धान बिक्री पर सियासत भारी, खरीदी केन्द्रों में पसरा सन्नाटा

गरियाबंद/छुरा/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। धान खरीदी केन्द्रों में काफी कम धान लेकर किसान आ रहे है। दिवाली के पहले अच्छी मात्रा में धान आए। परंतु अब किसान धान बेचने में जल्दबाजी नहीं कर रहे है। कृषकों ने बताया कि 3 दिसंबर को नई सरकार के आने के बाद धान खरीदी के मूल्य, मात्रा आदि निर्धारित होने के बाद ही धान बेचना उचित होगा। इस समय धान की खरीदी शुरू हो चुकी है लेकिन धान सरकार खरीदी केन्द्र में किसान नहीं पहुंच रहे है। नतीजा धान खरीदी केन्द्र में सन्नाटा पसरा हुआ है। धान बेचने वाले किसान नई सरकार के आने का इंतजार कर रहे है भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी ने धान खरीदी को लेकर अपनी-अपनी घोषणाएं की है। चुनावी वादों में ान खरीदी को लेकर जहां कांग्रेस ने 3200 रू. प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी किए जाने की घोषणा की है वहीं भाजपा ने 3100 रू. प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी करने की घोषणा की है। साथ ही इस बार भाजपा दो साल का बकाया बोनस भी देने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया है। धान खरीदी के आकड़े पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि अभी तक सिर्फ पांच फीसदी ही धान खरीदी हुई है। प्रदेश में एक से अधिक में किसानों ने अभी तक 5 लाख टन धान बेचा है। सरकार ने धान बेचने वाले किसानों को 958.58 करोड़ रू. भी जारी कर दी है। वहीं किसान यह भी कहते नजर आ रहे है कि वे अपना धान 3 दिसंबर के बाद बेचेंगे क्योंकि सरकार किसी भी दल की बने धान ज्यादा मात्रा एवं ज्यादा कीमत में खरीदी का वादा तो दोनों ही पार्टियों ने किया है। इससे ये तो तय कि किसानों को फायदा ही होगा।

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