

छुरा(गंगा प्रकाश)।मानस परायण महायज्ञ में राम कथा के दूसरे दिन शिव पार्वती विवाह कथा में व्यास पीठ से अनूप जी महराज ने कहा कि कठोर तपस्या से भगवान को पिघलना पड़ता है। साधारण लोग अपने प्रियजन के वियोग में पूजा पाठ छोड़ देते हैं भक्तों को सीखना चाहिए भोलेनाथ से कि जब सबसे प्रिय से वियोग या पीड़ा हो तो अपने ईष्ट को नहीं छोड़ना चाहिए संसार में जब किसी के पास ऐसा दुख आता है जिसका समाधान उसके बस में नहींं होता तो उसको हल करने स्वयं उसका भगवान आते है भगवान भोलेनाथ का दुख दूर करने भगवान श्रीराम स्वयं आए और सती वियोग से उबारने उन्हें पार्वती विवाह करने के लिए मनाने आये। भगवान सदा भक्त के साथ चलते हैं और जब भक्त पर दुख पीड़ा कष्ट रोग आता है तब वह भक्त को स्वयं गोद में उठाकर रखते हैं संबल देते है संसार में तीन लोग जिसे भगवान का दर्जा दिया जाता वे ही अपने बच्चों के उन्नति देखकर प्रसन्न होता है संसार में इनके सिवा और कोई नहीं जो दूसरे की उन्नति देख प्रश्न हो। माता पिता और गुरु की कठोर बातें भी हमेशा सुख देती है संसारी जब भी विपत्ति में रहे केवल दो बाते मन में रखिए पहला जो कुछ हो रहा है वह भगवान जानता है उसे पता है और दूसरा जो हो रहा है अच्छे के लिए हो रहा है क्योकि मेरा ईश्वर कर रहा है। भक्त के लिए एक सूत्र है कि क्रोध में किसी प्रकार अनीति नहीं करनी चाहिए कामदेव ने भगवान शंकर को अपनी कई विफलताओं के कारण अंत में क्रोध में आकर पांच बाण उनके हृदय जहाँ राम बसते हैं वहाँ वार कर दिए। भगवान शंकर ने उसके क्रोध को भस्म किये।
