
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। भागवत कथा प्रारंभ प्रसंग पर आज गुरूवार को भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से भगवताचार्य भागीरथी तिवारी महाराज ने कहा कि भागवत की कथा कहानी किस्सा या मनोरंजन की कहानी नहीं बल्कि मानव जीवन जीने की कला का प्रसंग है। हमारे वेद और धर्म बहूत श्रेष्ठ है। हमारे वेदों के मंत्रो में वो शक्ति है जो आकाश में बैठे देवी-देवताओं को धरती में लाने का सार्मथ्य रखते है। उन्होंने हमारे देश के ख्यातिनाम साधु संतों का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे साधु संत और विद्वान हिन्दुत्व को पूरे विश्व में फैलाने एवं प्रत्येक मानव को जीवन की वास्तविकता से ज्ञात कराते है। खचाखच भरे भागवत पंडाल में बैठे श्रद्धालुओं से व्यासपीठ में बैठे भगवताचार्य पं. भागीरथी तिवारी महाराज ने अपने ओजस्वी शैली में कहा कि हमारे हिन्दुत्व में ही एक मात्र खुशहाल जीवन जीने का मार्ग है जो व्यक्ति हिन्दू समाज की रक्षा करने पूरे विश्व में हिन्दू धर्म का जयकारा करना चाहता है तो हमें उसका समर्थन करना होगा। हमारे साधु संत और विद्वान खुली किताब की तरह होते है। आप सब अपने वैभव को समझे आज कोई भी अत्याचारी में सनातन धर्म सनातन संस्कृति को हानि पहुंचाने की क्षमता नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि जब हम सुबह सोकर उठते है तो धरती मॉ को प्रणाम करें। अच्छे साहित्य व कथा का श्रवण करें या पढ़ें। आज भी यह संस्कार हम सब में होना चाहिए क्योंकि यह हमारे संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक कथा के प्रसंग के माध्यम से उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को धन, सुन्दरता और ज्ञान का अहंकार होता है समय आने पर सभी का नाश होता है। हमें सभी का सम्मान करना चाहिए एवं आशीर्वाद लेना चाहिए। भगवताचार्य ने कहा कि भवरूपी रोग की दवा है भागवत जी की कथा, जो मनुष्य को अंदर से स्वस्थ व सुखी करके जीवन के उद्देश्य को प्रतिपादित करता है। प्रारंभ में भागवत कथा आयोजक बबली दीपक तिवारी ने भागवत भगवान की व्यासपीठ में आरती एवं पूजा कर नमन किया। कथा प्रारंभ के आज दूसरे दिन ही पूरा पंडाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। कथा पंडाल, व्यासपीठ की सुंदरता एवं भव्यता देखते ही बन रही थी। शुक्रवार 29 मार्च को सती एवं धु्रव कथा-प्रसंग पर दोपहर 2 बजे से पंडित भागीरथी तिवारी महाराज का प्रवचन होगा। कथा समाप्ति उपरांत सभी उपस्थित श्रद्धालुजनों ने भोजन प्रसादी का लाभ लिया।