महादेव सट्टा एप घोटाले में सट्टेबाज पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नामजद दर्ज होगी FIR? दागी IPS अधिकारियों ने खोली थी तिजोरी,अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज करने का बनाया दबाव

नई दिल्ली(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा मामले को लेकर 1 जनवरी को कोर्ट में चार्जशीट पेश की‌ गई‌ हैं। जिसमें 508 करोड़ कैश के मामले में असीम दास ने अपने बयान में भूपेश बघेल को पैसे देने की बात कही हैं।छत्तीसगढ़ के चर्चित महादेव सट्टा मामले को लेकर ED की 1800 पन्नों की चार्जसीट में कई जगह पूर्व सीएम भूपेश बघेल का जिक्र किया गया है। ED के द्वारा सोमवार को कोर्ट में पेश किए गए परिवाद में कई आरोपित ने ईडी की पूछताछ में कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के नाम का जिक्र किया गया है। अब ऐसा माना जा रहा है कि 508 करोड़‌ के लेन देन के मामले को लेकर ईडी छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम बघेल को पूछताछ के लिए भी बुला सकती है। जिसमें से कुछ पहले से महादेव मामले में जेल में बंद है। इन आरोपित‌ से पूछताछ में कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के नाम का जिक्र किया गया है। ईडी‌ के द्वारा 1 जनवरी 2024 को कोर्ट में पेश की गई‌ सप्लीमेंट्री चार्जशीट में आरोपित‌ असीम दास ने 3 दिसंबर को ईडी‌ को अपने दिए हुए बयान में यह बताया‌ था कि महादेव सट्टा के प्रमोटर शुभम सोनी ने उसे दुबई बुलाया और कहा गया कि उसे कैश दिया जाएगा, और ये कैश उसे भूपेश बघेल को देना है। जिसके बाद 12 दिसंबर को असीम ने एक और बयान दिया जिसमें उसने कहा कि उसे फंसाया‌ गया है। बताते चलें कि प्रवर्तन निदेशालय ने महादेव एप सट्टा घोटाले में छत्तीसगढ़ कैडर के आधा दर्जन से ज्यादा IPS अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए राज्य के EOW को शिकायती पत्र भेजा है।इस पत्र में महादेव एप के संचालन में IPS अधिकारियों की सहभागिता का काला चिट्ठा भी सौंपा गया है। ईडी ने अपनी तफतीश में वरिष्ट पुलिस अधीक्षको और रेंज IG की अवैध वसूली वाली आपराधिक गतिविधियों का ब्यौरा भी EOW को सौंपा है।नामजद FIR दर्ज होने के चलते पुलिस मुख्यालय में हड़कंप है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज करने के लिए बतौर आरोपी निर्देशित किया गया है। उसमें 2005 बैच के IPS अधिकारी शेख़ आरिफ और 2001 बैच के आनंद छाबड़ा का नाम भी शामिल है।
इसके अलावा रायपुर और दुर्ग के तत्कालीन SSP प्रशांत अग्रवाल और अभिषेक पल्लव दुर्ग के तत्कालीन ASP और रेंज IG का नाम भी बतौर आरोपी दर्ज कराने के लिए सिफारिश की गई है। सूत्र यह भी बताते हैं कि लगभग आधा दर्जन राज्य पुलिस सेवा संवर्ग के अधिकारियों को भी आरोपी बनाने के लिए निर्देशित किया गया है।इसमें ASP संजय ध्रुव और ASP अभिषेक माहेश्वरी समेत 4 थानेदार भी शामिल हैं। बताया जाता है कि आरोपी बनाए जा रहे सभी अधिकारियों को महादेव एप के संचालन में सहयोग करने के एवज में प्रतिमाह लाखों की नगदी मिलती थी।उन्हे यह रकम सब-इंस्पेक्टर चंद्रभूषण वर्मा के हाथों सौंपी जाती थी। यह भी बताया गया है कि महादेव एप और IPS अधिकारियों के बीच लेनदेन का जिम्मा चंद्रभूषण वर्मा को ही सौंपा गया था।वही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी उपसचिव सौम्या चौरसिया को भी मोटी रकम दिया करता था।
सूत्र यह भी बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए भी एजेंसियों के पास पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।लेकिन EOW की विवेचना के दौरान गवाहों और आरोपियों से पूछताछ के बाद ही साफ होगा की इस FIR में बघेल का नाम और काम आखिर किस तरह से सामने आएगा। करीब 6 हजार करोड़ के महादेव एप घोटाले में छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही थी।खाकी वर्दी पहने सिपाही से लेकर आला अधिकारी नागरिकों की जान माल की रक्षा करने के बजाय सिर्फ सट्टा खिला रहे थे। इसके लिए पुलिस सिस्टम में भ्रष्टाचार का बोलबाला था.पुलिस मुख्यालय भी ऐसे अधिकारियों के खिलाफ समय रहते वैधानिक कदम उठाने के बजाय महादेव एप के घोटालेबाज़ों को संरक्षण प्रदान करने में जुटा था. दुर्ग के तात्कालीन SSP अभिषेक पल्लव ने तो मुनादी कर घोटालेबाजों को थाने बुलाया और सट्टा एक्ट में मामूली कारवाई कर थाने से ही छोड़ दिया था.
इसमें 1 सैकड़ा से ज्यादा घोटालेबाज सस्ते में छूट गए थे,सूत्र बताते हैं कि ईडी के पत्र में IPS अधिकारियों की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। बताया जाता है कि दागी अधिकारियों ने अपने खिलाफ नामजद FIR ना होने देने के लिए EOW पर भारी दबाव बनाया हुआ है। अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए उपकृत करने वाले नेता और अधिकारियों के लिए फंड की व्यवस्था भी की गई है।यही नही सूत्रों द्वारा यह भी बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी बीजेपी सरकार के खेमे में सेंधमारी की है,ताकि उनके विश्वासपात्र IPS अधिकारियों की नौकरी बचाई जा सके।बताते हैं कि 2 IPS अधिकारी तजदीक कर रहे हैं कि महादेव एप के संचालन के निर्देश मुख्यमंत्री कार्यालय और सरकारी सलाहकार विनोद वर्मा से ही प्राप्त होते थे।इन अधिकारियों के इरादे भांपते ही बघेल खेमा सक्रिय हो गया है।बताया जाता है कि केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जो मुहिम छेड़ी है, उसमें अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को लेकर सख्त निर्देश दिए गए हैं।भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए अधिकारियों को तत्काल रुप से सेवा से पृथक किए जाने का कानूनी कदम उठाने के लिए कहा गया है।बताते हैं कि IPS अधिकारियों के खिलाफ यदि FIR दर्ज होती है तो उन्हें नौकरी से बाहर करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
यह भी बताया जा रहा है कि दागी अधिकारियों ने अपने नाते-रिश्तेदारों से लेकर नौकरों और परिचितों के नाम से भी बेनामी जमीनों की खरीद फरोख्त की है। इसमें काले धन का भरपूर उपयोग किया गया है। विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया था कि राज्य में बीजेपी सरकार बनते ही भ्रष्ट अधिकारियों को ठिकाने लगाया जायेगा,मोदी गारंटी से प्रदेश में भ्रष्टाचार के खात्मे की ओर सरकार के बढ़ते कदमों से कांग्रेसी नेताओं की सांसे फुली हुई है।बताया जाता है कि दागी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करवाने के लिए ईडी लंबे समय से प्रयासरत थी, लेकिन राज्य में भू-पे सरकार के संरक्षण के चलते EOW और PHQ ने आरोपियों के प्रति काफी सुस्ती और नरमी दिखाई थी. लेकिन अब बीजेपी की विष्णुदेव साय सरकार आरोपियों के प्रति नरम रवैया अपनाएगी? इसकी आशंका नई के बराबर जताई जा रही है।मुख्यमंत्री साय ऐलान कर चुके हैं कि भ्रष्टाचारियों को उनकी सरकार पूरी तरह से जड़ से उखाड़ देगी। लिहाजा माना जा रहा है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने के लिए मुख्यमंत्री की हरी झंडी EOW को जल्द मिलने के आसार हैं।

आईपीएस अधिकारियों की तिजोरी में महादेव एप से रौशन हो रहे कालेधन पर ईडी की नजर, किसको कितनी रकम का भुगतान, देखें ब्यौरा

देश के कई राज्यों में अंजाम दिए गए करीब 6 हजार करोड़ के महादेव एप घोटाले का मुख्यालय छत्तीसगढ़ के भिलाई में था। इस एप को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनका गिरोह संचालित कर रहा था। इस गिरोह में आईएएस, आईपीएस अफसरों के अलावा स्टेट पुलिस सर्विस के दर्जनों अधिकारी महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में शामिल थे। इनका कार्य नागरिकों की जान माल की सुरक्षा करने के बजाय सट्टा कारोबार का सफलतम संचालन करना भर था। वेतन भत्ते सरकार से लेते थे लेकिन ये अफसर नॉकरी महादेव एप की करते थे।
बताते हैं कि नॉकरशाहों को वेतन भत्ते मिलाकर महज लाख- दो लाख ही मासिक वेतन मिल पाता है, लेकिन महादेव एप के जरिए इन्हें प्रतिमाह 50 लाख रुपये तक का भुगतान प्राप्त होता था। अधिकारियों को दोहरे पद पर दोहरा लाभ होता था। मसलन रायपुर आईजी और आईजी इंटलीजेंस को दोनों पदों के लिए अलग-अलग रकम सौपी जाती थी, जबकि अधिकारी एक ही था। एसएसपी और एएसपी इस गिरोह के महत्वपूर्ण कर्ताधर्ता होते थे। इन्हें एकमुश्त आईपीएस अधिकारियों के बराबर कालाधन मिलता था। महादेव एप की गतिविधियों को कानूनी संरक्षण और भूपेश सरकार के आशीर्वाद के लिए प्रतिमाह सैकड़ों करोड़ का भुगतान होता था। ईडी ने जांच पड़ताल के बाद अवैध वसूली का जो ब्यौरा इकट्ठा किया है वो हैरान करने वाला है।
सूत्र बताते हैं कि प्रवर्तन निर्देशालय दिल्ली ने ईओडब्ल्यू को जिन अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए है, उनमें आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी है, ये सभी अधिकारी रायपुर और दुर्ग पुलिस रेंज में वर्ष 2021 से लेकर 2023 तक तैनात रहे हैं। इन अफसरों में आईपीएस शेख आरिफ, आनंद छाबड़ा, अजय यादव, प्रशांत अग्रवाल और आईपीएस अभिषेक पल्लव का नाम सुर्खियों में है। जबकि एएसपी अभिषेक माहेश्वरी और एएसपी संजय ध्रुव को आईपीएस अफसरों से ज्यादा एकमुश्त भुगतान होता था। दस्तावेज बताते हैं कि एएसपी अभिषेक माहेश्वरी को प्रतिमाह 35 लाख प्राप्त होते थे, जबकि आनंद छाबड़ा को आईजी रायपुर रेंज एवं आईजी इंटेलिजेंस के दोहरेपद के लिए प्रतिमाह 20 लाख रुपये का भुगतान होता था। इसी तरह शेख आरिफ को आईजी रायपुर रेंज और एसीबी/ ईओडब्ल्यू के दोहरेपद के चलते 20 लाख एकमुश्त रकम मिलती थी। यही हाल अजय यादव का था। उसे भी आईजी रायपुर रेंज और आईजी इंटेलिजेंस के दोहरेपद के लिए प्रतिमाह 20 लाख रुपये सौपे जाते थे।एसएसपी दुर्ग अभिषेक पल्लव और एसएसपी रायपुर प्रशान्त अग्रवाल को प्रतिमाह 10 लाख का भुगतान होता था, जबकि एएसपी दुर्ग संजय ध्रुव के हाथों में अकेले 20 लाख रुपये आते थे। बताते हैं कि रायपुर आईजी कार्यालय में पदस्थ कांस्टेबल राजेंद्र पांडेय को महंगी लग्जरी गाड़ी महादेव एप की ओर से उपलब्ध कराई गई थी। इसके जरिए वो शेख आरिफ की रकम रखकर निवेशकर्ताओं तक पहुँचाता था। सूत्र बताते हैं कि महादेव एप घोटाले की रकम खपाने में इस कांस्टेबल का महत्वपूर्ण हाथ था। वो शेख आरिफ के लिए जमीन दलाली का कार्य भी करता था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्यालय का असल कामकाज भी महादेव एप के माध्यम से संचालित होता था। इसमें सौम्या चौरसिया को लगभग 1 करोड़ प्रतिमाह, मुख्यमंत्री बघेल के साथी विजय भाटिया को 1 करोड़ प्रतिमाह, तत्कालीन सीएम बघेल के ओएसडी सूरज कश्यप को 35 लाख प्रतिमाह प्राप्त होते थे। महादेव एप की मोटी रकम मुख्यमंत्री बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के ठिकानों पर भी भेजी जाती थी। इस रकम का ब्यौरा भी ईडी के पास मौजूद हैं। बताते हैं कि विनोद वर्मा को सालाना 5 करोड़ रुपये दिए जाते थे।पुलिस सब इंस्पेक्टर चन्द्रभूषण वर्मा ने धारा 50 के तहत दिए गए अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल और उनके टोली का पूरा काला चिठ्ठा दर्ज कराया है। सूत्र बताते हैं कि चन्द्रभूषण वर्मा ने सरकारी गवाह बनने के लिए भी हामी भरी है। फ़िलहाल वो रायपुर सेंट्रल जेल में न्यायिक हिरासत में है। महादेव एप घोटाले के जरिए केंद्र सरकार के छवि खराब करने में भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी गई थी। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर में समय – समय पर होने वाले कई धरना प्रदर्शनों के लिए मोटी रकम रायपुर-दुर्ग से भेजी जाती थी। छत्तीसगढ़ के कुछ चुनिंदा आईपीएस अधिकारी यह रकम रायपुर से हवाला के जरिए दिल्ली भेजते थे।
फिलहाल राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी सरकार दागी अफसरों के खिलाफ जल्द कारगर कदम उठाने की तैयारी में जुटी है। सूत्रों के मुताबिक नामजद एफआईआर दर्ज करने सम्बन्धी ईडी का पत्र मुख्यमंत्री सचिवालय भेजा जा चुका है। सूत्र यह भी बताते हैं कि मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलते ही ईओडब्ल्यू और छत्तीसगढ़ पुलिस राज्य के दागी अधिकारियों, कारोबारियों और नेताओं को उनके असल ठिकाने में दाखिल कराने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे।

कोर्ट‌ में पेश परिवाद में ये नाम शामिल

ईडी ने 1 जनवरी को जो परिवाद दायर किया है उसमें पांच आरोपियों का जिक्र किया है। इन आरोपियों में असीम दास, पुलिस कांस्टेबल भीम सिंह यादव और महादेव ऐप के संचालक सुभम सोनी, लेखा विभाग के कर्मचारी रोहित गुलाटी और अनिल कुमार अग्रवाल उर्फ अतुल अग्रवाल का नाम शामिल किया‌ गया है। इसके साथ ही ईडी अब आने वाले दिनों में इस पूरे चार्जशीट में जिन लोगों को नाम शामिल है उनसे भी पूछताछ कर सकती है। ऐसा भी माना जा रहा है कि असीम दास के द्वारा कांग्रेस नेता पूर्व सीएम भूपेश बघेल का नाम लिए जाने पर बघेल से पूछताछ की जा सकती‌ है‌।

महादेव के संचालकों को भारत‌ लाने की तैयारी

साल 2023 में छत्तीसगढ़ में चर्चा में बना महादेव सट्टा ऐप पर सबसे पहले पुलिस के द्वारा कार्यवाही की गई थी।‌जिसके बाद मामले को संज्ञान में लेते हुए आयकर फिर ईडी‌ ने मामले में हस्तक्षेप किया था। इस पूरे मामले को लेकर ईडी लगभग 5000 करोड़‌ के सट्टा‌ से अवैध कमाई की‌ जांच‌ कर रही थी।‌ जिसमें ईडी ने सिलसिलेवार तरीके से रेड मारना शुरू किया, सबसे पहली कार्यवाही भिलाई में हुई थी। जिसमें से सट्टा‌ के मुख्य संचालक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल का नाम सामने आया था। इस सट्टा मामले को लेकर अब तक 10 से ज्यादा‌ लोगों को ईडी‌ की पूछताछ के बाद कोर्ट‌ ने ज्यूडिशल कस्टडी में रायपुर जेल भेजा है। वही मुख्य आरोपी सौरभ और रवि उप्पल दुबई में इंटरपोल की कस्टडी में है। जिन्हे जल्द भारत लाने की तैयारी चल रही है‌।

200 करोड़ की शादी, सबको कैश में दिए पैसे, जानें कैसे वाट्सऐप से हुआ 6000 करोड़ का स्कैम

महादेव बेटिंग ऐप स्कैम मामले में ईडी ने 20 अक्टूबर को रायपुर में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था।आरोपियों की लिस्ट में महादेव ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उपल भी शामिल थे।अब रवि को दुबई में हिरासत में ले लिया गया है।आपको वो 200 करोड़ रुपये की शादी तो याद ही होगी, जो इसी साल की शुरुआत में दुबई में हुई थी और जिसमें भारत के बहुत सारे सेलेब्रिटीज को न्योता दिया गया था।इसमें रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर, हुमा कुरैशी, हिना खान, कपिल शर्मा, सनी लियोनी, कपिल शर्मा और नेहा कक्कर जैसे सेलेब्रिटीज शामिल में इस शादी की एक खास बात थी।बताया जा रहा है कि इसमें सारा पैसा कैश में खर्च किया गया, यानी ब्लैक मनी की आशंका ने जांच एजेंसियों को सतर्क कर दिया।जब जांच हुई तो पता चला कि महादेव ऐप के मालिकों ने मिलकर करीब 6000 करोड़ रुपये का स्कैम किया है।इसके बाद ईडी ने 20 अक्टूबर को रायपुर में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों की लिस्ट में महादेव ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उपल भी शामिल थे। आपने अक्सर खबरों में महादेव बेटिंग स्कैम के बारे में सुनते होंगे। इस वक्त प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की तरफ से इस स्कैम की जांच की जा रही है।महादेव ऑनलाइन ऐप सट्टेबाजी मामले में ताजा अपडेट ये आया है कि ईडी ने दुबई में रवि उप्पल को डिटेन कर लिया है।रवि को पकड़ने के लिए इंटरपोल की तरफ से रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था।बताया जा रहा है कि 43 साल के रवि उप्पल को पिछले हफ्ते हिरासत में लिया गया था और अब रवि को भारत लाने की कोशिशें की जा रही हैं।आइए जानते हैं कभी जूस और टायर बेचने वाले दो दोस्तों ने कैसे किया करीब 6000 करोड़ रुपये का स्कैम….

जूस की दुकान से सट्टेबाजी के बिजनेस तक

महादेव बेटिंग ऐप की शुरुआत की थी सौरभ चंद्राकर और रवि उपल ने, जो 2012-13 के दौरान छत्तीसगढ़ के भिलाई के नेहरू नगर में बहुत ही छोटे कारोबारी थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सौरभ एक जूस की दुकान चलाया करते थे, जबकि रवि उपल एक टायर की दुकान चलाते थे।दोनों का बिजनेस भले ही छोटा था, लेकिन उन्हें पैसे कमाने की बहुत जल्दी थी। ऐसे में दोनों ने सट्टेबाजी का भी सहारा लिया, लेकिन उसमें उन्हें भारी नुकसान हुआ।ऐसे में दोनों ये बात समझ गए कि अगर सट्टेबाजी से पैसे कमाने हैं तो इसका बिजनेस करना होगा, वो भी कुछ इस तरह कि हर हालत में सिर्फ मुनाफा ही मुनाफा हो।दोनों ने तय किया कि सट्टेबाजी का बिजनेस शुरू किया जाए, लेकिन भारत में सट्टेबाजी गैर-कानूनी है तो दोनों ने दुबई जाने का फैसला किया,वहां जाकर दोनों ने महादेव बेटिंग ऐप के तहत सट्टेबाजी का बिजनेस शुरू किया।ईडी ने अनुमान लगाया है कि इस सट्टेबाजी बिजनेस से कंपनी के प्रमोटर्स हर महीने करीब 450 करोड़ रुपये कमा रहे थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया जा रहा है कि वह हर रोज 200 करोड़ रुपये कमा रहे थे। इनका बिजनेस सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका तक फैला हुआ है।

क्या है महादेव बेटिंग स्कैम का बिजनेस मॉडल?

रोज 200 करोड़ रुपये कमाई वाले इस बिजनेस के बारे में सुनकर आपके मन में भी ये बात जरूर आई होगी कि आखिर इस ऐप का बिजनेस मॉडल क्या है। सौरभ और रवि ने मिलकर जो महादेव बेटिंग ऐप बनाया है, उन्होंने उसका एल्गोरिद्म कुछ ऐसा सेट किया है कि हर हालत में कंपनी को मुनाफा ही होता है. अपने बिजनेस को फैलाने के लिए इन्होंने फ्रेंचाइजी मॉडल चुना और इसके तहत पूरे भारत में करीब 4000-5000 पैनल ऑपरेटर बनाए हैं।ये सभी अपने-अपने इलाके में इस ऐप को प्रमोट करते हैं और वहां से बिजनेस लाते हैं,पैसों को भारत से दुबई तक पहुंचाने के लिए इन्होंने बहुत सारे बैंक खातों का एक जाल भी बुना है, ताकि उन्हें पकड़ना मुश्किल हो सके,इन पैनल ऑपरेटर्स को 30-70 फीसदी तक का कमीशन दिया जाता था।

वाट्सऐप से खेला गया पूरा खेल

जब भी कोई महादेव बेटिंग ऐप के जरिए सट्टेबाजी में पैसे लगाता है तो उसे वाट्सऐप के जरिए एक बैंक खाता भेजा जाता है, जहां उसे पैसे डालने होते हैं। उसके बाद वह पैसा दूसरे कई खातों से होता हुआ हवाला के जरिए दुबई पहुंच जाता है।वहीं ऐप में ग्राहक को अपने पैसों की वैल्यू के बराबर प्वाइंट्स दिखने लगते हैं।जब कोई शख्स सट्टेबाजी में पैसे जीतता है और फिर उसे वापस निकालना चाहता है तो फिर से वही वाट्सऐप वाला खेल शुरू होता है।वाट्सऐप के जरिए अकाउंट नंबर मांगा जाता है और उसी खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं।यह पैसे भी कंपनी के खाते से नहीं, बल्कि अलग-अलग लोगों के खातों से आते थे।जांच में पता चला है कि ये कंपनी कई कंपनियों के बंद पड़े चालू खातों को भी दोबारा शुरू करवाकर उसका इस्तेमाल करती थी या कुछ लोगों के नाम पर निजी खाते खुलवाकर उसका इस्तेमाल करते हुए पैसे ट्रांसफर करती थी।यही वजह है कि पैसों के लेन-देन का ये चक्कर जल्दी पकड़ में नहीं आता था और इतने सालों में महादेव बेटिंग स्कैम ने विकराल रूप ले लिया है।

200 करोड़ की शादी, जिससे खुला 6000 करोड़ का स्कैम

हर अपराधी कोई ना कोई गलती जरूर करता है. सौरभ और रवि ने भी ऐसी ही एक गलती कर दी। सौरभ ने इसी साल फरवरी के महीने में शादी की, जिसमें करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किए। जांच एजेंसियों के कान तब खड़े हुए जब पता चला कि ये सारे पैसे कैश में दिए गए हैं।यहीं से मामले की जांच शुरू हुई और ईडी ने जगह-जगह छापे मारने शुरू कर दिए।इस मामले में ईडी ने अब तक 400 करोड़ रुपये से भी अधिक की संपत्ति जब्त की है।शुरुआत में अनुमान था कि यह स्कैम 4000-5000 करोड़ रुपये का हो सकता है, लेकिन अब ये आंकड़ा 6000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। यह भी कहा जा रहा है कि आंकड़ा और बड़ा हो सकता है।

कौन-कौन चढ़ा ED के हत्थे?

न्यूज एजेंसी पीटीआई को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ईडी ने 20 अक्टूबर को रायपुर में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) के तहत चार्जशीट फाइल की है. इसके तहत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उपल भी शामिल हैं। इनके अलावा विकास छापरिया, चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, अनिल दमानी, सुनील दमानी, विशाल आहूजा और धीरज आहूजा शामिल हैं। इनके अलावा पुनारम वर्मा, शिव कुमार वर्मा, यशोदा वर्मा और पवन नाथानी के खिलाफ भी शिकायत की गई है. वहीं इस मामले में रायपुर की PMLA स्पेशल कोर्ट ने सौरभ चंद्राकर और रवि उपल के खिलाफ नॉब-बेलेबल अरेस्ट वॉरेंट जारी किया हुआ है।दोनों ही इस वक्त वॉन्टेड अपराधी हैं. अब ईडी की तरफ से दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराए जाने की कोशिशें हो रही हैं।

फिल्मी सितारों से क्यों हो रही है पूछताछ?

महादेव बेटिंग ऐप के मामले में इन लोगों के अलावा रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर, हुमा कुरैशी, हिना खान, कपिल शर्मा, सनी लियोनी, कपिल शर्मा और नेहा कक्कर जैसे सेलेब्रिटीज से भी ईडी पूछताछ कर रहा है। एक सवाल ये उठता है कि क्या सिर्फ किसी शादी में शिरकत करने की वजह से सेलेब्रिटीज से पूछताछ होगी? दरअसल, इन लोगों से पूछताछ कर के ईडी ये जानना चाहती है कि आखिर ये पैसे आए कहां से हैं।

शेयर बाजार से भी निकल रहा है कनेक्शन

महादेव बेटिंग ऐप का कनेक्शन अब शेयर बाजार तक से जुड़ चुका है। मामले की जांच में पता चला है कि कोलकाता के विकास छपरिया ने हवाला से जुड़े ऑपरेशन्स को मैनेज किया है।ईडी ने जब छपरिया के ठिकानों और उसके करीबीयों के यहां छापे मारे तो करीब 236 करोड़ के असेट फ्रीज किए हैं, जिन्हें शेयर बाजार में लगाया गया है। ईडी ने गोविंद केडिया और विकास छपरिया के साथ-साथ उनसे जुड़े ठिकानों पर भी छापे मारे,जांच से पता चला कि Perfect Plan Investments LLP, Exim General Trading FZCO और Techpro IT Solutions LLC के जरिए भी शेयर बाजार में पैसे निवेश किए जाते थे।गोविंद केडिया की 160 करोड़ रुपये की डीमैट होल्डिंग को भी ईडी ने फ्रीज कर लिया है।

एक ही ट्रैवल कंपनी से होते थे सबके टिकट

इस मामले में एक ट्रैवल कंपनी रैपिड ट्रैवल के ठिकानों पर भी छापा मारा गया, जो भोपाल में धीरज आहूजा और विशाल आहूजा के द्वारा चलाया जाता है। ईडी के अनुसार इसी के जरिए ऐप के प्रमोटर, उनके परिवार, बिजनेस एसोसिएट और सेलेब्रिटीज के टिकटिंग से जुड़े ऑपरेशन को मैनेज किया जाता था। ईडी का दावा है कि बेटिंग पैनल से होने वाली अवैध कमाई को बड़ी चालाकी से आहूजा ब्रदर्स के जरिए टिकट प्रोवाइडर्स के पास जमा करा दिया जाता था। वॉलेट बैलेंस के जरिए घरेलू और इंटरनेशनल टिकट बुक की जाती थीं।इसी ट्रैवल कंपनी के जरिए महादेव ग्रुप के अधिकतर ट्रैवल से जुड़े इंतजाम किए जाते थे।

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