
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। नगर में 7 जनवरी से चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ में आज 5 वें दिन श्री कृष्ण बाल लीला एवं गोवर्धन पूजा वृतांत पर अपने धाराप्रवाह प्रवचन में डॉ. पं. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने भगवान कृष्ण के गोपियों के साथ खेलने, माखन चोरी सहित उनकी बाल लीला को अपने कथा के प्रवाह में इतना विमोहित कर दिया कि कथा पंडाल में कृष्ण लीला का दृष्य परिलक्षित होने लगा। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में भागवत को आत्मसात करना चाहिए। इससे हमारे जीवन में आने वाली कठिनाई से संघर्ष करने में बल मिलता है। राम-कृष्ण नाम की महिला अपरंपार है। जिस प्रकार बुद्धिमान और बलवान होने के बाद भी कंस को उसका अहंकार ले डूबा। भगवान कृष्ण के सदाचार का मार्ग चुना। उसी तरह हमें भी सत्य और सदाचार के मार्ग पर हमेशा चलना चाहिए। चलने का प्रयास सतत् करना चाहिए। और जीवन में अहंकार कभी नहीं करना चाहिए। उन्होंने भागवत कथा को जीवन जीने की कला बताते हुए कहा कि सत्य मार्ग में चलने वाला कुछ समय के लिए परेशान हो सकता है परंतु उसे कभी पराजय नहीं मिलेगी। भागवत महापुराण में सकारात्मक जीवन जीने की कला छुपी हुई है। किस तरह का व्यवहार हमें अपने जीवन में अपनाता है और संबंधों को किस प्रकार जीना है। इस संसार में हम जो कुछ भी अर्जित करते है वह यही रह जाता है। हमारे जाने के बाद सदाचार, अच्छे कर्म ही दुनिया याद करती है और इसका फल ही भगवान हमें देते है। भगवताचार्य पं. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने पिछले 4 दिनों में भागवत कथा के महात्म, कपिल अवतार, धु्रव, चरित्र, नृसिंह अवतार, श्रीराम महोत्सव एवं श्री कृष्णावतार की काफी सरल शब्दों में व्याख्या कर श्रद्धालुजनों को भागवत कथा में डूबा दिया है। दिन प्रतिदिन पंडाल में कथा सुनने श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है। स्व. राकेश जालपा प्रसाद तिवारी जी के वार्षिक श्राद्ध निमित्त भागवत कथा में शुक्रवार 12 जनवरी को महारासलीला एवं रूखमणी विवाह प्रसंग के लिए पंडाल को शानदार ढंग से सजाया गया है।