
मैनपुर आचानपुर जाड़ापदर सहित ग्राम कोनारी के नन्हे मुन्ने बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया
सांस्कृतिक कार्यक्रम में सभा को समा बांध एवं मनमोहक रहा
गरियाबंद/मैनपुर (गंगा प्रकाश)। वीर नारायण सिंह का बलिदान दिवस कार्यक्रम का आयोजन ग्राम कोनारी में के मुख्य आतिथ्य गंगाराम मरकाम ग्राम पटेल ने किया गया। विशेष अतिथि लोकेश्वरी नेताम सभापति जिला पंचायत गरियाबंद महेंद्र नेताम गोंडवाना नेता खोलू राम कोमर्रा उपाध्यक्ष नेयाल नेताम युवा नेता रविशंकर बघेल राजबाई धनेश्वर मरकाम उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा बलिदानी वीर नारायण सिंह के छाया चित्र में पूजा अर्चना कर किया गया। जिसके बाद अतिथियों का मंच पर स्वागत पीला चावल व पुष्प गुच्छ से किया गया।
लोकेश्वरी नेताम सभापति जिला पंचायत गरियाबंद ने शहीद वीर नारायण सिंह को नमन करते हुए कहा कि सोनाखान के जमींदार वीर नारायण सिंह के द्वारा तदसमय अकाल होने से अपने जमीदारी क्षेत्र के प्रजा जो सभी समाज से थे उनके परेशानियों को देखते हुए अंग्रेजों के अनाज गोदाम से अनाज को निकालकर अपनी प्रजा में बंटवा दिया था। जिससे नाराज होकर अंग्रेजों ने वीर नारायण सिंह को जान से मार दिए।
महेंद्र नेताम ने कहा हम गर्व करते हैं कि छत्तीसगढ़ में इनके जैसे वीरांगना हुए हैं।
वीर पुरुष बलिदानी वीर नारायण सिंह गोंड समाज के लिए गौरव है। सोनाखान के जमींदार ने अपनी प्रजा के हित में काम करते अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। उनके बताए रास्तों को अंगीकृत करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की बात कही। वही दूर-दूर से स्थानीय कलाकार व ग्राम कोनारी के नन्हे मुन्ने बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम किया गया अंतिम में रीलो नाच की गई।कार्यक्रम को, खोलू राम कोमर्रा नेयाल नेताम रविशंकर बघेल शिक्षक खिलावन पटेल नेहा बिसेन ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रताप मरकाम ने किया।
वीर नारायण के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता
आदिवासी समाज ने शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस कार्यक्रम मनाया। वीर नारायण सिंह की जीवनी को याद करते हुए विस्तारपूर्वक बताया और कहा कि वीर नारायण सिंह के बलिदान को भुलाया नहीं जा नहीं सकता। 19 दिसम्बर को शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस पर आदिवासी समाज के द्वारा श्रद्घांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें सर्व प्रथम वीर नारायण, के छाया चित्र पर पुष्प माल्यार्पण करने के बाद श्रद्धांजलि दी गई।
आदिवासियों सहित प्रबुद्ध जनों सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के वर्षों संघर्ष और बलिदान के बाद आज हम स्वतंत्र हैं। देश की आजादी के लिए अपनी जान देने वालों में एक नाम छत्तीसगढ़ के वीर नारायण सिंह का भी आता है। वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों से हमारी आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। इस अवसर पर प्रमुख रूप से परमेश्वर मरकाम लाल मरकाम कृष्ण मरकाम महेश मरकाम सुखचंद सांडे हलिद्र नागेश प्रहलाद मरकाम केशव मरकाम धनेश्वर मरकाम फनसराम गौकरण नागेश कमल बघेल ओमप्रकाश दुकालू राम मरकाम सुकालू राम मरकाम राधाबाई सपुरा बाई लीला बाई सहित सैकड़ो ग्रामीण जन उपस्थित रहे।