जब्ती के डर से डगमगाया सराफा कारोबार

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। धनतेरस सोना चांदी एवं बर्तन आदि खरीदने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। परंतु इस समय विधानसभा चुनाव के कारण किसी के भी पास मात्र 50 हजार की नगद राशि जांच दलों को मिल जाती है तो उस व्यक्ति के साथ जांच दल काफी ज्यादा अपमान जनक एवं परेशान करने वाले सवाल करते है। इससे बाजार के व्यवसाय पर काफी बुरा एवं गंभीर असर दिख रहा है। चुनाव आचार संहिता में जांच व जप्ती के डर से विशेषकर सराफा बाजार कारोबार डगमगा गया है। शहर से अधिकांश छोटे सराफा व्यापारी गांव गांव के बाजार में जाकर कारोबार करते है। वर्तमान में सीमावर्ती इलाकां में हर जगह जांच व जप्ती की कार्यवाही हो रही है। टीम की जांच व लफड़े में पड़ने की वजह से सराफा कारोबारी अब व्यवसाय करने दूसरे जगह नहीं जा रहे है। व्यापारियों की माने तो ऐसे में ऐनवक्त दिवाली के समय कारोबार बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहा है। पुलिस द्वारा शहर के हर बार्डर में चैक पोस्ट लगाया गया है। जिसमें तैनात जवान जांच कर रहे है। दीपावली के सीजन में चुनावी सरगर्मी जोर पकड़ ली है। आचार संहिता के तहत नगर की सीमाओं, हाइवे और अन्य मार्गो में सख्ती से वाहनों की जांच की जा रही है। इसका सीधा असर अंचल के कारोबार और आमजन पर पड़ रहा है। हालात यह है कि सराफा कारोबार डगमगा गया है। दीपावली ही वह सीजन है जिसमें सराफा कारोबार परवान चढ़ता है लेकिन फिलहाल हालत इससे उल्टा है। चेक पोस्ट में जांच व जब्ती के डर से व्यापारी सोना-चांदी और जेवर नहीं ला पा रहे है वहीं जेवर खरीदने के लिए ग्राहक भी नकदी राशि लाने से बच रहे है। ऐन वक्त दीपावली के सीजन में ऐसे हालात बनने से सराफा व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। शहर सहित जिले भर के सराफा कारोबारी रायपुर सहित अन्य बड़े शहरों से माल बुलवाते है लेकिन चुनावी आचार संहिता ने इस आयात-निर्यात पर फिलहाल ब्रेक सा लग गया है। नियमानुसार आचार संहिता के तहत 50 हजार रू. से ज्यादा लाने-जाने में पाबंदी है। ऐसे में ग्राहक भी जेवर व नगदी लाने से बच रहे है। अंचल के छोटे सराफा व्यापारी बड़ी संख्या में आसपास के गांव व शहर के बाजार में जाकर कारोबार करते है। लेकिन वर्तमान में हर बार्डर में जांच व जब्ती की डर से सराफा व्यापारी निकल नहीं पा रहे है। उन्हें जांच व जब्ती का डर सता रहा है। व्यापारियों ने कहा कि 2018 के तहत चुनाव में जहां सोने के भाव में 31 हजार रू. प्रति दस ग्राम थे। वहीं अब 62 हजार रू. प्रति दस ग्राम है। इसके साथ अन्य वस्तुएं भी महंगी हुई है लेकिन चुनाव आयोग के नगदी की राशि न बढ़ाते हुए अभी भी 50 हजार रू. ही तय कर रखी है। इसका असर शहर के कारोबार पर हो रहा है। हर शहर व गांव के बार्डर में 50 हजार रू. से ज्यादा राशि मिलने पर कहां से लाए और कहां ले जा रहे है। इसकी जानकारी मांगी जा रही है। 50 हजार रू. से ज्यादा की राशि नकद ले जाने के लिए दस्तावेज रखना जरूरी है इससे व्यापार एवं व्यापारी के साथ ग्राहक भी परेशान है।

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