पारंपरिक त्यौहार छेरछेरा अंचल में धूमधाम से मनाया गया

गरियाबंद/फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। छेरछेरा त्यौहार अंचल का प्र्रसिद्ध और लोग पारंपरिक त्यौहारों में से एक है। लोग इसे बड़े ही सादगी और हर्षोल्लास के साथ मनाते है। इस पर्व पर किसी भी जाति धर्म का कोई प्रतिबंध नहीं है छत्तीसगढ़ में छेरछेरा त्यौहार सभी वर्ग जाति एवं सम्प्रदाय के लोग मनाते है। इस दिन को बड़ा ही पवित्र एवं शुभ दिन माना जाता है। इस बार आज गुरूवार 25 जनवरी को यह पर्व पूरे उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया गया। छेरछेरा त्यौहार आज गुरूवार को था इस दिन पौष माह की पूर्णिमा तिथि है। छेरछेरा त्यौहार का कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता है पूर्णिमा तिथि को दिन रात शुभ माना जाता है। छत्तीसगढ़़ में छेरछेरा त्यौहार जब किसान अपने खेतों में फसल काट एवं मिंजाई कर अन्य को अपने घरों में भंडारण कर चुके होते है तब यह पर्व पौष माह की पूर्णिमा तिथि अर्थात जनवरी के महीने में मनाते है यह पर्व दान देने का पर्व है किसान अपने खेतों में साल भर मेहनत करने के बाद अपनी मेहनत की कमाई धन को दान देकर छेरछेरा त्यौहार मनाते है माना जाता है कि इस दिन दान देना महापुण्य का कार्य होता है किसान इसी मान्यता के साथ अपनी धन का दान देकर महान पुण्य का भागीदारी निभाने हेतु छेरछेरा त्यौहार मनाते है। इस दिन बच्चें अपने गांव के सभी घरों में जाकर छेरछेरा कहकर अन्न का दान मांगते और सभी घरों में अपने कोठी अर्थात अन्न भंडार से निकालकर सभी को अन्नदान करते है गांव के बच्चे टोली बनाकर घर घर छेरछेरा मांगने जाते है बच्चों के अलावा गांव की महिलाएं पुरूष बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग टोली में छेरछेरा त्यौहार मनाने घर घर जाकर छेरछेरा दान मांगते है। छत्तीसगढ़ में छेरछेर त्यौहार पौष पूर्णिमा पौष मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि अर्थात छत्तीसगढ़ी बोली में पूश पून्नी को मनाया जाता है। पौष मास पूर्णिमा तक छत्तीसगढ़ में सभी किसान अपने खेतों में फसल काटकर अपने घरों में भंडारण कर चुके होते है। छेरछेरा त्यौहार किसानों एवं अन्न से जुड़ा हुआ त्यौहार है।

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