प्रधानमंत्री के परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम से छात्र हुए खुश छात्रों ने बताई कार्यक्रम की आवश्यकता एवं विशेशता छात्रों की बेबाक टिप्पणी

गरियाबंद/फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बार के सातवें एपिसोड के रूप में परीक्षा पे चर्चा की छात्रों के मध्य काफी सकारात्मक चर्चा हो रही है। छात्रों ने बताया कि इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा बताई गई टिप्स एवं विशय एकदम सटीक तथा सभी छात्रों के सामने आते है। प्रधानमंत्री के सुझाव एवं कठिनाईयों के निपटने बताई गई बातों से हमें परीक्षा के समय सहज, उत्साहित के साथ साथ तनाव मुक्त रहने में बहुत सहायता मिलेगी। छात्रों ने पिछले सभी 7 एपिसोड को एक पुस्तक के रूप में बाजार में लाने की जरूरत बताई और कहा कि इस प्रकार का लिखित दस्तावेज विद्यार्थियों को हमेशा प्रेरणा एवं बल देता रहेगा। फिंगेश्वर फणिकेश्वर नाथ शासकीय महाविद्यालय में बीएससी तृतीय वर्ष की छात्रा कु. गीतांजली सोनी ने परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के बारे में कहा कि यह कार्यक्रम सकारात्मकता के संदेश के साथ हर चुनौती का बहादुरी से मुकाबला करने का तब और शिददत से आव्हान करता है, जब पीएम कहते है-मेरी प्रकृति है कि मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूॅ। इसे केवल शाब्दिक उद्घोश मानना बड़ी भूल होगी। उन्होंने बार बार कई मौकों पर इसे साबित कर दिखाया है कि चुनौतियों से भी बड़ा उनका हौसला है। रानी श्यामकुमारी देवी कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा कु. सुमन साहू ने इस कार्यक्रम के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री का एक और लोकप्रिय कार्यक्रम परीक्षा पे चर्चा करोड़ों देशवासियों के लिए कुछ नया करने को प्रेरित करने वाला उत्प्रेरक बन गया है। इसकी शुरूआत का पहला उद्देश्य भले ही स्टूडेंट्स का परीक्षाओं के दौरान स्ट्रैस मैनेजमेंट हो, लेकिन सात साल से चल रहे इस कार्यक्रम में रिश्तों के महीन धागों से बुने शब्द हर अभिभावक के दिल को छू जाते है। टीचर्स को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराते है और देश के स्कूली बच्चों को परीक्षा के तनाव के बीच मुस्कुराने की वजह बताते है। शासकीय ठाकुर दलगंजन सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र सुधाकर सोनी ने काफी उत्साहपूर्वक इस कार्यक्रम की आंकड़ेदार बात कहते हुए कहा कि परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की शुरूआत एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल में 2018 में हुई उसके बाद से हर साल इसका आयोजन हो रहा है। यहां तक कि स्कूली बच्चों के मन से परीक्षा के तनाव को दूर करने के लिए कोविड महामारी के दौरान भी इसका चौथा संस्करण ऑनलाइन किया गया। पांचवा और छठा संस्करण टाउन-हॉल प्रारूप में हुआ। इस साल पीपीसी का भव्य आयोजन 29 जनवरी को भारत मंडपम में हुआ है। इसको लेकर छात्रों अभिभावकों और शिक्षकों में कितना व्यापक उत्साह है आंकड़े इसके गवाह है। पिछले साल पीपीसी में कुल 31.24 लाख छात्रों 5.60 लाख शिक्षकों और 1.95 लाख अभिभावकों ने भाग लिया था। इस वर्श डलळवअ पोर्टल पर करीब 2.26 करोड़ स्टूडेंट्स 14.93 लाख टीचर्स और 5.69 लाख पेरेंट्स ने भी रजिस्ट्रेशन कराया इसके अलावा करोड़ो देशवासी ऑनलाईन भी इस कार्यक्रम से जुड़ें। सरस्वती शिशु मंदिर के हिमालय साहू ने भी कार्यक्रम को छात्र-छात्राओं के लिए बहुत उपयोगी बताई और कहा कि प्रधानमंत्री की क्लास में विद्यार्थियों को उनके सारे सवालों, उलझनों और मुश्किली का समाधान मिला। पीएम मोदी ने पारिवारिक संबंधो से लेकर टीचर-स्टूडेंटस के रिश्तों और परीक्षाओं में तनाव प्रबंधन से लेकर इंस्पिरेशन तक की बातें बड़ी सहजता से अपने खास अंदाज में की। उन्होंने गहरी बात कहीं अभिभावक अपने बच्चों के रिर्पोट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न बनाएं। यह एक हकीकत है कि अपने जीवन में शैक्षिक व रोजगार परक लक्ष्यों को हासिल न कर पाने वाले अभिभावक अपने बच्चों से आईएएस, डॉक्टर व इंजीनियर बनने की उम्मीद पाल बैठते है। जमीनी हकीकत को नजरअंदाज करते हुए यह नहीं सोचते कि बच्चे की क्षमताएं क्या है और हमारी उम्मीदों का बोझ वे किस सीमा तक बर्दाश्त कर पाएंगे। माता-पिता को भी बच्चों को ज्यादा समझाने से बचना चाहिए। इससे भी दबाव पड़ता है। कई बार कॉम्पिटिशन का जहर पारिवारिक वातावरण में ही बो दिया जाता है। इस कार्यक्रम के बारे में अनेक छात्रों ने अपनी बात कही। छात्र-छात्रा इस कार्यक्रम से अत्याधिक प्रभावित है।

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