
राजनांदगांव संसदीय सीट पर आयात किए जाएंगे बाहरी कार्यकर्ता,कांग्रेस में बगावत…
रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के खिलाफ बगावती सुर तेजी से उठ रहे हैं। EOW में महादेव ऐप घोटाले में दर्ज़ F.I.R.के बाद पार्टी के कई नेता बघेल की उम्मीदवारी पर ही सवालिया निशान लगा रहे हैं। उन्हें अंदेशा है कि राजनांदगांव संसदीय सीट में बाहरी बनाम स्थानीय सांसद का मुद्दा उछलने से कांग्रेस के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। यहां पहले ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बघेल बुरी तरह से घिर गए हैं,2 दिन पहले आयोजित एक कार्यकर्ता सम्मेलन में भू-पे को जमकर खरी खोटी सुनाई गई थी। कई कार्यकर्ताओं ने मंच पर ही बाहरी बनाम स्थानीय प्रत्याशी का हवाला देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के खिलाफ बगावत के सुर छेड़ दिए हैं।
यह भी बताया जा रहा है कि इस सीट पर कांग्रेस को प्रचार प्रसार के लिए कार्यकर्ता ढूंढे नही मिल रहे हैं। लिहाजा भू-पे खेमे के चुनाव संचालक ने बाहरी जिलों से कार्यकर्ताओं को जुटाना शुरू कर दिया है। इसके एवज में उन कार्यकर्ताओं को अच्छे खासे मेहनताना देने के लिए आश्वस्त भी किया गया है।भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राज्य में ऐसी रार छिड़ी है कि कांग्रेस के भीतर ही पूर्व मुख्यमंत्री का विरोध शुरू हो गया है। बताते हैं कि राजनांदगांव के कई गांव कस्बों में भू-पे बघेल की खिलाफत शुरू हो गई है। हालात पर काबू पाने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी अपनी कवायतें शुरू कर दी है। राजनांदगांव में पहले ही कार्यकर्ता सम्मेलन में भूपेश बघेल के खिलाफ कार्यकर्ताओं का गुस्सा देखने को मिला है। मंच पर आसीन बघेल को कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जमकर खरी खोटी सुनाई है।
स्थानीय नेता सुरेंद्र दाऊ ने तो यह तक कह डाला था कि बीते 5 साल तक आम कार्यकर्ता मुख्यमंत्री से मिलने तक के लिए तरस गए थे,ना तो निष्ठावान कार्यकर्ताओं को काम मिला और ना सम्मान मिला और ना ही उनके कोई कार्य किए गए थे। दाऊ ने भू-पे पर अपनी भड़ास निकालते हुए यह भी कहा कि इस दर्द से प्रदेश भर के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को प्रताड़ना भी झेलनी पड़ी है। उन्होंने पार्टी को अपने निष्कासन तक की चेतावनी दे डाली थी। सुरेंद्र दाऊ का यह विडियो आम पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। भू-पे विरोध के ये स्वर सिर्फ राजनांदगांव ही नही बल्कि समूचे छत्तीसगढ़ में सुनाई दे रहे हैं। उनके नेतृत्व में घोटालों की लंबी फेहरिस्त और सबूतों के भी उजागर होने से बघेल को “भ्रष्टाचार शिरोमणि” का तमगा भी दिया जा रहा है। पीड़ितों के मुताबिक बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर बघेल ने कांग्रेस की जड़ों पर ही मठा डाल दिया है।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राम कुमार शुक्ला ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को ई-मेल कर पार्टी के अंदरूनी हालातों से भी अवगत कराया है। इसमें बघेल की उम्मीदवारी को लेकर सवालिया निशान लगाए गए हैं। राम कुमार शुक्ला पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्यामाचरण शुक्ल के सलाहकार भी रह चुके हैं। छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव संसदीय सीट पर निर्वृतमान स्थानीय सांसद संतोष पांडेय एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं। जबकि भिलाई से सटे पाटन विधान सभा क्षेत्र से विधायक बघेल बतौर संसदीय प्रत्याशी राजनांदगांव से भाग्य आजमा रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि वे अपने गृहनगर दुर्ग से ही लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।ऐसे में स्थानीय बनाम बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी छाया हुआ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरूण सिंह सिसोदिया ने भी भ्रष्टाचार का मुद्दा उछाल कर भू-पे बघेल के सामने नई मुसीबतें खड़ी कर दी है। उनका मकसद कांग्रेस को पहले भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है।सिसोदिया ने पार्टी आलाकमान को लिखे अपने पत्र में कहा है कि भू-पे ने अपने करीबी रिश्तेदार (साले) पूर्व सरकार के सलाहकार विनोद वर्मा को गैर-कानूनी रूप से उपकृत किया था।
उनके बेटे की मीडिया कंपनी को पार्टी फंड से 5 करोड़ 89 लाख रुपए मुफ्त में दे दिए गए। इसके लिए तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम की भी अनुमति नही ली गई थी। सिसोदिया ने कांग्रेस की खराब स्थिति के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को जिम्मेदार ठहराया है। उधर पार्टी सूत्र दावा कर रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस की हालत काफी नाजुक है। बघेल को प्रत्याशी बनाने से सभी 11 सीटों पर खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में पार्टी ने निष्ठावान नेताओं को बुलावा भेजा है, जिन्हें हर हाल में सीटें जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी ने उन नेताओं की सुध भी ली है, जिन्हें हाल ही के विधान सभा चुनाव में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इसमें मनेंद्रगढ़ के पूर्व विधायक विनय जायसवाल और बिलासपुर के मेयर रामशरण यादव का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। इन दोनों ही नेताओं का निलंबन तत्काल समाप्त कर उनकी पार्टी में पुनर्वापसी भी कराई गई है। बताते हैं कि बेलतरा विधान सभा चुनाव में टिकट की मारामारी के दौरान संभावित उम्मीदवारों से लेनदेन का मामला सामने आया था।
इसमें तत्कालीन प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को 4 करोड़ रूपए देने संबंधी एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। इसके बाद बिलासपुर के मेयर रामशरण यादव को अनुशासनहीनता के चलते निलंबित भी कर दिया गया था। बीती रात उनकी कांग्रेस में आमद दर्ज हो गई है। यही वाक्या तत्कालीन विधायक विनय जायसवाल के साथ भी सामने आया है। विधान सभा चुनाव के दौरान जायसवाल ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन प्रदेश प्रभारी सचिव चंदन यादव को उनके द्वारा 7 लाख रुपए दिए गए थे टिकट दिलवाने के एवज में उन्होंने यह रकम देने वाले व्यक्ति और स्थान का भी हवाला अपने वक्तव्यों में दिया था। अब तक 2 महीनों से निष्कासित रहे पूर्व विधायक जायसवाल को भी राहत मिली है।


कांग्रेस की खस्ता हालत को सुधारने के बजाए कई नेता मानते हैं कि अब उन नेताओं को तवज्जो दी जा रही है, जिन्होंने विधान सभा चुनाव के दौरान उम्मीदवारी चयन को लेकर पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर ही लेन-देन के आरोप लगाए थे। इस मामले में पूर्व विधायक विनय जायसवाल का माफीनामा चर्चा में है। इसमें जायसवाल ने साफ किया है कि टिकट ना मिलने के चलते ऐसे झूठे आरोप उनके द्वारा लगाए गए थे। पार्टी के कई नेता इस माफीनामे को भू-पे की भ्रष्टाचार नीति से जोड़कर देख रहे हैं। उनकी दलील है कि महज टिकट कटने से नाराज विधायक अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं, उनकी भी पुनर्वापसी हो रही है, ऐसे मामलों से कांग्रेस की छवि पर ही बट्टा लग रहा है।
बहरहाल महादेव ऐप मामले में बघेल पर दर्ज F.I.R. उनके राजनैतिक भविष्य के लिए फांस बन गई है। बघेल सरकार के भ्रष्टाचारों पर एक समय उनके विश्वासपात्र रहे अधिकारी ही अब अपनी मुहर लगा रहे हैं।नौकरशाही और पीड़ितों की ओर से बघेल को प्रदेश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री करार दिया जा रहा है। उन्हें भ्रष्टाचार शिरोमणि के नाम से पुकारे जाने से कांग्रेस को चुनाव पूर्व ही तगड़ा झटका लगा है। यह देखना गौरतलब होगा कि पूर्व सीएम भू-पे अपने कदम किस ओर बढ़ाते हैं? ना मिलने के चलते ऐसे झूठे आरोप उनके द्वारा लगाए गए थे। पार्टी के कई नेता इस माफीनामे को भू-पे की भ्रष्टाचार नीति से जोड़कर देख रहे हैं। उनकी दलील है कि महज टिकट कटने से नाराज विधायक अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं, उनकी भी पुनर्वापसी हो रही है, ऐसे मामलों से कांग्रेस की छवि पर ही बट्टा लग रहा है।
बहरहाल महादेव ऐप मामले में बघेल पर दर्ज F.I.R. उनके राजनैतिक भविष्य के लिए फांस बन गई है। बघेल सरकार के भ्रष्टाचारों पर एक समय उनके विश्वासपात्र रहे अधिकारी ही अब अपनी मुहर लगा रहे हैं।नौकरशाही और पीड़ितों की ओर से बघेल को प्रदेश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री करार दिया जा रहा है। उन्हें भ्रष्टाचार शिरोमणि के नाम से पुकारे जाने से कांग्रेस को चुनाव पूर्व ही तगड़ा झटका लगा है। यह देखना गौरतलब होगा कि पूर्व सीएम भू-पे अपने कदम किस ओर बढ़ाते हैं? ना मिलने के चलते ऐसे झूठे आरोप उनके द्वारा लगाए गए थे। पार्टी के कई नेता इस माफीनामे को भू-पे की भ्रष्टाचार नीति से जोड़कर देख रहे हैं। उनकी दलील है कि महज टिकट कटने से नाराज विधायक अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं, उनकी भी पुनर्वापसी हो रही है, ऐसे मामलों से कांग्रेस की छवि पर ही बट्टा लग रहा है।
बहरहाल महादेव ऐप मामले में बघेल पर दर्ज F.I.R. उनके राजनैतिक भविष्य के लिए फांस बन गई है। बघेल सरकार के भ्रष्टाचारों पर एक समय उनके विश्वासपात्र रहे अधिकारी ही अब अपनी मुहर लगा रहे हैं।नौकरशाही और पीड़ितों की ओर से बघेल को प्रदेश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री करार दिया जा रहा है। उन्हें भ्रष्टाचार शिरोमणि के नाम से पुकारे जाने से कांग्रेस को चुनाव पूर्व ही तगड़ा झटका लगा है। यह देखना गौरतलब होगा कि पूर्व सीएम भू-पे अपने कदम किस ओर बढ़ाते हैं?


रामगोपाल अग्रवाल गुट ने किया, प्रदेश कमेटी के कोष का 5 करोड़ 89 लाख का गबन,AICC सदस्य ने दीपक बैज को लिखा पत्र
रामगोपाल अग्रवाल गुट ने छत्तीसगढ़ प्रदेश कमेटी के कोष का 5 करोड़ 89 लाख रुपए गबन किया है। AICC सदस्य अरुण सिंह सिसोदिया ने दीपक बैज को लिखे पत्र में यह आरोप लगाया है। अरुण सिंह सिसोदिया ने पत्र में बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल द्वारा अपने मित्र और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनितिक सलाहकार विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी टेसू मीडिया लैब गाजियाबाद को 5 करोड़ 89 लाख रुपए बिना प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम व प्रभारी महामंत्री की जानकारी व अनुमति के बिना ही भुगतान किया गया है जबकि कोषाध्यक्ष को कार्यादेश जारी करने का अनुमति ही नहीं है । जबकि बायलोज के अनुसार प्रदेश कार्यकारणी में प्रस्ताव लाकर पास करना आवश्यक है । और प्रदेश अध्यक्ष के नोट शीट ऐप्रूवल लिया जाना जरूरी है।
विदित हो की सरकार आने के बाद भी सगठन को किसी प्रकार आर्थिक सहयोग नहीं दिया जाता था हमारे द्वारा कई बार बैठक में और प्रभारी कुमारी सैलजा से अनुरोध व मांग करने के बावजूद ब्लाक अध्यक्ष व जिला अध्यक्ष को 5-10 हजार मासिक सगठन के कार्य करने नहीं दिया गया पर अपने परिवार के लोगों को एक कमरे में बैटकर कार्यादेश व गवाह निजी लोगों को बनाकर भुगतान कर दिया गया, साथ ही जो रकम 10 लाख 6 लाख व 3 लाख यानि 19 लाख प्रति माह मुगतान किया गया वो वर्तमान में 10 गुना है यानि प्रति माह 20 लोगो की टीम 3 लाख में कार्य कर रही है जैसा की आपको पूर्ण विदित है। आगे उन्होंने दीपक बैज से मांग की है कि 5 साल में ही सरकार और संगठन में मनमानी करने वाले गिरोह को पार्टी से बाहर किया जाए व हार के जिम्मेदार लोगो को सक्रिय राजनीति व पार्टी से दूर रखा जाए तभी पार्टी का उत्थान संभव है।
भ्रष्टाचार पर बैकफुट पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस, भूपेश बघेल के साथ फंसे कई नेता
बताते चलें कि लोकसभा चुनाव के बीच भ्रष्टाचार के मामले में चौतरफा घिरी छत्तीसगढ़ कांग्रेस बैकफुट पर है। पिछले विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की मुश्किलें अब और भी बढ़ गई हैं। दरअसल, महादेव आनलाइन सट्टा एप मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ एफआइआर होने बाद प्रदेश में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था।।
लोकसभा चुनाव के लिए चल रही सभाओं व जनसंपर्क अभियान के दौरान भाजपा लगातार कांग्रेस पर हमलावर है। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने कुछ इसी तरह से भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया था।
संकट के दौर में कांग्रेस
महादेव एप मामला समेत कोयला घोटाला, शराब घोटाला, चावल घोटाला, डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड घोटाले में कई कांग्रेसियों के नाम आने के बाद पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनांदगांव लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में भूपेश की मुश्किलें बढ़ने के साथ-साथ पार्टी पर संकट के बादल छा गए हैं। महादेव एप मामले में जहां भूपेश कटघरे में हैं, तो वहीं कोयला घोटाला मामले में कांग्रेस के विधायक देवेंद्र यादव समेत कई नेताओं की जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।
देवेंद्र को कांग्रेस बिलासपुर लोकसभा से प्रत्याशी बनाने की तैयारी में है। इसके अलावा पूर्व मंत्री अमरजीत भगत, पूर्व मंत्री कवासी लखमा समेत अन्य विधायकों पर भी भ्रष्टाचार के मामले की जांच छत्तीसगढ़ में प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में चल रही है।
शराब घोटाला, ट्रांसफर घोटाला, गोबर घोटाला, ग्राम सभा सदस्य घोटाला, चावल घोटाला,खदान घोटाला… छत्तीसगढ़ में हुआ कांग्रेस का हिसाब-किताब?
बताते चले की छत्तीसगढ़ राज्य में पूर्व की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार पर घोटालों पर घोटालों को अंजाम देने के आरोप हैं, ऐसे में जनता कांग्रेस से खफा नजर आ रही थी। निवर्तमान भूपेश बघेल सरकार पर शराब घोटाला, ट्रांसफर घोटाला, गोबर घोटाला, ग्राम सभा सदस्य बनाने के नाम पर घोटाला, चावल घोटाला, खदान से जुड़े माल ढुलाई के काम में घोटाला के साथ ही महादेव बेटिंग ऐप जैसे घोटालों की लंबी फेहरिस्त है।भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंंत्री बनाया गया था, तो ऐसी रिपोर्ट्स थी कि उन्हें 2.5 साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है, अगले ढाई साल टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री होंगे। हालाँकि ऐसा नहीं हुआ। भूपेश बघेल तमाम गतिरोधों के बावजूद पूरे 5 साल मुख्यमंत्री बने रहे। टीएस सिंहदेव को आखिरी कुछ महीनों के लिए उपमुख्यमंत्री बनाकर चुप करा दिया गया। ऐसा टीएस सिंहदेव ने क्यों होने दिया, ये तो वही लोग जानें, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं की मानें तो भूपेश बघेल ने खुद को मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की।
उन पर भारतीय जनता पार्टी आरोप लगाती है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ को कांग्रेस पार्टी के लिए तिजोरी के तौर पर इस्तेमाल कराया। जिन चीजों का वादा करके वो सत्ता में आए थे, किया उसके ठीक विपरीत काम और घोटालों पर घोटालों को अंजाम दिया। कांग्रेस पार्टी के लिए फंडिंग की और खुद को सत्ता में बनाए रखा। हम इस लेख में भूपेश बघेल सरकार पर लग रहे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की लंबी सूची प्रकाशित कर रहे हैं, जिसके बाद सारी बातें दूध और पानी की तरह स्पष्ट हो जाएंगी।
महादेव सट्टेबाजी घोटाला
भारतीय जनता पार्टी आरोप लगा रही है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सीधे तौर पर इस घोटाले में शामिल हैं। इस कथित घोटाले के मास्टरमाइंड और एप के मालिक ने अपना एक वीडियो जारी कर कहा कि उसने भूपेश बघेल को 508 करोड़ रुपए नकद पहुँचाए हैं। ये पैसे चुनाव में इस्तेमाल किए गए हैं। उसने बताया कि एक-एक पैसों का हिसाब उसके पास है। बता दें कि महादेव सट्टेबाजी एप मामला 15000 करोड़ का अभी तो ज्ञात है, जाँच जारी है। इतने पैसों की ती मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, जिसपर ईडी ने केस दर्ज किया है। अभी ये कितना बड़ा घोटाला है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इस मामले में भूपेश बघेल के करीबी लोग जेल में बंद हैं।इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाकायदा चुनावी सभा में भूपेश बघेल से सवाल पूछा है कि वो बताएँ कि इन पैसों को उन्होंने कहाँ इस्तेमाल किया। पीएम मोदी ने पूछा, “मैं कांग्रेस से कुछ सवाल पूछना चाहता हूँ। महादेव सट्टेबाजी ऐप घोटाला 508 करोड़ रुपए का है और जाँच एजेंसियों ने इस मामले में बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की है। छत्तीसगढ़ के निवर्तमान सीएम का एक करीबी सहयोगी भी जेल में है। कांग्रेस को खुलासा करना चाहिए इसमें सीएम को कितना पैसा मिला? दिल्ली दरबार कितना पैसा पहुँचा?”
छत्तीसगढ़ पीसीएस घोटाला
इस घोटाले से जुड़ी हैरान करने वाली जानकारियाँ सामने आई है। छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन में नेताओं और अधिकारियों को बच्चों को सीधे एंट्री मिली, और उन्हें बड़े-बड़े पद भी दिए गए। प्रधानमंत्री ने भी इस घोटाले पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि कॉन्ग्रेस के गणितबाजों से सवाल PSC घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ के युवाओं का भी है… जिन हजारों युवाओं ने दिन-रात पढ़ाई करके, परीक्षा पास की थी, उनको किस फॉर्मूले से बाहर निकाला गया? कॉन्ग्रेस नेताओं के बच्चों को गणित के किस फॉर्मूले से भर्ती किया गया?
2000 करोड़ का शराब घोटाला
भूपेश बघेल ने वादा किया था कि कॉन्ग्रेस सत्ता में आएगी तो छत्तीसगढ़ में शराबबंदी करेगी। उल्टा भूपेश बघेल और उनके बेटे पर आरोप है कि उन्होंने कमीशनखोरी करके 2161 करोड़ रुपए का घोटाला किया जबकि अभी इसकी पूरी डिटेल भी सामने नहीं आई है। जो पकड़ा गया और जिसकी रिकवरी हुई है, यह उसकी जानकारी है। सच्चाई यह है कि छत्तीसगढ़ में हजारों करोड़ रुपए का शराब घोटाला हुआ है। इस मामले में ईडी चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है और बताया है कि एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के जरिए आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ।ज्ञात हो कि मई 2023 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के ‘घोटाले’ का भंडाफोड़ किया, जिसके बारे में माना जाता है कि यह शीर्ष राजनेताओं और नौकरशाहों की मदद से संचालित किया गया था। ईडी ने एक मुख्य आरोपी अनवर ढेबर को गिरफ्तार किया, जिसे रायपुर की एक अदालत ने ईडी की हिरासत में भेज दिया। अनवर ढेबर कांग्रेस नेता और रायपुर के मेयर ऐजाज़ ढेबर के भाई हैं।
गौरतलब है कि ईडी की जांच में इस रैकेट में शामिल पूरे सिंडिकेट का खुलासा हुआ था। ‘पीएमएलए जांच से पता चला कि अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में काम कर रहा था। अनवर ढेबर, एक निजी नागरिक होते हुए भी,उच्च-स्तरीय राजनीतिक अधिकारियों और वरिष्ठ नौकरशाहों की अवैध संतुष्टि के लिए समर्थित और काम करता था।
सिंडिकेट कैसे संचालित होता था?
प्रत्येक खरीदी गई नकदी के लिए सिंडिकेट द्वारा आपूर्तिकर्ताओं से प्रति केस 75-150 रुपये (शराब के प्रकार के आधार पर) का कमीशन सावधानीपूर्वक वसूला जाता था।ढेबर ऐसे किसी भी नियम का पालन नहीं कर रहे थे और एक निजी संस्था की तरह चल रहे थे। “राजनीतिक अधिकारियों के समर्थन से, अनवर ढेबर सीएसएमसीएल के एक सक्षम आयुक्त और एमडी पाने में कामयाब रहे, और सिस्टम को पूरी तरह से अपने अधीन बनाने के लिए विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह जैसे करीबी सहयोगियों को काम पर रखा। उन्होंने शराब व्यापार की पूरी श्रृंखला को नियंत्रित किया।
ढेबर ने अन्य लोगों के साथ साजिश करके बेहिसाब देशी कच्ची शराब का निर्माण कराना शुरू कर दिया और उसे सरकारी दुकानों के माध्यम से बेचना शुरू कर दिया। इस तरह, वे राज्य के खजाने में कुछ भी जमा किए बिना पूरी बिक्री आय अपने पास रख सकते थे। डुप्लिकेट होलोग्राम उपलब्ध कराए गए. डुप्लीकेट बोतलें नकद में खरीदी गईं, और शराब को राज्य के गोदामों से गुजरते हुए डिस्टिलर से सीधे दुकानों तक पहुंचाया गया।यह एक वार्षिक कमीशन था जिसका भुगतान मुख्य डिस्टिलर्स द्वारा डिस्टिलरी लाइसेंस प्राप्त करने और सीएसएमसीएल की बाजार खरीद में एक निश्चित हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए किया जाता था। विदेशी शराब आपूर्तिकर्ताओं से भी FL-10A लाइसेंस धारकों से कमीशन वसूला जाता था। ये लाइसेंस अनवर ढेबर के सहयोगियों को दिए गए थे।
चावल घोटाला?
छत्तीसगढ़ की निवर्तमान कांग्रेस सरकार पर सरकारी राशन के बँटवारे में भी घोटाले का आरोप लगा है। पीडीएस व्यवस्था के तहत प्रति व्यक्ति 5 किलो धान देने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन कैग रिपोर्ट में आया है कि इसमें 600 करोड़ रुपए की गड़बड़ी की गई है। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भूपेश बघेल सरकार ने लगभग 5000 करोड़ रुपये का चावल घोटाला किया है। मई माह में भाजपा ने भूपेश बघेल पर 5000 करोड़ के चावल घोटाले का आरोप लगाते हुए इस्तीफा भी माँगा था। इस मामले में भूपेश बघेल और उनसे जुड़े लोगों ने चुप्पी साधे रखी है।
खदान ढुलाई घोटाला?
निवर्तमान भूपेश बघेल सरकार ने खदानों से निकलने वाले माल पर भी घोटाला किया है। माल ढुलाई से जुड़ा 2000 करोड़ से अधिक के घोटाले का आरोप उस पर है। बताया जा रहा है कि 25 रुपए प्रति टन की वसूली की गई है। पिछले साल ईडी ने इस मामले में जाँच शुरू की थी और कई लोग इस मामले में भी गिरफ्तार हुए हैं। ईडी ने एक बयान में कहा कि यह मामला एक बड़े घोटाले से संबंधित है, जिसमें छत्तीसगढ़ में वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों से जुड़ा एक समूह ढुलाई किये जाने वाले प्रति टन कोयले पर अवैध रूप से 25 रुपये का कर वसूल रहा है। अनुमान है कि इससे प्रतिदिन लगभग 2-3 करोड़ रुपये अर्जित किए जाते हैं।
गोबर और गोठान घोटाला
मजे की बात ऐ है कि छत्तीसगढ़ की निवर्तमान भूपेश बघेल सरकार ने घोटाला करने मे गोठान और गोबर को भी नहीं छोड़ा था 1300 करोड़ रुपये का गोठान एवं गोबर घोटाला किया। इस मामले में भाजपा ने भी काफी हमला बोला है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मामले को उठा चुके हैं। गौ धन के नाम पर इतना बड़ा घोटाला छत्तीसगढ़ में अंजाम दे दिया गया।
क्या छत्तीसगढ़ में दो बैल 1800 किलो गोबर करते हैं?
निवर्तमान कांग्रेस सरकार में सिर्फ भ्रष्टाचार किया जा रहा था। ”हाल ऐसा है कि राज्य में 2 बैल एक दिन में 1800 किलो गोबर दे देते हैं।भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ को लूट का बाजार बना दिया था।इस सरकार में वादे खूब किए जा रहे हैं, लेकिन गरीबों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया हैं।
दरअसल मामला 26 नवंबर का है।कोटा जनपद पंचायत के खैरा ग्राम के दो बैल वाले एक किसान ने गोठान में एक हफ्ते में 12800 रुपए का गोबर बेच दिया, भुपेश सरकार गौ पालकों से 1.5 रुपए प्रति किलों के हिसाब से गोबर खरीदती है। अगर इस हिसाब से अंदाजा लगाएं तो उस किसान के एक बैल ने रोजाना साढ़े 4 क्विंटल गोबर किया,इस मामले में जांच की बात की जाती रही हैं।
छत्तीसगढ़ में चना सरकारी राशन के वितरण में घोटाला?
केंद्र सरकार के पैसों का सही से उपयोग न करने के आरोप, भाई भतीजावाद के आरोप तो लगते ही रहे हैं, साथ ही आदिवासी इलाकों के साथ सौतेला व्यवहार करने के भी आरोप लगे हैं। भूपेश बघेल पर आरोप हैं कि वो छत्तीसगढ़ से मिले घोटालों के पैसों को कांग्रेस की टॉप लीडरशिप तक पहुँचाते हैं और अन्य राज्यों के चुनावी अभियान में भी खर्च करने में मदद करते हैं। यही वजह है कि वो पूरे 5 साल तक अपनी सत्ता बचाने में सफल रहे हैं।
भष्ट्राचार के आरोप हुए नत्थी
कांग्रेस अपनी सफाई में कुछ भी कहती रहे। कोर्ट में क्या साबित हो पाए या नहीं या वक्त बताएगा लेकिन निवर्तमान कांग्रेस सरकार के ऊपर भष्ट्राचार के आरोप एक तरह से नत्थी हो गए। ऐन लोक सभा चुनाव के वक्त महादेव ऐप के प्रकरण ने भी इस धारणा की पुष्टि की। मुक्तिबोध कहते हैं कि इससे इंकार नहीं कर सकते कि भष्ट्राचार के आरोपों ने कांग्रेस का नुकसान किया। आम वोटर के दिमाग में यह संदेश गया कि यह सरकार किसी ना किसी रूप में भष्ट्राचार के मामलों में शामिल होती दिख रही है। भूपेश अपनी सरकार की एक नीट एंड क्लीन इमेज नहीं बना रख सके।सिर्फ चाणक्य के दौर के धनानंद की तरह धन का ही आनंद लेते रहें?जबकि छत्तीसगढ़ की जनता ने कांग्रेस को 90 में 65 सीटों के साथ विधान सभा चुनाव 2018 सत्ता सौंपा था।
कोयला और शराब घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने दर्ज किया हैं नामजद मामला,कवासी लखमा सहित कांग्रेस के पूर्व मंत्रीयो, पूर्व विधायकों, पूर्व आईएएस सहित 100 से ज्यादा के खिलाफ FIR हुई हैं दर्ज


रायपुर छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले शराब और कोयला घोटाला सामने आया था। अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। ईडी ने रायपुर में एंटी करप्शन ब्यूरो एसीबी में नामजद एफआईआर दर्ज कराई है। इन दोनों मामलों में 100 से ज्यादा लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर FRI दर्ज हुई है। विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मामला 17 जनवरी को दर्ज किया गया है। कोयला घोटाला मामले में 30 से अधिक लोगों के खिलाफ और शराब घोटाले मामले में 70 से अधिक लोगों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध किया गया है। नामजद एफआईआर में 100 से ज्यादा लोगों के नामों की जानकारी सामने आ गई है। जिन लोगों के खिलाफ अपराध पंजीबद किया गया है, उसमें प्रदेश के पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व मुख्य सचिव, दो निलंबित आईएएस ,कुछ रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर सहित कई कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के नाम शामिल बताया जा रहे हैं। ईडी नामजद एफआईआर FRI में निलंबित आईएएस रानू साहू और समीर बिश्नोई रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा, उनके पुत्र यश टुटेजा पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड,सौम्या चौरसिया पूर्व मंत्री कवासी लखमा और अमरजीत भगत पूर्व विधायक यूं डी मिंज, गुलाब कमरों, शिशुपाल सोरी,चंद्र देव राय, बृहस्पति सिंह ,छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल कांग्रेस नेता इंदिरीश गांधी सहित मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बहुत करीबी माने जाने वाले विजय भाटिया का नाम के साथ कई बड़े कांग्रेस नेताओं के नाम भी इसमें शामिल है।
बताते चले कि इस मामले में आरोपी बनाए गए लोगों ने कारोबारी, नेता और प्रशासनिक अफसर शामिल हैं।ईडी के उप निदेशक संदीप आहुजा की शिकायत के आधार पर दर्ज इस एफआईआर में कारोबारी- नेता सूर्यकांत तिवारी से लेकर आईएएस समीर बिश्नोई, सौम्या चौरसिया के साथ जिलों के खनिज अधिकारियों से लेकर कांग्रेस के नेताओं, मंत्री और विधायकों की भूमिका की पूरी जानकारी दी गई है। एफआईआर में आरोपियों के खिलाफ ईडी के पास मौजूद साक्ष्यों का भी उल्लेख किया गया है। एफआईआर के अनुसार कोयला घोटाला में सबसे ज्यादा 52 करोड़ रुपये रामगोपाल अग्रवाल को दिया गया है। इसके बाद सर्वाधिक 36 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री सचिवालय की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया को दिया गया है। विश्नोई को 10 करोड़ और रानू साहू को साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा दिए जाने का उल्लेख एफआईआर में है। इसके साथ ही कुछ आईपीएस अफसरों के नाम भी इस एफआईआर में हैं।
कोयला और शराब घोटाला को लेकर छत्तीसगढ़ में 2 अलग-अलग एफआईआर दर्ज किया गया है। यह एफआईआर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करने वाली राज्य सरकार की एजेंसी एसीबी- ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया है। इसमें पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा और तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के साथ कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्यादा विधायकों, अफसरों और शराब (डिस्टलरी) कारोबारी शामिल हैं।सूत्रों के अनुसार एसीबी- ईओडब्ल्यू ने यह एफआईआर केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डिप्टी डॉयरेक्टर संदीप आहुजा के आवेदन के आधार पर दर्ज किया है। दोनों एफआईआर 17 जनवरी 2024 को दर्ज किया गया है। एफआईआर का नंबर 3/ 2024 और 4/ 2024 है। शराब घोटला में एआईएस अफसर निरंजनदास, अनिल टूटेजा, उनके पुत्र यश टूटेजा के साथ एके त्रिपाठी, विवेक ढांड और तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम शामिल है।शराब घोटला में ही अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, विजय भाटिया के साथ ही एक दर्जन से ज्यादा आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।
वहीं, कोयला घोटला में सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर, रानू साहू, प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, मंत्री अमरजीत भगत, विधायक देवेंद्र यादव, कांग्रेस के तत्कालीन विधायक शिशुपाल सोरी, चंद्रदेव राय, बृहस्पत सिंह, गुलाब कमरो, यूडी मिंज, विनोद तिवारी, इदरिश गांधी और सुनील अग्रवाल सहित करीब 35 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
मार्च 2023 में ईडी ने दिया था आवेदन
बताया जा रहा है कि इन दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज करने के लिए ईडी ने मार्च 2023 में एसीबी- ईओडब्ल्यू को आवेदन दिया था। लेकिन तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, ऐसे में उस समय एफआईआर दर्ज नहीं की गई, लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य सरकार की एजेंसी ने इन मामलें में एफआईआर दर्ज कर लिया है। दोनों मामलों में धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की धाराओं में एफआईआर दर्ज किया गया है।
जेल में हैं दोनों मामलों के कई आरोपी
बता दें कि दोनों मामलों की जांच ईडी पहले से कर रही है। कोयला और शराब घोटाला में करीब दर्जनभर लोग अभी जेल में हैं। इनमें आईएएस अफसर और कारोबारी शामिल हैं। इनमें से कुछ एक साल से जेल में हैं।
नोएडा में भी दर्ज है एक एफआईआर
शराब घोटाला में नोएडा में भी एक एफआईआर दर्ज है। यह एफआईआर ईडी की ही शिकायत पर नोएडा पुलिस ने दर्ज किया था। इसमें आबकारी विभाग के सचिव व विशेष सचिव समेत पांच लोगों को आरोपी बनाया गया है। यह एफआईआर नोएडा के कसाना थाना में आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 473 और 120 बी के तहत दर्ज किया गया है।
इस एफआईआर में ईडी की तरफ से नोएडा की कसाना पुलिस को बताया गया है कि ईडी की तरफ से छत्तीसगढ़ में शराब घोटला की जांच की जा रही है। इस जांच में ईडी को यह पता चला है कि नोएडा स्थित मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड को नियम विरुध्द तरीके से टेंडर दिया गया था, जबकि कंपनी टेंडर में शामिल होने के लिए पात्र ही नहीं थी। इसके बावजूद कंपनी ने छत्तीसगढ़ के आबकारी विभाग के अफसरों के साथ मिलकर टेंडर हासिल कर लिया। आरोप है कि छत्तीसगढ़ के अफसरों ने इस मामले में आठ पैसा प्रति होलोग्राम कमीशन लिया। एफआईआर में होलोग्राफी कंपनी के एमडी विदु गुप्ता का भी नाम है।