दांव पर प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी?आईपीएस अधिकारियों के गिरोह ने ईडी के अरमानों पर फेरा पानी?छत्तीसगढ़ में महादेव एप घोटाले के 21 में से 18 आरोपी सस्ते में छूटें

रायपुर(गंगा प्रकाश)।देश के कई राज्यों में पैर पसार चुके महादेव एप घोटाले की जांच अधर पर लटक गई है. नतीजतन 6 हजार करोड़ के इस घोटाले के आरोपी लगातार सस्ते में छूट रहे हैं. सूत्र बताते है कि विवेचना और सबूतों के साथ छेड़छाड़ के लगातार प्रयासों के चलते ईडी के आरोपियों को कानूनी दांवपेचों का जमकर फायदा मिल रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वो दावे और वादे दांव पर हैं, जो उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की पीड़ित जनता से किए थे. पीएम मोदी ने विभिन्न जनसाभाओं में कहा था कि महादेव एप और शराब घोटाले के आरोपी और घोटालेबाज नही बचेंगे,चाहे वे कितने भी प्रभावशील क्यों ना हों.ताजा सूरते हाल यह है कि इस मामले में जेल भेजे गए 21 में से 18 आरोपियों को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है।


सूत्र बताते हैं कि अब महादेव एप घोटाले में गिने चुने 2 या 3 आरोपी ही जेल की हवा खा रहे हैं. इनमे भी सबसे खराब हालत उस आरोपी की है, जो ईडी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है. बताते हैं कि चंद्रभूषण वर्मा ही एक महत्वपूर्ण आरोपी है, जो नियमित रूप से तत्कालिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनके पुत्र चैतन्य बघेल उर्फ बिट्टू , विनोद वर्मा, समेत दर्जनों पुलिस अधिकारियों को हर महीने मोटी रकम पहुंचाया करता था. बताते हैं कि दागी IPS अधिकारियों ने चंद्रभूषण वर्मा से अचानक किनारा कर लिया है.आरोपी वर्मा ने धारा 50 के तहत ईडी को दिए गए बयान मे घोटाले की रकम का पूरा ब्यौरा दर्ज कराया है,इसके बाद से जेल में उसे प्रताड़ित किए जाने का दौर अभी भी जारी है.जबकि राज्य में बीजेपी को सत्ता संभाले लगभग 2 माह बीत चुके हैं.बताते हैं कि महादेव एप घोटाले के तमाम आरोपी और संदेही चंद्रभूषण वर्मा की जान के दुश्मन बन गए हैं। छत्तीसगढ़ में आधा दर्जन से ज्यादा IPS और स्टेट सर्विस के अधिकारी जो कि वर्ष 2021 से लेकर -2023 तक रायपुर और दुर्ग पुलिस रेंज में पदस्थ थे, उन्हे प्रतिमाह मोटी रकम महादेव एप के संरक्षण के लिए दी जाती थी.इसका ब्यौरा भी ईडी ने राज्य सरकार को सौप दिया है।

उधर ईडी सूत्र बताते हैं कि राज्य सरकार से अपेक्षित सहयोग की राह देख रही ईडी को कानूनी सहायता नही मिलने के चलते महादेव एप मामले की विवेचना अधर में लटक गई है. जबकि दागी अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए EOW को पत्र सौंपे लंबा अरसा बीत गया है. बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में प्रभावशील IPS अधिकारियों का एक गिरोह नही चाहता कि महादेव एप घोटाले की जांच अब आगे बढ़े. यही नहीं इन अधिकारियों ने विभिन्न बैंकों और सटोरियों से संपर्क कर कई सबूत भी नष्ट कर दिए हैं।

ऐसे सबूत ईडी के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण साबित हो सकते थे. लेकिन भू-पे गिरोह ने ईडी के अरमानों पर पानी फेर दिया है। बताया जा रहा है कि बिलासपुर हाई कोर्ट से ईडी के लगभग जिन 18 आरोपियों को अलग अलग समय पर जमानत मिली है, उसमे नवीन बत्रा, फरहान हिंगोरा, रजत अग्रवाल, मोहित टांक, राम लालवानी, जीत मसरानी, प्रथम आहूजा, फरहान और उमेर का नाम प्रमुख रुप से शामिल है. प्रेडीकेट आफेंस में ईडी ने तमाम आरोपियों की गिरफ्तारी की थी। बताते हैं कि कानूनी दांव पेचों का आरोपियों को जमकर फायदा मिला था।जानकारी के मुताबिक़ दागी IPS अधिकारी विवेचना को प्रभावित कर रहे हैं.बताया जा रहा है कि ईडी ने लंबे अरसे से छत्तीसगढ़ सरकार को उन IPS अधिकारियों और कारोबारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करने के लिए पूरा ब्यौरा सौंपा था,जो कांग्रेस सरकार में महादेव एप घोटाले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे. ये अफसर पुलिस की नौकरी करने के साथ साथ महादेव एप के सटोरियों को पुलिसिया संरक्षण भी प्रदान करते थे. इसके बदले इन्हें प्रतिमाह मोटी रकम दी जाती थी। बताते हैं कि EOW में इस FIR को दर्ज करने के लिए ईडी को पत्र सौंपे हुए लंबा अरसा बीत गया है, लेकिन दागी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अब तक FIR तक दर्ज नही की गई है।

सूत्र बताते हैं कि नई सरकार के गठन के बाद वैधानिक मामले में भी FIR दर्ज करने में हीला हवाली बरतने से ईडी की जांच जहां एक ओर कमजोर हो रही है वहीं दूसरी ओर विवेचना भी प्रभावित हो रही है। बताया जाता है कि रायपुर के एक अस्पताल संचालक डॉ दल्ला के ठिकानों पर हुई ईडी की छापेमारी में लगभग ढ़ाई करोड़ की नगदी जप्त हुई थी. सूत्रों द्वारा इस मामले में बताया जा रहा है कि यह नगदी रायपुर के तत्कालिन IG आनंद छाबड़ा द्वारा सुरक्षित निधि के रुप में उन ठिकानों में रखवाई गई थी. इस मामले में जिस शख्स के पास से नगदी बरामद हुई थी उसे भी सिर्फ पूछताछ कर छोड़ दिया गया है. जबकि महादेव एप घोटाले में कई ऐसे आरोपी भी ईडी के हत्थे चढ़े हैं, जिनके पास से कोई नगद रकम और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद नही हुए थे।

यह भी बताया जा रहा है कि महादेव एप घोटाले को संरक्षण देने के चलते पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को लगभग 100 करोड़ का भुगतान किया गया था. इस मामले की विवेचना अभी भी जारी है, चैतन्य बघेल उर्फ बिट्टू से ईडी 2 बार पूछताछ कर चुकी है. बताते हैं कि भूपेश बघेल के पुत्र बिट्टू ने रियल एस्टेट कारोबार में करोड़ो की ब्लैक मनी खपाई है. उसके भिलाई स्थित विट्ठलपुरम प्रोजेक्ट की 200 एकड़ से ज्यादा जमीनों का कच्चा पक्का सौदा इसी रकम के माध्यम से किया गया था।

बताते हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के पुत्र ने अपने पिता की कुर्सी का जमकर फायदा उठाया था.उसे कई श्रोतों से नगदी के रूप में ब्लैक मनी प्राप्त होती थी. फिलहाल महादेव एप घोटाले की जांच और आरोपियों को ठिकाने लगाने की मोदी गारंटी चर्चा में है. राज्य की जनता ने भ्रष्टाचार से त्रस्त होकर बीजेपी को सत्ता सौंपी थी.भ्रष्टाचार की लड़ाई में विरोधी खेमे के कई नेताओं के अलावा पत्रकारों ने भी मोर्चा खोला था, नतीजतन राज्य में कांग्रेस की सरकार को जनता ने उखाड़ फेंका था. वहीं सत्ता की चाबी बीजेपी को सौंपी थी।

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