बड़ा सवाल:फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर आरक्षण का लाभ लेने वाले सहायक वन संरक्षक रमन बी सोमावार पर कब होगी कार्यवाही?

रायपुर(गंगा प्रकाश)। सामान्य प्रशासन विभाग के अनुसार, एक उच्च स्तरीय जांच समिति,जिसने एक रिपोर्ट सौंपी थी और दावा किया था कि नकली जाति प्रमाण पत्र की शिकायतों के कुल 926 मामले प्राप्त हुए हैं जो कि साल 2000 से 2020 के बीच जारी किए गए हैं। समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 926 मामलों में से, 659 मामलों को जांच के बाद हल किया गया और बाकी 267 मामलों में 2000-2020 के बीच प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए।
पिछले दो वर्षों में, कुल 75 मामले फर्जी पाए गए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के महासचिव, डीडी सिंह ने एचटी को बताया कि विभाग के पास सूची पहुंच गई है और इन मामलों में कार्रवाई शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि हमने इन मामलों की समीक्षा शुरू कर दी है और कार्रवाई शुरू की जाएगी।उच्च-स्तरीय प्रमाणन जांच समिति ने सामान्य प्रशासन विभाग में 14, जनजातीय और अनुसूचित जाति विभाग में 8, राजस्व विभाग में 7, लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और चिकित्सा शिक्षा विभाग में 9, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग में 8 फर्जी जाति धारक पाए गए।
वहीं, महिला एवं बाल विकास विभाग में 4, जल संसाधन विभाग में 14, समाज कल्याण विभाग में 1, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग में 15, वाणिज्यिक कर विभाग में 1, गृह विभाग में 7, ग्रामोद्योग विभाग में 12, ऊर्जा विभाग में 7, वाणिज्य और उद्योग विभाग में 4, कौशल विकास में 5, तकनीकी शिक्षा और रोजगार विभाग, उच्च शिक्षा विभाग में 3, कृषि विभाग में 14 फर्जी जाति धारक पाए गए हैं।
वहीं, शहरी प्रशासन विभाग और वन विभाग में 5, सहकारिता विभाग में 3, लोक निर्माण विभाग और योजना आर्थिक और सांख्यिकी विभाग में 2, पशुधन विभाग में 6 एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मत्स्य पालन विभाग, खेल और युवा कल्याण विभाग में 1, स्कूल शिक्षा विभाग में 44 जबकि मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय, जनसंपर्क विभाग और आवास और पर्यावरण विभाग में 1-1 फर्जी जाति धारक पाए गए हैं।जिसमे सहायक वन संरक्षक रायपुर के पद पर पदस्थ रमन बी, सोमावार पिता स्व.श्री भालचंद सोमावार वन विभाग में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण का लाग उठा रहे है एवं शासकीय सेवा कर रहे जिससे वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है ।जिससे विभाग के प्रशासन एवं अनुशासन पर अनकों सवालियां निशान उठते है  रमन बी. सोमावार न तो अनुसुचित जाति में आते है और न ही अनुसूचित जनजाति में आते है फिर भी वन संरक्षक सरगुजा वृत्त अंबिकापुर द्वारा 01 अप्रैल 2003 की स्थिति में जारी वनक्षेत्रपालों की वरियता सूची में अनुसूचित जनजाति में रखा गया हैं तथा 01 अप्रैल 2004 की स्थिति प्रदेश स्तर पर जारी वन क्षेत्रपालों की वरियता सूची में अनुसूचित जनजाति में रखा गया है, सेवा पुस्तिका में 2003 तक अनुसूचित जाति एवं 2004 में अनुसूचित जनजाति में रखा जाना भयानक षडयंत्र प्रतीत होता है जबकि सोमावार दोनो ही जाति में नहीं है इनकी मूल भाषा तेलगू है एवं आंध्रप्रदेश के प्रवर्तित यह परिवार बिलासपुर है इनका पूर्वज श्री बोलतो राम व कुच्चुराम पिता श्री रमैया जाति तेलगना दर्जी ग्राम अगेली तहसील जिला बिलासपुर में सन 1928-29 के पूर्व से बस गया इनके सभी रिश्तेदार के गोत्र कर्णेवार, अदमुलवार, रापर्तिवार, कोंटीवार, रंगसाही आदि है जो दलितवर्ग में नहीं आता है श्री रमन बी, सोमावार द्वारा तहसीलदार रायगढ़ जिला रायगढ़ से “चत्री” (CHATRI) अनुसुचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त किया था जो संसद द्वारा पारित अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियां आदेश संशोधन अधिनियम 1976 भारत सरकार ग्रह मंत्रालय दिनांक 27/07/1977 से मध्य प्रदेश राज्य के प्रभावशील कर देने के फलस्वरूप तब मध्यप्रदेश के संकल्प क्रमांक/6478 सी. आर.-740-1 दिनांक 19/05/1998 के पैराग्राफ 6 के अनुसार संलग्न की गई सुचियां निरस्त कर दी गई अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियां ओदश संशोधन अधिनियम 1976 की सूची में “चत्री” शामिल नहीं है जाति सत्यापन समिति द्वारा “चत्री” अनुसूचित जाति एवं जनजाति को जाति किया जाना गलत माना गया एवं तत्काल प्रभाव से निरस्त माना जायें एवं न्यायालय द्वारा गलत/फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पद पर की गई नियुक्ति निरस्त करने की कार्यवाही नियोक्ता द्वारा किया जाना है, किन्तु विभागीय उच्च अधिकारियों के द्वारा सहायक वन संरक्षक रायपुर में पदस्थ अधिकारी रमन बी. सोमावार को सेवा से पदच्युत नहीं किये जाने से सामान्य प्रशासन विभाग और सरकार की छवि खराब हो रही है विभाग प्रशासन पर अनुशासन पर अनेको गंभीर सवाल उठ रहे है।उल्लेखनीय है इसी फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर इनके बड़े भाई यशवंत बी. सोमावार को बर्खास्त कर दिया गया है तथा इनके मंझले भाई तहसीलदार के पद पर पदस्थ थे उन पर बर्खास्ती की कार्यवाही चल रही है।अब मोदी गारंटी को चाहिए कि रमन बी. सोमावार तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनकी जाति पर सूक्ष्म, निस्पक्ष कार्यवाही कर सेवा से पदच्युत किया जाये साथ सेवा अवधि के वेतन अन्य भत्ते की वसूली की जायें तथा सेवा निवृत्ति के पश्चात भुगतान किये जाने वाले सभी उपादानों, लामों से वंचित किया जायें।अब बड़ा सवाल मोदी गारंटी पर हैं? कि इस महारथी पर  कार्यवाही होगी या ऐ शान से नौकरी करते रहेंगे।

*क्या कहता है अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति कार्यालय आयुक्त, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग,पंडित रवि शंकर शुक्ल  विश्व विद्यालय का प्रकरण क्रमांक /110/2001*

1. भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्ववर्ती मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति भोपाल को अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र सत्यापन हेतु प्राप्त यह प्रकरण इस समिति को मध्यप्रदेश राज्य पुर्नगठन के कारण प्राप्त हुआ है । माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा सिविल अपील क्रमांक 5854/1954 कु.माधुरी पाटिल एवं अन्य बनाम एडीशनिल कमिश्नर ट्रायबल डेव्हलपमेंट एवं अन्य तथा याचिका सिविल अपील क्रमांक/4545/95 डायरेक्टर ट्रायबल वेलफेयर आंध्रप्रदेश बनाम लावेती गिरी एवं अन्य में दिये गये निर्देश सहपठित छत्तीसगढ़ शासन,सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश क्रमांक/824/साप्रावि/आप्र/एक/दिनांक 14.2.2001 के तहत् समिति द्वारा कार्यवाही प्रारंभ की गई ।
2. प्रकरण का संक्षिप्त विवरण यह है कि श्री यशवंत बी.सोमावार से दिनांक 11.6.1992 के तहसीलदार रायगढ़,जिला-रायगढ़ से चत्री ( ब्भ्।ज्त्प्) अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किया था । उक्त जाति प्रमाण पत्र के आधार पर इन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लिपिक वर्ग 1 के पद पर नियुक्ति प्राप्त किया था ।
3. माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा जाति प्रमाण पत्रों की जॉंच एवं सत्यापन हेतु दिये गये दिशा निर्देश का पालन करते हुए समिति द्वारा प्रकरण का अन्वेषण पुलिस अधीक्षक रायगढ़ से कराया गया । अन्वेषण प्रतिवेदन में पुलिस अधीक्षक  रायगढ़ ने इनके पिता श्री पी.सी.सोमावार (मेरू चत्री) जाति का दर्शाया है किन्तु जॉंच के सपोर्टिंग अभिलेख के रूप में इनके पूर्वजों के राजस्व व शैक्षणिक अभिलेख संलग्न नही किया था । अतः समिति द्वारा कलेक्टर बिलासपुर से श्री यशवंत बी.सोमावार के पूर्वजों के मिसल अभिलेख मंगाया गया । कलेक्टर बिलासपुर द्वारा प्रेषित मौजा अगेरी तहसील व जिला बिलासपुर के मिसल अभिलेख सन् 1928-29 में इनके पूर्वज श्री बोलताराम व कुच्चराम पिता श्री रम्मैया तेलंगा दर्जी दर्शाया गया है । समिति की विजिलस सेल के द्वारा श्री यशवंत बी.सोमावार के पिता श्री भालचंद्र सोमावार के स्कूल अभिलेख 1.4.1945 में सरल क्रमांक 83 पर भालचंद्र बोन्ताराम टेलर अंकित है । श्री यशवंत बी.सोमावार को शाला स्थानांतरण प्रमाण पत्र कक्षा पॉंचवी शासकीय प्राथमिक शाला अंबिकापुर वर्ष 1961 में जाति हिन्दू अंकित है । मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल नागपुर के स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट 26.5.1965 में इनकी जाति मद्रासी क्षत्रीय(हिन्दू) अंकित है । शासकीय पटवर मल्टी हायर सेकेण्डरी स्कूल रायगढ़ के दाखिल खारिज रजिस्ट्रर में क्र.9104-अ पर जाति हिन्दू अंकित है ।  इनके छोटे भाई संजय कुमार को दाखिल खारिज क्र.8099 में जाति सोमावार तथा इनकी छोटी बहन कु.किरण बाला सोमावार को स्कूल दाखिल खारिज क्र.9105 -अ वर्ष 1968 में जाति सोमावार अंकित है । इनके पूर्वजों के मिसल अभिलेख 1928 इनके पिता के स्कूल दाखिल खारिज  रजिस्ट्रर 1946 तथा श्री यशवंत बी.सोमावार एवं इनके छोटे भाई-बहनों के स्कूल दाखिल खारिज रजिस्ट्रर में नही चत्री अंकित नही है ।
4. माननीय उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देश तथा प्राकृतिक का न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए समिति द्वारा श्री यशवंत बी.सोमावार को सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिया गया है । माननीय उच्चतम न्यायालय में डायरेक्टर ट्रायबल वेलफेयर बनाम लविली गिरी ए.आई.आर.1995 एस.सी.1606 के निर्णय में निर्धारित किया गया है कि अपनी सामाजिक स्थिति (जाति) को साबित करने हेतु सबूत का भारत उस व्यक्ति का है जो कि जाति प्रमाण पत्र के आधार पर आरक्षण का संवैधानिक लाभ प्राप्त करना है । श्री यशवंत बी.सोमावार को उसके पिता एवं पूर्वजों की जाति संबंधी साक्ष्य अभिलेख तथा राजस्व रिकार्ड (मिसल) में दर्ज जाति स्वयं तथा इनके पिता के स्कूल में दाखिल कराते समय इनके पूर्वज द्वारा स्कूल दाखिल खारिज रजिस्ट्रर में दर्ज कराई गई जाति तथा अनुसूचित जनजाति संबंधी राष्ट्रपति सर्टिफिकेशन दिनांक 6.9.1950 को इनके पिता/पूर्वज जिला बिलासपुर छ.ग. के मूल निवासी थे इसे प्रमाणित करने के लिए साक्ष्य अभिलेख प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया था । इन्हें उक्त अभिलेख एवं अपना जवाब प्रस्तुत करने हेतु 11 बार अवसर दिया गया तथा इन्हें सुना गया । किन्तु अनावेदक द्वारा स्वयं ऐसा कोई दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत नही किया गया जिससे यह साबित हो सके कि इनके पूर्वज वास्तव में चत्री अनुसूचित जनजाति के थे ।
5. अनुसूचित जनजाति संबंधी आदेश (सूची) में स्पष्टीकरण हेतु समिति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत मध्यप्रदेश राज्य के लिए जारी अनुसूचित जनजाति आदेश 1050 का अवलोकन किया गया । इसमें अनुक्रमांक 15 पर ज्ञ।ॅ।त् व्त् ज्ञ।छॅ।त् अंकित है । अनुसूचित जनजाति आदेश के पुनरीक्षण 1956 में अनुसूचित जनजाति के उपजातियों को भी मूल जनजाति नाम के साथ शामिल किया गया है । अनुसूचित जनजाति की सूची 1950 (संशोधन 1956 अनुक्रमांक 15 पर ज्ञूंंतएज्ञंदूंतएज्ञंनतएब्ीमतूंएत्ंजीपंएज्ंदूंत वत ब्ींजजतप अंकित है ) भारत सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति की सूची में पुनरीक्षण हेतु गठित एडवाइजरी कमेटी (लोकर कमेटी) के प्रतिवेदन 1967 मेंं मुख्य जाति कंवर तथा इनकी समानार्थी कौर,कवर एवं इसकी उपजातियों मेंठींज व्त ज्ञनतं ठींज व्त स्ंदरींएब्ींजजतपएब्ीमतूंएज्ंदूंत आदि दर्शाया गया है । अनुसूचित जनजाति सूची संशोधन 1976 में अनुसूचित जनजातियों तथा उपजातियों के बीच में अंकित व्त् शब्द को विलोपित कर कौमा प्रतिस्थापित किया गया । इस सूची के अनुक्रमांक 20 पर ज्ञूंंतएज्ञंदूंतएज्ञंनतएब्ीमतूंएत्ंजीपंएज्ंदूंतएब्ींजजतप अंकित है । अर्थात मुख्य जाति कंवर तथा कन्वर ,कौर,चेरवा,राठिया,तंवर,छत्तरी का अपभ्रंश चतरी आदि इनकी समानार्थी एवं उपजातियों को बाद में इन्द्राज है । कंवर अनुसूचित जनजाति के उपजाति तंवर वा छत्तरी को अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र एवं संवैधानिक लाभ प्राप्त करने की पात्रता होगी । अन्य किसी क्षत्रीय/छत्तरीय वर्ण या जाति के व्यक्ति को अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र व आरक्षण प्राप्त करने की पात्रता नही आयेगी । उल्लेखनीय यह भी है कि कंवर तथा उसकी उपजातियॉं चेरवा,राठिया,तंवर या छत्तरी मूल छत्तीसगढ़िया जनजाति है ।
6. माननीय उच्चतम न्यायालय में माधुरी पाटिल बनाम एडीशनल कमिश्नर,ट्रायबल,डेव्हलपमेंट के निर्णय में दिशा निर्देश दिया है कि जाति संबंधी प्रकरणों की जॉंच एन्थ्रोपॉलीजिकल इथनोलॉजिकल आधार पर किया जावे । श्री सोमावार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इनका गोत्र सोमावार तथा माता के भाई का गोत्र कर्णेवार अन्य रिश्तेदारों का गोत्र अदमुलवार,रापर्तिवार,कोट्रीवार,रंगशाही आदि है । उक्त गोत्र नाम कंवर की उपजाति क्षत्री (तंवर) में नही पाई जाती है । श्री सोमावार की मातृभाषा एवं गोत्र नाम से विदित होता है कि इनके पूर्वज आंध्रप्रदेश से प्रवर्जित होकर छत्तीसगढ़ आये हैं । इनके पूर्वजों के मिसल अभिलेख 1928-29 में तेलंगा दर्ज अंकित होना भी इसकी पुष्टि करता है । अनुसूचित जनजाति की सूची मे शामिल कंवर जनजाति तथा इनकी उपजातियॉं न ही तेलगूं भाषी आंध्रप्रदेश में निवासरत हैं और न ही संविधान द्वारा जारी आंध्रप्रदेश की अनुसूचित जनजाति की सूची में यह शामिल है । माननीय न्यायालय ने जाति प्रमाण पत्र के सत्यापन हेतु स्वतंत्रता के पूर्व की अभिलेख में अंकित जाति को विश्वनीय माना है । श्री सोमावार के पूर्वजों के मिसल अभिलेख में तेलंगा दर्जी अंकित है । तेलंगा जाति छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल है । भारत सरकार गृह मंत्रालय के परित्र क्रमांक 35/1/72-आर.यू.(एस.सी.टी.व्ही.) अप्रैल 1975 के बिन्दू क्रमांक 1.1 के अनुसार जाति प्रमाण पत्र के सत्यापन हेतु व्यक्ति तथा उसके माता-पिता वास्तव में ऐसे समुदाय (जाति) का होना चाहिए जिसका वह दावा कर रहे हैं । परन्तु इस बारे में अनावेदक द्वारा कोई साक्ष्य/प्रमाण प्रस्तुत नही किया गया ।
7. उपरोक्त तथ्यों के आधार पर समिति इस निष्कर्ष पर पहुचती है कि श्री यशवंत बी.सोमावार को तात्कालीन तहसीलदार रायगढ़ तथा तहसीलदार बिलासपुर ने भारत सरकार गृहमंत्रालय के जाति प्रमाण पत्र जारी करने संबंधी नियमों का उल्लंघन करते हुए गलत जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है । अतः यह आदेश पारित किया जाता है कि –

7.1 श्री यशवंत बी.सोमावार को चत्री अनुसूचित जनजाति का जारी किया गया गलत जाति प्रमाण पत्र तत्काल प्रभाव से निरस्त मानी जावें ।
7.2 माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा गलत/फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पद पर दी गई नियुक्ति निरस्त करने की कार्यवाही नियोक्ता द्वारा किया जाना है । अतः क्षत्रीय निर्देशक भारतीय रिजर्व बैंक नागपुर को लेख किया जाय कि श्री यशवंत बी.सोमावार को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लिपिक वर्ग 1 के पद पर दी गई नियुक्ति एवं आरक्षण का लाभ देते हुए पदोन्नति दी गई है तो उसे तत्काल निरस्त किये जाने की कार्यवाही की जावे ।
7.3 कलेक्टर जिला रायगढ़ एवं बिलासपुर को निर्देशित किया जाता है कि गलत जाति प्रमाण पत्र प्राप्तकर्ता एवं जारीकर्ता अधिकारी के विरूद्ध आवश्यक कार्यवाही करें ।अब सवाल उठता है की रमन बी सोमावार के भाई यशवंत सोमावार का जाति प्रमाण
पत्र फर्जी पाया गया है तो रमन बी सोमावार पर प्रशासन ने अब तक कार्यवाही क्यों नहीं किया हैं ऐ समझ से परे हैं या हमाम में सभी नंग्गे हैं?

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