दिल्ली शराब घोटाला में ईडी का एक्शन, सीएम अरविंद केजरीवाल को किया गिरफ्तार

रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
नई दिल्ली (धनंजय टाईम्स)। सीएम अरविंद केजरीवाल को ईडी ने शराह घोटाले में गिरफ्तार कर लिया है। दो घंटे की पूछताछ के बाद ईडी ने सीएम को अरेस्ट किया है। गुरुवार को ही सीएम द्वारा हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया कि उन्हें गिरफ्तारी से राहत दे दी जाए। लेकिन तब कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया और अब उस झटके के बाद आम आदमी पार्टी को दूसरा झटका भी लग गया है।
बताया जा रहा है कि कल यानी कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सीएम अरविंद केजरीवाल के मामले में सुनवाई हो सकती है। आम आदमी पार्टी की तरफ से ही राहत के लिए वो याचिका दायर की गई है। लेकिन तब तक सीएम के लिए चुनौतियां काफी ज्यादा बढ़ चुकी हैं। उनकी गिरफ्तारी होना जमीन पर सभी समीकरणों को बदलने वाला है। इस समय लोकसभा का चुनाव नजदीक है, तारीखों का ऐलान भी हो चुका है, ऐसे में उस बीच ईडी का ये एक्शन मायने रखता है।
अभी के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज यानी कि शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई होने जा रही है। मांग की गई है कि सीएम अरविंद केजरीवाल को राहत दी जाए। वैसे आम आदमी पार्टी तो चाहती थी कि आज गुरुवार को ही देर रात इस मामले में सुनवाई हो जाए, लेकिन अब कल यानी कि शुक्रवार को ये बड़ी सुनवाई होने जा रही है। जानकारी के लिए बता दें कि तमिलनाडु की सीएम जय ललिता, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और कर्नाटक से पूर्व सीएम बी एस येदियुरप्पा को भी ऐसे ही गिरफ्तार किया गया था। अब उसी लिस्ट में सीएम अरविंद केजरीवाल का नाम भी जुड़ गया है।यहां ये समझना जरूरी है कि ईडी की जो चार्जशीट सामने आई है,उसमें एक बार नहीं कई बार अरविंद केजरीवाल केक नाम का भी जिक्र किया गया है। अब नाम इसलिए है क्योंकि जांच एजेंसी को पता चला है कि जिस समय दिल्ली की नई शराब नीति बनाई जा रही थी, तब केजरीवाल का हर उस शख्स से संपर्क था जो इस समय इस घोटाले में फंसा हुआ है। जांच एजेंसी के मुताबिक भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता के अकाउंटेंट बुचीबाबू से जब पूछताछ हुई थी, तब उनकी तरफ से भी सीएम का नाम लिया गया था। उन्होंने दो टूक कहा था कि के कविता, मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के बीच एक राजनीतिक समझ चल रही थी।

अरविंद केजरीवाल पर ऐसे क्या आरोप हैं कि हो गए गिरफ्तार?

दिल्ली शराब नीति मामले में ED ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। ED के ज्वाइंट डायरेक्टर लेवल के अफसरों ने सीएम से पूछताछ के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया। अरविंद केजरीवाल का मोबाइल ले लिया गया है। घर के बाहर भारी पुलिसबलों की तैनाती है और रैपिड एक्शन फोर्स को केजरीवाल के घर के बाहर तैनात कर दिया गया है। इतना ही नहीं केजरीवाल के घर के बाहर धारा 144 भी लगाई गई है। ऐसे में हम आपको ये बता देते हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में ऐसे क्या आरोप लगे हैं कि उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

338 करोड़ रुपए का मनी ट्रेल

दरअसल, ईडी की जांच में सामने आया है कि प्रोसीड ऑफ क्राइम के दौरान 338 करोड़ रुपए आम आदमी पार्टी तक पहुंचे हैं। बता दें कि मनीष सिसोदिया की बेल पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी ने 338 करोड रुपए की मनी ट्रेल अदालत के सामने रखी थी। इसमें यह साबित हो रहा था कि आबकारी नीति के दौरान शराब माफिया से 338 करोड़ रुपए आम आदमी पार्टी तक पहुंचे हैं और आम आदमी पार्टी के संरक्षक अरविंद केजरीवाल है, लिहाजा उनसे पूछताछ करना जरूरी है।

वीडियो कॉल के जरिए मिले थे केजरीवाल

दूसरा आरोप ये है कि आबकारी घोटाले के आरोपी इंडोस्पिरिट के डायरेक्टर समीर महेंद्रू ने पूछताछ में ईडी को बताया कि अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी विजय नायर ने उसकी मुलाकात फेस टाइम एप (वीडियो कॉल) के जरिये अरविंद से करवाई थी। जिसमें अरविंद केजरीवाल ने उससे बोला था कि विजय नायर उसका आदमी है और उसे नायर पर भरोसा रखना चाहिए।

केजरीवाल ने बढ़वाया था मार्जिन प्रॉफिट

ईडी की जांच में ये भी सामने आया है कि मनीष सिसोदिया के तत्कालीन सचिव सी अरविंद ने पूछताछ के दौरान बताया कि आबकारी नीति में 6% का मार्जिन प्रॉफिट था, जिसे अरविंद केजरीवाल की मंजूरी से ही 12% किया गया था। यानी आबकारी नीति बनाने में अरविंद केजरीवाल की भी भूमिका थी।

केजरीवाल के घर पर भी हुई थी मीटिंग

वहीं दिल्ली की नई आबकारी नीति को लेकर मीटिंग अरविंद केजरीवाल के घर पर भी हुई थी। नई आबकारी नीति को लेकर जो कैबिनेट बैठक हुई थी, वह कैबिनेट बैठक मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई जाती है। इन्हीं कुछ बिंदुओं को आधार बनाकर ईडी अरविंद केजरीवाल से पूछताछ करेगी।

दिल्ली शराब घोटाला मामले में ED की गिरफ्त में केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तकरीबन 2 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। इसी के साथ ही देश में एक बार फिर से चर्चा छिड़ गई कि क्या मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है? ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि कुछ वक्त पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल का मामला हेमंत सोरेन से अलग है।

केजरीवाल गिरफ्तार

आम आदमी पार्टी सौरव भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट कर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की जानकारी शेयर की। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार…

न्यायिक सदस्य एनजीटी के न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सुधीर अग्रवाल ने कहा,
किसी सरकारी अधिकारी के जेल जाने की स्थिति में उसे निलंबित करने का कानून है, लेकिन राजनेताओं पर कानूनी तौर पर ऐसी कोई रोक नहीं है। फिर भी चूंकि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है, ऐसे में अगर मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं तो राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।

किन मामलों में मुख्यमंत्री को छूट नहीं

संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत मुख्यमंत्री को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली हुई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हो सकती है। ठीक यही नियम प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों के लिए भी हैं। हालांकि, राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता है।

अनुच्छेद 361 के तहत राष्ट्रपति या किसी भी राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी कोर्ट में कोई क्रिमिनल कार्यवाही शुरू नहीं हो सकती है और न ही कोई कोर्ट हिरासत में लेने का आदेश दे सकती है।

गिरफ्तारी से पहले लेनी होगी अनुमति

कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट दी गई है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में ऐसा नहीं है। हालांकि, क्रिमिनल मामलों में गिरफ्तारी से पहले सदन के अध्यक्ष की मंजूरी लेनी होती है। जिसका मतलब साफ है कि विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है।

कब-कब गिरफ्तार नहीं हो सकते मुख्यमंत्री

बता दें कि मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य की गिरफ्तारी कब हो सकती है इसको लेकर भी बकायदा नियम बने हुए हैं। कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत विधानसभा सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 दिन बाद तक मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री को सदन से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया है, ऐसे में यदि उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है तो यह सीधे तौर पर अदालत पर निर्भर होगा कि वह उन्हें मुख्यमंत्री पद के दायित्व का निर्वहन करने देती है या नहीं। इसे लेकर संवैधानिक नियम-कायदे जैसी कोई बात नहीं है। हालांकि, पूर्व में ऐसा कोई मामला ध्यान में नहीं आता, जबकि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ने जेल में रहकर सरकार चलाई हो।सनद रहे कि लालू प्रसाद यादव, दिवंगत जे जयललिता, बीएस येदियुरप्पा और हेमंत सोरेन की अलग-अलग मामलों में गिरफ्तारी हुई थी।

कौन-कौन हो चुका है गिरफ्तार

चारा घोटाला मामले में सीबीआई की चार्जशीट में लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया था, जिसके बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थी। इसके बाद ही लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी हुई थी। वहीं जयललिता ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराई गई थी जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि, मामले की जांच जब तक चली थी वह मुख्यमंत्री पद पर बनी रही थीं।  ऐसा ही एक मामला साल 2011 में कर्नाटक से सामने आया, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को अवैध खनन मामले को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था और कुछ वक्त बाद फिर उनकी गिरफ्तारी हुई थी।

दिल्ली शराब घोटाला, जिसमें सिसोदिया और संजय सिंह जा चुके जेल, अब केजरीवाल गिरफ्तार

देश की राजधानी दिल्ली में हुआ शराब घोटाले इन दिनों देशभर में सुर्खियों में है। गुरुवार को शाम ढलते ही दिल्ली के मुख्यमंत्री निवास पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम पहुंची। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शराब नीति मामले में पूछताछ की। रात होते ही केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले इसी मामले में आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले ही जेल में हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सियासी आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।

उधर, केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार के सामने नेतृत्व संकट का सवाल खड़ा हो गया। चर्चा आम हो गई कि मुख्यमंत्री जेल गए तो दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा। हालांकि, आप ने एक हस्ताक्षर कैंपेन चलाया था, जिसमें 90 प्रतिशत लोगों ने यह कहा था कि जेल से ही मुख्यमंत्री दिल्ली का शासन संभालेंगे। इधर, आम आदमी पार्टी के बड़े नेता अपने मुखिया की गिरफ्तारी के बाद मुखर रहे और यहां तक कहा कि जेल से ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली का शासन चलाएंगे।

जानते हैं दिल्ली की नई शराब नीति क्या थी?

17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थीं। नई शराब नीति में दिल्ली की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया। इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं। नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं। सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
सरकार ने लाइसेंस की फीस भी कई गुना बढ़ा दी। जिस एल-1 लाइसेंस के लिए पहले ठेकेदारों को 25 लाख देना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसके लिए ठेकेदारों को पांच करोड़ रुपये चुकाने पड़े। इसी तरह अन्य कैटेगिरी में भी लाइसेंस की फीस में काफी बढ़ोतरी हुई।

घोटाले के आरोप क्यों लगे?

नई शराब नीति से जनता और सरकार दोनों को नुकसान होने का आरोप है। वहीं, बड़े शराब कारोबारियों को फायदा होने की बात कही जा रही है। भारतीय जनता पार्टी का यही आरोप है। तीन तरह से घोटाले की बात सामने आ रही है। इसे समझने के लिए हम थोड़ा आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं।

लाइसेंस फीस में भारी इजाफा करके बड़े कारोबारियों को लाभ पहुंचाने का आरोप

शराब ब्रिकी के लिए ठेकेदारों को लाइसेंस लेना पड़ता है। इसके लिए सरकार ने लाइसेंस शुल्क तय किया है। सरकार ने कई तरह की कैटेगिरी बनाई है। इसके तहत शराब, बीयर, विदेशी शराब आदि को बेचने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। अब उदाहरण के लिए पहले जिस लाइसेंस के लिए ठेकेदार को 25 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ता था, नई शराब नीति लागू होने के बाद उसी के लिए पांच करोड़ रुपये देने पड़े। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया। इससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफिया को लाइसेंस मिला। विपक्ष का आरोप ये भी है कि इसके एवज में आप के नेताओं और अफसरों को शराब माफियाओं ने मोटी रकम घूस के तौर पर दी।

सरकार ने बताया फायदे का सौदा

सरकार का तर्क है कि लाइसेंस फीस बढ़ाने से सरकार को एकमुश्त राजस्व की कमाई हुई। इससे सरकार ने जो उत्पाद शुल्क और वैट घटाया उसकी भरपाई हो गई।

खुदरा बिक्री में सरकारी राजस्व में भारी कमी होने का आरोप

दूसरा आरोप शराब की बिक्री को लेकर है। उदाहरण के लिए मान लीजिए पहले अगर 750 एमएल की एक शराब की बोतल 530 रुपये में मिलती थी। तब इस एक बोतल पर रिटेल कारोबारी को 33.35 रुपये का मुनाफा होता था, जबकि 223.89 रुपये उत्पाद कर और 106 रुपये वैट के रूप में सरकार को मिलता था। मतलब एक बोतल पर सरकार को 329.89 रुपये का फायदा मिलता था। नई शराब नीति से सरकार के इसी मुनाफे में खेल होने दावा किया जा रहा है।
दावा है कि नई शराब नीति में वही 750 एमएल वाली शराब की बोतल का दाम 530 रुपये से बढ़कर 560 रुपये हो गई। इसके अलावा रिटेल कारोबारी का मुनाफा भी 33.35 रुपये से बढ़कर सीधे 363.27 रुपये पहुंच गया। मतलब रिटेल कारोबारियों का फायदा 10 गुना से भी ज्यादा बढ़ गया। वहीं, सरकार को मिलने वाला 329.89 रुपये का फायदा घटकर तीन रुपये 78 पैसे रह गया। इसमें 1.88 रुपये उत्पाद शुल्क और 1.90 रुपये वैट शामिल है।

घोटाले की जांच कैसे शुरू हुई?

इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, नई शराब नीति को बाद में इसे बनाने और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया था।सीबीआई ने अगस्त 2022 में इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ नियमों के कथित उल्लंघन और नई शराब नीति में प्रक्रियागत गड़बड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की। बाद में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के संबंध में ईडी ने पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले की जांच शुरू कर दी।


ईडी और सीबीआई दिल्ली

सरकार की नई शराब नीति में कथित घोटाले की अलग-अलग जांच कर रही हैं। ईडी नीति को बनाने और लागू करने में धन शोधन के आरोपों की जांच कर रही है। वहीं, सीबीआई की जांच नीति बनाते समय हुई कथित अनियमितताओं पर केंद्रित है।
चलिए जानते हैं दिल्ली आबकारी नीति मामले में कब क्या हुआ
17 नवंबर 2021: दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की।
8 जुलाई 2022: दिल्ली के मुख्य सचिव ने नीति में घोर उल्लंघन की रिपोर्ट दी।
22 जुलाई 2022: उपराज्यपाल ने नियमों के उल्लंघन की सीबीआई जांच की सिफारिश की।
19 अगस्त 2022: सीबीआई ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, समेत तीन अन्य लोगों के घर पर छापे मारे।
22 अगस्त 2022: प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी नीति पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया।
सितंबर 2022: आम आदमी पार्टी के संचार प्रमुख विजय नायर को सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
मार्च 2023: प्रवर्तन निदेशालय ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया।
अक्तूबर 2023: आप नेता संजय सिंह को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया।
अक्तूबर 2023: ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पहला समन भेजा।
16 मार्च 2024: भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को ईडी ने गिरफ्तार किया।
21 मार्च 2024: दिल्ली आबकारी नीति मामले में केजरीवाल बृहस्पतिवार को नौवीं बार ईडी के समन में शामिल नहीं हुए। कुछ घंटों बाद हाईकोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया।


शराब नीति मामले में अब तक गिरफ्तारी

विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, समीर महेंद्रू, पी सरथ चंद्रा, बिनोय बाबू, अमित अरोड़ा, गौतम मल्होत्रा, राघव मंगुटा, राजेश जोशी, अमन ढाल, अरुण पिल्लई, मनीष सिसोदिया, दिनेश अरोड़ा, संजय सिंह, के. कविता और अरविंद केजरीवाल
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