
सितेश सिरदार
लखनपुर (गंगा प्रकाश ) :– सामाजिक समरसता का लोक पर्व छेरछेरा नगर सहित आसपास से ग्रामीण इलाकों में कई जगह 24 जनवरी दिन बुधवार को मनाया गया तो वही आज 25 जनवरी दिन गुरुवार को भी धूमधाम के साथ मनाया गया। लोक पर्व छेरछेरा पौष मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। अच्छे फसल की पैदावारी को लेकर किसान वर्ग इस त्योहार को उत्सव के रूप में मनाते हैं। दरअसल छेरछेरा त्योहार अन्न दान की परंपरा से जुड़ा हुआ है। नगर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में सबेरे से बच्चे टोली बनाकर यह कहते हुए –छेरछेरा कोठी के धान ला हेर हेरा,
छेरछेरा मांगने अपने आस-पड़ोस के घरो में पहुंचे। जहां बस्ती बसाहट के घरवालों ने बच्चों को अन्न दान देकर संतुष्ट किया। छेरछेरा (छेरता)इसे बच्चों का त्योहार भी कहा जाता है। साल में एक बार कृषक वर्ग के बच्चे घर घर जाकर छेरछेरा मांगते हैं। हालांकि बड़े बुजुर्ग महिला युवा सभी वर्ग के लोग छेरछेरा मांगने एक दूसरे के घरों में पहुंचते हैं। इस दिन झील सरोवर किनारे पिकनिक मनाने लोक नृत्य लोकडी नाचने की भी परिपाटी रही है। छेरछेरा मांगने पश्चात देर शाम को युवा वर्ग के लड़के लड़कियां उम्र दराज लोग पड़ोस के घरों में जाकर लोकडी नाचते हैं इस प्रथा को बखूबी निभाया। घर वाले लोकडी नृत्य करने वालों को अन्न पैसा दान देकर सम्मानित किया।
दूरस्थ आदीवासी बाहुल्य क्षेत्रों में छेरछेरा त्योहार लगभग एक सप्ताह तक मनाया जाता है इस त्यौहार में गुड़ चुडा पकवान खिचड़ी खाने खिलाने की रवायत रही है। इसके अलावा महुआ तथा चावल से बने कच्ची शराब पीने पिलाने मुर्गा बकरा खाने खिलाने के चलन को भी लोगों ने बखूबी निभाया। छेरछेरा त्योहार आपसी भाईचारे के साथ शांति प्रिय तरीके से मनाया गया।