
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)।अन्ततः लगभग ढाई साल की कई कई जांच, अनेक विभागों के जनप्रतिनिधियों की मांग पर जांच पर जांच के बाद भी राजनीति रसूल रखने वाले जिला मिशन समन्वयक श्याम चंद्राकर को स्कूल शिक्षा विभाग योजना अन्तर्गत खेलगढ़िया योजना में खेल सामग्री क्रय न कर स्कूलों में टेलीविजन खरीदने पर किए गए बड़े भ्रष्टाचार में आज संचालक लोक शिक्षण द्वारा अपने आदेश क्रं. 432 दिनांक 11.12.2023 में चंद्राकर को निलंबित कर दिया गया है। आदेश में कलेक्टर गरियाबंद के ज्ञापन क्रं. 92 दिनांक 21.01.2022 के द्वारा श्याम चंद्राकर जिला समन्वयक समग्र शिक्षा गरियाबंद के विरूद्ध खेलगढ़िया योजनान्तर्गत भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच कर प्रतिवेदन प्रेषित किया गया। जांच प्रतिवेदन के अनुसार श्याम चंद्राकर, जिला मिशन समन्वयक, समग्र शिक्षा गरियाबंद के मौखिक दिशा-निर्देश के आधार पर 149 संस्थाओं के प्रधानपाठकों के द्वारा खेलगढ़िया मद तथा यूथ एवं ईको-क्लब मद से योजनाओं के मूल भावना तथा नियम के विपरित जाकर टी.वी. आदि सामान क्रय किया गया है, जिससे छ.ग. शासन की महत्वपूर्ण योजनाएं खेलगढ़िया तथा यूथ एवं ईको-क्लब योजना के सफल क्रियान्वयन बाधित होने के साथ हतोत्साहित भी हुआ तथा इससे विभाग की छवि भी धूमिल हुई है। खेलगढ़िया योजना की जिले में मॉनिटरिंग की पूर्णतः जवाबदेही जिला मिशन समन्वयक का है। इस प्रकार श्याम चंद्राकर अपने कर्तव्य व जिम्मेदारी के प्रति सनिष्ठ नहीं है, जोकि छ.ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 03 के विपरीत है। अतः छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के उपनियम (1) (क) के अन्तर्गत श्याम चंद्राकर (व्याख्याता) तत्कालीन जिला मिशन समन्वयक समग्र शिक्षा गरियाबंद (वर्तमान में शास. उ. मा. वि. नागाबुड़ा, विकासखंड गरियाबंद) को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन काल में श्याम चंद्राकर व्याख्याता का मुख्यालय कार्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी गरियाबंद जिला गरियाबंद नियम किया जाता है। इस आदेश के प्रभावशीलता के दौरान संबंधित को निर्धारित दर पर जीवन निर्वाह भत्ता की पात्रता होगी। यहां यह बताना जरूरी है कि इस मामले में लगातार मीडिया द्वारा समाचार में भ्रष्टाचार की बात को सार्वजनिक किया गया। जांच पर जांच के बाद श्याम चंद्राकर का अलग अलग विषयों में स्थान्तरित भी किया जाता रहा। बताया जाता है कि श्री चंद्राकर अपनी राजनीति पकड़ के चलते इस मामले में अपने खिलाफ होने वाली कार्यवाही को टलवाते रहें। परंतु जैसे ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ कि बड़े अधिकारी भी अपनी कलम बचाने के लिए पेंडिग जांच कार्यवाही में किए गए अनुशंसा के अनुकुल आदेश पारित कर बचने का प्रयास कर रहे है। खेलगढ़िया मामले में निश्चित ही भ्रष्टाचारी अधिकारी को बचाने हरसंभव प्रयास किए गए। इस मामले में विभागीय उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता। इस मामले की भी जांच होनी चाहिए कि क्यों कार्यवाही में इतना विलंब किया गया।