लापता सांसद ज्योत्सना महंत बतौर कांग्रेस प्रत्याशी 5 सालों बाद हुई प्रकट.. कुसमुंडा, गेवरा, दीपका क्षेत्र में हुआ पुतला दहन

कांग्रेस प्रत्याशी घोषित होने पर सात दिवस पूर्व ही हुई सक्रिय, चुनावी दौरे पर चुनावी खेला

कोरबा लोकसभा क्षेत्र के लिए सांसद और कांग्रेस प्रत्याशियों ने 5 सालों में कुछ नहीं किया

लोकसभा क्षेत्र की जनता में सांसद के कार्यकाल पर भारी आक्रोश



कोरबा(गंगा प्रकाश)। लोकसभा चुनाव की रणनीति को तैयार करने के लिए कद्दावर नेताओं के द्वारा सक्रिय होने की खबर अब देखने को मिल रही है। कोरबा लोकसभा क्षेत्र में जिन्होंने 5 सालों में कुछ नहीं किया वे अब जनता के आगे झोली फैलाकर वोट मांगने के लिए नजर आएंगी।
इन 5 सालों में कोरबा वासियों तथा आम लोगों और कोयला खदान से संबंधित प्रभावित क्षेत्रों तथा रोजगार,पर्यावरण, शिक्षा, जल अन्य से संबंधित जटिल समस्याओं को अनदेखा करते हुए प्रभावित क्षेत्रों में भ्रमण नही करते हुए लगातार सांसद ज्योत्सना महंत ने कोरबा में अपने कुछ खास और करीबी लोगों के लिए ही काम किया है। पांच साल तक जनता जिनका चेहरा देखने के लिए तरसती रही, अब वह खुद वोट मांगने के लिए नजर आएँगी |

आम लोगों का कहना है कि–

पिछले 5 सालों में ज्योत्सना महंत ने जनता के लिए किया ही क्या है। वे अधिकांश समय दिल्ली और रायपुर में ही बिताई है कोरबा के लिए वह एक प्रवासी ही रह गई थी। ज्योत्सना महंत कोरबा प्रवास पर आती भी थी तो कुछ अपने करीबी लोगो के यहाँ ठहर कर यहाँ से रवाना हो जाती थी। उन्हें जनता के दुःख दर्द और उनके परेशानियों से कोई मतलब नही था। जनता अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए उन्हें तलाशती रहती थी। आलम यह था की चुनाव जीतने के बाद उनका अधिकांश समय दिल्ली और रायपुर में बीता कोरबा के लिए वह एक प्रवासी ही रह गई थी। ऐसी स्थिति में जनता क्यों वोट उन्हें देगी। आज जनता सवाल पुछ रही है की आखिर क्या काम उन्होंने कोरबा लोकसभा क्षेत्र में किया है जिसपे वह वोट मांग रही है। जिस सांसद को अपने क्षेत्राधिकार के जनता से कोई मतलब और लेना-देना नहीं तो जनता ऐसे सांसद का सपोर्ट और ऐसे सांसद प्रत्याशी को आखिर क्यों वोट देना चाहेगी..?

कुसमुंडा, गेवरा, दीपका कोयला खदान क्षेत्र के स्थाई निवासियों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश

स्थाई निवासियों और ग्रामीणों का कहना है कि संसद ज्योत्सना महंत पिछले 5 सालों में हम बेरोजगार ग्रामीण तथा स्थाई निवासियों के क्षेत्र में एक बार भी भ्रमण नहीं किया गया है। एसईसीएल कुसमुंडा, गेवरा, दीपका कोयला खदान खुली हुई है। एसईसीएल के द्वारा हमारे जमीनों को छलपूर्वक अधिग्रहण कर लिया गया बदले में हमें रोजगार, बसाहट, मुआवजा एवं अन्य सुविधाओं से वंचित भी किया गया। पिछले 40 वर्षों से हमारे जमीनों को अधिग्रहण कर हमें घर से बेघर कर दिया गया। आज ऐसी स्थिति बनी है कि हमें न हीं रोजगार मिला और ना ही बसाहट, मुआवजा। इसी प्रकार कोयला खदान खुलने से पर्यावरण पूरी तरह के से प्रदूषित हो चुकी है। हम दूषित वातावरण में जीवन यापन कर रहे हैं। शासन, प्रशासन और एसईसीएल इस मामले पर ध्यान आकर्षित नहीं करते हुए एक प्रकार से स्थाई निवासियों और भू विस्थापित ग्रामीणों के साथ शोषण कर रहे हैं। पिछले 5 सालों में कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की कोई काम नहीं की गई है और ना ही एक बार भी इन क्षेत्रों में भ्रमण नहीं किया गया। हम लोगों ने बार-बार आवेदन देनी चाही परंतु हमारे आवेदन का भी अनादर किया गया साथ ही अधिकांश समय दिल्ली और रायपुर में गुजारी। अब लोकसभा चुनाव नजदीक है तथा कांग्रेस ने फिर से ज्योत्सना महंत को प्रत्याशी के रूप में चुना है। जिससे कि सांसद ज्योत्सना महंत के द्वारा फिर से चुनावी राजनीति को लेकर मैदान में उतर रही है। अगर हमने इस बार फिर से उन्हें जीताने की चेष्टा की तो हमारा पतन निश्चित है। इसी बात को लेकर पर्यावरण प्रदूषित क्षेत्र के प्रभावित लोगों के द्वारा नारेबाजी करते हुए सांसद ज्योत्सना महंत की पुतला दहन की गई। और साथ ही यह संकल्प लेते हुए कहा कि हमें ऐसे सांसद की जरूरत नहीं जो जनता की बातों को दरकिनार करते हुए अनदेखा करें।

जिला कोरबा में दिग्गज नेताओं का है निवास स्थल

जिला कोरबा ऊर्जाधानी नगरी के नाम से छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं समूचे भारत में प्रसिद्ध है। इस जिले में कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेताओं का निवास स्थल है। यहां की पर्यावरण और सड़के हानिकारक मिट्टी, राखड़,धूल, डस्ट की गुब्बारों से बारों मास ढकी हुई रहती है। समूचे जिले में पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इस जिले में अनेकों प्रकार के पावर प्लांट एवं कोयला खदान संचालित है। यहां दिग्गज नेताओं का निवास स्थल व निवासी होने के बावजूद पर्यावरण प्रदूषण को लेकर पर्यावरण विभाग के ऊपर कोई  कार्रवाई नहीं की जाती रही है। पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम के लिए उठाए गए कदम भी सिर्फ दिखावे और राजनीति के लिए होती है।

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