अक्षय नवमीं पर आंवला वृक्ष की परिक्रमा कर साथ मिलाकर किया सपरिवार भोजन

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। अंचल में पूरी श्रद्धा के साथ मनाया गया आंवला नवमीं का त्यौहार नगर सहित आसपास गांवो में हिन्दू धर्म का परम्परागत त्यौहार आंवला नवमीं यानि अक्षय नवमीं का पर्व मंगलवार को धूमधाम से मनाया गया। सुहागिन महिलाओं द्वारा इस दिन सुबह से निर्जला व्रत रखते हुए आंवले के वृक्ष की पूजा की। वहीं बहुतेरे लोगों द्वारा नगर और आसपास के स्थानों के आंवले पेड़ नीचे सपरिवार पहुंचकर पिकनिक मनाते हुए भोजन किया गया। विदित हो कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमीं अक्षय नवमीं कहलाती है। मान्यता अनुसार सारे कार्तिक मास में स्नान का माहात्म्य है। परंतु नवमीं को स्नान करने से अक्षय पुण्य होता है ऐसा हिंदुओं का विश्वास है। इस दिन अनेक लोग व्रत भी करते है और कथावार्ता में दिन बिताते है। अक्षय नवमीं के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर खाने का विशेष महत्व है। यदि आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाने में असुविधा हो तो घर में भोजन बनाकर आंवला के वृक्ष के नीचे जाकर पूजन करने के पश्चात भोजना करना चाहिए। आंवला वृक्ष का पूजन भक्ति भाव के साथ करना चाहिए। पुराणों में कहा गया है कि जिस इच्छा के साथ पूजन किया जाता वह इच्छा पूर्ण होती है इसलिए इस नवमीं को इच्छा नवमीं भी कहते है। प्राचीन मान्यताओं के चलते मंगलवार को नगर के साथ ही साथ आसपास के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं द्वारा सुबह से ही निर्जला व्रत रखते हुए आंवला पेड़ की पूजा की गई और आंवला के पेड़ की पूजा की गई और आंवला के पेड़ को मौली धागा यानि कच्चे सूत से 108 बार बांधकर परिक्रम कर पति की लंबी उम्र की कामना की गई। ग्रामीण इलाकों में भी अक्षय नवमीं का पर्व धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने लक्ष्मीनारायण मंदिर में सामूहिक रूप से आंवला नवमीं की पूजा की। महिलाओं तथा युवतियों ने दोपहर बाद सामूहिक रूप से आंवला पेड़ के नीचे जाकर पिकनिक मनाते हुए भोजन किया और खेलकूद के साथ त्यौहार का आनंद लिया।

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