्राकर, लॉरेंस महिलाने, नरेंद्र देवांगन, मोहन ध्रुव, डोमेश्वर ध्रुव, युवराज कंवर, कैलाश पटेल, केशव साहू, दिनेश डनसेना, दिवस यादव, राजेश्वरी वर्मा, ममता साहू, योगेंद्री कश्यप पूजा मिश्रा, पीली बाई, प्रतिमा, कविता, रुखमणी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। परिवार से उनकी माता रूपा सिन्हा, पत्नी कुंती  बाई सिन्हा, बहन सुभद्रा सिन्हा, भाई सुरेश कुमार,  पुत्र देवेंद्र कुमार सिन्हा, पुत्रवधू अपर्णा सिन्हा, पुत्र डॉ. मयंक सिन्हा, नातिन अद्यशा, भतीजी नीतू सिन्हा भी विदाई समारोह में उपस्थित थे।

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