छुरा/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। छुरा क्षेत्र के ग्राम पंचायत पिपराही में जय सिद्ध बाबा विकास समिति द्वारा आयोजित मड़ई मेला महोत्सव कार्यक्रम पूर्व सांसद चंदूलाल साहू के मुख्य आतिथ्य व अध्यक्षता मदन गोपाल नेताम सरपंच ग्राम पंचायत पिपराही विशिष्ट अतिथियों लेखराज ध्रुवा सरपंच संघ अध्यक्ष विकास खण्ड छुरा, संतराम नेताम सभापति जनपद पंचायत छुरा, भागवत हरित वरिष्ठ भाजपा नेता, अरविंद पाण्डे, चंद्र शेखर साहू सदस्य जिला पंचायत गरियाबंद, राजू साहू, मनीष हरित जिला अध्यक्ष किसान मोर्चा, संतन सिंह ठाकुर, अजय दीक्षित की उपस्थिति में सम्मान हुआ।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने छत्तीसगढ़ में आयोजित होने वाले मड़ई मेलों की आवश्यकता व महत्व पर सारगर्भित उद्बोधन देते हुए कहा कि हमारा देश पर्वो का देश हैं।हमारे राज्य के मड़ई का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। बोलचाल की सामान्य भाषा में मड़ई शब्द का अर्थ मेलजोल व भेंट से होती है। मड़ई हमारी संस्कृति की विरासत है जिसे हम एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित करते हुए चले आ रहे हैं।इस उत्सव का प्रमुख उद्देश्य खरीफ फसल कटाई के बाद अपने देवी-देवताओं का धन्यवाद ज्ञापित करना तथा अपने मित्रों प्रियजनों से भेंट करने का एक उत्सव है। जिसे हम सैकड़ों साल से मनाते चले आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मेला मड़ई धर्म कर्म व संस्कृति की महत्ता को अपने साथ लिए हुए आदि काल से चली आ रही है। जिसमें इष्ट मित्रों से भेंट के साथ-साथ काम और इस दौड़ भाग की दुनिया कुछ अच्छे पल जीवन के लिए यादगार के रूप में समेटने के लिए भी काम आते हैं। और यह मड़ई मेले हमारे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन और त्योहारों का प्रतिबिंब है।



श्री साहू ने आगे अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ के लोग जितने परिश्रमी हैं उतने ही उत्सव प्रेमी भी हैं। धान प्रदेश की मुख्य फसल है। प्राय: कार्तिक माह में धान की फसल की कटाई, मिंजाई के कार्यों से किसान और ग्रामीण निवृत्त हो जाते हैं। फसल की बिक्री कर हाथ में रकम आ जाती है तब मेले और मड़ई का दौर प्रारंभ होता है। वहां मनोरंजन के अलावा घर-गृहस्थी तथा कृषि उपकरणों की खरीदी की जाती है। अब भले ही गांव शहर बनते जा रहे हैं, आवश्यकता की हर सामग्री चंद कदमों के फासले पर है, इसलिए खरीद-फरोख्त के लिए मेले-मड़ई की प्रतीक्षा नहीं की जाती। बावजूद इसके उनका महत्व आज 21 वीं सदी में भी यथावत है। यह आधुनिकता के साथ अपनी प्रथाओं और परंपराओं के निर्वाह का बढिय़ा उदाहरण है। छत्तीसगढ़ के कई स्थानों में कातिक पुन्नी (कार्तिक माह की पूर्णिमा) के दिन से मेले का शुभारंभ हो जाता है। अंचल में किसान धान की फसल कटाई, मिंजाई और कोठी में धरने के बाद एक सत्र की किसानी करके फुरसत पा जाता है और दीवाली मनाकर जेठउनी यानी देवउठनी एकादशी से अंचल में मड़ई मेलों का दौर शुरु हो जाता है। ये मड़ई मेले आस्था का प्रतीक हैं और सामाजिक संस्था को सुदृढ़ करने के साथ जनचेतना जागृति करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लगभग सभी छोटे बड़े गांवों में इनका आयोजन होता है और यह उत्सव शिवरात्रि तक चलता है। आज इस गांव में और कल उस गांव में, मतलब पृथक-पृथक दिन मड़ई का आयोजन होता है, जिसमें ग्राम देवताओं की पूजा के साथ मनोरंजन का भी प्रबंध होता है। छत्तीसगढ़ में बड़े मेले विशेष पर्व या पूर्णिमा तिथि को नदी तटों पर आयोजित होते हैं, पर मड़ई का आयोजन लगभग प्रत्येक ग्राम में हो जाता है।मड़ई मेलों में ग्रामीण उपयोग की वस्तुओं की दुकाने सजती हैं। सभी दुकानदार मड़ई के हांका के अनुसार एक गांव से दूसरे गांव में भ्रमण करते रहते हैं। मिठाई की दुकाने, फोटो स्टूडियो, टिकली फुंदरी वाले, गोलगप्पे-चाट, गिलट के जेवर की दुकानें, गोदना और भी तरह-तरह की सामग्रियों के विक्रेता दुकान सजाए रहते हैं।मेला मड़ई ग्रामीणों की आवश्यकताओं की वस्तुओं की कमी तो पूरा करते ही हैं, इसके साथ ही मेल-मिलाप का महत्वपूर्ण माध्यम भी हैं। बेटी मां-बाप, भाई-बहनों से मिल लेती है, सुख-दुख का हाल जान लेती है और रिश्तेदार भी आपस में जोहार लेते हैं जो सांस्कृतिक एवं सामाजिक एकता को सुदृढ़ रखता है।कुल मिलाकर, यह कहा जा सकता कि मेले से ग्रामीण जीवन की धीमी गति में उत्साह, उल्लास व जोश पैदा होता है। सामाजिक एकरसता व तनाव से मुक्ति दिलाते हैं। गांव- समाज में नई ऊर्जा का संचार करते हैं। प्रकृति से मेलों व त्योहारों का रिश्ता होता है। ऐसे मेले प्रकृति को बचाने, सामूहिकता का भाव पैदा करने, पारस्परिक सौहार्द, एक दूसरे से सहयोग करने की परंपरा की याद दिलाते हैं। इनसे आपसी सूझबूझ का विकास भी होता है।
चूंकि ऐसे मेलों का आयोजन प्रकृति की गोद में बसे पहाड़ों व जंगलों के आसपास, पेड़ों के नीचे, तालाब व नदियों के किनारे होता है। और इनसे यहां के बाशिन्दों का खास रिश्ता होता है, वे प्रकृति पूजक हैं। उनके देवी-देवता भी जंगल में ही हैं। वे जंगल से उतना ही लेते हैं, जितनी जरूरत है। इसलिए ऐसे मेलों से प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीने की प्रेरणा भी मिलती दिखाई देती है। मेलों की संस्कृति व परंपराएं सदियों से विकसित हुई हैं। यह आपस में जोड़ती हैं, एक दूसरे की मदद करने की परंपराएं सिखाती हैं। इससे हमें खेती व छोटे व लघु कुटीर उद्योगों की ओर बढ़ने की दिशा भी मिलती है। ऐसे कामों से गांव-समाज को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने में मदद मिल सकती है।हमारी देश की हवा, जलवायु व मिट्टी खेती के लिए अनुकूल है। अगर हम इस दिशा में आगे बढ़ेंगे तो हमारे किसान, मजदूर,आदिवासियों के घरों में खुशहाली आएगी,और हमारी भाईचारा बढ़ाने वाली व प्रकृति के साथ सामंजस्य करनेवाली की परंपराएं कायम रहेंगी, वही हमारा भविष्य है।


जहां दूसरों से खत्म हो जाती हैं उम्मीदें, वहां से शुरू होती है मोदी गारंटी:श्री साहू
श्री साहू ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार है जिसने गरीबों, किसानों, छोटे व्यापारियों और समाज के विभिन्न वर्गों की मदद की है। स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक विकास का लाभ कुछ बड़े शहरों तक ही सीमित था। लेकिन मोदी सरकार छोटे शहरों के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है और इससे विकसित भारत की नींव मजबूत कर रही हैं।
श्री साहू ने आगे कहा कि जहां बाकी सभी से लोगों की उम्मीदें खत्म हो जाती हैं वहां से मोदी गारंटी शुरू होती है। भारत को एक विकसित देश बनाने के उनके संकल्प के केंद्र में छोटे शहरों का विकास है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के संकल्प के साथ मोदी की गारंटी गाड़ी देश के हर कोने तक पहुंच रही है। एक महीने के अंदर ही विकसित भारत संकल्प यात्रा हजारों गांवों और शहरों, विशेषतौर पर छोटे शहरों में पहुंच गई है। मोदी सरकार परिवार के एक सदस्य की तरह हर किसी की परेशानियां कम करने का प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री ने 15 नवंबर को झारखंड के खूंटी से विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य देश के कोने-कोने में लोगों को केंद्र सरकार योजनाओं के बारे में बताना और उसका लाभ उठाने के लिए उन्हें प्रेरित करना है।
सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं:श्री साहू
श्री साहू ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी लोगों से सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की। उन्होंने कहा, भले ही मोदी ने विकसित भारत संकल्प यात्रा को हरी झंडी दिखा दी हो, लेकिन सच्चाई ये है कि आज इस यात्रा की कमान देशवासियों ने अपने हाथों में ले ली है। पीएम ने वर्चुअल तरीके से राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विकसित भारत संकल्प यात्रा को हरी झंडी भी दिखाई। इन पांचों राज्यों में हाल ही में विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं। दूसरे राज्यों में यह यात्रा पहले ही शुरू हो गई थी।
पूरे भारत में, एक परिवर्तनकारी अभियान चल रहा है। विकसित भारत संकल्प यात्रा,आशा का एक जीवंत कारवां है। यह सभी भारतीयों के घरों तक सशक्तिकरण और उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित करती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 नवंबर को झारखंड के खूंटी से विकसित भारत संकल्प यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस यात्रा का उद्देश्य विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता पैदा करना और योजनाओं के शत प्रतिशत संतृप्ति के लिए “जनभागीदारी” की भावना में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना है। यह भारत सरकार की अब तक की सबसे बड़ी आउटरीच पहल है। यह पहल 25 जनवरी, 2024 तक देश भर में 2.60 लाख ग्राम पंचायतों और 4000 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों को कवर करेगी।
केवल एक महीने की छोटी सी अवधि में, यह यात्रा देश की 68,000 ग्राम पंचायतों (जीपी) में 2.50 करोड़ से अधिक नागरिकों तक पहुंच गई है। इसके अलावा, लगभग 2 करोड़ व्यक्तियों ने विकसित भारत संकल्प भी लिया है और केंद्र सरकार की योजनाओं के 2 करोड़ से अधिक लाभार्थियों ने ‘मेरी कहानी मेरी जुबानी’ पहल के तहत अपने अनुभव साझा किए हैं।
विकसित भारत संकल्प यात्रा न केवल एक भरोसा है, बल्कि वास्तविक सुधारों से भरी एक यात्रा है।
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल के 9 साल में बड़े काम और कमालों से बदला देश,9 सालों में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना: श्री साहू
श्री साहू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में आए 9 साल हो चुके हैं। 26 मई 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार की कमान संभाली थी।2014 में मोदी लहर पर सवार होकर बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था।वहीं, 2019 में आई मोदी सुनामी में विपक्षी दलों के कई पुराने दरख्त तक उखड़ गए थे।पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर बीजेपी ने 303 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।2014 में सत्ता के केंद्र में स्थापित हुई मोदी सरकार ने इस दौरान कई बड़े फैसले लिए।आम जनता को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर में बड़े निवेश समेत कई निर्णयों ने मोदी सरकार की स्वीकार्यता को बढ़ाया। इन 9 सालों में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।
9 साल में जनता तक पहुंची ये 9 बड़ी योजनाएं
श्री साहू ने आगे कहा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में जनता के स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों और शहरों में 12 करोड़ शौचालय बने।मोदी सरकार की जनधन योजना के तहत देशभर में 48.93 करोड़ लोगों ने अपने बैंक खाते खुलवाए। ये खाता जीरो बैलेंस के साथ शुरू होता है।पीएम मोदी की मुद्रा योजना में लोगों को बिना गारंटी के सस्ता ऋण दिया गया। इस योजना के तहत अब तक 40.82 करोड़ लोगों को 23.2 लाख करोड़ का कर्ज दिया गया।
पीएम आवास योजना के तहत पात्र लाभार्थियों के लिए 3.45 करोड़ घर बनाए गए।मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 9.59 करोड़ घरों में एलपीजी कनेक्शन की पहुंच बनी,केंद्र सरकार की जन आरोग्य योजना के तहत 4.44 करोड़ लोगों का इलाज हुआ।मोदी सरकार की किसान सम्मान निधि योजना के तहत देशभर के 12 करोड़ किसानों को हर साल 6 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है।मोदी सरकार की हर घर जल योजना के तहत अब तक 11.66 करोड़ परिवारों को पीने का साफ पानी मुहैया कराया जा चुका है। वहीं, कोरोना महामारी के दौरान शुरू हुए कोविड टीकाकरण में अब तक 220.67 करोड़ वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है।
9 साल में पीएम मोदी के 9 बड़े फैसले
श्री साहू ने कहा कि 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की, 2015 में पीएम आवास योजना को तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला लिया गया।2016 में नोटबंदी का फैसला कर पीएम मोदी ने सभी को चौंका दिया था।2017 में देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति देने के लिए जीएसटी लागू करने का फैसला किया। 2018 में मोदी सरकार ने पात्र लाभार्थियों के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की, जिसके तहत पात्र लाभार्थियों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं।2019 में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला किया था।राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2020 में मोदी सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन कर दिया। 2021 में कोरोना से बचाव के लिए मोदी सरकार ने स्वदेशी वैक्सीन के जरिये टीकाकरण अभियान की शुरुआत की। डिजिटल इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए 2022 में मोदी सरकार ने 5G सेवाओं की शुरुआत की।
2014 से 2023 तक बदला देश
श्री साहू ने आगे कहा कि 2014 में देश के अंदर मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 थी, जो अब बढ़कर 692 हो चुकी है। 2023 में एम्स की संख्या बढ़कर 24 हो चुकी है, जो 2014 में केवल 6 थी. 2014 तक देश में 723 यूनिवर्सिटी थीं, जो 2023 में बढ़कर 1472 हो चुकी हैं।2014 तक देश में 16 आईआईटी संस्थान थे, जो 2023 में बढ़कर 23 हो चुके हैं।2014 तक देश में 13 आईआईएम थे, जो अब 20 हो चुके हैं।2014 में भारत की बिजली उत्पादन क्षमता 2.34 लाख मेगावाट थी, जो 2023 में बढ़कर 4.17 लाख मेगावाट हो गई। 2014 तक देश में 13 करोड़ गैस कनेक्शन थे, जो 2023 में बढ़कर 31 करोड़ हो गए,2014 तक देश में नेशनल हाईवे की पहुंच 91,287 किमी तक थी, जो 2023 में 1.44 लाख से ज्यादा हो गई, 2014 तक देश में एयरपोर्ट की संख्या 74 थी, जो 2023 में बढ़कर 148 हो गई। 2014 तक देश में रेल मार्गों का 21,614 किमी हिस्सा ही इलेक्ट्रिक लाइन से जुड़ा था।2023 में ये बढ़कर 58,812 किमी तक पहुंच गया।
अर्थव्यवस्था हुईं मजबूत
श्री साहू ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, तब भारत की जीडीपी 112 लाख करोड़ रुपये के आसपास थी।आज भारत की जीडीपी 272 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2025 तक भारत की जीडीपी 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का टारगेट रखा है।मोदी सरकार में आम आदमी की कमाई में बड़ा इजाफा हुआ है।मोदी सरकार से पहले आम आदमी की सालाना आय 80 हजार रुपये से भी कम थी।अब वो 1.70 लाख रुपये से ज्यादा है।मोदी सरकार में विदेशी मुद्रा भंडार ढाई गुना तक बढ़ा है। कारोबार करने और अपनी मुद्रा को मजबूत बनाए रखने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार जरूरी होता है।अभी देश में लगभग 50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार है।प्रधानमंत्री मोदी ‘मेक इन इंडिया’ का नारा लेकर आए थे।इसका मकसद था दुनिया में भारत की बनी चीजों को भेजना,बीते 9 साल में एक्सपोर्ट करीब दोगुना हो गया है।2022-23 में भारत ने 36 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का सामान एक्सपोर्ट किया था, जबकि 2014 में 19.05 लाख करोड़ का एक्सपोर्ट हुआ था।
स्वास्थ्य का क्या हुआ?
श्री साहू ने कहा कि कोरोना ने बता दिया कि किसी देश के लिए मजबूत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर कितना जरूरी है। मोदी सरकार में स्वास्थ्य बजट में करीब 140 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस साल स्वास्थ्य के लिए सरकार ने 89 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट रखा है।
मोदी सरकार में डॉक्टर्स की संख्या में 4 लाख से ज्यादा का इजाफा हुआ है।हाल ही में सरकार ने संसद में बताया था कि देश में 13 लाख से ज्यादा एलोपैथिक डॉक्टर्स हैं। इनके अलावा 5.65 लाख आयुर्वेदिक डॉक्टर्स भी हैं। इस हिसाब से हर 834 लोगों पर एक डॉक्टर है।
मोदी सरकार में मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस की सीट, दोनों की ही संख्या बढ़ी है।अभी देश में 660 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें एक लाख से ज्यादा एमबीबीएस की सीटें हैं।



