
गरियाबंद/फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। अयोध्या में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की तारीख जैसे जैसे करीब आ रही है, वैसे वैसे उन रामभक्तों के खुद के भावों पर नियंत्रण कठिन होता जा रहा है जो राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे। राम मंदिर के लिए कई आंदोलन हुए। इनमें 2 नवंबर सन् 1990 का सत्याग्रह आंदोलन भी शामिल है। इस आंदोलन में फिंगेश्वर के सेवानिवृत्त शिक्षक एवं वर्तमान में समाजसेवा में जुटे डॉ. चंद्रशेखर हरित भी कारसेवक के रूप में शामिल हुए। वे श्रीराम कारसेवा समिति के सदस्य के रूप में अन्य कारसेवकों पं. महेश्वर प्रसाद तिवारी, पं. रविदत्त पांडे, दीना श्रीवास, गोवर्धन राजवंशी, मोतीराम साहू, स्व. आनंदराम साहू, स्व. गोवर्धन साहू, स्व. लालजी साहू एवं स्व. मोतीलाल साहू के साथ अयोध्या पहुंचे थे और राम मंदिर आंदोलन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की थी। आंदोलन में शामिल होने के लिए कारसेवक डॉ. चंद्रशेखर हरित को श्रीराम कार सेवा समिति द्वारा प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया गया। पेशे से शिक्षक एवं सेवानिवृत्त उपरांत समाजसेवा में लगे श्री चंद्रशेखर हरित राममंदिर आंदोलन के उन दिनों की तस्वीरों व प्रशस्ति पत्र को निहारते है, तो वे रोमांचित हुए बगैर नहीं रह पाते है। आंदोलन की एक-एक पल की घटनाक्रम फिर से ताजा हो जाती है। कारसेवक श्री हरित उनके दिल दिलोमाक में अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर खासे उत्साहित है। उनका कहना है कि इस दिन की उन्हें वर्षो से प्रतिक्षा थी। वह समय अब करीब आ गया है। सौभाग्य है कि श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के ऐतिहासिक पल को हम देख पाएंगे। मेरे जीवन के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण दिन है। श्री हरित ने इस दिन समाज के हर वर्ग से दीपक जलाकर दीपोत्सव मनाने का आव्हान किया है।