कोयले की “कालिख” से छत्तीसगढ़ को “शर्मसार” करने बाली निलंबित आईएएस रानू साहू की जमानत याचिका “हाईकोर्ट” से खारिज

रायपुर(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाले के आरोप में जेल में बंद IAS रानू साहू की मुश्किल फिर बढ़ गई है। मामले में हाईकोर्ट ने रानू साहू की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिस पर आज सुनवाई के दौरान उसे खारिज कर दिया। मामले पर छत्तीसगढ़ उच्चतम न्यायालय के जस्टिस नरेन्द्र कुमार व्यास की कोर्ट में सुनवाई की गई।गौरतलब हो कि वर्ष 2022 में IAS रानू साहू के निजी निवास, शासकीय निवास और कार्यालय में आयकर विभाग की टीम ने छापा मारा था। जिसके बाद आयकर विभाग ने लंबी पूछताछ की थी और कोरबा कलेक्टर रहते हुए कोल लेवी मामले में संलिप्तता का आरोप लगाया। जिसके बाद साल 2023 में IAS रानू साहू को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है। बता दें कि फिलहाल IAS रानू साहू केन्द्रीय जेल में कोयला घोटाला मामले में बंद है।  सूत्रों के अनुसार ईडी की प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों पर खास नजर है। खासतौर पर रायपुर के दो आइपीएस अफसर जिसमें से एक वरिष्ठ आईपीएस अफसर वहीं है, जिन्होंने गिरफ्तार हुए आईएएस अधिकारी की धर्मपत्नी के शिकायती पत्र को ड्राफ्ट किया था। मेरी नज़र में इन पांच सालों में भ्रष्टाचार और दमन का मुख्य कारण प्रदेश में मलाई खाने वाले यही अफसर थे। जो शायद यह भूल गए कि वो अखिल भारतीय सेवा से आते हैं और उनका मूल विभाग केंद्र का कार्मिक मंत्रालय है। निश्चित ही प्रदेश सरकार द्वारा गिरफ्तार अधिकारी को सस्पेंड नहीं किया जाएगा जबकि इन पर सीधी कार्यवाही का अधिकार कार्मिक मंत्रालय रखता है, वो भी बिना मूल कैडर को बिना सूचना दिए। खैर प्रदेश की पूर्ववर्ती “सरकार और सुपर सरकार” के इशारे पर गलत-सलत काम करने वाले आईएएस, आईपीएस, आइएफएस अधिकारियों और राज्‍य स्तरीय अधिकारियों की पूरी कुंडली दिल्ली में बैठकर तैयार की जा रही है। अब तो बहुत से अधिकारी छत्तीसगढ़ के इस डूबते जहाज से छलांग मारकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में जाने का प्रयास करते दिख रहे हैं।
भूपेश बघेल जब सत्ता में आए थे तो लगा कि अब कांग्रेस का यह नेता प्रदेश राजनीति में लंबी पारी खेलेगा। पर कुर्सी मिलते ही इनके तेवर बदल गए थे। इनकी कार्यप्रणाली में आए परिवर्तन का मुख्य श्रेय इनकी चांडाल चौकड़ी को जाता है। जिस तरह प्रदेश में पैसा उगाहने की फैक्ट्री या ईडी की भाषा में कार्टेल बनाया गया था, वैसा शायद ही देश के किसी और प्रदेश में हुआ होगा। देश में पहली बार ईडी ने अपनी प्रेस रिलीज में “कार्टेल” शब्द का उपयोग किया था और इसका किंग पिन सूर्यकांत तिवारी को बताया था।अब यह निश्चित है कि आने वाले समय में किंगपिन उर्फ सूर्यकांत तिवारी जो अभी न्यायिक अभिरक्षा में है,  रायपुर में महत्त्वपूर्ण जगह पर पदस्थ आईपीएस के साथ कुछ जमीन जायदाद की खरीद हो या मैडम के लिए उगाही या सुपर बॉस के बेटे को रिश्वत देने की बात हो, ऐसे ना जाने कितने नाम इस समय ईडी के पास हैं, जिनकी आगे गिरफ्तारी होना तय है ।

कौन हैं IAS रानू साहू? जिन्हे ईडी ने  गिरफ्तार कर भेजा है जेल।

छत्तीसगढ़ की आईएएस रानू साहू को हाल ही में ईडी ने गिरफ्तार किया है। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में उनके घर पर छापेमारी की थी, जिसके बाद उन्हें और कुछ अन्य अफसरों की गिरफ्तार कर लिया है।आइए जानते हैं कौन है रानू साहू और वह कैसे बनी थीं आईएएस आफिसर।रानू साहू 2010 बैच की छत्तीसगढ़ कैडर की IAS ऑफ़िसर हैं।उनका जन्म छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के पाण्डुका में हुआ था।वह एक सामान्य परिवार से आती हैं।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थीं, 10वीं में उनके 90 फीसदी अंक आए थे,रिपोर्ट्स के अनुसार रानू 2005 में डीएसपी भी बनी थीं,जिसके बाद उनके गांव के लोग भौचक्के रह गए थे,रानू के पिता उनके पुलिस में जाने के खिलाफ थे, लेकिन उन्होंने काफी कोशिशों के बाद परिवार को मनाया।हांलाकि डीएसपी बनने के बाद भी उनके अंदर आईएएस बनने की इच्छा थी,जिस वजह से उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी और कठिन परिश्रम के बाद 2009 में उन्होंने UPSC परीक्षा क्लियर किया था।वह छत्तीसगढ़ कैडर से IAS बनीं,कलेक्टर के तौर पर उनकी पहली तैनाती कांकेर जिले में हुई थी।इसके बाद वह रायगढ़ और बालोद जिले की कलेक्टर भी रह चुकी हैं साथ ही कई मंत्रालयों में अहम पद संभाल चुकी हैं।और इनका विवादो से काफी पुराना नाता भी रहा है।और इन्हे अतिरिक्त धन कमाने का बहुत लालच भी रहा है ऐ जन्हा भी रही भ्रष्ट्राचार को बखूबी अंजाम दिया हैं वर्तमान में वह राज्य कृषि विभाग में थी।

कोयले की काली कमाई के भंवर में फंसी कलेक्टर रानू साहू?

छत्तीसगढ़ में ईडी की कार्यवाही चल रही है,जिसमें एक आईएएस अधिकारी समीर विश्नोई और कई अन्य अधिकारी कस्टडी में हैं। इसके साथ ही प्रदेश की आईएएस रानू साहू को भी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार ईडी की प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों पर खास नजर है। खासतौर पर रायपुर के दो आइपीएस अफसर जिसमें से एक वरिष्ठ आईपीएस अफसर वहीं है, जिन्होंने गिरफ्तार हुए आईएएस अधिकारी की धर्मपत्नी के शिकायती पत्र को ड्राफ्ट किया था। मेरी नज़र में इन चार सालों में भ्रष्टाचार और दमन का मुख्य कारण प्रदेश में मलाई खाने वाले यही अफसर थे। जो शायद यह भूल गए कि वो अखिल भारतीय सेवा से आते हैं और उनका मूल विभाग केंद्र का कार्मिक मंत्रालय है। निश्चित ही प्रदेश सरकार द्वारा गिरफ्तार अधिकारी को सस्पेंड नहीं किया जाएगा जबकि इन पर सीधी कार्यवाही का अधिकार कार्मिक मंत्रालय रखता है, वो भी बिना मूल कैडर को बिना सूचना दिए। खैर प्रदेश के “सरकार और सुपर सरकार” के इशारे पर गलत-सलत काम करने वाले आईएएस, आईपीएस, आइएफएस अधिकारियों और राज्‍य स्तरीय अधिकारियों की पूरी कुंडली दिल्ली में बैठकर तैयार की जा रही है। अब तो बहुत से अधिकारी छत्तीसगढ़ के इस डूबते जहाज से छलांग मारकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में जाने का प्रयास करते दिख रहे हैं।
भूपेश बघेल जब सत्ता में आए तो लगा कि अब कांग्रेस का यह नेता प्रदेश राजनीति में लंबी पारी खेलेगा। पर कुर्सी मिलते ही इनके तेवर बदल गए। इनकी कार्यप्रणाली में आए परिवर्तन का मुख्य श्रेय इनकी चांडाल चौकड़ी को जाता है। जिस तरह प्रदेश में पैसा उगाहने की फैक्ट्री या ईडी की भाषा में कार्टेल बनाया गया, वैसा शायद ही देश के किसी और प्रदेश में हुआ होगा। देश में पहली बार ईडी ने अपनी प्रेस रिलीज में “कार्टेल” शब्द का उपयोग किया और इसका किंग पिन सूर्यकांत तिवारी को बताया है।अब यह निश्चित है कि आने वाले समय में किंगपिन उर्फ सूर्यकांत तिवारी जो अभी न्यायिक अभिरक्षा में है,  रायपुर में महत्त्वपूर्ण जगह पर पदस्थ आईपीएस के साथ कुछ जमीन जायदाद की खरीद हो या मैडम के लिए उगाही या सुपर बॉस के बेटे को रिश्वत देने की बात हो, ऐसे ना जाने कितने नाम इस समय ईडी के पास हैं, जिनकी आगे गिरफ्तारी होना है।
कलेक्टर रानू साहू ने नियम विरूद्ध वसूली कर अपने कैरियर का काला अध्याय लिख दिया हैं।बता दें कि कोरबा में पदस्थ रही कलेक्टर रानू साहू को कोयला परिवहन घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। आईएएस रानू साहू पर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भ्रष्ट होने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी।हालांकि अपने ही मंत्री को बातों का छत्तीसगढ की भूपेश सरकार पर कोई असर नहीं हुआ।लेकिन अब ईडी की कार्रवाई से मंत्री के आरोपों की पुष्टि हो गई हैं। 25 रूपये टन के हिसाब से कोयला परिवहन की अनुमति के लिए खनिज विभाग के माध्यम से करोड़ों रूपये की अवैध वसूली की गई।सूर्यकांत तिवारी इस पूरे खेल के मास्टरमाईंड रहा। उसे ईडी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
रानू साहू कोरबा में करीब एक साल पदस्थ रहीं। इस दौरान उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप ने उनका कैरियर बर्बाद कर दिया हैं।कोरबा के बाद उन्हे रायगढ़ का कलेक्टर बनाया गया था। वहां पदस्थ रहते ईडी ने उनके घर दबिश दी। उसके बाद ईडी ने कुल तीन बार छापामार कार्रवाई की। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी स्कैम में उनका नाम जुड़ता रहा है। सूत्रों की माने तो कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी से उनकी करीबी रही और कोल लेवी स्कैम में उनकी प्रमुख भूमिका है। कोरबा में कोयला परिवहन के बदले प्रति टन 25 रूपये की वसूली से रानू साहू का नाम जुड़ा। उनके कोरबा कार्यकाल के दौरान सूर्यकांत तिवारी का भी कोरबा आना जाना लगा रहा। यही नहीं सूर्यकांत को एक कोल वासरी खरीदने में अपने पावर का दुरूपयोग कर रानू ने मदद की। स्थानीय विधायक और पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के साथ उनका टकराव खुलकर सामने आया। उन्हें पांच जून 2021 को कोरबा जिले का कलेक्टर बनाकर भेजा गया था कोरबा जिले में पदस्थ रहते उनका प्रशासनिक दबदबा शीर्ष पर रहा लेकिन नियम विरुद्ध कोयला परिवहन में लेवी वसूली उनके कैरियर का काला अध्याय बन गया।परिवहन घोटाले में प्रमुख भूमिका तात्कालिक जिला खनिज अधिकारी एसएस नाग की रही। सूर्यकांत के इशारे पर परिवहन का परमिशन का नाग दिया करते थे। कुछ माह पहले ही ईडी नाग को गिरफ्तार कर चुकी है। बेहद गंभीर बात यह है कि इस घोटाले के बाद भले ही लेवी वसूली बंद हो गई हो लेकिन अभी भी एसइसीएल के कोयला खदानों में भारी तादाद में कोयला चोरी का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

डीएमएफ की लाइजनिंग व मनी लांड्रिंग में घिरे आयुक्त

ईडी कोयला परिवहन के साथ खनिज न्यास मद (डीएफ) के साथ मनी लांड्रिंग की भी जांच कर रही। रानू साहू के अलावा राज्य सेवा राज्य सेवा के अफसर व नगर निगम के आयुक्त प्रभाकर पांडेय के सरकारी आवास में ईडी ने दबिश दी। पांडेय एक दिन पहले ही कोरबा से बाहर चले गए थे। पूरे दिन ईडी के अधिकारी घर की जांच पड़ताल कर दस्तावेज खंगाले। बताया जा रहा है कि रायपुर स्थित ईडी कार्यालय पहुंचने की नोटिस पांडेय के स्वजनों को दिया गया है। दूसरे दिन भी वे कोरबा वापस नहीं लौटे। डीएमएफ की लाइजनिंग व मनी लांड्रिंग के घेरे में वे आस सकते हैंं। राजधानी रायपुर के तेलीबांधा स्थित कुसुम विला में आयुक्त पांडे के सीए अनूप गुप्ता के निवास में भी ईडी ने जांच पड़ताल की है। पांडे ने छापे के एक दिन पहले ही पुराने सरकारी कर्मचारियों को बदला था।साथ ही घर में लगे आठ सीसीटीवी कैमरे भी निकलवा दिए थे।

पूर्ववर्ती कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में कोयला व्यवसायियों पर एक नया अपरिभाषित, अनबुक टैक्स लगाया जा रहा है?

वर्षों से राहुल गांधी जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स के रूप में बदनाम करते रहे हैं और इसके लिए मोदी सरकार पर हमला करते रहे हैं, लेकिन उनके अपने पूर्ववर्ती कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में, यह तंज कुछ और ही जाना जाता है – एक प्रकार का अपरिभाषित कर, जो किताबों में कहीं नहीं है, लेकिन राज्य के उत्तरी हिस्से में कोयला व्यापारियों से वसूला जा रहा है।स्थानीय मीडिया पोर्टलों ने  खबर दी है  कि कोरबा, रायगढ़, जांजगीर, चांपा, सूरजपुर और अंबिकापुर जिलों के पांच बड़े खनन क्षेत्रों में खनन और परिवहन से जुड़े व्यवसायियों से रुपये का कर वसूला जा रहा है। बैरियर पर 25  प्रति टन। व्यापारी और कारोबारी इसे  गब्बर सिंह टैक्स कहने लगे हैं।गौरतलब है कि पहले कोयले के परिवहन के लिए पिट पास/परमिट का भुगतान करने की जरूरत नहीं होती थी, क्योंकि पहले एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) के साथ तमाम कानूनी औपचारिकताओं के बाद खनन किया हुआ कोयला सीधे कारोबारियों तक पहुंच जाता था. हालाँकि अब, रिपोर्टों के अनुसार, कथित तौर पर खनन संसाधन विभाग और जिला कलेक्टर की ओर से हस्तक्षेप किया गया है। उंगलियां सीएमओ के निहितार्थ की ओर उठने लगी हैं कि क्या उन्हीं के इशारे पर यह सब किया जा रहा है।ऐसी  खबरें हैं  कि राज्य राजमार्गों पर कोयला ले जाने वाले किसी भी ट्रक को रोका जा रहा है और 25 रुपये प्रति टन के पिट पास की मांग की जा रही है। ऐसा नहीं करने पर ट्रक जब्त करने या कोयले की अवैध ढुलाई का आरोप लगाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है।गौरतलब है कि खनन विभाग के पास न तो कोई वैधानिक आदेश है और न ही छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस तरह का कोई टैक्स वसूलने की कोई अधिसूचना है।
ऐसे में यह जाहिर तौर पर जबरन वसूली जैसा लग रहा है।इसके अलावा,यदि वे भुगतान करने से इनकार करते हैं,तो पर्यावरण और श्रम विभाग की टीमें भेजकर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है। एक बड़ा खनन क्षेत्र होने के कारण, कुल धनराशि लगभग रु. होने का अनुमान है। 100 करोड़ प्रति माह।उल्लेखनीय है कि तथाकथित पिट पास टैक्स के संग्रह के लिए ऑनलाइन लेनदेन, चेक या ड्राफ्ट को नजरअंदाज कर दिया गया है, लेकिन भुगतान केवल नकद में किया जाता है। कारोबारी इस बात को लेकर परेशान हैं कि इस खर्च को अपने आयकर रिटर्न में कहां प्रदर्शित करें क्योंकि उनके पास कोई बिल या रसीद नहीं है। कोई जवाबदेही न होने से सवाल पूछे जा रहे हैं कि इस पैसे का क्या उपयोग किया जाएगा।पहले से ही ऐसी खबरें हैं कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों और दिल्ली दंगों में काले धन का इस्तेमाल किया गया था? साथ ही नक्सल संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण पैसा गलत हाथों में पहुंचने का भी खतरा रहता है।इसके अलावा, ऐसे अघोषित करों के साथ छत्तीसगढ़ को निवेश के अवसर के रूप में देखना कॉरपोरेट्स के लिए एक बड़ी हतोत्साहित करने वाली बात है, जो राज्य के हजारों युवाओं की संभावित नौकरियों को खतरे में डाल सकती है।

जनरेटेड पैसा से रिश्तेदारों के लिए प्रोपर्टी खरीदी गई

सौरभ पाण्डेय ने बताया रानू साहू की 5.52 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच किया गया था,उनकी प्रापर्टी को हमने 3 भाग में बांटा है,A,B और C हिस्से में और A हिस्से वाली प्रॉपर्टी को इन्होंने अपने रिश्तेदारों के लिए खरीदी है। पैसा इन्हीं का था जो जेनरेटेड क्राइम का पैसा था। दूसरे हिस्से की प्रापर्टी बेनामी दार है, उनके नाम से खरीदी हुई है,तीसरा हिस्सा यानी जितना हमने प्रोजेक्ट किया है इस क्राइम में वो हमे मूर्त रूप में दिखाई नहीं दे रहा है,जो दिख रही है उसे पीएमएलए के तहत जो पावर दिया गया है कि उसी वैल्यू की दूसरी प्रॉपर्टी सीज किया जा सकती है।

खनिज न्यास मद की लूट:90 रुपए के बैट को 1200 में खरीदा?पूर्व मंत्री ने लगाए थे कलेक्टर रानू साहू पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप।

प्रदेश के पूर्व राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा जिला खनिज न्यास संस्थान में भ्रष्टाचार व न्यास की तत्कालीन अध्यक्ष सह कोरबा कलेक्टर रानू साहू की कार्यशैली पर निशाना साधा था उन्होंने प्रदेश के खनिज सचिव सह लोडल अधिकारी जिला खनिज संस्थान न्यास को पत्र भी लिखा था। खनिज सचिव को लिखे पत्र में जयसिंह अग्रवाल ने कोरबा में रानू साहू के पदस्थापना के समय से खनिज न्यास सीट में मचे भ्रष्टाचार और जनहित के कार्यों पर रोक लगाते हुए मनमानी कार्यशैली को अपनाते हुए शासन को करोड़ों रूपये की क्षति पहुंचाई है और न्यास को एक शासकीय संस्थान के रूप में न संचालित करते हुए एक निजी कम्पनी के तौर पर संचालन कर सरकार की छवि धूमिल करने की बात कही थी।राजस्व मंत्री ने पत्र में लिखा था कि जिला खनिज न्यास के परिषद द्वारा पूर्व में स्वीकृत कार्यों के लिए प्रशासकीय स्वीकृति न देकर जनहित के कार्यों को रोका गया है। इसी प्रकार 9 मई को आयोजित की जाने वाली बैठक के लिए सदस्यों को समय पर सूचना नहीं देना, पूर्व बैठक का कार्यवृत्त उपलब्ध नहीं कराना और बैठक का कोई एजेण्डा नहीं देना, यह साबित करता है कि यह न्यास एक निजी कम्पनी के तौर पर संचालित हो रही है न कि यह एक शासकीय संस्थान है। इस विषय पर राजस्व मंत्री का कहना था कि यदि उपर्युक्त जानकारियां सदस्यों को उपलब्ध नहीं कराई जाएंगी तो सदस्य किस आधार पर नए प्रस्ताव तैयार कर बैठक में चर्चा के लिए प्रस्तुत करेंगे?इस संबंध में नोडल अधिकारी को 14 सितम्बर, 2021 को लिखे गए पत्र का हवाला भी पूर्व राजस्व मंत्री ने दिया था,जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी थी। नोडल अधिकारी को भेजे पत्र में विस्तार से जानकारी देते हुए पूर्व राजस्व मंत्री ने लिखा था कि कोरबा कलेक्टर रानू साहू, अध्यक्ष जिला खनिज न्यास संस्थान द्वारा जिला खनिज न्यास मद की राशि का जन प्रतिनिधियों एवं संस्थान के सदस्यों द्वारा प्रस्तावित कार्यों की उपेक्षा कर एक शासकीय संस्थान के नियमों की अवहेलना कर निजी संस्थान के रूप में संचालित किये जाने की जानकारी दी गई थी। जिसपर आपके द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने की वजह से श्रीमती रानू साहू द्वारा शासकीय राशि का दुरूपयोग एवं लूट कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे छत्तीसगढ़ की शासन की छवि धूमिल हो रही है। पूर्व राजस्व मंत्री ने अपने पत्र में लिखा था कि छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया द्वारा प्रमुखता से शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सड़क के कार्यों को प्रथम प्राथमिकता दी जा रही है। वहीं इसके विपरीत कलेक्टर कोरबा द्वारा यदि इससे संबंधित किसी कार्य को स्वीकृति प्रदान की जाती है, वह कार्य साफ तौर पर झलकता है कि इन्होंने निजी स्वार्थवश बिना किसी मांग के कमीशनखोरी के लिए कार्य की स्वीकृति प्रदान की है। जिसका उदाहरण है कि समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है कि स्कूलों में दो साल से टूर्नामेंट नहीं हुए। लेकिन खेल सामग्री की खऱीदी दो बार हो चुकी है। सामग्री न तो खराब हुई न टूटी, न गायब हुई, पुराने के उपयोग के बजाए नई खरीदी। अब फिर से 72 लाख की खेल सामग्री स्कूलों के लिए खरीदी गई है। डीएमएफ फंड से खरीदी में जल्दबाजी संबंधी समाचार का प्रकाशन किया गया है। जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी जे.पी. भारद्वाज का बयान भी प्रकाशित किया गया था। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि ‘खेल सामग्री की खरीदी डी.एम.एफ. शाखा से हुई है। इसकी जानकारी विभाग को नहीं है। हमने प्रस्ताव नहीं दिया है।‘ इससे साफ होता है कि रानू साहू के आचरण और कार्य व्यवहार से स्थानीय स्तर पर सरकार की छवि धूमिल हो रही है। साथ ही संचार माध्यम की व्यापकता तथा कोरबा राष्ट्रीय स्तर का शहर होने की वजह से सम्पूर्ण राष्ट्र में छत्तीसगढ़ सरकार की छवि पर काला धब्बा लग रहा है। वहीं कोरबा कलेक्टर रानू साहू मालामाल हो रही हैं। किसी भी बैठक की सूचना पूरे एजेंडे और पूर्व बैठक के कार्यवृत्त आगामी प्रस्तावों की सम्पूर्ण जानकारी सात दिवस पहले दिए जाने का प्रावधान है। मुझे अन्य सदस्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरबा जिला खनिज संस्थान न्यास की आगामी बैठक 9 मई, 2022 को आयोजित की जाने वाली है। जिसकी सूचना 2 मई, 2022 को जारी करना और 5 मई को मेरे पास सूचना पत्र लेकर कोई व्यक्ति आया था, लेकिन मैं जांजगीर जिले के प्रवास पर था। सूचना पत्र में 2 तारीख लिखकर 5 तारीख को सूचना देना गलत है। राजस्व मंत्री ने आगे लिखा था कि पहले प्रेषित पत्र को गम्भीरता से नहीं लिए जाने की वजह से जनहित संबंधित कार्य जिन्हें पूर्व शासी परिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी। उन कार्यों के प्रशासकीय स्वीकृति आज दिनांक तक लंबित रखा गया है। जिसके पीछे एकमात्र रानू साहू का उद्देश्य यह है कि पहले प्रस्तावित कार्य ठोस अधोसंरचना के कार्य थे.. जिसमें इन्हे मनचाहा कमीशन की संभावना नहीं दिखाई दी। जिसकी वजह से इन्होंने महत्वपूर्ण जनहित के कार्यों को महत्व न देते हुए अनेकों ऐसे कार्यों को अपनी प्राथमिकता दी है जिसमें भरपूर कमीशन मिल सके। इसी तारतम्य में पूर्व में स्वीकृत कार्य धरातल पर शून्य हैं, ऐसी स्थिति में शासी परिषद की बैठक आयोजित करना न्याय संगत नहीं होगा। इसी तारतम्य में मेरे द्वारा दिनांक 18.08.2021 को न्यास के पूर्व अध्यक्ष माननीय डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम जी को पत्राचार के माध्यम से विस्तारपूर्वक अवगत कराया गया था और सम्पूर्ण जानकारी समीक्षा बैठक 20.08.2021 को आयोजित करने और जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था। जिस पर आज तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। जो घोर लापरवाही को दर्शाता है। न्यास के वर्तमान अध्यक्ष/कलेक्टर कोरबा से जिला खनिज न्यास शासी परिषद की बैठक के पूर्व मेरे द्वारा समीक्षा बैठक एवं पूर्व में डी.एम.एफ. से संबंधित 11 बिन्दुओं पर जानकारी चाही गई है, जो प्राप्त नहीं हुई है। पहले स्वीकृत कार्य एवं बचत राशि तथा आगामी योजनाओं पर प्रस्ताव किस आधार पर दिया जाए, जानकारी के आभाव में संभव ही नहीं है। कलेक्टर कोरबा के मनमाने आचरण से कोरबा का विकास अवरुद्ध हो रहा है। विशेषकर मेरे निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित कार्यों को इनके द्वारा लंबित रखा जा रहा है। जबकि मेरा निर्वाचन क्षेत्र जिला मुख्यालय है। स्वीकृत किए गए कार्यों को अनावश्यक तौर पर विलंबित किये जाने से कार्य की लागत भी बढे़गी। पूर्व पदस्थ कलेक्टर द्वारा अवगत कराया गया था, कि जिला खनिज न्यास संस्थान के पास विकास कार्य हेतु बड़े पैमाने पर मूल राशि के साथ-साथ ब्याज की राशि उपलब्ध है तथा वित्तीय वर्ष 2021.22 के लिए प्राप्त राशि को शेष राशि के साथ जोड़ा नहीं गया है। वहीं वर्तमान कलेक्टर द्वारा पूर्व में स्वीकृत कार्यों हेतु राशि की उपलब्धता नहीं होने के कारण कार्यों को निरस्त किया गया अथवा रोका गया है, दोनों के कथनों में अत्यधिक विरोधाभसी स्थिति निर्मित है। मुख्यमंत्री द्वारा स्वास्थ्य एवं शिक्षा से संबंधित विकास कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर किये जाने के निर्देश हैं।किसी भी संस्थान परिषद या शासकीय बैठकों की सूचना के साथ सम्पूर्ण कार्यवृत्त की जानकारी प्रेषित की जाती है लेकिन बड़े ही खेद के साथ आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि रानू साहू ने पूर्व के बैठकों में स्वीकृत किए गए कार्य एवं आगामी बैठक दिनांक 9 मई, 2022 के एजेण्डे की जानकारी नहीं दी गई है जोकि इनके भ्रष्ट आचरण को दर्शाता है। यदि इनकी कार्यशैली स्वच्छ एवं पारदर्शी है तो स्वीकृत, लंबित कार्यों के संदर्भ में इन्हे जानकाकरी परिषद के सदस्यों को दी जानी चाहिए साथ ही खनिज न्यास संस्थान के वेब साईट पर प्रदर्शित कर पारदर्शिता बरतना चाहिए।इसी कड़ी में अहम बात ये है कि डी.एम.एफ. के संदर्भ में वित्तीय स्थिति की जानकारी विस्तार से मांगने पर उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जबकि अनेकों निर्माण कार्यों के लिए आवश्यक निविदाएं सम्पन्न होने के बाद जिन कार्यों की स्वीकृति न्यास ने पहले प्रदान की हैं, उनके लिए प्रशासकीय स्वीकृति को स्वयं के निर्णय से रोक दिया जाना अनेक संदेहों को जन्म देता है।  आखिर एक तरफ चाही गई जानकारी मांगने पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं कराया जाना इनकी मंशा को स्पष्ट करता है कि न्यास से संबंधित जानकारी में पारदर्शिता नहीं रखना चाहती हैं। इस संबंध में यह आवश्यक है कि पूर्व में हुई बैठक में स्वीकृत कार्यों को जारी करने बाद और पहले किए गए सभी स्वीकृत कार्यों एवं सम्पन्न कार्यों की जानकारी उपलब्ध कराया जाए। इसके बाद बैठक आयोजित की जाए। जिससें बैठक में समिति के सदस्य आगामी प्रस्ताव रख सकें। साथ ही सदस्यों को न्यास से संबंधित पारदर्शिता की जानकारी हो। विषय की गंभीरता को देखते हुए पूर्व राजस्व मंत्री ने अपेक्षा किया था।

पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह ने कलेक्टर रानू साहू को बताया था विकास रोकने वाली है कलेक्टर

कोरबा जिले में एक सड़क का निर्माण रोके जाने से नाराज पूर्व मंत्री ने यह तक कह दिया था कि कलेक्टर जहां भी रही है उसने भ्रष्टाचार किया है। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग होगी?
ज्ञात हो कि कोरबा में मेजर ध्यानचंद चौक से दर्री डैम तक बनी नई सड़क का उद्घाटन करने पहुंचे राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के तेवर बेहद गर्म थे। हरदी बाजार से इमली छापर तक की अधूरी सड़क से जुड़े एक सवाल पर मंत्री भड़क उठे।उन्होंने कहा था कि एसईसीएल ने कलेक्टर को फंड दे दिया था। अब कलेक्टर उसमें कुछ अलग से चाहत रखती थी उसमें उनका कोई निजी स्वार्थ होगा। इसीलिए वह काम को रोक रही हैं। लेकिन वह इसे ज्यादा दिन नहीं रोक पाएंगी। रोकेंगी तो उन्हें पछताना पड़ेगा।पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कहा था कि हमारा प्रयास है कि पूरे कोरबा जिले की सड़कें बनें। फोरलेन-टू लेन। उस दिशा में हम सब लोग लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री जी भी चाहते हैं पूरे प्रदेश की सड़के बनें।  मुख्यमंत्री जी ने सड़क को स्वीकृत भी किया हुआ है। पीडब्ल्यूडी मंत्री ने भी सड़कों को स्वीकृत किया है। कोरबा की स्थिति थोड़ी सी अलग है। पूरे प्रदेश के किसी भी जिले में कोई कलेक्टर सड़कों को रोकने का काम नहीं कर रहा है। केवल कोरबा जिले में कलेक्टर कर रही हैं। यह उसका निजी स्वार्थ है। वह क्या हासिल करना चाहती हैं यह जांच का विषय है। ज्यादा अड़ंगा सड़कों में लगाएंगी तो हम मुख्यमंत्री जी से उच्च स्तरीय जांच की मांग करेंगे। पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल यहीं तक नहीं रुके। उन्होंने कहा था कि ‘कलेक्टर का आचरण भ्रष्ट है। वह भ्रष्टाचार में लिप्त रही है, चाहे वह बालोद की कलेक्टर रही हो, हेल्थ की डाइरेक्टर रही हो या फिर जीएसटी की कमिश्नर रही हो। अब वह कोरबा में भी वही काम करना चाहती है लेकिन हम बर्दाश्त नहीं करेंगे’।हरदी बाजार से इमली छापर की सड़क जिला खनिज न्याय और कंपनियों की CSR मद से बनाई जा रही थी इसके लिए एसईसीएल किश्त जारी कर चुका था लेकिन कलेक्टर इसे निर्माण एजेंसी को नहीं दे रही थी कलेक्टर की ओर से पहली किश्त की राशि का उपयोग के लिए प्रमाण पत्र मांगा गया था।

भ्रष्ट रानू साहू की कहानी

कांग्रेस नीत भूपेश सरकार के पूर्व से ही छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर मंत्री के समय से ही भ्रष्ट्राचारियों का गढ़ साबित होता रहा है।जिसे भ्रस्ट्राचारियो का अड्डा भी कह जा सकता हैं बहुत से मोटेल रिसोर्ट बनाकर कमीशन खोरी के आलावा और कोई उद्देश्य ही नही रहा या तो अधिकांश मोटेल अय्याशी के अड्डे बन कर रह गए हैं शहर से लगे तूता माना के रिसोर्ट का हाल किसी से छिपा नहीं है जिसे मंत्री ने अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए यूँ ही दे दिया था,या यूँ कहे की बर्बाद करने के लिए छोड़ दिया था,या अपने संगी साथियों क लिए अय्याशी का अड्डा उपलध कराया था।सारे बुद्धि जीवी जानते हैं की वहां किया गुल खिलाया जाता रहा।उस मंत्री के कार्यकाल से लेकर अब तक के मंत्रियों ने पर्यटन को सिर्फ चरने का मैदान ही समझा है यही वजह है कि यहां के अधिकारी इसे विदेश घूमने का जरिया समझ अपनी पोस्टिंग करते रहे और देश विदेश में मौज मस्ती करने जाते रहे,साथ ही कुछ बालाएं(सुंदरियां) भी ले जाते रहे हैं मंडल की? बस उन सबकी इन्ही कारगुजारियों को ढाल बना कर यहां के  अधिकारी
शासन की राशि को लूटते खसोटते में लगे रहे हैं और फंसते उलझते रहे हैं।पदस्थ प्रबंध संचालक आईएएस रानू साहू कम विवादास्पद नहीं रहीं हैं विभागीय कर्मचारी जिनको को आफत और रानू को नूरा के नाम से चुटकियां लेते थे।राम वन गमन परियोजना में तेजी न ला पाने की वजह से जहाँ जाना पड़ा वहीं कथित नूरा भी जीएसटी के चार्ज की वजह से कुछ खास नहीं कर पायीं थी उनका पहला प्रीफरेंस जीएसटी था लिहाजा कभी-कभी ही पर्यटन मंडल मुह दिखाई के लिए आया करती थीं। यही वजह है की पर्यटन मंडल का कुछ खास तो नहीं कर पाईं भ्रस्टाचारी श्रीरंग शरद पाठक को तमाम महत्वपूर्ण मलाईदार पदों से नवाजती गयीं। आश्चर्य की बात तो ये है कि पूर्व में श्रीरंग पाठक पर अनेकों भ्रष्ट्राचार एवं चोरी के प्रकरण लंबित हैं,साथ ही उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था,रानू ने किस वजन के एवज में उसे इतना उठाया ये समझ से परे है। रानू जी की नई पदस्थापना कलेटर के रूप में कोरबा में हुई थी जो डीएमएफ फण्ड के मामले में राज्य का दूसरा बड़ा जिला है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल जैसे भ्रस्ट्राचार की दलदल में प्रबंध संचालक रही रही रानू साहू के गरियाबंद जिला अन्तर्गत के बेरोजगार रिस्तेदारों की विगत चार वर्षों में ना जाने कौन सा कुबेर का खजाना प्राप्त हो गया हैं या कोई लॉटरी लग चुकी हैं जो कि रानू साहू के रिश्तेदार
गरियाबंद अन्तर्गत करोड़ो की जमीन खरीदी की गई इतना ही नही मैनपुर मुखायल से दो किलोमीटर की दूरी पर 32 एकड़ जमीन कि खरीदी कर अब उस जमीन पर तालाब बना लिया गया सांथ ही अब उस जमीन को किसी के नाम पर दान देने दानपत्र तैयार भी किया जा रहा था सवाल यहां है कि आखिर विगत चार वर्षों में रानू साहू के रिश्तेदार चार वर्षों में करोड़ पति कैसे बन गए ये बात गरियाबंद जिला वासियों की समझ से परे हैं।जिनके बीच असर चर्चा का विषय बना रहता है कि आखिर इन रिश्तेदारों को कौन सा कुवेर का खजाना प्राप्त हो गया हैं और इनकमटैस विभाग को कैसे पता नही चला कि रातों रात कोरोडो की जमीनों की रजिस्ट्री रानू साहू के बेरोजगार रिश्तेदार करवाते रहें ये एक जांच का विषय हैं अगर जांच होती हैं तो कई चौकाने बाले तथ्य सामने आएंगे।

क्या है कोयला लेवी घोटाला?

पिछले साल अक्तूबर में ईडी ने छत्तीसगढ़ में कई अफसरों और कारोबारियों के घर-दफ़्तर पर छापामारी की थी और आरोप लगाया था कि राज्य में एक संगठित गिरोह कोयला परिवहन में 25 रुपए प्रति टन की वसूली कर रहा है।ईडी के दस्तावेज़ों की मानें तो 15 जुलाई 2020 को इसके लिए सरकारी अधिकारियों ने एक सोची-समझी नीति के तहत आदेश जारी किया और उसके बाद ही अवैध वसूली का सिलसिला शुरू हुआ,अब तक ऑनलाइन ‘डिलिवरी ऑर्डर’ जारी करने के बजाय ‘सर्वर में गड़बड़ी’ का हवाला देकर, खनिज अधिकारी की ओर से ऑफ़लाइन आदेश जारी किया जाने लगा,परिवहन करने वाले वाहन को तब तक खनिज अधिकारी की ओर से ‘डिलिवरी ऑर्डर’ नहीं दिया जाता, जब तक वह इस रक़म को न चुका दे,ईडी के अनुसार, इस घोटाले में कई कारोबारी, कांग्रेस पार्टी के नेता और अफ़सर शामिल थे और उन्होंने अब तक इस तरीक़े से 540 करोड़ रुपए से अधिक की रक़म अवैध तरीक़े से वसूली की,
अदालत में प्रस्तुत दस्तावेज़ों में ईडी ने दावा किया है कि उसने इस संबंध में बड़ी संख्या में डायरी, फ़ोन चैट, लेन-देन के सबूत, करोड़ों रुपए नक़द, सोना, अरबों रुपए की संपत्ति के ब्यौरे और दूसरे दस्तावेज़ जब्त किए।इसके अलावा उसने अभियुक्त कारोबारियों, अफ़सरों और नेताओं की 200 करोड़ रुपए से अधिक की कथित अवैध संपत्ति भी अटैच की है।इसके अलावा भी ईडी छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ के कथित शराब घोटाला और ज़िला ख़निज फ़ाउंडेशन के अरबों रुपए के कथित घोटाले की भी जाँच कर रही है।हालाँकि आईएएस अधिकारी और कृषि विभाग की संचालक रानू साहू की ताज़ा गिरफ़्तारी में कथित कोयला घोटाले को आधार बताया गया है लेकिन ईडी के अधिकारियों का कहना है कि दूसरे मामलों में भी रानू साहू की संलिप्तता की जाँच की जा रही है।

कवासी लखमा सहित कांग्रेस के पूर्व मंत्रीयों, पूर्व विधायकों, पूर्व आईएएस सहित 100 से ज्यादा के खिलाफ FIR हैं दर्ज?

बताते चलें कि रायपुर छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले शराब और कोयला घोटाला सामने आया था। अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। ईडी ने रायपुर में एंटी करप्शन ब्यूरो एसीबी में नामजद एफआईआर दर्ज कराई है। इन दोनों मामलों में 100 से ज्यादा लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर FRI दर्ज हुई है। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मामला 17 जनवरी को दर्ज किया गया है। कोयला घोटाला मामले में 30 से अधिक लोगों के खिलाफ और शराब घोटाले मामले में 70 से अधिक लोगों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया है। नामजद एफआईआर में 100 से ज्यादा लोगों के नामों की जानकारी सामने आ गई है। जिन लोगों के खिलाफ अपराध पंजीबद किया गया है, उसमें प्रदेश के पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व मुख्य सचिव, दो निलंबित आईएएस ,कुछ रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर सहित कई कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल बताया जा रहे हैं। ईडी नामजद एफआईआर FRI में निलंबित आईएएस रानू साहू और समीर बिश्नोई रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा, उनके पुत्र यश टुटेजा पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड,सौम्या चौरसिया पूर्व मंत्री कवासी लखमा और अमरजीत भगत पूर्व विधायक यूं डी मिंज, गुलाब कमरों, शिशुपाल सोरी,चंद्र देव राय, बृहस्पति सिंह ,छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल कांग्रेस नेता इंदिरीश गांधी सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बहुत करीबी माने जाने वाले विजय भाटिया का नाम के साथ कई बड़े कांग्रेस नेताओं के नाम भी इसमें शामिल है।
बताते चले कि इस मामले में आरोपी बनाए गए लोगों ने कारोबारी, नेता और प्रशासनिक अफसर शामिल हैं।ईडी के उप निदेशक संदीप आहुजा की शिकायत के आधार पर दर्ज इस एफआईआर में कारोबारी- नेता सूर्यकांत तिवारी से लेकर आईएएस समीर बिश्‍नोई, सौम्‍या चौरसिया के साथ जिलों के खनिज अधिकारियों से लेकर कांग्रेस के नेताओं, मंत्री और विधायकों की भूमिका की पूरी जानकारी दी गई है। एफआईआर में आरोपियों के खिलाफ ईडी के पास मौजूद साक्ष्‍यों का भी उल्‍लेख किया गया है। एफआईआर के अनुसार कोयला घोटाला में सबसे ज्‍यादा 52 करोड़ रुपये रामगोपाल अग्रवाल को दिया गया है। इसके बाद सर्वाधिक 36 करोड़ रुपये मुख्‍यमंत्री सचिवालय की तत्‍कालीन उप सचिव सौम्‍या चौरसिया को दिया गया है। विश्‍नोई को 10 करोड़ और रानू साहू को साढ़े 5 करोड़, विनोद तिवारी 1.87 करोड़ से ज्‍यादा दिए जाने का उल्‍लेख एफआईआर में है। इसके साथ ही कुछ आईपीएस अफसरों के नाम भी इस एफआईआर में हैं।
यह एफआईआर भ्रष्‍टाचार के खिलाफ कार्यवाही करने वाली राज्‍य सरकार की एजेंसी एसीबी- ईओडब्‍ल्‍यू ने दर्ज किया है। इसमें पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा और तत्‍कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के साथ कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्‍यादा विधायकों, अफसरों और शराब (डिस्टलरी) कारोबारी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार एसीबी- ईओडब्‍ल्‍यू ने यह एफआईआर केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डिप्‍टी डॉयरेक्‍टर संदीप आहुजा के आवेदन के आधार पर दर्ज किया है। दोनों एफआईआर 17 जनवरी 2024 को दर्ज किया गया है। एफआईआर का नंबर 3/ 2024 और 4/ 2024 है। शराब घोटला में एआईएस अफसर निरंजनदास, अनिल टूटेजा, उनके पुत्र यश टूटेजा के साथ एके त्रिपाठी, विवेक ढांड और तत्‍कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम शामिल है।शराब घोटला में ही अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, विजय भाटिया के साथ ही एक दर्जन से ज्‍यादा आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।
वहीं, कोयला घोटला में सूर्यकां‍त तिवारी, सौम्‍या चौरसिया, आईएएस समीर, रानू साहू, प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्‍यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, मंत्री अमरजीत भगत, विधायक देवेंद्र यादव, कांग्रेस के तत्‍कालीन विधायक शिशुपाल सोरी, चंद्रदेव राय, बृहस्‍पत सिंह, गुलाब कमरो, यूडी मिंज, विनोद तिवारी, इदरिश गांधी और सुनील अग्रवाल सहित करीब 35 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

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