आदिवासियों की झोपड़ी तोड़कर अवैध कब्जा से बेदखल का रिकार्ड बना चुकी उदंती सीतानदी अभ्यारण्य अपने डिपो व भवन के लिए आरक्षित भूमि पर बने रसूखदार की अवैध बिल्डिंग पर नही कर सकी कार्यवाही।

5 साल पहले निर्माण शुरू होने के साथ ही हुई थी कागजी कार्यवाही की शुरुआत ,अब दो मंजिला इमारत बन गया

गरियाबंद(गंगा प्रकाश):- अभ्यारण्य के बफर जोन में डिपो व भवन के लिए आरक्षित भूमि में बाहरी व्यक्ति ने वन व राजस्व अफसरों के साथ मिल तान दिया दो मंजिला ईमारत,5 साल में विभाग कार्यवाही की खाना पूर्ति करतीवे रह गई।आदिवासी नेता व अधिवक्ता कन्हैया मांझी ने उठाया सवाल 59 आदिवासियों के झोपड़ी तोड़ने में तत्परता दिखाने वाली विभाग आखिर दो मंजिला इमारत के मामले मौन क्यों।

 उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के बफर जोन में मौजूद इंदगांव रेंज अफसर के आवास के मुहाने पर नेशनल हाइवे से लगे वन विभाग के जमीन पर जसुराज राजपुरोहित द्वारा अवैध कब्जा कर बनाए गए दो मंजिला ईमारत वन व राजस्व विभाग का मूंह चिढ़ा रहा है।वन विभाग के निस्तार पत्रक के रिकार्ड में खसरा नंबर 696 की0.35 हेक्टेयर जमीन वन विभाग के डिपो व भवन के लिए आरक्षित था।जिस पर बाहर से आए गल्ला व किराना व्यापारी ने दो मंजिला इमारत तान अपनी दुकान खोल लिया है।इसकी शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता व अधिवक्ता कन्हैया मांझी ने अप्रेल 2023 में प्रमाणित दस्तावेज के साथ मुख्य वन संरक्षक के पास किया था,शिकायत पत्र में मांझी ने इंदागाव के वन क्षेत्र में काबिज 59 परिवार को बेदखल करने का जिक्र करते हुए रसूखदारों पर कार्यवाही नही होने पर सवाल खड़ा किया था।शिकायत के साथ पूर्व में किए गए कागजी कार्यवाही के दस्तावेज भी सौपा था जिसमे 2019 में अवैध कब्जा धारी राजपुरोहित व अन्य के खिलाफ वन विभाग ने नोटिस तामील कर निर्माण रोकने कहा था।

5 साल से कार्यवाही केवल कागजों पर

वन प्रशासन ने कार्यवाही का निर्देश मई माह में दे दिया था।वन विभाग ने कन्हैया मांझी ने बताया कि  2019 में नाप कर अवैध कब्जा दर्शाने के बावजूद अब विभाग दोबारा नाप का इंतजार कर रही है,हैरानी की बात है की पिछले 4 माह में राजस्व विभाग को रसूखदार के अवैध कब्जे को नापने का समय नही मिला।मांझी ने कहा की यह मिलीभगत का बड़ा खेल है,दो विभाग एक दूसरे पर जवाबदारी थोप कर बचना चाह रहे हैं।पिछले पांच साल से विभाग केवल कागजों में कार्यवाही की खानापूर्ति कर रही है।बेदखली की कार्यवाही अगर स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ हुआ है तो बाहरी रसूखदार पर भी होकर रहेगी,इसके लिए मैं जरूरत पड़ी तो न्यायलय के शरण में भी जाऊंगा।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

मामले में रेंजर सुशील कुमार सागर ने कहा की मामले में डीएफ़ओ साहब से भी निर्देश मिला है। चूँकि राजस्व सम्बंधित विषय है इसलिए उक्त भूमि के संदर्भ में मैनपुर तहसीलदार से पत्राचार किया गया है। राजस्व एवं हमारे विभाग की संयुक्त टीम इसपर सीमांकन कर के जाँच करेगी। हम ने अनावेदक को भी ज़मीन के दस्तावेज प्रस्तुत कराने को कहा है।

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