चुनाव परिणाम से पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस में मची हैं तनातनी तो परिणाम आने पर क्या होगा?और ऑपरेशन लोटस को लेकर कांग्रेस सावधान भी हो गई हैं?

प्रकाश कुमार यादव
रायपुर(गंगा प्रकाश)।
छत्तीसगढ़ में चुनाव की गणना का इंतजार है, कांग्रेस की समीक्षा बैठक पर बीजेपी प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस में अंतर्कलह हैं, पार्टी कई टुकड़ों में बंट चुकी है। मुझे लगता हैं, कांग्रेस की समीक्षा ही छग का एक्जिट पोल हैं, ये आपस में लड़ रहे हैं, इनका सर्वनाश तय हैं, बीजेपी विपक्ष में हैं लेकिन आजतक कोई गंभीर शिकायत नहीं आई। कुछ शिकायत आई तो आपस में बैठ के सुलझा लेंगे, कांग्रेस में अभी चुनाव परिणाम नहीं आए हैं, सिर फुटव्वल की स्थिति है। टीएस सिंहदेव के बयान यह मेरा आखिरी चुनाव, समर्थक चाहते हैं मैं मुख्यमंत्री बनूं, इस बयान पर बीजेपी प्रवक्ता केदार गुप्ता का बयान सामने आया हैं उन्होंने कहा कि सिंहदेव के दु:खी होने का समय जनता ने तय कर दिया। मतदाता कांग्रेस की सरकार को उखाड़ कर फेंक रहे हैं, सिंहदेव अब मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, सिंहदेव कांग्रेस के अच्छे नेता रहे हैं। हम चाहेंगे कि वे हमारे साथ नेता प्रतिपक्ष बनकर रहें। भाजपा की सरकार बन रही हैं, अच्छा विपक्ष होगा तो काम करने में आनंद आता हैं।इसी बीच टीएस सिंहदेव के सीएम बनने के बयान पर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि वो बयान हमारे वरिष्ठ नेता का व्यक्तिगत हैं, भाजपा को मुद्दा चाहिए, वो बड़े लीडर उनका सोचना कहना छत्तीसगढ़ के लिए मायने रखता, ये उनका व्यक्तिगत बयान हैं। मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा हमारी सरकार बन रही हैं। उसके बाद विधायक दल की बैठक में निर्णय लिया जाएगा, अंतिम फैसला आलाकमान का है।कांग्रेस की समीक्षा बैठक को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज का बयान सामने आया हैं उन्होंने कहा कि दो दिनों तक समीक्षा हुई, प्रत्याशियों से चर्चा हुई, पार्टी ने बेहतर चुनाव लड़ा हैं। 2023 में कांग्रेस फिर से सरकार बना रही हैं, छत्तीसगढ़ में 75 प्लस सीटों पर जीत कर आयेंगे। शिकायतों को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि कुछ शिकायतें आई, कुछ प्रत्याशियों, जिलाध्यक्षों ने शिकायत की। शिकायतों को पार्टी ने गंभीरता से लिया, शिकायतों का परीक्षण कराएंगे कुछ गलत होगा तो कार्रवाई होगी। वहीं महिला वोटर्स की संख्या बढ़ने पर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा सबसे ज्यादा वोट महिला मतदाताओं ने किया। 5 साल की योजनाओं, सरकार के कामों को लेकर महिलाओ ने वोट दिया, कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी।वहीं महिला वोटर्स के बढ़ने पर कांग्रेस के बयान “हमारी योजनाओं से महिलाएं लाभान्वित हुई इसलिए बढ़ा वोट का प्रतिशत” पर बीजेपी प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में महिलाएं प्रताड़ित होती रही, युवाओं को नग्न प्रदर्शन करना पड़ा, महिलाओं के साथ लगातार दुष्कर्म की घटनाएं घटी, शराबबंदी का वादा पूरा नहीं किया। बीजेपी ने महिलाओं के सम्मान की बात कही। 12 हजार रुपये आर्थिक सहयोग की बात कही इसलिए महिलाओं ने बीजेपी को वोट दिया, बीजेपी की सरकार बनेगी ये तय है।

कांग्रेस में CM पद को लेकर अभी से झगड़ा शुरू, नतीजे आने पर क्या होगा?

राहुल गांधी पांच साल तक राजस्थान का झगड़ा नहीं सुलझा पाये,मध्य प्रदेश में तो सवा साल बाद ही ये मौका भी खत्म हो गया था, छत्तीसगढ़ में भी टीएस सिंह देव को ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनाने का उनका वादा अधूरा ही रहा?ताजा मुश्किल ये है कि टीएस सिंह देव ने अभी से अपना इरादा जाहिर कर दिया है।
नतीजे तीन दिसंबर आने है, लेकिन कांग्रेस की अंदरूनी कलह अभी से सामने आने लगी है अंदर तो आग जगह – जगह लगी हुई है, लेकिन पहला धुआं छत्तीसगढ़ में दिखाई पड़ रहा है।
और राजस्थान के झगड़े को लेकर तो कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहले ही हाथ खड़े कर दिये हैं।मिडिया के साथ एक इंटरव्यू में प्रियंका गांधी से जब पूछा गया कि कांग्रेस अगर राजस्थान में चुनाव जीतती है तो क्या अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री रहेंगे?
प्रियंका गांधी का कहना है, ‘इस सवाल का जवाब मैं नहीं दे सकती… इसका जवाब खड़गे जी देंगे। मतलब, राजस्थान के मामले में प्रियंका गांधी ने साफ कर दिया है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने की सूरत में मुख्यमंत्री पद का झगड़ा सुलझाने की टेंशन अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की ही है।
आपको ध्यान होगा, 2018 में मुख्यमंत्री पद का झगड़ा जब राहुल गांधी नहीं सुलझा पा रहे थे, तो ये काम प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने हाथ में ले लिया था। कहने को तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपनी तरफ से झगड़ा सुलझा भी दिया था, लेकिन बाद में पता चला कि उन्होंने तो झगड़ा सिर्फ टाल दिया था। मध्य प्रदेश में तो झगड़ा सरकार गंवाने के साथ ही खत्म हो गया था लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में काफी लंबा चला,राजस्थान में तो अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को अपनी सरकार के आस पास फटकने तक नहीं दिया था लेकिन छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव को डिप्टी सीएम बनाने को राजी हो गये थे।अब वही टीएस सिंह देव चुनाव नतीजे आने के पहले ही अपना हक मांगने लगे हैं।वर्ल्ड कप क्रिकेट का हवाला देते हुए टीएस सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अभी से दावेदारी भी जता डाली है और मौका देख कर मोहम्मद शमी का नाम लेते हुए छत्तीसगढ़ के मामले में खुद को मैन ऑफ द मैच बता रहे हैं।
टीएस सिंह देव के लिए बुरी बात ये है कि प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के झगड़ों से पहले ही पल्ला झाड़ लिया है।वैसे प्रियंका गांधी अगर कांग्रेस के झगड़े नहीं सुलझाएंगी तो कांग्रेस में उनकी क्या भूमिका रह गयी है, खासकर विधानसभा चुनावों में बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी प्रियंका गांधी की भूमिका पर सवाल खड़े कर चुके हैं, ये बोल कर कि वो पार्ट टाइम नेता हैं।विधानसभा चुनावों में अपनी भूमिका के बारे में प्रियंका गांधीवाड्रा कहती हैं कि ‘मेरा रोल है… मेरी पार्टी के सिद्धांतों के लिए लड़ना…

गरीब, किसान और महिलाओं के लिए लड़ना,साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा ने सिंधिया की टिप्पणी पर भी अपना पक्ष रखा है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक चुनावी रैली में ज्योतिरादित्य सिंधिया की छोटीहाइट का मजाक उड़ाया था, जिस पर सिंधिया की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया भी आई थी।इस मुद्दे पर प्रियंका गांधी का कहना है कि ‘वो हमें गालियां देते रहते हैं… हमारे परिवार के बच्चों को भी नहीं छोड़ा… हम तो रोते नहीं हैं… हम जानते हैं कि सार्वजनिक जीवन है… सुनना पड़ता है, लड़ना पड़ता है… संघर्ष करना पड़ता है, तो अब वो भी सुनें’ हालांकि, प्रियंका गांधी वाड्रा का कहना है कि ये चुनाव का मुद्दा नहीं है, ये भाषण के बीच में बोला गया था।

ये तो हक और इंसाफ की बात है

2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव जीत कर कांग्रेस जब सरकार बनाने का दावा पेश करने की तैयारी कर रही थी, तो भूपेश बघेल के साथ साथ टीएस सिंह देव भी मुख्यमंत्री पद के बराबरी के दावेदार थे। बिलकुल वैसे ही जैसे तब मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन थे। राजस्थान में तो गांधी परिवार ने सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनवा भी दिया, लेकिन छत्तीसगढ़ में टीएस सिंह देव को भूपेश बघेल मंत्रिमंडल में महज एक मंत्री बना दिया गया।ज्योतिरादित्य सिंधिया के हिस्से में तो कुछ भी नहीं आया।मुख्यमंत्री बन जाने के बावजूद कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद शेयर करने को भी तैयार नहीं हुए भले ही अपनी सरकार गवां डाले।सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी ने टीएस सिंह देव को ये कह कर मना लिया था कि भूपेश बघेल के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद वो उनको भी सीएम बनवा देंगे। लेकिन ढाई साल बाद भी भूपेश बघेल तैयार नहीं हुए। किसी न किसी बहाने मामला टालते रहे।कभी यूपी चुनाव की तैयारी के नाम पर प्रियंका गांधी के साथ लग जाते,तो कभी राहुल गांधी और सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के दौरान अशोक गहलोत के साथ मोर्चा संभाल लेते। टीएस सिंह देव ने कई बार राहुल गांधी को उनका वादा दिलाने की कोशिश भी की, लेकिन भूपेश बघेल मिल कर अशोक गहलोत की ही तरह पाठ पढ़ा कर चलते बनते,करीब चार साल बीत जाने के बाद जैसे तैसे सुलह की कोशिश हुई और भूपेश बघेल की मंजूरी मिलने के बाद टीएस सिंह देव को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में डिप्टी सीएम बनाया जा सका, विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले की बात है, एक इंटरव्यू में टीएस सिंहदेव का कहना था कि वो मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं। बोले, ‘भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं और उनके नेतृत्व में ही सब लोग मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं… अगर छत्तीसगढ़ में फिर से कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी की पहली पसंद भूपेश बघेल ही होंगे।एक अन्य प्रसंग में भूपेश बघेल का जो बयान आया है, इस मामले में भी उनके इरादे समझने।की कोशिश की जा सकती है. पाटन सीट से भूपेश बघेल को बीजेपी उम्मीदवार विजय बघेल मैदान में उतरे हैं। जब विजय बघेल को लेकर सवाल हुआ, भूपेश बघेल ने फिल्मी अंदाज में जवाब दिया ‘रिश्ते में मैं विजय बघेल का बाप लगता हूं.’ असल में भूपेश बघेल, विजय बघेल के चाचा लगते हैं -और इसीलिए पाटन की लड़ाई को कका और भतीजे की लड़ाई के रूप में प्रोजेक्ट किया जा रहा था। कोई चाहे तो मुख्यमंत्री पद को लेकर भूपेश बघेल के इरादे उनके डायलॉग में सुन सकता है।लेकिन छत्तीसगढ़ में दूसरे दौर की वोटिंग की तैयारियों के बीच टीएस सिंह देव ने वर्ल्ड कप मैचों की तरफ इशारा करते हुए नये सिरे से बयान देकर हड़कंप मचा है। हालांकि, वो ये भी कह रहे हैं कि कांग्रेस ने उनका नाम कभी मुख्यमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट नहीं किया,बोले, ‘हम एक संयुक्त नेतृत्व में लड़ रहे हैं और सीएम भूपेश बघेल इसका नेतृत्व कर रहे हैं… मैंने ऐसा नहीं सुना है कि मेरा नाम सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है… हां, संपर्क में आये लोगों के मन में ये बात जरूर है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के सवाल पर टीएस सिंह देव ने अपने जवाब में भारतीय क्रिकेट टीम के कैप्‍टन रोहित शर्मा और 7 विकेटलेकर हाल फिलहाल पूरी दुनिया छाये हुए मोहम्‍मत शमी का जिक्र किया है। टीएस सिंह देव का कहना है, ‘हमारे कैप्‍टन भूपेश बघेल हैं, लेकिन मैन ऑफ द मैच तो मोहम्‍मद शमी हैं।

क्या टीएस सिंह देव फिर से कुर्बानी देंगे?

अभी तो चुनाव नतीजे भी नहीं आये हैं, ऐसी बातों की चर्चा का अभी बहुत मतलब भी नहीं होता अगर छत्तीसगढ़ में झगड़ा पुराना नहीं होता,अव्वल तो ये सब इस बात निर्भर करता है कि कांग्रेस चुनाव जीतने के बाद भी सीटें कितना ला पाती है और विधायकों में कितने किसके समर्थक होते हैं। जोर आजमाइश तो समर्थक विधायकोंके नंबर से ही हो पाएगा।लेकिन सवाल ये है कि अगर सब कुछ कांग्रेस के पक्ष में रहा था तो क्या टीएस सिंह देव दोबारा कुर्बानी के लिए तैयार होंगे? उनकेतैयार न होने की सूरत में सवाल ये भी होगा कि नाराजगी का लेवल कैसा हो सकता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया जितना या फिर उनकी हालत सचिन पायलट जैसी होकर रह जाएगी…?ये भी नहीं भूलना चाहिये कि बातों बातों में बीजेपी पर हमला बोलने वाले अंदाज में टीएस सिंह देव को ये कहते भी सुना गया है, ‘आज कल लोग ऑपरेशन लोटस की भीभी चर्चा कर रहे हैं…

ऑपरेशन लोटस की फंडिंग कौन करता है?

कहने को तो ये बीजेपी पर टीएस सिंह देव का हमला है,लेकिन जो माहौल है उसमें कांग्रेस नेतृत्व अपने से लिए छुपी हुई चेतावनी भी समझ सकता है।वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच शेयर करते हुए टीएस सिंह देव मोदी सरकार की तारीफ भी कर चुके हैं। सावधानी हटी, दुर्घटना घटी…अगर भाजपा के सुत्रों की माने तो छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव में 35 सीट भी भाजपा आती हैं तो छत्तीसगढ़ भाजपा की सरकार बनेगी।जिससे साफ जाहिर होता है की छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन लोटस चल रहा हैं?

छत्तीसगढ़ में भाजपा को स्पष्ट बहुमत? दावे से कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस का डर?

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला है। चुनाव के तीन महीने पहले भाजपा मुकाबले में नहीं थी, लेकिन आक्रामक चुनाव कैंपन ने स्थित पूरी तरह बदल दी। इस वजह से रिजल्ट को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस और भाजपा जीत के दावे कर रहे हैं। सीएम भूपेश ने एकतरफा जीत तो भाजपा ने स्पष्ट बहुमत का दावा किया है। जिसे देखते हुए कांग्रेसी खेमे में हलचल मच गई है। पार्टी को ऑपरेशन लोटस का डर सता रहा है।दरअसल, कांग्रेस ने पिछले दो दिनों में सभी उम्मीदवारों से चर्चा की है। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और प्रभारी कुमारी सैलजा ने सभी प्रत्याशियों से चुनाव नतीजे को लेकर फीडबैक लिया। इस बैठक को लेकर मीडिया में जो खबरें आई, उसके मुताबिक, कांग्रेस को 55 से 60 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। इस तरह कांग्रेस के 75 प्लस के दावे गलत साबित हुए हैं। वहीं भाजपा ने 46 से 52 सीटें जीतने का दावा किया है।
कांग्रेस को आशंका है कि यदि चुनाव परिणाम में मामूली अंतर रहता है तो इससे विधायकों की खरीद फरोख्त हो सकती है। इस डर से प्रत्याशियों को दिशा निर्देश दिए गए हैं। प्रत्याशियों को कहा गया है कि सर्टिफिकेट लेकर सीधे रायपुर आना है। पार्टी नेताओं के संपर्क में बने रहना है।

क्या है ऑपरेशन लोटस क्यों हो रही है इस शब्द की चर्चा जानें?

एक शब्द कई दिनों से राजनीतिक गलियारों में चर्चा में है आज हम आपको बताएंगे की इसका क्या मतलब है। ये शब्द सुनने में तो ऐसा लगता है कि मानों किसी सकारात्मक मिशन की तैयारी हो रही हो या सरकार देश के लिए विकास की एक नई नींव रखने जा रही हो। ऐसा बिल्कुल नहीं है। सरल भाषा में कहें तो इस शब्द का सीधा सा मतलब है कि सत्ता पाने के लिए दूसरे दलों को कथित रूप से अपने पाले में कर लेना चाहें तरीका कुछ भी हो इसमें खरीद फरोख्त भी शामिल है।

ऑपरेशन लोटस की खास बातें

आपको बता दें कि 2004 में जब कर्नाटक में धरम सिंह मुख्यमंत्री बने थे, तब भाजपा ने सरकार गिराने की जो कवायदें की थीं, तब ये शब्द ऑपरेशन लोटस पहली बार चर्चा में आया था। विपक्ष ने भाजपा पर अपने आधार के साथ ही विधायकों की संख्या बढ़ाने की कवायद को ऑपरेशन लोटस शब्द दिया था। ये भाजपा का कोई ज़ाहिर अभियान नहीं है बल्कि विपक्ष और मीडिया भाजपा की कवायद को इस नाम से सम्बोधित करता रहा है।सुनने में शायद ऐसा लगे कि यह सेना या किसी सुरक्षा एजेंसी का कोई मिशन है, लेकिन ऐसा नहीं है वास्तव में, ये भारतीय जनता पार्टी की एक कवायद के लिए गढ़ा हुआ शब्द है, जिसके तहत पार्टी राज्यों में अपनी सरकार के समीकरण साधने की कोशिश कर रही है। इस कथित ऑपरेशन के तहत पार्टी या तो दूसरी पार्टियों के विधायकों कथित रूप से खरीदती है या उन्हें प्रभावित करती है। आपको बता दें कि ये शब्द विपक्षी दल और मीडिया के द्वारा प्रयोग किया जाता है।मिली जानकारी के हिसाब से ऑपरेशन लोटस के अंतर्गत बीजेपी के नेता पहले दूसरी पार्टियों के विधायकों से संपर्क करते हैं और फिर उन्हें इस्तीफ़ा देने के लिए प्रभावित करते हैं। इस्तीफे से विधानसभा की संख्या घट जाती है और दूसरी पार्टी की सरकार गिर जाती है।

कब और कैसा आया ये शब्द?

आपको बता दें कि 2004 में जब कर्नाटक में धरम सिंह मुख्यमंत्री बने थे, तब भाजपा ने सरकार गिराने की जो कवायदें की थीं, तब ये शब्द ऑपरेशन लोटस पहली बार सुर्खियों में तब से ही आया था। विपक्ष ने भाजपा पर अपने आधार के साथ ही विधायकों की संख्या बढ़ाने की कवायद को ऑपरेशन लोटस शब्द दिया था। भाजपा के हिसाब से ये शब्द सकारात्मक है, लेकिन मीडिया और विपक्ष ने इसमें राजनीतिक तड़का लगाते हुए इस शब्द को नई हवा दे दी है।
जानकारी के लिए बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के पास मिलाकर कुल 118 सीटें हैं जबकि राज्य की विधानसभा में कुल 224 विधायक हैं। बीजेपी के पास 2 निर्दलीयों के सहयोग को मिलाकर कुल 106 विधायक हैं।ऐसे में अगर बीजेपी के विरोधी विधायक इस्तीफ़ा देते हैं तो होता ये है कि विधानसभा में विधायकों की संख्या कम हो जाएगी और बीजेपी इस संख्या को अगर 210 तक लाने में सफल रही तो ऐसे में 106 विधायकों के साथ वह बहुमत में आकर कर्नाटक में अपनी सरकार बना सकती है?

ऑपरेशन कमल/कमल क्या है?

हाल के वर्षों में, ‘ऑपरेशन कमल या लोटस’ का इस्तेमाल विपक्षी दलों द्वारा बार-बार किया गया है, जब भाजपा ने कथित तौर पर कर्नाटक , उत्तराखंड के मामले में निर्वाचित विपक्ष शासित सरकार को अपने स्वयं के नेताओं के साथ बदलने के लिए अवैध शिकार सहित सफल अभियान चलाए थे। और मध्य प्रदेश. कर्नाटक की हार के तुरंत बाद, तत्कालीन कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील ब्रिजेश कल्लापा ने ट्वीट किया था, “ऑपरेशन कमल को कर्नाटक में शुरू किया गया और परिपूर्ण किया गया, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा का वर्तमान ‘ईमानदार’ नेतृत्व इसे उत्तराखंड,t अरुणाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में ले गया है। गोवा, मणिपुर, गुजरात और मेघालय।
हालाँकि, यह शब्द 2008 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा के ही किसी व्यक्ति द्वारा गढ़ा गया था। कहा जाता है कि कर्नाटक के पूर्व मंत्री जी,जनार्दन रेड्डी ने विपक्ष से बड़े पैमाने पर दल-बदल कराकर और निर्दलीयों से समर्थन हासिल करके पार्टी को बहुमत के आंकड़े से आगे बढ़ाने के लिए एक नई रणनीति तैयार की थी।2020 में, मध्य प्रदेश में भी इसी तरह का घटनाक्रम देखा गया था, जिसमें 22 विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के परिणामस्वरूप कांग्रेस के मुख्यमंत्री कमल नाथ को सत्ता में आने के 15 महीने बाद पद छोड़ना पड़ा था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के तुरंत बाद कई कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था।दूसरी ओर, ‘ऑपरेशन कमल’ कई मामलों में उल्टा भी पड़ा है, जैसा कि पिछले साल पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में देखा गया था। चुनाव से पहले के महीनों में मुकुल रॉय, सुवेंदु अधिकारी, राजीब बनर्जी सहित सैकड़ों टीएमसी मंत्री और नेता भाजपा के खेमे में चले गए थे ।

उनके मन में पीड़ा है..पांच सालों से वो कर रहे इंतजार:रमन सिंह

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में दोनों चरण के मतदान होने के बाद हर क्षेत्र के सर्वे और कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद निष्कर्ष यही निकला है कि बीजेपी कम से कम 52 से 54 सीट जीत कर सरकार बना रही है। कार्यकर्ताओं की मेहनत और केंद्रीय नेतृत्व ने भी पर्याप्त समय दिया है। दोनों चरणों मे अभियान जिस तरह चले है,बीजेपी की स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनेगी ऐसा लगता है।
उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव के चुनाव नहीं लड़ने और सीएम उम्मीदवारी पर रमन सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि वो सही बोल रहे है, उनके मन की पीड़ा है,पांच साल से वो इंतजार कर रह हैं। ये वादा कर उनकों पांच साल घुमा कर रख दिया गया पर उनकी भी इच्छा गलत समय पर जागृत हुई है। अब बीजेपी की सरकार बन रही है ये महत्वाकांक्षा जगाने से कोई फायदा नहीं होगा। कांग्रेस के अंतर्द्वंद्व पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस में अंतर्द्वंद्व पूरे चुनाव के दौरान दिखा, जितने बड़े नेता थे वह अपने विधानसभा छोड़कर कहीं नहीं गए। एक विधानसभा में बांधकर उन्हें रखा गया था।अब उनके मन की पीड़ा और आक्रोश झलक रही है। मुख्यमंत्री पद के लिए रमन सिंह दावेदारी करेंगे क्या पूछने पर उन्होंने कहा कि चेहरा बीजेपी ने तय नहीं किया है। सामूहिक नेतृत्व हमने पहले से तय किया है, विधायक दल की बैठक में चयन हो जाएगा उसमें कहीं विलंब नहीं होगा। कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के महिलाओं ने सबसे अधिक वोट कांग्रेस की दिए वाले बयान पर रमन सिंह ने कहा कि महिलाओं का रुझान बीजेपी की योजना और घोषणा पत्र ही रहा ।कांग्रेस की वादाखिलाफी के खिलाफ आक्रोश को प्रकट किया है। कांग्रेस ने महिलाओं को छला गया और ठगा है महिलाओं ने गुस्से में आकर शानदार मतदान किया है। यह परिवर्तन का वोट है जो महिलाओं ने दिया है।

आलाकमान लेगी फैसला

वहीं टीएस सिंहदेव के सीएम बनने वाले बयान पर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि वो बयान हमारे वरिष्ठ नेता का व्यक्तिगत मामला है। भाजपा को मुद्दा चाहिए. वो बड़े लीडर उनका सोचना कहना छत्तीसगढ़ के लिए मायने रखता है। ये उनका व्यक्तिगत बयान है।वहीं मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी पीसीसी चीफ दीपक बैज का बयान सामने आया है।उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बन रही है।उसके बाद विधायक दल की बैठक में निर्णय लिया जाएगा, अंतिम फैसला आलाकमान का है।

आखिर क्या कहा था टीएस बाबा ने?

दरअसल चुनाव के दौरान मीडिया ने जब टीएस सिंह देव से पूछा कि पिछले बार तो सरगुजा मुख्यमंत्री की कुर्सी से वंचित हुआ था. क्या इस बार आप सीएम बनेंगे? इस प्रश्न पर सिंहदेव ने कहा कि ये मेरा आखिरी मौका है, सीएम न बन पाने की स्थिति में चुनाव लड़ने को कोई औचित्य नहीं बचता. हालांकि उन्होंने अंत में ये जरूर कहा कि जो जिम्मेदारी आलाकमान देगा, उसे निभाएंगे।

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