आत्म चिंत्तन का ग्रन्थ है रामचरित्रमानस – संत राम ज्ञानीदास महात्यागी

डोंगरगांव(गंगा प्रकाश)।  समीपस्थ ग्राम दर्री शिवनाथ नदी तट स्थित ब्रम्हचारी आश्रम के संत त्रिलोचन ब्रम्हचारी के पावन सानिध्य में श्रीलक्ष्मी नारायण यज्ञ का सुभारंभ कलश यात्रा के साथ हुआ। इस धार्मिक आयोजन में अंचल सहित अन्य जगहों से पधारकर श्रद्धालु मन्दिरों के दर्शन लाभ के सांथ यज्ञ परिक्रमा कर ,तिरखेड़ी आश्रम (महाराष्ट्र) से पधारे संत राम ज्ञानी दास जी महात्यागी के संगीत मयी राम कथा का भी रसपान कर रहे हैं, अपने प्रथम दिवस की कथा में श्री राम चरित मानस की महिमा का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए सन्त श्री ने बताया कि राम चरित मानस एक दृढ़ ग्रन्थ है, विश्वास का ग्रन्थ है, जिसे तर्क और कुतर्क से नही समझा जा सकता है। राम को पाने ,सत्य को जानना होगा क्योंकि राम ही शास्वत सत्य हैं, राम को जानने के लिए सबसे पहले मन मे बैठे संसय रूपी विहंग को सत्संग के माध्यम से उड़ाना पड़ेगा,उन्होंने आगे बताया कि,भारत की अस्मिता को बरकरार रखना है तो सबसे पहले कृषि और ऋषि परम्परा को बचाना होगा,सन्त महात्यागी जी ने अपनी ओज पूर्ण वाणी से सती मोह की कथा का सविस्तार वर्णन करते हुये श्रावक श्राविकाओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने बताया कि रामकथा शास्त्र भी है, जरूरत पड़े तो शस्त्र भी है।
राम चरित मानस आत्म चिंतन का ग्रन्थ है ,जिनको राम के प्रति अति अनुराग है, वही मनुष्य ही इस ग्रन्थ का चिंतन मनन कर राम को जान सकता है।

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