
छुरा(गंगा प्रकाश)।रामचरितमानस परायण महायज्ञ के 71 वें वर्ष में सातवें दिन भी प्रात 6-30 से भजन कीर्तन शिक्षक मानस परिवार द्वारा श्रीगणेश किया गया नगर के माता बहनों भक्तजनों ने आज भी बड़ी संख्या में मंदिर पहुंच कर परिक्रमा किये कन्या आश्रम की बालिकाओं ने अपने संरक्षिका के मार्गदर्शन मैं मंदिर पहुंच कर परिक्रमा किये व भजन कीर्तन के साथ साथ भाव भरा नृत्य प्रस्तुत किये पश्चात उपाचार्य द्वारा यजमान परिवार के हाथों स्वस्ति वाचन के साथ पूजा कराया गया पश्चात पाठकों के द्वारा मानस की चौपाईयों के साथ यज्ञ आहुति दी गई और मध्यान्ह आरती की गई।दोपहर की रामकथा में छठे दिवस की कथा कहते व्यास पीठ पर आसीन पूज्य अनूप जी महराज ने कहा कि रामकाज कै लिए जब कोई निकलता है तो आगे का रास्ता भगवान स्वयं सुलभ करते हैं सुग्रीव ने सीता माता की खोज में वानर सेना को आज्ञा दिया था कि एक माह के भीतर यदि पता लगाकर नहीं आये तो जीवित नहीं रहोगे। मनुष्य को जीवन के आखरी क्षण तक संपाती की तरह होना चाहिए लोगों को राम काज के लिए तन मन वचन धन से प्रेरित करते रहना चाहिए अपने सामर्थ्य के अनुसार जगाना चाहिए संपाती बल से असमर्थ थे पर नेत्र सामर्थ्य से सीता जी को अशोक वाटिका में बैठा देखा तब जामवंत जी ने हनुमान जी को जगाया और उनकी शक्ति का ज्ञान कराया। हनुमान जी ने जामवंत से उचित सीख बताने को कहा आज का मनुष्य अपने ही परिवार पुत्र मित्र शिष्य अनुयायियों को उचित सीख नहीं सिखाता स्वार्थ के लिए अनुचित भी सिखाता है। हनुमान अमोघ वाण की तरह चले अमोघ अर्थात् वह असफल नहीं होता। अच्छे कार्य में दो विध्नकर्ता सामने आते हैं सोना और सोना अर्थात् धनवान और निद्रा लंका जाते समय हनुमान ने तीन परीक्षा दिए विद्या बल और बुद्धि की। कुछ लोगों की बुद्धि मुठिका खाने के बाद बढ़ती है। जिनके ह्रदय में छल कपट भरा होता है उसके सिर पर देर सबेर मुठिका पड़ता है लंकिनी को इसी लिए मुठिका पड़ने हर मनुष्य को जीवित रहते दस मिनट आंख बंद कर सोचना चाहिए कि यदि मैं मर गया तो क्या हो सकता है। संसारी मनुष्य का चेहरा आइना होता है वह पाप और पुण्य करने वाले को बता देता है विभीषण ने हनुमान जी के चेहरे को देखकर भान कर लिए कि आप रामदूत हैं व्यास पीठ से रामभद्रादास गोपन्ना की कथा सुनाते हुए कहा कि विभीषण को हनुमानजी ने भगवान रघुनाथ के आने की संकेत दिए और सीता से मिलने की इच्छा बताई और छोटा रुप बनाकर अशोक वाटिका गये खुद को छोटा रखना बड़ा बनने का तरीका हैहनुमान के छोटे रुप को देखकर सीता माता ने पूछा कि राम जी की सेना में सब तुम्हारे समान वानर है तब माता का शंशय दूर करने के लिए कनक भूधराकार शरीर धारण कर लिया तब माता ने उन्हें अनेकों आशीर्वाद दिए सुख संपत्ति तुम्हारे चरण में रहेगी, राम रसायन आदि जिसमें अजर अमर होने का आशीर्वाद भी शामिल था जो आज तक किसी देव दानव मानव को नहीं मिला।