आदिवासी समाज जल जंगल जमीन को बचाने आगे आयें

बेड़गांव में बिरसा मुंडा एवं गैंदसिंह नायक के प्रतिमा का हुआ अनावरण

राजनांदगाँव/मोहला (गंगा प्रकाश)। जल-जंगल-जमीन की रक्षा करने के लिए सर्व आदिवासी समाज आगे आना ही होगा उक्त विचार आदिवासी समाज के समाज प्रमुखों ने शहीद बिरसा मुंडा एवं शहीद गैंदसिंह नायक के प्रतिमा अनावरण के अवसर पर व्यक्त किया।
हल्बा-हल्बी समाज के एकता व शक्ति दिवस के अवसर पर आदिवासी समाज संगठन शाखा बेड़गांव तहसील कोरची के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के अध्यक्ष कोटगुल के आदिवासी समाज संगठक राजेश नेताम,उदघाटक गोंड़ समाज कोरची के ब्लाक अध्यक्ष रामसूराम काटेंगे, सहउदघाटक कंवर समाज कोरची के ब्लाक अध्यक्ष भीखम फुलकुंवर, ध्रुव गोंड़ समाज कोरची के ब्लाक अध्यक्ष सुरेश सिन्द्राम, ध्वजारोहक चन्द्रपुर के आदिवासी समाज संगठक खुशाल मानकर, प्रमुख अतिथि वक्ता लेखा मेंढ़ा के सामाजिक कार्यकर्ता देवाजी तोफा, गढ़चिरौली के आदिवासी साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता कुसुम ताई अलाम एवं राजनांदगाँव के सामाजिक कार्यकर्ता एवं साहित्यकार दिनेश कोरेटी दिलेर ,विशेष अतिथि पूर्व जिला परिषद सदस्य द्वय अनिल केरामी क्रान्ति एवं पदमाकर मानकर तथा विलाश भोगारे रहे।
सेवा अर्जी के साथ नव स्थापित शहीद बिरसा मुंडा एवं शहीद गैंदसिंह नायक के प्रतिमा अनावरण पश्चात अतिथियों का पीला गमछा,पीला चांवल एवं गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया गया।
प्रमुख अतिथि वक्ता दिनेश कोरेटी दिलेर ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जल-जंगल-जमीन आदिवासी समाज की धरोहर है इस धरोहर को बचाये रखने के लिए सर्व आदिवासी समाज को सामने आना होगा। जहां -जहां आदिवासी निवासरत है वहां-वहां जल-जंगल-जमीन सुरक्षित है आदिवासी समाज एवं आदिवासी संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा आवश्यक है। श्री कोरेटी ने शहीद बिरसा मुंडा एवं शहीद गैंदसिंह नायक की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डालकर गीत प्रस्तुति के माध्यम से आदिवासी समाज को अमर शहीदों के पदचिन्ह पर चलने जनजागरण किया।
महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता देवाजी तोफा ने कहा कि जल-जंगल-जमीन पर पहला अधिकार मूलनिवासी आदिवासियों की है।इसके लिए ग्राम सभा को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। सभी नागरिकों को एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करना चाहिए। ग्राम सभा के लोगों को जनहित के काम को प्राथमिकता देना होगा।
साहित्यकार सामाजिक कार्यकर्ता कुसुम ताई अलाम ने कहा कि हम सभी आदिवासियों की एक विशिष्ट एवं अलग भाषा, संस्कृति, रीति- रिवाज एवं रिश्ता- नाता है जिसे बचाय रखना हम सभी आदिवासियों की जिम्मेदारी है।आदिवासी समाज को उनके मूलसंस्कृति एवं प्राचीन रीति- रिवाज के कारण आरक्षण मिला है अपने आरक्षण को बचाने के लिए प्राचीन रीति- रिवाज एवं रिश्ता- नाता को बचाना होगा।
सभा को आदिवासी समाज प्रमुख खुशाल मानकर, रामसुख काटेंगे, राजेश नेताम एवं अनिल केरामी क्रान्ति ने संबोधित कर आदिवासी समाज से सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से एकजुट होकर मूल पहचान को बनाये रखने का आव्हान किया।
इस अवसर पर कोयतुर गोंड़ समाज के कलाकारों एवं स्कूली बच्चों ने मनमोहक गोंड़ी गीत- नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम में समां बांधे रखा। आदिवासी समाज के प्रतिभावान खिलाड़ियों को नगद राशि एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
स्वागत भाषण पदमाकर मानकर, संचालन गणेश सोनकलंगी एवं आभार प्रदर्शन सुरेश प्रधान ने किया।
इस अवसर पर तोमन आचले, नरेन्द्र मंडावी, मोहन भावहरे, दिनेश बोगा,दामोदर बोगा, यशवंत वारदे, बृजलाल उसेण्डी, सालिक मानकर, कुमारीबाई जामकातर, विद्याताई मानकर, मालता पुड़ो, भास्कर मेश्राम, दयाराम तड़ामें,बापूजी उइके, प्रेमसिंह जामकातर, लक्ष्मण सर्पा, दुर्गा मंडावी, माधुरी गद्देवार, इजामसाय काटेंगे,विष्णु बारडे, किशोर मंडावी, संजय फूलकंवर, मोहन बारई, दिनेश बोगा, झाड़ूराम बागडेहरिया आदि आदिवासी समाज प्रमुखों सहित हल्बा-हल्बी समाज के लोग हजारों की संख्या में उपस्थित थे।

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