मोदी गारंटी: ईडी-आईटी के बाद अब छत्तीसगढ़ में सीबीआई की हुई एंट्री, पीएससी मामले की करेगी जांच,”विष्णु सरकार”के कैबिनेट ने लिया अहम फैसला

पीएससी के घोटालों पर पर्दा डालती रही निवर्तमान भूपेश सरकार और युवाओं ने पलट दी  सत्‍ता।



प्रकाश कुमार यादव
रायपुर(गंगा प्रकाश )।
छत्तीसगढ़ में पीएससी 2021 के रिजल्ट में गड़बड़ी के आरोपों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी प्रचार के दौरान बिलासपुर में पीएससी के रिजल्ट में गड़बड़ी का मामला उठाया था और कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा था दूसरी तरफ निवर्तमान सीएम भूपेश बघेल ने भी पीएससी के रिजल्ट में गड़बड़ी के मामले पर जांच कराने की बात कर रहे थे डिप्टी कलेक्टर सहित अन्य पदों के चयन प्रक्रिया में धांधली मामला विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा मुद्दा बन गया था इसका असर चुनाव पर भी देखने को मिला था।दरअसल 30 सितंबर 2023 को बिलासपुर में आयोजित बीजेपी की परिवर्तन महासंकल्प रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीजी पीएससी कथित घोटाले को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया था उन्होंने सवाल किया था कि कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ के नौजवानों को क्या दिया? सीजी पीएससी घोटाला युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा है। छत्तीसगढ़ के जिन नौजवानों की नौकरी लगी, उनके सामने भी अनिश्चितता है और जिनको वंचित किया गया उनके साथ अन्याय हुआ उन्होंने कहा था कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को आश्वस्त करता हूं कि जो भी इसके दोषी हैं, बीजेपी सरकार बनते ही उन पर कठोर कार्रवाई होगी। नई सरकार के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही पीएससी घोटाले में अहम फैसले होंगे। आपको बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में लगभग हर रैली में युवाओं के साथ खिलवाड़ करने के लिए पीएससी पर जोरदार हमला बोला था और जांच कराने की घोषणा की थी।जब हमारी सरकार बनेगी तो युवाओं के उत्पात से होगी, कोई नहीं बचेगा।जिस पर छत्‍तीसगढ़ की विष्‍णुदेव सरकार ने आज प्रदेश के लाखों युवाओं की बड़ी मांग और मोदी का वादा पूरा कर दिया है। राज्‍य कैबिनेट ने आज पीएससी भर्ती घोटाला की सीबीआई से जांच कराने का फैसला किया है। इसे प्रदेश के युवाओं के संघर्ष की बड़ी जीत मानी जा रही है। पीएससी भर्ती में गड़बड़ी को लेकर प्रदेश के युवाओं ने करीब 6 महीने का लंबा संघर्ष किया है। इस दौरान सड़क से लेकर कोर्ट तक युवाओं ने हर लड़ाई लड़ी हैं। नेताओं- अफसरों के चक्‍कर लगाए और पुलिस के डंडे भी खाए। पीएससी एक संवैधानिक संस्‍था है। इसके बावजूद सरकार और तत्‍कालीन सत्‍तारुढ़ कांग्रेस पार्टी पीएससी के बचाव में लगी रही। तत्‍कालीन सीएम भूपेश बघेल मामले की जांच के लिए शिकायत का इंतजार करते रहे। बघेल का बार-बार बयान आया- शिकायत आएगी तो जांच कराएंगे। प्रदेश के लाखों युवाओं की मांग जब सरकार ने नहीं मानी तो उन्‍होंने सत्‍ता ही पटल दी। और भ्रष्ट भूपेश सरकार को उखाड़कर ही फेक दिया।
बता दें कि टामन सिंह सोनवानी गुपचुत तरीके से पीएससी से विदा हो चुके हैं। अपात्र घोषित  युवाओं की उत्‍तर पुस्तिका प्रकाशित करने के साथ ही उनके दर्द को भी आवाज देने का प्रयास मिडिया ने हर संभव किया। पीएससी घोटला से जुड़ी हर खबर मीडिया ने प्रकाशित की। 
पीएससी घोटला की जांच की मांग को लेकर युवाओं के संघर्ष की आवाज बने भाजपा नेता उज्‍जवल दीपक ने कहा कि प्रदेश के युवाओं विशेष रुप से उन 18 लाख नव मतादाओं के आक्रोश ने भूपेश बघेल की नेतृत्‍व वाली कांग्रेस सरकार को उखड़े फेंका। भाजपा सरकार ने सीबीआई जांच की घोषणा करके उन युवाओं को बड़ी राहत दी है। दीपक कहते हैं कि कांग्रेस सरकार को भी समझ आ गया था कि युवा उसके खिलाफ है। युवाओं के आक्रोश को शांत करने के लिए ही भेंट मुलाकात का कार्यक्रम शुरू किया गया, लेकिन वह भेंट नहीं सैट मुलाकात कार्यक्रम बन गया। उन्‍होंने बताया कि पीएससी घोटाला के खिलाफ युवाओं के संघर्ष की शुरुआत मई 2023 में हुई। हमनें नगर घड़ी चौक पर शोकसभा का आयोजन कर यह बताया कि छत्‍तीसगढ़ में पीएससी का अंत हो चुका है। इसके बाद राज्‍यपाल को ज्ञापन सौंपकर मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई, लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद भाजयुमो के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष तेजस्‍वी सूर्या के नेतृत्‍व में सीएम हाउस का घेराव किया गया। जुलाई में अखिल भारतीय विद्ययार्थी परिषद (एबीवीपी) ने रायपुर में प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने युवाओं पर बल प्रयोग किया। बाल खींच-खींच कर उन्‍हें मारा गया।
युवाओं के इस संघर्ष में भाजपा का भी पूरा साथ मिला। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह और मौजूदा वित्‍त मंत्री ओपी चौधरी पूरी ताकत के साथ इस मुद्दे को उठाया था।विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और तत्‍कालीन प्रदेश अध्‍यक्ष अरुण साव से लेकर भाजपा के हर बड़े नेता ने भाजपा की सरकार बनने पर मामले की जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया था।राजभवन मौन रहा, सरकार के हाथ बंधे हुए, खलको, अल्मा का खेला कर PSC चेयरमैन रिटायर हो सुरक्षित घर चले गए हैं।रिजल्ट में भाई-भतीजावाद को लेकर पीएससी एक बार फिर विवादों में है। इसमें अनेक सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़ा घोटाला हुआ तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई…? पीएससी चेयरमैन का पद संवैधानिक पद है…उनके खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा?
पीएससी चेयरमैन के खिलाफ राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। उसे हटाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत चाहिए। अधिक-से-अधिक ये नियुक्तिकर्ता की हैसियत से राज्यपाल फौरी तौर पर सस्पेंड कर सकते हैं। जैसे 2005 में जब पीएससी घोटाला हुआ था तो तत्कालीन राज्यपाल के.एम.सेठ ने पीएससी प्रमुख अशोक दरबारी को सस्पेंड कर दिया था। मगर इस बार पीएससी 2021 में घोटालों का भंडाफोड़ हुआ तो राजभवन मौन ओढ़े रहा। दरअसल, राजभवन के सचिव अमृत खलको के दोनों बेटे-बेटी का डिप्टी कलेक्टर में सलेक्शन हुआ है। सो राजभवन के मौन पर बहुतेरे सवाल खड़े हो रहे हैं।पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी ने पीएससी 2021 में खलको और अपने नाते-रिश्तेदारों की नियुक्ति का खेला किया ही, 2022 में भी बेमेतरा कलेक्टर पीएस एल्मा के बेटे उस बेटे को डिप्टी कलेक्टर बना दिया जिसे इसरो का फुल फार्म नहीं मालूम। इतना बड़ा स्कैम कि चीफ जस्टिस को बोलना पड़ा कि ये संयोग नहीं हो सकता कि पीएससी चेयरमैन के नाते-रिश्तेदार सलेक्ट हो जाएं। उन्होंने वकील से पूछा, आपने पीएससी चेयरमैन को पार्टी क्यों नहीं बनाया। इस पर वकील ने बताया कि धारा 351 के तहत पीएससी चेयरमैन का पद संवैधानिक होने की वजह से पार्टी नहीं बनाया जा सकता।
उधर, टामन सिंह खलको, अल्मा और अपने रिश्तेदारों को बड़े-बड़े पदों पर भर्ती कर 8 सितंबर को सुरक्षित रिटायर हो गए। चूकि अशाके दरबार रिटायर नहीं हुए थे इसलिए राज्यपाल ने सस्पेंड कर दिया। सोनवानी का अब कुछ भी नहीं हो सकता। जानकारों का कहना है, क्रीमिनल केस होने की स्थिति में ही चेयरमैन लपेटे में आएंगे। मगर इस मामले में कांग्रेस, भाजपा भाई-भाई है। 2003 पीएससी बीजेपी के समय का है, उस समय के डिप्टी कलेक्टर गंभीर आरोपों के बाद भी आईएएस बन गए।

कौन है नितेश, पीएससी के पूर्व चेयरमैन का बेटा है या किसी सरपंच का..?

बताते चले कि छत्‍तीसगढ़ लोक सेवा आयोग रिजल्‍ट और चयन को लेकर फिर विवादों में है। आयोग ने 2021 की भर्ती का फाइनल रिजल्‍ट इसी वर्ष मई में जारी किया था। अफसर और नेताओं के रिश्‍तेदार के चयन को लेकर तभी से यह रिजल्‍ट विवादों में है। रामपुर विधानसभा सीट से भाजपा विधायक ननकीराम कंवर ने इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। कंवर की तरफ से कोर्ट को 18 नामों की सूची सौंपी गई है। ऐसी ही एक सूची सोशल मीडिया में भी लगातार वायरल होती रही है। इस सूची में चयनितों का अफसरों और नेताओं से रिश्‍ता भी बताया गया है। इसमें पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के कई रिश्‍तोदारों के भी नाम हैं। इनमें सबसे ज्‍यादा चर्चा नितेश के नाम की होती रही है।सोशल मीडिया में वायरल हो रही सूची में बताया गया है कि नितेश पीएससी के चेयरमैन सोनवानी के पुत्र हैं। मामला हाईकोर्ट में पहुंचने के बाद यह बात सामने आई कि नितेश पीएससी के पूर्व चेयरमैन सोनवानी का नहीं पूर्व सरपंच राकेश सिंह का बेटा है। सूत्रों के अनुसार यह बात हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान नितेश की तरफ से पेश हुए वकील ने कोर्ट को बताई थी। लेकिन राकेश सिंह कहां के पूर्व सरपंच है, यह बात स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया है। इस बीच भाजपा के अकलरा विधायक सौरभ सिंह का दावा था कि नितेश पीएससी के पूर्व चेयरमैन सोनवानी का दत्‍तक पुत्र है। उन्‍होंने आरोप लगाया था कि चयन सूची में नितेश का सरनेम छिपा दिया गया है। उन्‍होंने इसको लेकर एक ट्वीट भी किया है।इधर, पीएससी की भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले की तरफ से चयन सूची में शामिल नितेश के नितेश सोनवानी यानी टामन सिंह सोनवानी के पुत्र होने के पक्ष में एक और तथ्‍य पेश किया जा रहा है। इसके अनुसार 2018 की भर्ती परीक्षा में भी एक नितेश शामिल हुए थे, तब पूरा नाम नितेश सोनवानी लिखा गया था। 2021 की भर्ती में चयनित नितेश के नाम के आगे सरनेम नहीं लिखा गया है, लेकिन दोनों नितेश में एक समानता है। वह यह कि दोनों की जन्‍म तिथि 12 जून 1992 है। इसके आधार पर नितेश की तरफ से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप लगाया जा रहा है।

उत्‍तर पुस्तिका में पहचान चिन्‍ह अंकित किया, इसलिए कर दिया अयोग्‍य…पीएससी की सफाई

बताते चले कि पीएससी 2022 की लिखित परीक्षा में 771 अंक प्राप्‍त करने के बावजूद इंटरव्यू के लिए एक अभ्‍यर्थी को नहीं बुलाए जाने के मामले में छत्‍तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने सफाई दी थी। पीसीसी ने विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि शिवम कुमार देवांगन ने लिखित परीक्षा में अपनी उत्‍तर पुस्तिका में पहचान चिन्‍ह बना दिया था, जो पीएससी के नियमों के वरुद्ध है, इस वजह से शिवम कुमार देवांगान को आयोग्‍य घोषित कर दिया गया है। इसी कारण उन्‍हें साक्षात्‍कार के लिए भी नहीं बुलाया गया।

719 अंक वाले को बुलावा, 771 वाले का लिया ही नहीं इंटरव्‍यू

बताते चले कि छत्‍तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की 2022 की भर्ती परीक्षा पूरी तरह विवादों में आ गई।अफसरों और नेताओं के रिश्‍तेदारों को नौकरी देने का मामला सामने आया था। अब एक नया मामला उजागार हुआ। अब पीएससी पर इंटरव्‍यू में भेदभाव का आरोप लगा है। पीडि़त अभ्‍यर्थी ने इसकी लिखित शिकायतक की है।
ओबीसी कैटेगरी में आने वाले वाले शिवम कुमार देवांगन ने पीएससी के सचिव और परीक्षा नियंत्रक को पत्र लिखकर यह शिकायत की। सीजी पीएससी 2022 की भर्ती के दौरान ओबीसी श्रेणी में लिखित परीक्षा में 710 से 715 नंबर पाने अभ्‍यर्थियों को इंटरव्‍यू के लिए कॉल किया गया। शिवम कुमार देवांगन का आरोप है कि उन्‍हें लिखित परीक्षा में 771.5 अंक प्राप्‍त हुए थे, इसके बावजूद उन्‍हें साक्षात्‍कार के लिए बुलाया नहीं गया। शिवम ने इस पूरे मामले की जांच करने का आग्रह किया है।

सबूत मिटाने की साजिश?

अपने बेटे-बहू और रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर-डीएसपी बनाने के मामले में घिरे चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी ने क्या सबूत मिटाने की कोशिश की थी? हाईकोर्ट में पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर की याचिका में जो सवाल उठाए गए थे, उससे सोनवानी के साथ पीएससी की भूमिका कठघरे में है।ननकीराम ने अपनी याचिका में 11 मई को पीएससी-2021 का रिजल्ट घोषित होने के बाद 5 जून को प्रश्न पत्र और ओएमआर आंसर शीट को नष्ट करने के लिए बुलाए गए टेंडर को संदिग्ध और दुर्भावनापूर्ण बताया था।
पीएससी ने 2021 का रिजल्ट घोषित होने के करीब 25 दिन बाद गैरजरूरी कागज और दस्तावेजों को नष्ट करने के नाम पर टेंडर निकाला। इसमें दस्तावेज, ओएमआर शीट, आंसरशीट और परीक्षा से जुड़े लिफाफे शामिल हैं। इसके खिलाफ 7 जून को आपत्ति लगाई गई। 10 जून को इस संबंध में प्रेस रिलीज जारी किया गया, जो अखबारों में प्रकाशित हुआ। याचिका में एक और बात को प्रमुखता से उठाया गया है कि शिक्षा जगत में इस बात की भी चर्चा है कि जो सफल कैंडीडेट हैं, उनका नाम किसी कोचिंग सेंटर से जोड़ा जा रहा है, जबकि ऐसे मेहनती और मेधावी छात्र को किसी ने देखा तक नहीं था। यही वजह है कि पूरे मामले में पीएससी की भूमिका संदिग्ध है। इससे पहले जो परीक्षाएं विवाद में आई थीं, उस दौरान इस तरह पेपर नष्ट करने जैसा मामला सामने नहीं आया था।

अफसर, नेता सबके बेटे-बेटी हुए उपकृत

पीएससी की परीक्षा में अफसर ही नहीं, बल्कि नेताओं के बच्चे भी उपकृत हुए हैं। इनमें पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी कठघरे में हैं। इस अलावा राजभवन के सचिव अमृत खलखो के बेटे व बेटी शामिल हैं। इसे लेकर छात्रों का कहा है कि पीएससी की परीक्षाओं में खुलकर भ्रष्टाचार हुआ है। इससे पहले भी पीएससी की भूमिका पर सवाल उठ चुके हैं।

PSC चेयरमैन समेत अधिकारियों के 18 बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों की नियुक्ति पर लटकी हैं तलवार

पीएससी घोटाले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कड़े तेवर दिखाए थे। बहस की वायरल वीडियो में चीफ जस्टिस कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि इन 18 की नियुक्ति रोक दी जाए। हालांकि, ये हाई कोर्ट का अधिकारिक आदेश नहीं था। बता दें कि पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी।कंवर की तरफ से अधिवक्ता संजय अग्रवाल खड़े हुए थे।
मगर सुनवाई की जो वीडियो वायरल हो रहा था वह काफी गंभीर है। इसमें चीफ जस्टिक कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि ये ठीक है कि बड़े पदों पर बैठे लोगों के बच्चे भी ऐसे पदों पर सलेक्ट हो सकते हैं। मगर ऐसा क्या संयोग कि पीएससी चेयरमैन और सिकरेटी के क्लोज नाते-रिश्तेदारों का चयन हो जाए।
चीफ जस्टिस ने बहस के दौरान पीएससी चेयरमैन को पार्टी न बनाने पर सवाल किया तो ननकीराम के वकील ने कहा था सर…पीएससी चेयरमैन आर्टिकल 315 याने संवैधानिक पद है। इस पर सीजे ने कहा था ओके। इसके बाद वे आर्डर लिखाने लगे…जिसमें उन्होंने पूछा था कि इन 18 लोगों की नियुक्ति हुई है या नहीं अभी? वकीलों ने बताया था कि अभी ट्रेनिंग वगैरह चल रही है।

भाजपा नेता चौधरी ने लगाया बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप

पूर्व आईएएस अफसर और भाजपा नेता ओपी चौधरी ने CG PSC की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया था। भाजपा कार्यालय में आज प्रेसवार्ता लेकर श्री चौधरी ने CG PSC की परीक्षा परिणाम में कई तरह की गड़बड़ी होने का आरोप लगाया था। उन्‍होंने पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी।
CG PSC की मुख्‍य परीक्षा में भ्रष्टाचार का आरोप लगते हुए श्री चौधरी ने कहा था कि हाल ही में पीएससी का रिजल्ट आया वह बहुत ही निराशाजनक रहा। पीएससी की मुख्य परीक्षा में सवाल हनुमान सिंह के बारे में पूछा गया था लेकिन लिखा गया वीरनारायण सिंह के बारे में फिर भी 8 अंक में से 5 अंक मिला है जिन्होंने सही उत्तर लिखा उन्हें 4 अंक दिया गया है। उन्होंने कहा था कि इसी तरह अन्य कई प्रश्नों में गलत जवाब देने वालों को नंबर दिया गया है। गणित के एक सवाल का उदाहरण देते हुए चौधरी ने बताया कि गलत उत्तर वाले को 4 में से 4 नंबर दिया गया है। वहीं सही उत्तर लिखने वाले को 4 में 3 अंक दिया गया है।

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