अब लहसुन रूलाने लगा, प्याज-टमाटर के बाद अब लहसुन की बारी आई, बाजार में 250 रू. किलो हो गया

गरियाबंद/छुरा(गंगा प्रकाश)। सब्जियों की गुणवत्ता एवं मूल्य नियंत्रण में हमेशा स्थायित्व तथा विश्वसनीय रहने वाला यह ग्राम्यांचल इन दिनों सब्जियों की दरों में महंगाई के कारण त्रस्त है। कभी टमाटर 100 रू. किलो कभी प्याज 80 से 100 रू. किलो के उच्च स्तर के बाद अब लहसून का रेट उपभोक्ताओं के आंखो में आंसू निकल रहा है। लहसून भी अब प्याज की राह पर चलने लगा है। इस वर्ष मई माह में जो लहसुन 60 से 80 रू. किलो में बिक रहा था वर्तमान में लहसुन की कीमत 250 से 270 रू. किलो हो गई है। थोक बाजार में ही लहसुन 180 से 220 रू. किलो बिक रही है। यानि लहसुन की कीमतों में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हो गई है। कारोबारियों का कहना है कि ठंड के दिनों में अभी लहसुन की मांग भी काफी बढ़ गई है। वहीं दूसरी ओर प्याज भी उपभोक्ताओं को रूला रही है। चिल्हर बाजार में प्याज अभी भी 60 रू. किलो बिक रही है। मालूम हो कि लहसुन की आवक मुख्य रूप से राजस्थान से होती है और इस वर्ष उत्पादन कम होने के कारण बाहरी क्षेत्रों में भी लहसुन की कीमतों में बढ़ोतरी है। बाजार में इन दिनों सब्जियों की आवक भरपूर होने को राहत वाली बात कही जा सकती है कि अभी सब्जियों की आवक भरपूर है इसके चलते इसकी कीमतों में स्थिरता बनी हुई है और ज्यादा तेजी मंदा नहीं है। गुरूवार, शुक्रवार को बाजारों में टमाटर 40 रू. किलो, गोभी 70 रू. किलो, बैगन 35 रू. किलो, लौकी 20 रू. किलो, भिंडी 40 रू. किलो, आलू 25 रू. किलो तक बिकी। इसके साथ ही गाजर व मटर की आवक भरपूर होने के कारण इनकी कीमतों में भी गिरावट है और गाजर व मटर 35 से 40 रू. किलो तक बिक रहे है। थोक सब्जी व्यापारियों का कहना है कि सब्जियों की आवक भरपूर है। हालांकि प्याज व लहसुन की आवक में कमी के चलते इनकी कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी है। आवक सुधारने पर इनकी कीमतों में भी सुधार होगा।

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