अहंकारी मनुष्य को संत की पूछ परख से कष्ट होता है- अनूप महराज

महाशिवरात्रि पर पूर्णाहुति भंडारा शोभा यात्रा साथ परायण यज्ञ का समापन

छुरा(गंगा प्रकाश)। मानस परायण में रामकथा के अंतिम दिवस पूज्य अनूप जी महराज ने व्यास पीठ से हनुमान जी के लंका से वापसी की कथा सुनाते हुए कहा कि मनुष्य क्रोध में रहने पर अथवा शत्रु के पास रहने पर उसके सभी प्रश्न याद रखता है और सबका उत्तर देता है किन्तु घर परिवार में प्रेम पूर्वक पूछे गये प्रश्नों में सब के नहीं बल्कि अंतिम प्रश्न का उत्तर दिया जाता है।जवाब देने के चार प्रकार है दशरथ राम हनुमान और लक्ष्मण की तरह । हनुमान ने लंका जाने व वापस आने तथा वहाँ की घटना का वर्णन करते व सीता द्वारा दिए गए चूड़ामणि को दिए यह कहते हुए कि मेरा वहा जाना और वापस आना सब आपके प्रताप और कृपा से हुआ है। संसारी मनुष्य को अपनी सफलता को भगवान की कृपा मानना चाहिए व कष्ट को अपने कर्म का फल परन्तु होता इसके उलट है मनुष्य जीवन में खुशियों आती है तो अपना मेहनत मानता है और दुख आता है तो भगवान को कोसता है जबकि भगवान के पास दुख होता नहीं है वे तो आनंद और सुख के खान है महराज ने बताया विभीषण ने रावण से कहा भगवान के छ लक्षण होते हैं एश्वर्य , वीरता, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य जो श्रीराम में है इसलिए वे नारायण है उन्हें साधारण मत समझो। मनुष्य को जब संत की समझ नहीं आती तब उसका विनाश संभव है राम द्वारा विभीषण को सम्मान और लंका का राज्य देने पश्चात समुद्र से विनती करने के सुझाव पर लक्ष्मण ने कहा कि डरपोक लोगों का संग करने से शक्ति बढ़ती नहीं बल्कि कम होती है राम ने तीन दिन बाद समुद्र के द्वारा विनय नहीं माने जाने क्रोध की लीला की। भगवान को क्रोधित देखकर अब समुद्र विनती करने लगे और कहा कि हे राम मुझे सुखाने पर मेरे भीतर के करोड़ों जीव का क्या होगा कोई अन्य उचित मार्ग अपनाइए। दो व्यक्ति जिसके भीतर राम जी हैं उन्हें जोड़ने की आवश्यकता नहीं होती वे स्वत: ही जुड़ जाते हैं। जो राम काज में लगे होते है भगवान उन छोटे से छोटे जीव का सम्मान करते है गिलहरी के पीठ का निशान तीन धारियां इसका उदाहरण है। रामेश्वर धाम की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि जो रामेश्वर में गंगाजल लाकर चढ़ाएंगे उन्हें अनंत फल प्राप्त होता है। आगे अंगद-रावण संवाद को बड़े सरल अंदाज में वर्णन किये। शत्रु को कभी कम नहीं आंकना चाहिए भारत की मिट्टी ने कभी बुजदिल को जन्म नहीं दिया भारत की मिट्टी सए हर युग में वीर जन्म लिए, भारत वीर भोग्या वसुंधरा है पश्चात हनुमान व लंका की सेना का युद्ध, हनुमान रावण युद्ध, मेघनाथ लक्ष्मण युद्ध, लक्ष्मण मूर्छा राम विलाप, हनुमान का संजीवनी लाने, भरत हनुमान मिलन का वर्णन किया अहंकारी लोगों को संतों की पूछ से कष्ट होता है रावण को हनुमान की पूँछ से नफरत थी तो उसे पकड़कर उखाड़ने के लिए दौड़े तो उन्हे आकाश में उड़ा ले गए। अंत मे राम रावण युद्ध एवं राम जी के अयोध्या वापसी तथा राज तिलक की कथा का वर्णन कर कथा की समापन किए।संध्या झांकी में राम दरबार एवं राजतिलक की झांकी के दर्शन लाभ भक्तजनों को मिला जिसे समाजसेवी शीतल ध्रुव व लिखने कंवर ने तैयार किया था। आज मानस परायण के अंतिम दिवस महा शिवरात्रि पर्व पर 8 मार्च की शुरुआत प्रात: भजन कीर्तन साथ होगा साथ ही परायण का अंतिम परायण के साथ साथ प्रतिवर्ष की भांति दोपहर बाद 3:30 बजे पूर्णाहुति की जाएगी पश्चात झांकी के साथ शोभा यात्रा निकाली जाएगी।इससे पूर्व दोपहर में मध्यान्ह आरती के पश्चात 1:30 बजे से सभी के लिए भंडारा भोजन प्रसाद वितरण किया जाएगा।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *