
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। देवउठनी एकादशी यानी आज 4 महीने से योगनिद्रा में लीन रहे भगवान विष्णु जागेंगे। इसके साथ ही चातुर्मास खत्म होता है और एक बार शादी-विवाह जैसे शुभ मांगलिक कार्यो का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है। नगर के पंडित ने बताया कि देवउठनी एकादशी के अगले दिन आज द्वाद्वशी तिथि को तुलसी विवाह रचाया जाता है। तुलसी विवाह के दिन को विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त माना गया है इसके साथ ही 4 महीनों से थमा रहा शादियों का सीजन शुरू हो जाता है इस साल आज 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है वही अब 15 दिसंबर तक ही विवाह के लिए समय रहेगा। 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी को देव जागते ही विवाह मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। इस तरह नवंबर से लेकर वर्ष 2023 के अंत तक ही विवाह के केवल 10 मुहूर्त ही है दरअसल 15 दिसंबर 2023 से 15 जनवरी 2024 तक एक महीने खरमास लगने के कारण विवाह वर्जित रहेंगे हिंदू धर्म में चातुर्मास की तरह खरमास में भी शादियां नहीं होती है इस तरह शादी करने के लिए लोगों को साल 2024 में मकर संक्रति तक का इंतजार करना पड़ेगा मकर संक्रांति के बाद ही शादियां हो सकेगी इस साल अधिक मास पड़ने के कारण चातुर्मास 5 महीने का रहा और दीपावली के बाद वाले सीजन में शादी के लिए बहुत कम समय ही मिला। देवउठनी एकादशी के अगले दिन शालिग्राम-तुलसी विवाह होता है इसके बाद ही विवाह होंगे नवंबर महीने में विवाह मुहूर्त 28 और 29 नवंबर को है इसके बाद दिसंबर में शादी करने के लिए 8 मुहूर्त 3 ,4 ,5, 6, 7, 8, 9 और 13 को है यदि इस समय तक शादी नहीं कर पाए तो जनवरी 2024 में 16, 22, 27 और 31 को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है।