पशुपालकों ने अपने पशुधन को नगर पंचायत द्वारा जंगलो में छोड़ने का लगाया आरोप, नगर पंचायत अधिकारी ने आरोप से किया इंकार

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। नगर के पशुपालकों ने अपने पशुधन को नगर पंचायत द्वारा बिना उनकी जानकारी एवं सूचना के जंगल में ले जाकर छोड़ने का आरोप लगाते हुए कृषि मंत्री रामविचार नेताम, जिलाधीश गरियाबंद एवं एस. पी. गरियाबंद को ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में कहा गया है कि पशुपालकों को अपना पशुधन नहीं मिला तो उन्होंने 3-4 दिन तक काफी खोजबीन की, तब नगर पंचायत सफाई कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि अभी 4-5 दिन पूर्व ही मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं सफाई प्रभारी के निर्देश पर पशुकेचर वाहन में 2 ट्रिप जानकारी पथर्री-बोरिद के जंगल में छोड़ा गया है। यह जानकारी मिलने पर नगर के पशुपालको में गहरा रोष व्याप्त है। नगर पंचायत के प्रथम अध्यक्ष दूजलाल बंजारे ने बताया कि उनका भी एक पशुधन कुछ दिनों से लापता है। लगता है कि नगर पंचायत द्वारा जानबुझकर बिना कोई सूचना एवं मुनादी किए पशुधनों को जंगल में छोड़ा जा रहा है जबकि अभी कोई खेती-खार का समय नहीं है। जानवरों से नुकसान का प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने नगर पंचायत पर नगर के पशुधनों की चोरी का आरोप लगाते हुए प्रशासन से कार्यवाही की मांग की है। इस बारे में नगर पंचायत के मुख्य नगर पालिका अधिकारी प्रदीप मिश्रा से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि किसी भी निजी मालिकों के पशु को नहीं पकड़ा जाता है। जो पशु लावारिस रूप से मुख्य मार्गो में घूमते पाए जाते है उन्हें पकड़कर गौठान में रखा जाता है। यह सतत् प्रक्रिया है। शासन के निर्देश है कि मुख्य सड़कों में दुर्घटना की आशंका के कारण आवारा घूम रहे जानवरों को गौठानों अथवा कांजीहोम में डाल दिया जावें। श्री मिश्रा ने कहा कि निजी जानवरों को पशुपालक अपने घरों में बांधकर रखे। अथवा रखववाल की निगरानी में दिन में चरने भेजें। विशेष कर रात्रि में जानवर सड़कों में खुला न छोड़े इससे दुर्घटना की आशंका होती है। और हमें मजबूरन उन्हें पकड़ना पड़ता है।

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