
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। अंचल में गांव गांव के पशुपालक गोबर की खरीदी बंद हो जाने से घर में, घर के आसपास बेचने हेतु एकत्रित हुए गोबर की बढ़ती मात्रा एवं रखरखाव से परेशान हो रहे है। नई सरकार द्वारा गोबर खरीदने के बारे में स्पष्ट घोषणा नहीं किए जाने से असमजन में है। गौपालकों एवं गोबर संग्राहकों ने बताया है कि अंचल में एक महीने से गोबर की खरीदी नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ में सरकार बदल गई है आचार संहिता के तहत गोबर की खरीदी पर लगी रोक अभी तक नहीं हट पाई है। पिछले सरकार की सभी योजना भी बंद है। इसके अलावा गोमूत्र से जीवामृत, कीटनाशक और गोबर वर्मी कंपोस्ट का निर्माण भी ठप हो गया है। नई गाइडलाइन जारी होने के बाद ही गोठानो में एक्टिविटी प्रारंभ हो सकती है। क्षेत्र के सभी पंचायतों में गोठान बन चुके है। इन गोठानों में समितियों के माध्यम से जैविक खाद निर्माण के साथ अन्य गतिविधियों का संचालन किया जा रहा था। यह महिला समूहों के लिए एक आय का जरिया था। गोबर खरीदी को लेकर गोठान समितियों में असमंजस की स्थिति है। यहॉ काम करने वाली महिला समूहों की परेशानी भी बढ़ गई है। आगे क्या होगा यह कोई कुछ नहीं कह पा रहा है। जुलाई 2020 से गोधन न्याय योजना के तहत गोठानों में गोबर की खरीदी की जा रही है। गोबर बेचने के लिए हर पंचायतों के किसानों ने पंजीयन कराया था। गोबर खरीदने के बाद इसका भुगतान पशुपालकों के सीधे खाते में किया जा रहा था। गोठान में गोबर से अगरबत्ती, साबुन, खाद्य, धूप, राखी आदि का निर्माण कर समूह की महिलाएं आमदनी अर्जित कर रही थी। अब सब बंद है। शासन के नए निर्देश के इंतजार हो रहा है। कुछ समूह योजना से आर्थिक रूप से मजबूत भी हुए थे। गोबर से मूर्तिया, कड़े आदि बनाकर भी बिक्री की जा रही थी। अब गोठानों का क्या होगा, आने वाले समय बताएगा।