
लगातार जल संसाधन विभाग गरियाबंद का भ्रष्ट्राचार उजागर करने के बदले फर्जी एट्रोसिटी के केश का “दंश”झेल रहा हैं भाजपा का साधारण कार्यकर्ता प्रीतम सिंहा?
क्या ? जल संसाधन विभाग पाण्डुका के अनुविभागीय अधिकारी कुलेश्वर जोशी और प्रीतम सिंहा का होगा नार्को टेस्ट?
रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर (गंगा प्रकाश)। भारत आज भ्रष्टाचार के रोग से ग्रस्त है। यहाँ का राजनीतिज्ञ सूखा-पीड़ित जनों में वितरणार्थ आए अनाज की तो बात ही क्या पशुओं का ‘चारा’ तक खा जाता है। दोषी और भ्रष्ट नेताओं के विरुद्ध मुकदमे वापिस हो जाते हैं । समाजद्रोही तत्त्वों को न केवल सरकार का प्रश्नय मिलता है, अपितु उन्हें स्वच्छन्द पापाचार का लाइसेन्स भी मिलता है, तो भ्रष्टाचार रुकेगा कैसे ?सरकारी कानूनों के नाम पर लोगों के उचित और सही काम भी जब फाइलों में लटकते रहेंगे, परियोजनाओं की पूर्ति के लिए खुलकर कमीशन मिलते और माँगे जाते रहेंगे, सरकारी खरीद में हिस्सा मिलता रहेगा तो लोगों में नैतिकता का बोध कैसे कायम रह पाएगा ?यदि राजनीति में व्यक्ति, सिद्धांत, विचारधारा एवं संगठन की बजाय धन ही प्रभावी होता जाएगा और बिना पैसे वाले निष्ठावान कार्यकर्ता की अवहेलना की जाती रहेगी, तो सार्वजनिक जीवन में पवित्र मूल्यों की स्थापना कैसे हो पाएगी ?श्री अटलबिहारी वाजपेयी का मानना था कि ‘भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक उदासीनता की स्थिति भी है क्योंकि भ्रष्टाचार ने संस्थागत रूप ले लिया है।लोग मानने लगे हैं कि भ्रष्टाचार न सिर्फ प्रशासन में बल्कि जीवन के विभिन क्षेत्रों में इस हद तक फैल चुका है कि उसे मिटाया नहीं जा सकता।अगर हम छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती भूपेश की भ्रष्ट सरकार की बात करे तो भूपेश बघेल की सरकार ने भ्रष्टाचार का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।इसकी चर्चा करने से मन भी अब दूषित होने लगता हैं।लेकिन करना पड़ता हैं क्योंकि भूपेश के भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्ट्राचार के खिलाफ लिखने वाले पत्रकार हो या विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता भूपेश बघेल के भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र ने किसी न किसी माध्यम से षडयंत्र रच कर भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने बालों को फर्जी केश लगाकर जेल का रास्ता दिखाया हैं।बताते चले कि
डिप्टी सीएम विजय को एक बड़े मामले में जीत मिली है।2021 में तत्कालीन खाद्य अधिकारी अरूण मेश्राम ने विजय शर्मा और कैलाश चंद्रवंशी गरीबों का राशन कार्ड बनवाने गए थे,उसी दौरान खाद्य अधिकारी अरुण मेश्राम ने जातिसूचक गाली देने का आरोप लगाकर दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था,विजय शर्मा और कैलाश चंद्रवंशी पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत केस ठोका गया था.।जिसमें विजय शर्मा जेल भी गए थे.l। गुरुवार को जिला न्यायालय में फैसला सुनाया,जिसमें दोनों को दोषमुक्त किया गया है।जिला न्यायालय में अंतरिम सुनवाई के दौरान जिला सत्र न्यायाधीश सत्यभामा अजय दुबे ने फैसला सुनाते हुए विजय शर्मा को दोषमुक्त करार दिया. डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि तत्कालीन मंत्री मोहम्मद अकबर की शह पर हम पर फर्जी एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई थी,आज सच सबके सामने आ गया है।उस दौरान मोहम्मद अकबर लोगों की आवाज दबाने के लिए फर्जी एक्ट लगवाकर कारवाई कराने का काम करते थे।
विजय शर्मा ने कहा कि हमने किसानों और गरीबों की आवाज उठाई थी,जिसके बदले एक अधिकारी के मार्फत फर्जी एट्रोसिटी एक्ट लगवाया गया,जबकि उस अधिकारी के पास राशन कार्ड की समस्याएं लेकर हम पहुंचे थे,जिसकी वीडियो भी हमारे पास उपलब्ध है।लेकिन आज हम इस मामले में दोषमुक्त हुए हैं।जिसके लिए सम्माननीय न्यायालय को धन्यवाद देता हूं।
सत्य मेव जयते:श्री शर्मा

न्यायालय में चल रहे पुराने एक्ट्रोसिटी मामले में दोष मुक्त होकर कोर्ट परिसर से बाहर निकले उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्थानीय पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा आम गरीब लोगों का राशन कार्ड नही बन रहा था आम जनता गरीब लोग जिनकी जीविका राशन दुकान से मिलने वाली खाद्यान्न सामग्री से चलती है ऐसे लोगो के लिए एक जन प्रतिनिधि के हैसियत से किसी ऑफिस में जाना और अधिकारियों से बात करना तत्कालीन भूपेश सरकार में अपराध हो गया था । राजनीतिक प्रतिद्वंदता न बढ़ जाये इसलिए तत्कालीन विधायक मो अकबर इस तरह के हथकंडे अपनाते थे । लोगो को अलग अलग तरह से परेशान करना प्रताड़ित करना यही तो हुआ पिछले 5 वर्ष के काँग्रेस के कार्यकाल में । किंतु अंत मे सच्चाई की जीत होती है , इसलिए कहा गया है सत्य मेव जयते यह शास्त्रोक्त कथन है प्रमाणित है देर से सही पर सत्य की जीत होती है । माननीय न्यायालय ने उक्त प्रकरण में मुझे और कैलाश चंद्रवंशी को आज दोष मुक्त किया है ।
उन्होंने कहा यह फर्जी तरीके से कराया गया एफ आई आर था तत्कालीन खाद्य निरीक्षक द्वारा पहले पुलिस को सिर्फ सूचना दिया गया था, फिर एक माह बाद उन्ही खाद्य निरीक्षक द्वारा बाद में यह कहकर की जाती सूचक शब्द बोला गया है दूसरी बार शिकायत किया गया । जिसमे एक्ट्रोसिटी का मामला बनाकर मुकदमा दर्ज किया गया था । माननीय न्यायालय ने इस सभी विषयों को देखते हुए मुझे और कैलाश चंद्रवंशी को दोष मुक्त किया है ।
उन्होंने कहा हम सामाजिक समरसता के भाव से जीवन जीने वाले लोग है सब का बराबर सम्मान और सबसे अपना पन है । हम पर राजनीतिक प्रेरणा से आधारहीन आरोप लगाए गए थे , जिसमें न्यायालय के सेसन कोर्ट और एक्ट्रोसिटी के विशेष कोर्ट में हमे दोष मुक्त किया है । मैं न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ ।
उन्होंने बताया कवर्धा में हुए ध्वज विवाद के बाद हमे आरोपी बनाया गया था । ध्वज विवाद प्रकरण में जमानत मिलने के बाद एक्ट्रोसिटी लगाकर 18 दिनों तक जेल भेजा गया । इस प्रकरण में हमे जमानत न मीले इसलिए हर संभव प्रयाश किया था । कोरोना काल मे तीन वर्ष से कम सजा वालों को जमानत देने के नियम के तहत जमानत मिली उस नियम को खत्म करने का रातों रात प्रयास किया गया था । उन्होंने कहा दर्जनों प्रकरण मुझ पर राजनीतिक कारणों से प्रेरित होकर दर्ज किए गए थे । जिनमें से एक मे मुझे माननीय न्यायालय ने दोष मुक्त किया है । न्यायालय के प्रति हम आभार व्यक्त करते है । देर से ही सही पर जीत तो सत्य की ही होती है ,न्यायालय पर पूरा भरोसा है ।
कौन हैं भाजपा कार्यकर्ता प्रीतम सिंहा जिन्हें भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध आवाज उठाने की मिली सजा
गरियाबंद जिला के विकास खण्ड छुरा अंतर्गत के ग्राम पाण्डुका निवासी प्रीतम सिंहा भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं जो कि प्रदेश कार्यकारणी सदस्य सूचना के अधिकार प्रकोष्ठ सदस्य हैं जिनके द्वारा लगातार जल संसाधन विभाग गरियाबंद में हो रहे भ्रष्ट्राचार को लगातार सूचना के अधिकार अधिनियम के माध्यम से उजागर करते रहें हैं।लेकिन पूर्ववर्ती भ्रष्ट भूपेश की सरकार के भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र द्वारा भ्रष्ट्राचार के विरुद्ध आवाज उठाने बालों को किसी न किसी षड्यंत्र के तहत मामला दर्ज कर जेल भेज दिया जाता था चाहे वो पत्रकार हो या विपक्षी पार्टी का कार्यकर्ता ऐसा ही भाजपा कार्यकर्ता प्रीतम सिंहा के साथ भी हुआ जिन्हे षडयंत्र पूर्वक एससी/एसटी एक्ट लगाकर फरार घोषित कर दिया गया हैं।
क्या था मामला कैसे फसाया गया था प्रीतम सिंहा को?क्या सच्चाई सामने लाने कुलेश्वर जोशी और प्रीतम सिंहा का होगा नार्को टेस्ट?
बताते चले की भाजपा कार्यकर्ता प्रीतम सिंहा जो की सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जल संसाधन विभाग गरियाबंद में हो रहे भ्रष्ट्राचार के मामले को लगातार उजागर करते रहें हैं और प्रधानमंत्री से लेकर EOW तक में शिकायत करते रहें हैं जिससे भ्रष्ट भूपेश सरकार के भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र को प्रीतम सिंहा फूटी आंख नहीं सुहाते थे हमेशा की तरह प्रीतम सिंहा ने जल संसाधन विभाग पाण्डुका में चल रहें निर्माण कार्य की जानकारी लेने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन प्रस्तुत किया था किंतु उन्हें जानकारी नहीं दी गई तब प्रीतम सिंहा द्वारा प्रथम अपील कर जल संसाधन विभाग जिला गरियाबंद को प्रथम अपील पत्र दिया गया था।कुलेश्वर जोशी, पिता श्री बिसेलाल जोशी, जल संसाधन विभाग के पांडुका अनुविभाग एवं फिंगेस्वर अनुविभाग में अनुविभागीय अधिकारी के पद पर पदस्थ उप-विभाग में श्री प्रीतम सिन्हा ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत डायरी और लॉग बुक की प्रमाणित फोटोकॉपी की मांग की थी। चूंकि वह जानकारी निजी जीवन से संबंधित होना बताया गया था।जबकि जल संसाधन विभाग वित्त पोषित विभागों में से एक हैं।इसलिए सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 के तहत जोशी द्वारा उन्हें उक्त जानकारी नहीं दी थी तब प्रीतम सिन्हा द्वारा उक्त आदेश के विरूद्ध श्रीमान कार्यपालन अभियंता, जल संसाधन संभाग, गरियाबंद के समक्ष अपील की गई। उनकी अपील की सुनवाई श्रीमान कार्यपालक अभियंता के कार्यालय में हुई। फिर जोशी द्वारा आरोप लगाया गया था कि उसी दिनांक 27/06/2023 को दोपहर करीब 12:00 बजे प्रीतम सिन्हा मेरे कार्यालय पांडुका में आये और अपनी अपील वापस लेने के लिए मुझसे 15000 (पंद्रह हजार रूपये) की मांग की, जब मैंने उन्हें राशि देने से इंकार कर दिया तो वह भड़क गये,और उन्होंने मुझे गाली देना शुरू कर दिया और कहा कि मैं पहले एक अनुविभागीय अधिकारी था, श्री जे.पी. सुमन को निलंबित कर दिया गया था। मैं तुझे बर्खास्त करवा दूँगा,और गंदी व जाति सूचक गाली देने लगे । मुझे 15000 रूपये दो कहकर मुझे ब्लैक मेल करना शुरू कर दिया और मुझे जातिसूचक गालियां दे रहा था। उस समय उपयंत्री श्री कुलदीप बंजारे वहां उपस्थित थे। फिर मैं अपील केस की सुनवाई के लिए गरियाबंद गया,वहां दोनों पक्षों को सुनने के बाद कार्यपालक अभियंता ने उनकी अपील को खारिज कर दिया।
श्री प्रीतम सिन्हा ने अब तक जल संसाधन विभाग में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लगभग 200 आवेदन जमा किये हैं। इनका मुख्य काम सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन जमा कर अवैध वसूली करना है। इस कृत्य से उसे मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।अब सवाल उठता है कि जल संसाधन विभाग में जारी भ्रष्ट्राचार को उजागर करने वाले प्रीतम सिंहा पर यहां आरोप कितना सही और कितना गलत हैं अगर प्रीतम सिंहा और कुलेश्वर जोशी का नार्को टेस्ट हो जाए तो सच्चाई सभी के सामने स्पष्ट हो जाएगी लेकिन क्या दोनो का नार्को टेस्ट ग्रह मंत्री श्री विजय शर्मा जी करवाएंगे यहा एक बड़ा सवाल हैं।जब भ्रष्ट भूपेश की सरकार छत्तीसगढ़ में थी तब भाजपा के नेता और कार्यकर्ता ही भ्रष्ट भूपेश के भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र का दंश नही झेल रहें थे इसका दंश पत्रकारों को भी झेलना पड़ा हैं?आज तो छत्तीसगढ़ राज्य में मोदी की सुशासन की गारंटी के साथ भाजपा की सरकार हैं क्या प्रीतम सिंहा को भी न्याय दिलाने में में क्या ग्रह मंत्री श्री शर्मा जी पहल करेंगे?तो आइए जानते हैं प्रीतम सिंहा द्वारा लगातार भ्रष्ट्राचार उजागर करने के कुछ अंश….
काली करतूत में माहिर जल संसाधन संभाग गरियाबंद का एक और काला कारनामा हुआ सूचना के अधिकार से उजागर? प्रीतम सिन्हा की शिकायत के बाद जांच हुई थी शुरू।


भ्रष्टाचार एक ऐसा जहर है जो देश, संप्रदाय, समाज और परिवार के कुछ लोगों के दिमाग में बैठ गया है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिए सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी की जाती है। किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था क्यों न हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ रहा है और यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का बड़ा कारण बन चूका है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में बाधा बनते जा रहा है।बताना लाजमी होगा कि जल संसाधन संभाग गरियाबंद का एक और कारनामा का शिकायत पर जांच शुरू शुरू हो चुकी है जिसमे जल संसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर के वार्षिक मरम्मत कार्य में बिना कार्य कराए फर्जी बिल बाऊचर बनाकर भुगतान किया गया है।जिसकी शिकायत छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर में किया गया है।बताते चले कि जिला गरियाबंद के जल संसाधन संभाग गरियाबंद के अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय जल संसाधन फिंगेश्वर वर्ष 2021-22 के वार्षिक मरम्मत कार्य में बिना कार्य के अपने चहेतों फर्मों के नाम पर लाखों रुपये का फर्जी तरीके से बिल बनाकर भ्रष्टाचार, गबन, साजिश, कूट रचना एवं पद का दुरुपयोग कर फर्जीवाड़ा किया गया है। जिसकी शिकायत जिला के भाजपा नेता और समाजिक कार्यकर्ता प्रीतम सिन्हा द्वारा सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेज के आधार पर 4जनवरी 2023 को छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक नवा रायपुर से किया गया है। जिसकी पुलिस मुख्यालय में शिकायत विधिवत 24 जनवरी 2023 को आनलाइन दर्ज कर संबंधित थाना क्षेत्र फिंगेश्वर जांच कर कार्यवाही के लिए भेजा गया है । दर्ज शिकायत क्रमांक 50000008732300032 दिनांक 24 जनवरी 2023 में आशुतोष सारस्वत तत्कालीन कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद, रोहित तिवारी वरिष्ठ लेखा लिपिक जल संसाधन संभाग गरियाबंद, होमेश नायक तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर और कुलेश्वर जोशी उप अभियंता जल संसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर को आरोपी बनाने के लिए तीन बिंदुओं पर शिकायत दर्ज किया गया है। शिकायत पत्र में फर्म सिद्धि ट्रेडर्स पिटियाझर महासमुंद के नाम पर माप पुस्तिका क्रमांक 2771 में किसी भी कार्य स्थल का नाम उल्लेख नहीं है और उसका भुगतान कर दिया गया है, इसी प्रकार नहर साफ सफाई, दिवाल पोताई के नाम पर माप पुस्तिका क्रमांक 2776 में भुगतान किया है। जबकि यह फर्म कार्यालय से लगभग 25-30 किमी दूर है। ध्रुव इंटरप्राइजेज बड़ीरबेली मालखरौदा जिला जांजगीर-चांपा के नाम पर माप पुस्तिका क्रमांक 2218 में विद्युत कार्य एवं नहर साफ सफाई के नाम पर भुगतान किया गया है जबकि बिलों पर कार्य स्थल का नाम का उल्लेख नहीं है। यह फर्म कार्यालय से लगभग 300किमी दूर है और सरिता प्रेस महासमुंद के नाम पर माप पुस्तिका क्रमांक 1562और 1883 में स्टेशनरी खर्च बताकर भुगतान आहरण किया गया है। शिकायत में तीनों बिंदुओं पर बिल बाउचर को एक बारगी देखने से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिट्टी ढुलाई भराई, सीमेंट खाली बोरी एवं भराई कार्य, नहर साफ सफाई, मेंड उचाई, विद्युत कार्य दीवाल पोताई, स्टेशनरी खरीदी कार्य, चौखट मरम्मत कार्य के नाम पर बिना कार्य किए फर्मो को लाखों रुपए का भुगतान कर शासन की राशि का भ्रष्टाचार और गबन किया है, जबकि यह कार्य वर्षा ऋतु में बताया गया है और फर्मों पर कार्य स्थल का नाम ही नहीं दर्ज किया गया है जो अवैधानिक की श्रेणी को दर्शाता है। जिसमें पांच अधिकारियों और कर्मचारियों का नाम सहित शिकायत दर्ज किया गया है जिसका जांच के लिए थाना प्रभारी फिंगेश्वर में शिकायत कर्ता का लिखित कथन बयान दर्ज कराया गया है।
शिकायत कर्ता प्रीतम सिन्हा ने बताया कि जनहित के मामलों वह भी किसानों से जुड़े मामले में अधिकारियों के द्वारा लगातार कुछ वर्षों से भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिसकी शिकायत साक्ष्य दस्तावेजों के साथ उच्च स्तरीय किया गया है।
प्रीतम सिंहा ने नहर लाइनिंग की मरम्मत में भ्रष्टाचार की EOW में की थी शिकायत
गरियाबंद जिले का जल संसाधन विभाग के कामकाज हमेशा से भ्रष्ट्रासूरों का चारा गाह रहा है जिसपर सवालिया निशान खड़ा हो होते ही रहा हैं ।विभागीय काम में अनियमितता और भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा नेता और एक्टिविस्ट प्रीतम सिन्हा ने अपराध अन्वेषण ब्यूरो में शिकायत के साथ इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा था।मामला पैरी दायीं मुख्य नहर और फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूशन नहर लाइनिंग की मरम्मत कार्य से जुड़ा है।प्रीतम सिन्हा ने अपराध अन्वेषण ब्यूरो में 13 बिंदुओं पर शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने बताया कि पैरी मुख्य दायीं नहर एवं फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूशन नहर लाइननिंग के मरम्मत कार्य की स्वीकृति 2020-21 में हुई थी. इसके लिए 44 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए है. विभाग ने 20 करोड़ से अधिक की राशि खर्च कर दी है। विभाग ने इस राशि से जो कार्य करवाया है, वह गुवत्ताहीन है।प्रीतम सिंन्हा ने कार्य मे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कार्य में विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने जमकर बंदरबाट की है।जिम्मेदारों ने ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए शासन को नुकसान पहुंचाया है।मरम्मत कार्य गुवत्ताविहीन और कूट रचना कर किया गया है।ठेकेदार द्वारा किए गए कार्य मे जगह-जगह दरारें आ गई है।शिकायतकर्ता का आरोप है कि मुरुम कम डालकर अधिक डालना दर्शाया गया है।उसका कम्पेक्सन भी ठीक तरह से नहीं किया गया है. घटिया किस्म के कांक्रीट का इस्तेमाल किया गया है। पेवर मशीन और वाइव्रेटर मशीन के बिना ही कार्य किया गया है, जबकि अनुबंध के मुताबिक कार्य पेवर मशीन और वाईव्रेटर मशीन से किया जाना था, क्योंकि मैन्युअल की अपेक्षा मशीनों से किये कार्य की रेट दर अधिक होती है।ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों ने मैन्युअल कार्य को मशीनों से कराया दर्शाकर अधिक रेट के बिल पास कर दिए है।
नहर लाइनिंग में गड़बड़ी, प्रीतम सिन्हा बोले- ‘ईई और कांट्रेक्टर के बीच पार्टनरशिप में चल रहा काम
प्रीतम सिंह ने सभी आरोपो के दस्तावेज और प्रमाण भी अपनी शिकायत के साथ प्रस्तुत किए है।उन्होंने कहा कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है और ठेकेदार को अनैतिक तरीके से लाभ पहुंचाने की कोशिश की है।उन्होंने जल्द से जल्द मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
नहर परियोजना में गड़बड़ी करने वाले ईई हटाए गए, इन्हें बनाया गया नया प्रभारी
बता दें कि विभाग के लिए यह कार्य शुरू से ही गले की फांस बना हुआ है। कुछ साल पहले इसी नहर लाइनिंग के निर्माण कार्य में जमकर भ्रष्टाचार हुआ था।उस समय भी प्रीतम सिन्हा की शिकायत पर जांच के बाद आधा दर्जन से अधिक अधिकारी और कर्मचारी सस्पेंड हुए थे।अब उसी कार्य की मरम्मत में विभागीय अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत प्रीतम सिन्हा ने की थी।
माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार को भी इस मामले की शिकायत की एक कड़ी में भारतीय प्रशासनिक अधिकारी की भी शिकायत दर्ज हो चूका है:प्रीतम सिन्हा

44.00 करोड़ रुपये की पैरी नहर परियोजना सीसी लाइनींग कार्य पांडुका , राजिम और फिंगेश्वर अनुविभाग के कार्य में फिर भ्रष्टाचार हो रहा हैं श्री पी.के. आनंद तत्कालीन कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद द्वारा ठेकेदार को लाभ पहुंचाने गुणवत्ताहीन और नियम विरुद्ध कार्य करा रहे है
आमजनों के निस्तार के लिए नियम कायदे बताने वाले कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद द्वारा अपने चहेते पेटी ठेकेदार अनिल चंदेल को लाभ पहुंचाने के लिए कई तरह गुणवत्ता हीन करने संरक्षण दे रहे हैं।
श्री अशोक कुमार मित्तल “अ” क्लास कोरबा छ.ग. ठेकेदार के नाम पर अनुबंध दिनांक 26/05/2020 को 18 माह के कार्य अवधि दिनांक 26/11/2021 तक पूर्ण करने के लिए जारी किया गया है। मगर कार्यपालन अभियंता द्वारा ठेकेदार से नियम विरुद्ध कार्य करा रहे हैं जिससे स्पष्ट हो रहा है कि कार्यपालन अभियंता और ठेकेदार का साठगांठ के कारण कार्य में घोर लापरवाही बरती जा रही है। जबकि कराये जा रहे कार्य 44.00 करोड़ रुपये की लागत की है अब तक की भुगतान और कार्य की अगर तुलना की जाये तो स्पष्ट हो सकता है कि कार्य में घोर लापरवाही और ठेकेदार के साथ साठगांठ और कमीशन खोरी जारी है।
प्रीतम सिन्हा का आरोप अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन अनुविभाग पांडुका ने अपने ही पुत्र के फर्म से लाखों रुपए का भुगतान कर किया भ्रष्टाचार को सरकार का संरक्षण

सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार भले ही लाख दावे कर रही है कि जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जाएगा, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है।जल संसाधन संभाग गरियाबंद के तत्कालीन कार्यपालन अभियंता आशुतोष सारस्वत,के.आर साहु अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन अनुविभाग पांडुका की मिली भगत से वित्तीय वर्ष 2021-22 के वार्षिक मरम्मत मद में बिना कार्य के अनुविभागीय अधिकारी पांडुका द्वारा अपने ही कार्यालय से फर्जी कार्य दर्शाकर अपने पुत्र आदित्य ट्रेडिंग एंड कंट्रक्सन मटेरियल सप्लायर रायपुर के नाम पर लाखों रुपए आहरण किया गया है जिसकी शिकायत गरियाबंद जिला भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा ने छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक महोदय पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर में 08/08/2022 को साक्ष्य सहित किया है । जिस पर पुलिस महानिदेशक के द्वारा पुलिस अधीक्षक गरियाबंद को जाँच कर फर्जी बिल ब्हौचर, पद का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार साजिश, शासकीय राशि का गबन एवं कूटरचना करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारी के विरुद्ध प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज करने मांग किया है। जिस पर पुलिस अधीक्षक गरियाबंद ने थाना प्रभारी पांडुका को जांच के लिए नियुक्त किया है जिसमें 08/09/2022 को शिकायत कर्ता का साक्ष्य बयान दर्ज कराया गया है। शिकायत में आशुतोष सारस्वत तत्कालीन कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद, के.आर. साहु अनुविभागीय अधिकारी पांडुका, आर.के.रजक सेवानिवृत्त सहायक अभियंता पांडुका और रोहित तिवारी वरिष्ठ लेखा लिपिक जल संसाधन संभाग गरियाबंद के विरुद्ध नौ बिंदुओं पर शिकायत दर्ज किया है जिसकी प्रतिलिपि जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभिंयता को भी दिया गया है।
भ्रष्टाचारियों पर मेहरबान क्यों:प्रीतम सिंन्हा

छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक को सबूतों के साथ शिकायत पर गरियाबंद पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपने आप को बेबस औऋ लाचार बताकर विभाग में ही जाँच करने का संभव बता दिया।इस मामले में एसपी गरियाबंद को जाँच के लिए एडीजीपी द्वारा निर्धारित किया गया था मगर एसपी गरियाबंद के जाँच अधिकारी द्वारा कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद के एक पेज के पत्र का उल्लेख करते हुए जाँच अधीक्षण अभियंता रायपुर में पूर्व में जाँच चल रहा है और विभाग से जाँच कराया जाना संभव बता कर ठोस कदम नहीं उठाया और ठंडा बस्ते में डाल दिया है। विभाग द्वारा घोटाले और गबन जो सिर्फ कागजों पर दर्शाया गया है तो उसी विभाग से जाँच कराने की सलाह पुलिस विभाग कैसे दे सकता है… यह प्रश्न चिन्ह है पुलिस प्रशासन के कारगुजारियों का।
छत्तीसगढ़ राज्य के पुलिस महानिदेशक को शिकायत दर्ज करने पर भी जाँच नहीं कर पा रही है उसके अधिनस्थ मातहतों द्वारा। भ्रष्टाचारियों को क्या पुलिस का संरक्षण प्राप्त हो गया है…?
प्रीतम सिन्हा की शिकायत पर मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू के विरुद्ध शिकायत में प्रधानमंत्री कार्यालय ने लिया था संज्ञान
प्रीतम सिन्हा भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ के द्वारा माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी,प्रधानमंत्री को सुब्रत साहू अपर मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन द्वारा करोड़ों रूपये के कार्य में ठेकेदार के साथ मिल कर पद का दुरूपयोग कर फर्जी बिल वाउचर, कूटरचना, साजिश, मनमानी, अनैतिक लाभ, गुणवत्ताहीन कार्य कर करोड़ों रूपये की अनियमितता कर शासन को राजस्व हानि पहुंचाने के खिलाफ विधि सम्मत कार्यवाही करने की शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत में जल संसाधन संभाग गरियाबंद छ.ग. शासन के अधीनस्थ पैरी परियोजना अंतर्गत वर्ष 2020-21 में स्वीकृत कार्य लागत रूपये 44.00 करोड़ के कार्य पैरी दायी मुख्य नहर लाइनिंग कार्य 6477 से 36900 मीटर और फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूटारी मासूल के पहले 1524 मीटर और मासूल के बाद 1524 मीटर से 48371 मीटर एवं शेष मरम्मत कार्य 26/05/2020 मेसर्स अशोक कुमार मित्तल ए क्लास ठेकेदार को2020-21 दिनांक 26/05/2020 को अनुबंध हुआ है। शासन के द्वारा अनुबंधकर्ता और विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत कर खास मुख्तारनामा तैयार कर अनिल सिंह चंदेल आत्मज निवासी रायपुर के नाम पर दिनांक 15/01/2021 को कार्य से संबंधित समस्त अधिकार प्रदत्त करते हुए खास मुख्तारनामा में दर्ज कर कार्य सुपुर्द किया गया अनिल सिंह चंदेल द्वारा उक्त स्वीकृत कार्य की समस्त जिम्मेदारी प्रदाय होने के उपरांत प्रशासकीय अधिकारी के साथ आत्मीय संबंध के चलते विभागीय अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर गुणवत्ताहीन कार्य, आर्थिक भ्रष्टाचार एवं कूटरचना का शासन को करोड़ों की हानि पहुंचाई है। चूंकि श्री सुब्रत साहू स्वयं छत्तीसगढ़ शासन में अपर मुख्य सचिव पद कार्यरत रहे थे, सुब्रत साहू द्वारा अनिल सिंह चंदेल से संबंधों के चलते नियम विरूद्ध अनैतिक कार्य, भ्रष्टाचार, गुणवत्ताहीन कार्य पर भी फर्जी बिल वाउचर के माध्यम से करोड़ों का आर्थिक लाभ पहुंचाया गया।
प्रीतम सिन्हा का आरोप पर्यावरण मंडल से अनुमति लिए बिना धड़ल्ले से कर रहे बांध से मिट्टी/मुरुम की खुदाई…अनुविभागीय अधिकारी और कार्यपालन अभियंता दोनों अधिकारी का तकनीकी ज्ञान शून्य, अधिकारियों ने बांध को खतरे में डाल दिया
भाजपा कार्यकर्ता प्रीतम सिंहा का ने सबूत के साथ बड़ा आरोप लगाते हुए कहा था कि जल संरक्षण एवं सिंचाई के लिए बनाए गए बांध को मिट्टी/मुरुम के लिए बेतरतीब तरीके से खोदा जा रहा है। ग्राम फूलझर स्थित गोल्डाबांध में यह खनन किया जा रहा है। ठेका कंपनी ने बांध में अतिरिक्त जमा मिट्टी/मूरुम फिलिंग करने के बकायदा 2000 घनमीटर परिवहन का अनुमति मांग किया है। जल संसाधन एवं खनिज विभाग की अनुमति लेकर खनन कर रहे हैं, लेकिन विभाग के जिम्मेदार मौके का निरीक्षण नहीं किया है। नहर लाईनींग का कार्य करने वाली ठेका कंपनी बांध को मशीन से खोद डाला है। इससे बांध की उपयोगिता प्रभावित होना लाजिमी है। साथ ही आने वाले दिनों में बांध को खतरा है। बांध के पार से खोदाई से बांध अंदर से सिपेज होने पर बांध में पानी का भराव नहीं होगा। क्योंकि बांध के टोह के अंदर में बेतहाशा 4-5 फीट खोदाई कर दिया गया है। जिसमें बांध के फाउंडेशन के बराबर खोदाई से पानी सिपेज हो जाने बांध स्लीप हो जायेगा।
पर्यावरण मंडल देता है डेम की खुदाई के लिए अनुमति
जानकारी के अनुसार डेम की खुदाई के लिए अनुमति देने का अधिकार न जलसंसाधन विभाग के पास है ना खनिज विभाग के पास। ठेका कंपनी को पर्यावरण मंडल से अनुमति लेनी थी, जो नहीं ली गई। इस पर जिला खनिज अधिकारी ने कलेक्टर गरियाबंद से अनुमोदित कर ठेका कंपनी ने अनुमति खनिज व जलसंसाधन विभाग से ली है। पर्यावरण मंडल से नहीं ली है। और नाही अब तक दोनों विभाग ने मौके पर जाकर स्थिति का आकलन नहीं किया है।
चैन माउंटेन मशीन से कर दिया गोल्डाबांध डेम की खुदाई..
डेम के एक छोर में धड़ल्ले से खुदाई किया गया है। इसके लिए चैन माउंटेन का उपयोग किया गया है। पहले भी बांध की मिट्टी व मुरुम की खुदाई नहर लाईनींग के लिए किया गया है और अब इसी कार्य के लिए भी मुरुम को बेचा गया है। खनिज विभाग के अनुसार ठेका कंपनी को 20 हजार घनमीटर मुरुम खनन की अनुमति दी गई है। जल संसाधन विभाग ने भी खनन की अनुमति दी है। लेकिन दोनों विभाग के जिम्मेदार तय शर्तों के विपरीत हो रही खुदाई को झांककर भी नहीं रहे हैं। अंधाधुंध खनन के कारण गोल्डाबांध अधिक गहरा हो चुका है। इससे डेम के मूल स्वरूप को भी नुकसान पहुंचेगा।
गोल्डाबांध को खतरनाक ढंग से खोद दिया…
नहर निर्माण की ठेका कंपनी ने मशीन से इसकी खुदाई कर दिया है। यह सब सांठगांठ से किया जा रहा है। मामले के जानकार प्रीतम सिन्हा ने बताया कि बांध को खतरनाक ढंग से खोदा गया है। जलभराव होने पर वह बांध को खतरा हो सकता है। जबकि डूबान क्षेत्र में बांध के अधिकतम जल स्तर(MWL) क्षेत्र में नियमतः खोदाई नहीं हो सकता।अनुविभागीय अधिकारी ने बांध के पार को छोड़कर खोदने की अनुंशसा किया है और कार्यपालन अभियंता जल संसाधन संभाग गरियाबंद के द्वारा उसे अनुमति के खनिज अधिकारी को प्रस्ताव भेज दिया। अनुविभागीय अधिकारी और कार्यपालन अभियंता दोनों अधिकारी तकनीकी ज्ञान शून्य, अधिकारियों ने बांध को खतरे में डाल दिया।
खनिज विभाग के अधिकारी और ठेकेदार की मिली भगत स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा है
भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा ने आरोप लगाया था कि जिला खनिज अधिकारी के अनुमति लेकर खनन किया गया जिसमें 20 हजार घनमीटर की अनुमति दी गई है। कितना खनन किया, पता नहीं है। ठेकेदार के आवेदन और अधिकारियों के प्रतिवेदनों में स्पष्ट रूप से गड़बड़ी दिखा दे रहा है। जबकि जिला प्रशासन के सारे बड़े जिम्मेदार अधिकारियों ने नियम को हासिये में डाल कर गैरकानूनी तरीके से ठेकेदार को लाभान्वित करने के उद्देश्य से बांध से मिट्टी मुरुम करवा दिया।जबकि चल रहे कार्य में सिर्फ और सिर्फ मुरुम का ही उपयोग होना है।
नहर सीसी लाईनींग कार्य में भ्रष्टाचार शासन और प्रशासन की मिली भगत से: प्रीतम सिन्हा
भाजपा कार्यकर्ता प्रीतम सिंहा ने सबूतों के साथ आरोप लगाया था कि जल संसाधन संभाग गरियाबंद के बहुचर्चित पैरी परियोजना में वर्ष 2020-21 में स्वीकृत पैरी दायीं मुख्य नहर एवं फिंगेश्वर डिस्ट्रिब्यूटरी नहर सीसी लाइनींग एवं शेष मरम्मत कार्य का 44.00 करोड़ के ऊपर 46.50℅अतिरिक्त लगभग 66.00 करोड़ रुपये की लागत से चल रहे नहर सीसी लाईनींग कार्य में छत्तीसगढ़ सरकार और उसके बड़े प्रशासनिक अधिकारी की वरदहस्त प्राप्ति के चलते फिर बड़ा भ्रष्टाचार का खेल हो रहा है। विगत वर्ष जुलाई 2021 और जून 2022 के बीच महज 11 माह के भीतर भ्रष्टाचार के चलते दो कार्यपालन अभियंता को हटा कर शासन ने जनता को सिर्फ और सिर्फ गुमराह करने का प्रयास किया है। जबकि जल संसाधन संभाग गरियाबंद के कार्यपालन अभियंता बदलने के बाद आज भी गुणवत्ताहीन कार्य ठेकेदार के द्वारा मनमानी तौर कराया जा रहा है। जिसमें विभाग के आलाधिकारी मौन धारण कर भ्रष्टाचार का संरक्षक बने बैठे हैं।
जल संसाधन संभाग गरियाबंद के पैरी परियोजना के अंतर्गत चल रहे नहर सीसी लाइनींग कार्य वर्तमान में जल संसाधन अनुविभाग पांडुका में निर्माणाधीन कार्य की बोलती तश्वीर गौरतलब यह कि जल संसाधन संभाग गरियाबंद में जिम्मेदार पदस्थ कार्यपालन अभियंता शासन स्तर पर नये अभिंयताओं को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी भी निभाते हैं तो फिर इस तरह का तकनीकी रूप से गैरजिम्मेदाराना कार्य कराया जाना हास्यास्पद है।
नहर मरम्मत के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार में राज्य सरकार के विभागीय अमला मौन:प्रीतम सिन्हा
एक्टिविस्ट एवं भाजपा कार्यकर्ता प्रीतम सिन्हा ने सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अधिकार पर यह आरोप लगाया था कि विभाग के दो अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए 29 दिसम्बर 2021 को DGP से शिकायत की है। उन्होंने शिकायत के साथ 185 पन्नों के सबूत भी पेश किए है। अब इस मामले की जांच गरियाबंद एसडीओपी पुष्पेंद्र नायक कर रहे हैं।शिकायतकर्ता प्रीतम सिन्हा के मुताबिक पूरा मामला 2019-20 के पीस वर्क का है। जल संसाधन विभाग द्वारा इस दौरान 6 सब डिवीजन में नहर रिपेयरिंग पीस वर्क के नाम पर करोड़ो रूपये के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। उनके मुताबिक किसानों को फसल के लिए पानी उपलब्ध हो इसके लिए विभाग द्वारा नहरों की मरम्मत की जानी थी लेकिन विभाग ने पैसे का बंदरबांट कर करोड़ो के भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है।
कहाँ कितना काम…
प्रीतम सिन्हा के मुताबिक विभाग द्वारा जिन 6 सब डिवीजन में कार्य को अंजाम दिया है उनमें राजिम सब डिवीजन में 6 कार्य 15 लाख, छुरा 13 कार्य 31 लाख, गरियाबंद 1 में 17 कार्य 41 लाख, पांडुका 5 कार्य 12 लाख, देवभोग 4 कार्य 10 लाख और फिंगेश्वर 5 कार्य 12 लाख शामिल है। उनके मुताबिक 112 लाख के कुल 46 कार्यों में विभाग द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। उन्होंने इसको लेकर पी.के आनंद तत्कालीन कार्यपालन अभियंता एवं एक साहयक ग्रेड 2 के खिलाफ डीजीपी से नामजद शिकायत करते हुए मामले की जांच की मांग की है।
विधानसभा में उठा था मामला
प्रीतम सिन्हा के मुताबिक मामला बड़ा एव जनहित से जुड़ा होने के कारण अभनपुर विधायक धन्नेद्र साहू विधानसभा में उठा चुके हैं। 28 अगस्त 2020 को उन्होंने मामले को विधानसभा में उठाते हुए जांच की मांग की थी। उनकी मांग पर अपर मुख्य सचिव स्तर जांच कमेटी भी बनी, मगर अबतक कोई जांच नही हुई। उन्होंने जांच कमेटी पर मामले में लीपापोती का आरोप लगाया है।
क्या कहते है जांच अधिकारी
मामले की जांच कर रहे गरियाबंद एसडीओपी पुष्पेंद्र नायक ने शिकायत मिलने की पुष्टि की थाई। उन्होंने बताया था कि मामले की जांच की जा रही है। सबंधितो के ब्यान दर्ज किए जा रहे है। उन्होंने जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। वही जल संसाधन विभाग मामले को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नही है।

शिकायतकर्ता प्रीतम सिंहा का था आरोप
शिकायतकर्ता प्रीतम सिन्हा के मुताबिक गरियाबंद सिंचाई विभाग भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है। उनके मुताबिक यह कोई पहला मामला नही है जब विभाग पर गंभीर आरोप लगे हो बल्कि इसके पूर्व भी विभाग पर कई मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके है। उन्होंने दावा किया कि यदि मामलों की निष्पक्ष जांच हो तो भ्रष्टाचार के कई बड़े पर्दे फाश हो सकते हैं। उन्होंने इस मामले की भी पुलिस विभाग से जल्द जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की थी।