प्रगतिशील पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के वार्षिकोत्सव पर निश्छल सरगुजिहा साहित्य समिति ने किया सरस कवि-सम्मेलन

लखनपुर (गंगा प्रकाश)। लखनपुर प्रगतिशील पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के वार्षिकोत्सव पर निश्छल सरगुजिहा साहित्य समिति के द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार एसपी जायसवाल की अध्यक्षता में एचीवर पब्लिक स्कूल लखनपुर के प्रांगण में सरस कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ऐसोसिएशन के प्रांताध्यक्ष ललित मानिकपुरी, विशिष्ट अतिथि सूरजपुर के जिलाध्यक्ष खरसाय गिरी, संगठन सचिव रामानुजनगर एनएस ठाकुर व अन्य सदस्यगण थे। 

कार्यक्रम के प्रारंभ में अभ्यागतों द्वारा मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की गई। गीतकार पूनम दुबे ‘वीणा’ ने सरस्वती-वंदना की मनोहारी प्रस्तुति दी। नए पेंशनर्स रामप्रताप राजवाड़े, सफीक खान, सुदामाराम साहू, राम अवतार कुशवाहा, काशीराम साहू व पनमेश्वर सिंह का स्वागत-अभिनंदन किया गया। प्रांताध्यक्ष ललित मानिकपुरी ने कहा कि पेंशनर्स एसोसिएशन अच्छी सोच व प्रयासों के साथ निरन्तर आगे बढ़े। हमें आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास भी है कि हम नई सरकार से अपनी लंबित मांगों को पूरी करवाने में सफल रहेंगे। सरगुजिहा कवि-सम्मेलन में कवयित्री माधुरी जायसवाल ने अशिक्षित ग्रामीण अभिभावकों की पीड़ा व बच्चों को शिक्षित करने के संकल्प को व्यक्त किया- नीगेन-नीगेन-नीगेन-गा, कभों इसकुल मा नीगेन। नोनी-बाबू ला पढ़ाबो, बेटा-बेटी ला पढ़ाबो। कवि अजय श्रीवास्तव ने भी साक्षरता अभियान पर प्रेरक कविता पढ़ी- कोरबा सहर के तीर मा भइया गांव रहिस हे गोड़हा, उहां के निवासी मन रहें अबड़ अड़हा। अशोक जमगलिहा ने गुरु-महिमा व काया की नश्वरता का बखान किया- सुनो-सुनो जी सुजान गुरु-महिमा ल जान। गुरु बिन जिनगी अधूरा हे। सुनो-सुनो गा सुजान, काया माटी के समान, बूंद परे मा गल जाना हे! 

दुनिया में सुख तो क्षणिक है मगर दुख शाश्वत है, सत्य भी। कवयित्री व अभिनेत्री अर्चना पाठक ने अपने दोहे में यही बात कही- सुख-दुख चलथे संग में, बदले सुर-संगीत। सुख आनी-जानी हवे, हवे सांच दुख मीत। कवयित्री मंशा शुक्ला ने अपने दोहे में असली व नकली चीजों के पहचानने पर बल दिया- असली-नकली भेद ला, हे मितान पहचान। महर-महर जे नइ करे, फूल अबिरथा जान। कवि प्रकाश कश्यप ने बेटा-बेटी की समानता पर ददरिया की तर्ज पर शानदार गीत की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया- चटिक कहि देबे मैना, मोर संगी ले एतना तैं कहि देबे। बेटी हवे सीता तो बेटा हवे राम, बिना दुनो के नइ चलथे ए दुनिया के काम। बेटा-बेटी दुनो आंखी के राजा, संगी दुनो के जनम में बजावा बाजा। बेटा-बेटी गमगम बगिया के सुघ्घर फूल, बेटा तारे एगो ला बेटी दुइयो कुल। कविवर एसपी जायसवाल सरगुजिहा बोली के जाने-माने हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कई सरगुजिहा कविताओं का सस्वर पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके दोहे में रामभक्ति का स्वर गुंजायमान हुआ- गांव कर देवी सुमिरों, सुमिरों मैं भगवान। राम कर गुणगान लिखों, सहाय रहे हनुमान। हालिया विधानसभा चुनाव परिणाम पर लोगों के भारी हर्षोल्लास का भी चित्रण उन्होंने यूं किया- अइसन फूटिस पड़ाका राती, दीवाली ले ओपार गा। नाचत-कूदत रायत हर बीतीस, देखोइया अपरमपार गा। जंगला ले देखिन मेहरी-मानुस नवा-नवा संसार गा। लोकगायिका व कवयित्री पूर्णिमा पटेल ने एक नेक सलाह दे डाली- महुआ कर रस बड़ा भारी, नोनी कर दाऊ महुआ कर रस बड़ा भारी। झिन जाबे फेड़ो तरी, फूल हर मतवाही संगवारी! उनके भक्तिगीत-रंग दो, रंग दो, भगवा रंग दो और ओंकारा-ओंकारा ने खूब तालियां बटोरीं। 

कवि-सम्मेलन में सरगुजिहा के अलावा हिन्दी में भी कई कविताएं कवियों द्वारा पेश की गईं, जिन्हें श्रोताओं ने बडे़ ध्यान सुना और सराहा भी। युवाकवि अम्बरीष कश्यप की कविता ने समां बांध दिया- बाग़ फूलों से भरा नहीं है, दिल भी मेरा हरा नहीं है। चाय-पानी तो पूछ ले बेटा, अभी तो बूढ़ा मरा नहीं है! वरिष्ठ गीतकार उमाकांत पाण्डेय ने अपने सुंदर गीत से सबको सम्मोहित किया- मन व्याकुल है कुछ कहने को। तोड़ रही है मन-संयम की नदी किनारा बहने को। चिर-परिचित यादों के स्वर सब पीछे छूट गए, आंखों भर सपने रंगीले कबके टूट गए, मौसम भी अपने खेमे का कब अनुकूल रहा, जीवन ज्यों जूड़े से टूटा कोई फूल रहा। बिना तुम्हारे भी तो ढे़रों दुख थे मेरे सहने को! दोहाकार व शायर मुुकुंदलाल साहू ने परिवार व समाज की सुख-शांति के लिए लोगों से नशा छोड़ने का आव्हान किया- नसा नास के जड़ हवय, छोड़ा एला आज। तभे सबे परिवार अउ होही सुखी समाज। इनके अलावा कवयित्री सीमा तिवारी के गीत- आओ मिलकर जुलकर जलाएं एक दीया उस बाग़ में, जिसके माली का ठिकाना न रहा जहान में, वरिष्ठ कवयित्री गीता दुबे की मोबाइल मेनिया पर कविता- सबले अब्बड़ चीज बनिस का मोबाइल-मोबाइल, लबरा बोले के तुमन सीखा स्टाइल-स्टाइल,  वरिष्ठ गीतकार आनंद सिंह अकेला का गीत- छत्तीसगढ़िन महतारी ओ, मोर धान-कटोरा के रानी ओ, पूनम दुबे ‘वीणा’ का भोजपुरी गीत- हाली-हाली चले रे गुजरिया, अंधेरा फिरल आबना और मीना वर्मा की कविताओं की सभी ने मुक्तकंठ से तारीफ़ की। कार्यक्रम का काव्यमय संचालन व आभार ज्ञापन कविवर एसपी जायसवाल ने किया। अंत में, सभी कवियों व एसोसिएशन के सदस्यों को प्रशस्ति-पत्र व कलम देकर सम्मानित किया गया। आयोजन को सफल बनाने में ब्लॉक अध्यक्ष कृष्णकुमार गुप्ता, कनिष्ठ उपाध्यक्ष बसंत प्रसाद गुप्ता, महामंत्री रामसागर साहू, सह सचिव त्रिभुवन यादव सहित एसोसिएशन के सभी सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा। इस अवसर पर रामसागर साहू, राजेश तिवारी, त्रिभुवन यादव, मोहरसाय राजवाड़े, नरेश सिंह परमार, लब्दूराम, जवाहर राम मरावी, देवविष्णु गुप्ता, जगतराम पैकरा, जयनंदन राम, शिवनारायण जायसवाल सहित बड़ी संख्या में काव्यप्रेमी नागरिक उपस्थित रहे।

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