रोजगारी भत्ता पर भाजपा की नीति स्पष्ट नहीं-मधुबाला रात्रे

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। नई सरकार आने के बाद कांग्रेस सरकार की अनेक जनहित की योजनाओं में ग्रहण लग गया है। इससे ऐसी कई योजनाओं के लाभार्थी न सिर्फ संशकित है वरन योजना से मिल रही सहायता न मिलने से परेशान हो रहे है। जिला पंचायत की सभापति कांग्रेस की श्रीमती मधुबाला रात्रे ने प्रदेश के भाजपा सरकार पर बेरोजगारी भत्ता योजना को षडयंत्र पूर्वक बंद करने का आरोप लगाते हुए इसे प्रदेश के 18 से 35 वर्ष के युवाओं के साथ विश्वासघात बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रदेश सरकार को बेरोजगारी भत्ता पर अपनी नीति स्पष्ट करना चाहिए। श्रीमती रात्रे ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शिक्षित बेरोजगार युवाओं को आर्थिक संबल प्रदान करने तथा उन्हें रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए बेरोजगारी भत्ता योजना शुरू की थी। इसके अतिरिक्त युवाओं के लिए कांग्रेस कार्यकाल में लगातार प्लेसमेंट कैंपो का आयोजन भी किया जाता रहा। बेरोजगारी भत्ता पुस्तक खरीदने एवं प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के लिए एक सहारा बना। परीक्षा फार्म भरने, अन्य जरूरी सामग्री खरीदने में युवाओं के लिए मददगार साबित हुई। इस योजना के प्रारंभ होने से बहुत सारे समस्याओं का समाधान हुआ तथा युवाओं को छोटे छोटे चीजों के लिए माता-पिता पर आश्रित नहीं रहना पड़ा। जिला पंचायत की सभापति मधुबाला रात्रे ने कहा कि अब युवाओं के हित के इस महत्वपूर्ण योजना को भाजपा सरकार द्वारा बंद कर दिया गया है। युवाओं को आखिरी बार नवंबर 2023 में बेरोजगारी भत्ता की आखिरी किस्त जारी की गई थी। प्रति महीने 2500 रूपए प्रदान किए जाने वाले बेरोजगारी भत्ते को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है। बेरोजगारी भत्ते पर अभी तक आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है। भूपेश सरकार में प्रदेश के 17 लाख पंजीकृत बेरोजगारों के लिए यह योजना सहारा बना था। आचार संहिता की अवधि में भी योजना का लाभ बेरोजगारों को नवंबर महीने तक मिलता रहा। प्रदेश में बेरोजगारों को आठ महीने में 146 करोड़ रूपए का वितरण किया गया। श्रीमती रात्रे ने कहा कि बारहवीं पास बेरोजगारों को इस योजना के तहत उनके खातों में सीधे 2500 रूपए की राशि प्रदान की जाती थी।

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