
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। स्व.खुशी ध्रुव की स्मृति में संगीतमय श्रीमद् भागवत पुराण कथा का आयोजन हल्बापारा में आयोजित किया जा रहा है तीसरे दिन व्यासपीठ से बोलते हुए पंडित दिनेश्वर प्रसाद शर्मा पंचकोशी धाम मौलीपारा ने कहा भगवान की भक्ति करनी है तो पहले अपने मन को निर्मल करे। भगवान भाव के भूखे हैं जहां तक बन सको सरल बनने का प्रयास करिए ताकि सभी आपसे बड़े प्रेम से मिल सके आप ईश्वर को जिस भाव से पुकारेंगे ईश्वर वह उसी भाव से आपको मिलेगा। जड़ भरत इतना सरल था उन्हें जिस कार्य के लिए भेजा जाता वह उन्हीं के साथ मिलकर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाता कभी खेतों में फसल की रखवाली करता वहां भी ईश्वर की भक्ति में ऐसे डूब जाता कब फसल को पशु पक्षी खाकर चला जाता और जब मालिक आकर डांट लगाते तो वह चूपचाप सुनकर यही कहता जिसका जिसके भाग्य में लिखा था वह उसी का है जो दाना उसके हिस्से में था वह उसे मिल गया अब चिल्लाने से क्या फायदा इतना सरल थे जड़ भरत ऐसे ही सरल भक्तों को ईश्वर की भक्ति मिलती है। ईश्वर की भक्ति में कभी भी दिखावा न करें क्योंकि ईश्वर किसी प्रकार के ऊच नीच जाति पाती नही देखते जो भक्ति करनी है उनमें निर्मलता,सरलता, अपनापन की भाव होनी चाहिए जिस प्रकार से पानी में आप जो भी रंग डालोगे पानी भी वही रंग में परिवर्तित हो जाता हैं वैसे ही ईश्वर को आप जिस भाव से पुकारोगे ईश्वर भी उसी भाव से हमें मिलेंगे। अमन शर्मा के द्वारा एक से बढ़कर एक ईश्वर भजन सुनाकर उपस्थित भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। बाहर से आने वाले सभी भक्तजनों के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई हैं।