
सरपंच और सचिव संघ ने लगाया शिव सेना जिला अध्यक्ष पर अवैध वसूली और जाति सूचक गाली और जान से मारने की धमकी का आरोप?

गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। भारत को द्रौपदी मुर्मू के रूप में पहली बार आदिवासी राष्ट्रपति मिल गई तो वन्ही दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ को विष्णु देव साय के रूप में आदिवासी मुख्यमंत्री मिल गया लेकिन धरातल पर आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध के अलग से आंकड़े इकठ्ठा करता है और ब्यूरो की रिपोर्टें दिखाती हैं कि इस तरह के मामलों में कोई कमी नहीं आ रही है।लगातार कन्हि न कन्हि किसी न किसी रूप में आदिवासी पर अत्याचार होते ही रहा हैं। यहां पर बताना लाजमी होगा कि बीते बुधवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कानून व्यवस्था को लेकर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए राज्य के कलेक्टर और एसपी अन्य अधिकारियों की बैठक ली थी। मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंस के दौरान योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही और कानून व्यवस्था को लेकर प्रदेश के समस्त जिलों के कलेक्टर और एसपी को शख्त दिशा निर्देश दिए थे,मुख्यमंत्री साय ने कॉन्फ्रेंस में अधिकारियों को कड़े तेवर दिखाते हुए कहा था कि योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। सीएम ने कहा था कि किसानों को बेवजह दफ्तर के चक्कर न लगवाएं। राजस्व प्रकरणों का प्राथमिकता से निराकरण करें। किसी भी जिले से अगर भ्रष्टाचार, शराब, जुआ अन्य मामलों से संबंधित की शिकायत मिली तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अपराधिक मामलों पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कॉन्फ्रेंस के दौरान अधिकारियों को कड़ी निर्देश व नसीहत दी गई थी।सीएम साय ने इस दौरान प्रदेश के विभन्न जिलों में हो रही आपराधिक वारदातों को लेकर पुलिस अधीक्षकों को फटकार लगाई और गुंडागर्दी तथा अपराधों की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के कड़े निर्देश दिए थे सीएम ने कहा था कि अपराधियों में पुलिस का भय होना चाहिए।बाबजूद उसके ताजा मामला आदिवासी बाहुल्य ज़िला गरियाबंद से सामने आया हैं जहां जनपद पंचायत कार्यालय गरियाबंद के मुख्य द्वार पर ग्राम पंचायत छिंदोला के आदिवासी सरपंच संतोष कुमार ध्रुव को शिव सेना के जिला अध्यक्ष राठौर द्वारा जाति सूचक गाली गलौज कर अपमानित करते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की धमकी के साथ देख लेने की धमकी दी गई हैं।जिसकी शिकायत आदिवासी सरपंच संतोष ध्रुव द्वारा अजाक थाना गरियाबंद में की हैं।

अवैध वसूली और ब्लैकमेल का धंधा बन गया है RTI कानून?
हालाकि सूचना का अधिकार अधिनियम आम आदमी का अधिकार हैं कोई भी व्यक्ति इस कानून के तहत आवेदन प्रस्तुत कर वित्त पोषित विभागों से जानकारी हासिल कर सकता हैं ऐ सभी भारतीय नागरिकों का अधिकारी हैं किंतु अब ऐ कानून को कुछ लोगो ने अपना अवैध वसूली का गोरख धंधा बना लिया हैं। ऐ हम नही माननीय
सुप्रीम कोर्ट ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) एक्ट के दुरुपयोग पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह कानून ब्लैकमेल का धंधा बन गया है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब आरटीआई कानून का इस्तेमाल लोगों को धमकाने या डराने के लिए किया जाता है। इसका दुरुपयोग रोकने के लिए दिशानिर्देश बनाए जाने की जरूरत है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई की थी जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को सूचना आयुक्तों की नियुक्ति करने की गुहार लगाई गई थी। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने जब मामले में कोर्ट के पूर्व आदेशों का हवाला दिया तो चीफ जस्टिस ने आरटीआई कानून के दुरुपयोग का मामला भी उठाया था कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां इसका इस्तेमाल ब्लैकमेल करने के लिए किया गया है।
कानून के कारण लोग निर्णय लेने से डरते हैं। कोई अधिकारी कुछ लिखना नहीं चाहता। इस पर भूषण ने कहा था कि अधिकारी तब डरते हैं, जब वह गैरकानूनी काम करते हैं। जवाब में पीठ ने कहा कि हर व्यक्ति हर चीज गैरकानूनी नहीं करता। आरटीआई एक्ट का उद्देश्य ऐसी जानकारियां हासिल करने से होता है, लेकिन हम देख रहे हैं कि जिन लोगों का किसी मुद्दे से कोई सरोकार नहीं होता, वह भी आरटीआई दाखिल कर देता है। क्या आरटीआई सक्रियतावाद अब पेशा बन गया है? मुंबई में हमने देखा है कि लेटरहेड पर ऐसा लिखा होता है। यह धारा-506 (आपराधिक धमकी) के तहत आ सकता है। यह बेहद गंभीर मसला है।
चीफ जस्टिस ने खेद व्यक्त किया कि आरटीआई आवेदन गलत मंशा के साथ भी दाखिल की जाती है। हम आरटीआई कानून के खिलाफ नहीं, लेकिन क्या जरूरी नहीं है कि इसे लेकर कुछ दिशानिर्देश हों? यह बेलगाम अधिकार है। इस पर भूषण ने कहा कि जनहित के लिए जानकारी हासिल करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे भ्रष्टाचार उजागर होता है। जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा, हम जानना चाह रहे हैं कि इसका दुरुपयोग कैसे रोका जाए, लेकिन आप बहस कर रहे हैं। जनहित याचिकाओं के मामलों में भी हम चौकन्ना रहते हैं। पीठ ने भूषण को दिशा निर्देश बनाने के बारे में विचार करने को कहा था।
सरपंच संघ ने लगाया वेश कुमार राठौर पर अवैध वसूली का आरोप

बताते चले कि सरपंच संघ गरियाबंद ने अजाक थाना प्रभारी को लिखित आवेदन प्रस्तुत कर शिव सेना जिला अध्यक्ष वेश कुमार राठौर पर आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत छिंदौला के आदिवासी सरपंच संतोष ध्रुव को वेश कुमार राठौर द्वारा जाति सूचक गाली देते हुए जान से मारने की धमकी दिया हैं। साथ ही सरपंच संघ का कहना हैं कि पैसा नहीं देने पर वेश कुमार राठौर द्वारा लगातार गरियाबंद जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायत गुजरा,पंडरीपानी,पीपर छेड़ी, हांथवाय, दसपुर, दांतवाय, डूमरबहारा,मोहाभाटा, कोंदकेरा,नवागढ़ में सूचना का अधिकार अधिनियम का दुरुउपयोग कर अवैध वसूली की जाति हैं अगर कोई सरपंच इन्हे पैसे नहीं देता हैं तो सूचना का अधिकार लगाकर सरपंचों को परेशान करता है जब इससे भी बात नही बनती तो वेश कुमार राठौर द्वारा ग्राम पंचायत गुजरा, छिंदोला,कोकड़ी की मनघड़ंत आरोप लगाकर जांच हेतु आवेदन प्रस्तुत किया हैं और पंचायतों के सामने कथित भीड़ जुटाकर धरना प्रदर्शन करता हैं।
आदिवासियों पर अत्याचार के मामले में चौथे पायदान पर छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर हो रहे अत्याचार के मामलों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के आदिवासी इलाकों में महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में छत्तीसगढ़ चौथे पायदान पर है। हाल यह है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर देश की तुलना में साढ़े छह फीसदी अत्याचार हो रहे हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के बाद सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के आदिवासी नेताओं ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी बहुल बस्तर में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2014 में आदिवासी अत्याचार के 721 मामले दर्ज किए गए। आदिवासी क्षेत्रों में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह आंकड़ा और भी ज्यादा है। अधिकांश मामलों में शिकायत थानों तक नहीं पहुंच पाती। आदिवासियों में जागृति के कारण इतनी संख्या में मामले थानों में दर्ज हुए। इससे पहले इसकी संख्या काफी कम होती थी।वाम नेता चितरंजन बख्शी ने कहा कि देश में आदिवासी बहुल 11 राज्यों में हालत एक जैसी है। शोषणकारी, अत्याचारी समाज नंबरों के जाल में लोगों को फंसाने का काम कर रही है। छत्तीसगढ़ चौथे नंबर है तो आदिवासी विरोधी यह तर्क देंगे कि तीन राज्यों से तो स्थिति बेहतर ही है। नंबर सिर्फ भ्रम पैदा करने के लिए बनाया जाता है। श्री बख्शी ने कहा कि सरकार के पास इसका कोई निदान नहीं है। आदिवासियों को एकजुट होकर अत्याचार के खिलाफ लड़ना होगा। गुजरात से लेकर मध्य भारत, पश्चिम भारत और उत्तर भारत में आदिवासियों को पहले संवैधानिक अधिकारों से बेदखल किया जा रहा है, फिर उन पर अत्याचार किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है। यहां आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के मामले को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार के क्या कारण हैं। किन कारणों से आदिवासियों को प्रताड़ित किया जा रहा है, इसकी सरकार को जानकारी लेनी चाहिए और समीक्षा करनी चाहिए। आदिवासियों पर अत्याचार रोकने के लिए चाहे कोई भी सरकार हो, उसे उचित और ठोस कदम उठाना चाहिए।

क्या कहते हैं वेश कुमार राठौर
इस संबंध वेश कुमार राठौर शिव सेना जिला अध्यक्ष गरियाबंद से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि लगातार छिन्दोला के ग्रामीणों से सरपंच और सचिव के विरुद्ध बार बार भ्रष्ट्राचार के संबंध में शिकायत मिल रहीं थी जिस पर मैने जांच हेतु आवेदन प्रस्तुत किया था।सरपंच और सचिव द्वारा अपने भ्रष्ट्राचार रूपी कृत्यों को छुपाने मन घड़ंत आरोप लगा रहें हैं उस दिन की सरपंच संतोष ध्रुव के साथ मेरा जो भी संवाद हुआ हैं उसकी पूरी विडियो रिकार्डिंग हुई हैं।मौके पर एडिशनल सीईओ और पुलिस प्रशासन के साथ तहसीलदार भी मौके पर उपस्थित थे और समाज का चौथा स्तंभ मिडिया और पत्रकार भी उपस्थित थे मेरे द्वारा किसी जाति विशेष को गाली या धमकी नही दिया गया हैं।वीडियो देख सकते हैं।और सूचना का अधिकार अधिनियम सभी के लिए हैं ऐ आम जनता का अधिकार हैं जो की हमे संविधान ने दिया हैं।मेरे द्वारा किसी भी सरपंच और सचिव को ब्लैकमेल कर अवैध वसूली नहीं किया गया हैं।अगर किसी से लिया हूं तो प्रमाण प्रस्तुत किया जाए।
मैं एक पढ़ा लिखा जनप्रतिनिधि हु मुझे ST /SC एक्ट के बारे में भली भांति जानकारी है , पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने हेतु मैं सामने आ रहा हु तो मुझ पर व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने की कोशिश की जा रही है ,ग्राम पंचायत छिंधोला में जो खुला भ्रष्टाचार हुआ है उसके विरूद्ध ग्राम पंचायत छिंदोला के ग्राम वासी साक्ष्य है , मेरे द्वारा उनको व्यक्तिगत किसी भी प्रकार का गाली गलौज नही किया गया है और ना ऐसा कुछ बोला गया जिससे उनके सम्मान को ठेस पहुंचे मैं शांति पूर्ण तरीके से भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन कर रहा था जो की हर आम नागरिक का अधिकार है , पूर्व मे मेरे दवारा गुजरा पंचायत का भी भरस्टाचार के लिए जिसमे सचिव द्वारा गरीब पीड़ित मजदूरों का पैसा विगत 2 वर्षो से नहीं दिया गया था उसके खिलाफ भी मैंने मोर्चा खोल कर भरस्टाचार को उजागर किया उसके बाद जिला पंचायत C. E. O. मैडम के द्वारा गुजरा पंचायत के सचिव को निलंबित भी किया गया था लेकिन उसी सचिव के द्वारा पीड़ित मजदूर को जान से मरने की धमकी दे कर गली गलौच दिया जिसका मामला आज भी कोर्ट मे चल रहा है ऐसे बहुत सारे मामले है जिसमे एट्रोसिटी एक्ट का गलत उपयोग कर उनको फसाया गया बाद में माननीय न्यालय ने उनको निर्दोष पाया यह सब उदहारण है की कैसे कुछ सरपंच अपने द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को छुपाने हेतु एक्ट का गलत तरीके से उपयोग करते है , एक पंचायत का उजागर होता देख बाकी के सरपंच सचिव भ्रष्ट सरपंच संतोष कुमार को संरक्षण देकर ग्रामीण स्तर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है जिससे आम नागरिक शासन के योजनाओं से वंचित रहता है ,

गंगा प्रकाश

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भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन हर नागरिक का अधिकार है और मैं शांति पूर्ण तरीके से वही कर रहा था।अगर मामले में मैं किसी भीं प्रकार से दोषी पाया गया तो मुझ पर कार्यवाही करें परन्तु मैं अगर दोषी नहीं पाया गया तो मैं फर्जी ऐट्रोसिटी लगाने वालों के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में रीट के तहत चुनौती दूंगा ।
चुकी मैं एक गैर आदिवासी हु इसलिए मुझे फसाया जा रहा है, यही अगर मैं खुद एक आदिवासी होता तो इन लोगो के द्वारा मुझे कुछ नहीं किया जाता
आदिवासी होना या आदिवासी कहलाना अपने आप मे एक गर्व की बात है जो इनको इनके पुरखो से इन्हे विरासत मे मिली है हमारे आदिवासी भाइयो को यह बात भूलनी नहीं चाहिए इनको इसका सदैव सदुपयोग ही करना चाहिए।