बाल मनोविज्ञान का दर्पण बाल साहित्य – अर्जुन

बाल साहित्य सृजन एक अनूठा अनुभूति

छुरा(गंगा प्रकाश)। राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा रायपुर द्वारा यूएसएआईडी एवं रूम टू रीड के सहयोग से बाल साहित्य निर्माण हेतु तीन दिवसीय कार्यशाला रायपुर के होटल राजपुताना में आयोजित हुआ। बच्चों के मनोविज्ञान को समझते हुए उनकी आवश्यकता अनुरूप हिंदी साहित्य सृजन के नई तकनीक की जानकारी देने के लिए राज्य के उत्कृष्ट शिक्षकों को आमंत्रित किया गया था। नगर के प्रतिष्ठित शिक्षक अर्जुन धनंजय सिन्हा ने जिला का प्रतिनिधित्व किया। कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञों ने बच्चों के साहित्य लेखन से जुड़े विभिन्न तकनीकी पहलुओं की बारीकी से जानकारी दिया। बाल साहित्य, बच्चों की रुचि, उनके स्तर एवं वर्तमान में बच्चों की आवश्यकता के अनुरूप लेखन कार्य कर उनमें पढ़ने की रुचि विकसित करता है। सिन्हा ने बताया कि बाल साहित्य में चित्रों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। बाल साहित्य में छपे चित्रों को देखकर बच्चे स्वतः ही पढ़ने का प्रयास करते हैं। पाठ में टेक्स्ट कम व चित्र अधिक होने से उनके पढ़ने की ललक बढ़ जाती है। बच्चों में पढ़ने की संस्कृति विकसित करने के लिए बाल साहित्य का अपना एक अलग स्थान है। कार्यशाला में प्रतिभागियों को बच्चों के परिवेश व स्तर के अनुरूप कहानी निर्माण हेतु लेखन के विधा तथा उनके नियमों की जानकारी से अवगत कराया गया। कहानी निर्माण में छोटे-छोटे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित कर बाल साहित्य हेतु कविता, कहानी और बिग बुक निर्माण के गुर सिखाए गए। कार्यशाला के दौरान रात्रिकालीन हास्य कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि की आसंदी से योगविद् अर्जुन धनंजय सिन्हा ने समसामयिक प्रसंगों पर सुमधुर प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। काव्य पाठ में उपस्थित सभी कवियों ने प्रतिनिधि रचना से मंच को नयी ऊंचाई दी। सिन्हा ने कहा कि कार्यशाला के तीन दिनों में काव्य रसों की गंगा प्रवाहित हुई। यह अभूतपूर्व व अविस्मरणीय क्षण रहा। विदित हो कि अर्जुन धनंजय सिन्हा, एससीईआरटी द्वारा छत्तीसगढ़ी पाठ्यपुस्तक लेखन का भी हिस्सा रहें हैं।

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