विकसित भारत के निर्माण में मानव अधिकार आवश्यक- मुख्य वक्ता

रायपुर (गंगा प्रकाश)। डॉ राधा बाई नवीन स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ में राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा मानव अधिकार दिवस पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका विषय था विकसित भारत के निर्माण में मानव अधिकार की भूमिका। जिसके मुख्य वक्ता सिध्दार्थ देवरस, फैकेल्टी ऑफ ला आईसीएफएआई विश्वविद्यालय दुर्ग थें। कार्यक्रम के प्रारंभ में राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ मनीषा शर्मा ने बताया कि मानवाधिकार वे नैतिक सिद्धान्त हैं जो मानव व्यवहार से सम्बन्धित कुछ निश्चित मानक स्थापित करता है।ये मानवाधिकार स्थानीय तथा अन्तरराष्ट्रीय कानूनों द्वारा नियमित रूप से रक्षित होते हैं।ये अधिकार प्रायः ऐसे आधारभूत अधिकार हैं जिन्हें प्रायः न छीने जाने योग्य माना जाता है और यह भी माना जाता है कि ये अधिकार किसी व्यक्ति के जन्मजात अधिकार हैं। व्यक्ति के आयु, प्रजातीय मूल, निवास,स्थान, भाषा, धर्म, आदि का इन अधिकारों पर कोई प्रभाव नहीं होता। ये अधिकार सदा और सर्वत्र देय हैं तथा सबके लिए समान हैं। इस अवसर महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ विनोद कुमार जोशी ने विकसित भारत के निर्माण के लिए मानव अधिकारों के संरक्षण को आवश्यक बताया।हम 2047 में भारत को एक विकसित देश बनते देखना चाहते हैं। एक विकसित अर्थव्यवस्था जो अपने सभी लोगों की जरूरतों – शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और अवसरों को पूरा करती हो। भारत एक जीवंत और सहभागी संघीय लोकतंत्र बना रहेगा, जिसमें सभी नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों। मुख्य वक्ता सिध्दार्थ देवरस ने अपने उद्बोधन में कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया में हुए भारी क्षति और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा दुनिया भर के लिए मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा किया गया। जिसके अंतर्गत सभी मनुष्यों को गौरव और अधिकारों के मामले में जन्मजात स्वतन्त्रता और समानता प्राप्त है। उन्हें बुद्धि और अन्तरात्मा की देन प्राप्त है और परस्पर उन्हें भाईचारे के भाव से बर्ताव करना चाहिए।सभी को इस घोषणा में सन्निहित सभी अधिकरों और आजादियों को प्राप्त करने का हक है और इस मामले में जाति, वर्ण, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार-प्रणाली, किसी देश या समाज विशेष में जन्म, संपत्ति या किसी अन्य मर्यादा आदि के कारण भेदभाव का विचार न किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, चाहे कोई देश या प्रदेश स्वतन्त्र हो, संरक्षित हो, या स्वशासन रहित हो, या परिमित प्रभुसत्ता वाला हो, उस देश या प्रदेश की राजनैतिक क्षेत्रीय या अन्तरराष्ट्रीय स्थिति के आधार पर वहाँ के निवासियों के प्रति कोई अन्तर न रखा जाएगा।प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, स्वाधीनता और वैयक्तिक सुरक्षा का अधिकार।किसी को भी शारीरिक यातना न दी जाएगी और न किसी के भी प्रति निर्दय, अमानुषिक या अपमानजनक व्यवहार न किया जाये।हर किसी को हर जगह कानून की निगाह में व्यक्ति के रूप में स्वीकृति-प्राप्ति का अधिकार है।कानून की निगाह में सभी समान हैं और सभी बिना भेदभाव के समान कानूनी सुरक्षा के अधिकारी हैं। यदि इस घोषणा का अतिक्रमण करके कोई भी भेदभाव किया जाए या उस प्रकार के भेदभाव को किसी प्रकार से उकसाया जाए, तो उसके विरुद्ध समान संरक्षण का अधिकार सभी को प्राप्त है।सभी को संविधान या कानून द्वारा प्राप्त बुनियादी अधिकारों का अतिक्रमण करने वाले कार्यों के विरुद्ध समुचित राष्ट्रीय अदालतों की कारगर सहायता पाने का हक है।किसी को भी मनमाने ढंग से गिरफ्तार, नजर बन्द या देश-निष्कासित न किया जाएगा।इस प्रकार से सभी नागरिकों का अधिकार सुरक्षित हो और सभी का आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक विकास से ही विकसित भारत 2047 का भविष्य सुरक्षित होगा। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ भूपेंद्र कुमार साहू ने किया तथा श्रीमती गायत्री शर्मा ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष,प्राध्यापक एवं छात्राएं उपस्थित रहीं।

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