बुलडोजर सरकार शहरों तक ही सीमित रह गई?”धुर्वागुड़ी” में वन विभाग की आरक्षित भूमि पर अवैध कब्जा करने वालो पर सरकार कब चलाएगी बुलडोजर?

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। राम नाम जपना पराया माल अपना। मुफ्त खोरी की आदत हमारे यहां पुरानी है। इसे बल मिलता है तब जबकि सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वाले उसे आधा अधूरा विकसित करने के बाद खुर्द बुर्द कर देते हैं और महंगे दामों पर बेचकर आगे बढ़ जाते हैं। भ्रष्ट कर्मचारियों की मिलीभगत से ऐसा करने वालों का कानून कुछ नहीं बिगाड़ पाता हैं। क्योंकि यहां इन लोगो के लिए  को पंगतिया गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखी वो इन पंगतिया इनपर सटीक बैठती हैं उन्होंने लिखा है कि…

सुभ अरू असुभ सलिल सब बहई,सुरसरि कोऊ अपुनीत न कहई।समरथ का नहीं दोस गुसाई,रवि पावक सुरसरि की नाई।’

नदी में शुभ और अशुभ मतलब मैल और फूल दोनों बहते हैं।पर कोई नदी को अपवित्र या अपुनीत नहीं कहता है जिस प्रकार गंगा नदी, सूर्य और अग्नि को कोई दोष नहीं लगता है उसी प्रकार समरथ या योग्य व्यक्ति को भी कोई दोष नहीं लगता है कि वह किसका कल्याण कर रहा है।
समरथ शब्द संस्कृत के समर्थ का अपभ्रंश रूप है,जिसका मतलब है योग्य या सामर्थ्यवान। यहां दो शब्द है सम + रथ। जो व्यक्ति सूर्य, गंगा और अग्नि के समान, समान रूप से अच्छे ,बुरे , पवित्र और अपवित्र के साथ व्यवहार करता है उसी प्रकार समरथ व्यक्ति भी दोषहीन होता है। इसके माध्यम से तुलसीदास जी कहना चाहते हैं कि सारे सामाजिक नियम, परंपरा मानने की उम्मीद केवल कमजोर आदमी से ही की जाती है। ताकतवर किसी भी परंपरा या नियम को मानने या न मानने के लिए स्वतंत्र होता है और उस पर किसी का कोई जोर नहीं चलता है। यदि किसी को तंग करता है या कोई भी गलत काम करता है तो भी समाज उसकी हां में हां मिलाता है,विरोध नहीं करता है।जैसा कि वन विभाग गरियाबंद नहीं करता हैं। वन विभाग गरियाबंद का सारा नियम और कानून सिर्फ गरीब आदिवासियों के लिए ही लागू किया जाता हैं उन्हें घर से बेघर करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाती हैं किंतु कोई समर्थवान अगर इन्हे आंख बंद करने कुछ उपहार दे दें तो ऐ वन विभाग की आरक्षित भूमि पर अबैध कब्जा करवाकर उन्हें आलीशान बंगला बनाने से नहीं रोकते हैं बताना लाजमी होगा की उदंती सीतानदी रिजर्व टाइगर क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत खोखमा निस्तार पत्रक अनुसार खसरा नम्बर 60 वन विभाग लघुवनोपज एवं भवन के नाम से आरक्षित है।जिस पर राजनेतिक आरक्षण प्राप्त संजय पांडे और सीमा शुक्ला द्वारा विगत पांच वर्षो से उक्त वन विभाग कि भूमि पर अबैध कब्जा कर मकान बनाकर किराना दुकान एवं होटल संचालित किया जा रहा है।जिसकी शिकायत सामाजिक कार्यकर्त्ता कन्हिया लाल मांझी  प्रधान मुख्य वन संरक्षक से की है श्री मांझी का कहना हैं कि मुझे आशंका है की वन विभाग के द्वारा अवैध कब्जा करने सहमति दिया गया है, दूसरी और उनवापारा बीट रेंज के गोहरामाल जंगल में बसे गरीब आदिवासी परिवार को जंगल से भगा दिया जाता है परन्तु वन विभाग खोखमा धुरवागूड़ी के राष्ट्रीय राजमार्ग 130-c की वेश कीमती कार्यालय लघु वनोपज के मुख्य द्वार पर अबैध तरीके से शासकीय भूमि पर अबैध रूप से कब्जा करने दिया जाता हैं।जिसे खाली करवाने में वन विभाग निष्क्रिय है और उनके द्वारा किसी प्रकार का कार्यवाही नहीं की जाती है।

सत्ता परिर्वतन के बाद योगी माडल की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में खूब गरजा बुलडोजर, अबैध कब्जों पर कई जिलों में हुई एक साथ कार्रवाई गरियाबंद में कब होगी?

अवैध कब्जों पर कार्रवाई के मामले में फिलहाल राज्य सरकार की ओर से दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक कार्रवाई को भाजपा का समर्थन हैं। चूंकि सरकार भाजपा की सरकार बनी हैं इसलिए अधिकारी भी ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री और पूर्व
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव का स्वागत भी बुलडोजर से फूल बरसाकर किया गया था।
रायपुर दक्षिण से विजयी प्रत्याशी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि प्रदेश में कानून का राज चलेगा। छत्तीसगढ़ में कब्जेबाजों के ठिकानों को बुलडोजर ने ध्वस्त करना शुरू कर दिया था। कांग्रेस सरकार के जाते ही सबसे पहले राजधानी में अतिक्रमण हटाने की शुरूआत हुई, जो अबतक राज्य के 15 जिलों तक फैल चुकी है। इन जिलों में एक साथ प्रशासनिक अभियान चलाया जा रहा है।
भाजपा पूरी कार्रवाई का समर्थन कर रही है। पूरी कार्रवाई की चर्चा इंटरनेट मीडिया से लेकर गली-कूचे में भी है। बुलडोजर का खौफ ऐसा है कि बड़ी कार्रवाई के बाद कई मोहल्लों में अतिक्रमणकारी नेताओं की शरण में जा रहे हैं। बुलडोजर के निशाने पर ऐसे अवैध कब्जे हैं, जो कि सड़कों को बाधित कर रहे हैं। साथ ही 10-10 साल से सड़क किनारे जमे हुए हैं, जिसकी वजह से स्कूल, बाजार से लेकर धार्मिक स्थलों व सड़कों की चौड़ाई आधी से भी कम हो गई है।

योगी ने कहा था- यहां भी चलेगा बुलडोजर

छत्तीसगढ़ की सियासत में बुलडोजर की एंट्री चुनाव प्रचार के दौरान ही हो चुकी थी। भाजपा के प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलग-अलग जनसभाओं में कहा था कि भाजपा की सत्ता आने पर यहां भी यूपी की तर्ज पर बुलडोजर चलेगा। बुलडोजर मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि गरीबों के ठिकानों को हटाया जा रहा है। इससे कई लोग बेरोजगार हो रहे हैं। वन्ही दूसरी तरफ मंत्री बृजमोहन ने कहा था कि कानून का राज चलेगा,मोतीबाग, बैजनाथ पारा सहित अन्य स्थलों पर कार्रवाई के बाद रायपुर दक्षिण से विजयी प्रत्याशी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि प्रदेश में कानून का राज चलेगा। गुंडों का नहीं। अतिक्रमण की वजह से हजारों लोगों को परेशानी हो रही है। सार्वजनिक स्थलों पर गैरकानूनी रूप से दुकानें सजा दी गई थी।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा था कि भाजपा सरकार आते ही छत्तीसगढ़ में अपराधियों और माफिया के खिलाफ बुलडोजर चलाया जाएगा। सत्ता परिर्वतन के बाद प्रशासन स्वयं आगे आया था।अवैध कब्जों पर कार्रवाई के मामले में फिलहाल राज्य सरकार की ओर से दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक कार्रवाई को भाजपा का समर्थन हैं। चूंकि सरकार भाजपा की बनी हैं इसलिए अधिकारी भी ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं। अब देखना यह हैं की क्या गरियाबंद जिला के अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही होगी या मामला ठंडे बस्ते में चला जायेगा?

सरकारी जमीन पर कब्जा करने के कौन-कौन से हैं नुकसान ?

सरकारी जमीन पर कब्जा एक अपराध है, जिसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 447 के तहत 3 महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। यदि कब्जा दोबारा किया जाता है, तो सजा 6 महीने तक बढ़ सकती है।

बेदखली: अतिक्रमण के मामले में सरकार अतिक्रमणकारी को बेदखल कर सकती है। बेदखली के बाद अतिक्रमणकारी को अपनी बनाई गई संपत्ति को छोड़ना होगा।

जुर्माना: अतिक्रमण के मामले में सरकार अतिक्रमणकारी से जुर्माना भी वसूल सकती है। जुर्माना की राशि अतिक्रमण की अवधि और जमीन की कीमत के आधार पर तय की जाती है।

आर्थिक नुकसान: अतिक्रमणकारी को बेदखली के बाद अपनी बनाई गई संपत्ति को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, बेदखली के बाद उसे नई जगह ढूंढने के लिए आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

सामाजिक प्रतिष्ठा का नुकसान: सरकारी जमीन पर कब्जा करने से अतिक्रमणकारी की सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। लोग उसे कानून का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति मान सकते हैं।
सरकारी जमीन पर कब्जा करने से बचने के लिए लोगों को जागरूक होना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि सरकारी जमीन पर कब्जा करना एक अपराध है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

उक्त संबंध में वरुण जैन उप निदेशक उदंती सीतानदी रिजर्व टाइगर क्षेत्र गरियाबंद से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि हमारे विभाग द्वारा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)से पत्राचार किया गया हैं और सीमांकन करने के उपरांत ही वस्तुस्थित की जानकारी प्राप्त हो सकेगी,अगर वन विभाग की आरक्षित भूमि पर कब्जा किया गया हैं तो नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।

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