
रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर(गंगा प्रकाश)। इतिहास गवाह है कि एक डायरी ‘जैन हवाला कांड’ के नाम से मिली थी उसमें भी कुछ बड़े नेताओं और अधिकारियों के नाम थे। एक पत्रकार ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की था उसके बाद 3 बड़े दिग्गजों को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था लाल कृष्ण आडवाणी को सांसदी से इस्तीफा देना पड़ा था।बाद के लोस चुनाव में कांग्रेस ने दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल, कमलनाथ और अरविन्द नेताम को प्रत्याशी नहीं बनाया था….।वहीं मोतीलाल वोरा को भी उप्र के राज्यपाल के पद से
इस्तीफा देना पड़ा था..?भिलाई के जैन बंधु की ‘हवाला डायरी और सुप्रीम कोर्ट,सीबीआई द्वारा की गई बड़ी कार्यवाही की भी चर्चा सामयिक होगी। एक छोटे पुलिस अधिकारी द्वारा गश्त में एक संदेही को हिरासत में लेने के बाद हवाला कांड का खुलासा हुआ था।यह स्वतंत्र भारत के इतिहास की इस तरह की सबसे बड़ी और धमाकेदार कार्यवाही के रूप में जानी जाती है।उस घटना के एक बाद फिर हमारा विश्वास अंग्रेजों द्वारा जारी की गई पुलिस की रूटीनग्रस्त कार्य प्रणाली की उपयोगिता के प्रति रेखांकित किया था।छत्तीसगढ़ में हवाला कांड के हीरो एस.के. जैन की डायरी चर्चा में आने के बाद कई राजनेता,अधिकारियों को प्रभावित होना पड़ा था।इस पूरे कांड के चलते तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कमल नाथ तथा अरविंद नेताम को कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित कर दिया था। उनके बदले उनके उत्तराधिकारी धनेन्द्र साहू, अलकानाथ और छबिला नेताम को टिकट दी गई थी ।जैन हवाला कांड और डायरी की भी एक दास्तां है। पुरानी दिल्ली के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में एक छोटे स्तर का पुलिस कर्मचारी ने गश्त के दौरान एक कश्मीरी युवक को संदेह के आधार पर पुलिस थाने लाया था।वहां उसने कश्मीरी आतंक वादी होने की पुष्टि हुई और दिल्ली में उसकी मदद करने वाले लोगों में दिल्ली विश्व विद्यालय के एक छात्र शहाबुद्दीन गौरी का नाम सामने आया था उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो उसने वित्तीय सहायता करने वालों में हवाला कांड के प्रमुख नायक एस.के. जैन के एक कर्मचारी जे.के. जैन का नाम बताया था।बाद में उसी के मार्फत पुलिस एस.के. जैन तक पहुंची थी। उसके परिवार की तलाशी में वह बहुचर्चित डायरी मिली जिसके बड़े राज नेताओं और अधिकारियों के नाम उन्हें दी गई राशि का उल्लेख था,भुगतान की तारीख भी दर्ज थी।डायरी में इतने बड़े लोगों के नाम का उल्लेख होने से पुलिस कुछ सकुचाई और उन्हें प्रथम दृष्टया यकीन भी नहीं हुआ कि एक उद्योग पति द्वारा सभी राजनीतिक दलों के इतने बड़े वरिष्ठ नेताओं वरिष्ठ अफसरों को इतनी बड़ी राशि दी गई। उस समय यह खबर सबसे पहले ‘साप्ताहिक ब्लिटज’ में प्रकाशित हुई,पर कालचक्र के सम्पादक विनीत नारायण ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष जन हित याचिका दायर कर कार्यवाही की मांग की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर मुस्तैदी से कार्यवाही की और संविधान के अनुच्छेद 142 में दिये गये अधिकारों का कारगर ढंग से उपयोग करते हुए केन्द्र सरकार,सीबीआई पर इतना दबाव बनाये रखा कि 7 प्रमुख लोगों के खिलाफ सीबीआई को चलान प्रस्तुत करना पड़ा,वहीं सर्वोच्च न्यायालय का सीबीआई पर इतना अधिक नियंत्रण रहा कि प्रत्येक नामजद व्यक्ति के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई कितने साक्ष्य एकत्रित किये गये,कितनी पूछताछ की गई इन सभी की सीबीआई से ली जाती रही थी। बहरहाल इस प्रकरण के पीछेउस समय के पीएम नरसिंह राव की सोची समझी दूरगामी रणनीति की परिणति भी कुछ लोग मानते रहें।उस समय सीबीआई के डायरेक्टर न केवल आंध्रप्रदेश के थे बल्कि उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद सेवावृद्धि भी पीएम नरसिंह राव ने दी थी। वैसे जैन हवाला डायरी कांड का तत्कालीन लाभ नरसिंह राव को मिला भी,उन्होंने राजनीति के दिग्गजों और महारथियों पर मुकदमा चलाने की कार्यवाही तथा अपने मंत्रिमंडल के 3 वरिष्ठ मंत्रियों पर कार्यवाही करके अपनी निष्पक्षता भी प्रमाणित करने का प्रयास किया।जैन डायरी और हवाला की काली छाया कांग्रेस,भाजपा तथा रामो-वामो तीनों के ही वरिष्ठ नेताओं पर भी 96 के चुनाव में पड़ी थी।यह बात और है कि सितंबर 1993 में जब 64 करोड़ के जैन हवाला घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 115 बड़े अफसरों राजनेताओं को भ्रष्टाचार, टाडा,फेरा और आयकर के मामले में गिरफ्तारी का अनुरोध याचिकाकर्ता विनीत नारायण ने किया था तो भी लोग कहते थे कुछ नहीं होगा…? 1993 में हवाला डायरी के तहत कुछ बड़े राजनेता पर मामला भी चला,यह बात और है कि 18 दिसंबर 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने चार वर्षों में अपनी देखरेख के बावजूद, इस मामले को बंद करते हुए सीबीआई को स्वायत्तता देने की घोषणा कर दी। इस तरह हवाला कांड के आरोपियों को कोई सजा नहीं मिली थी। इस मामले में पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल, विद्याचरण शुक्ल, बलराम जाखड़, माधवराव सिंधिया, लालकृष्ण आडवाणी, अरविंद नेताम, कल्पनाथ राय,अर्जुनसिंह,कमलनाथ यशवंत सिन्हा,आरिफ मोहम्मद खान मदन लाल खुराना,बूटा सिंह,सीके जाफरशरीफ,शरद यादव,पी.शिवशंकर आदि के नाम चर्चा में आये थे?

आज की कांग्रेस ने भ्रष्टाचार शिरोमणियों को दिया टिकट
कांग्रेस ने राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से तीन सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को मौका दिया है, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इनमें राजनांदगांव सीट से प्रत्याशी बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, बस्तर सीट से प्रत्याशी कवासी लखमा और बिलासपुर से पार्टी उम्मीदवार देवेंद्र सिंह यादव शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लेकिन राज्य में कांग्रेस पार्टी को चुनाव से पहले कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ जहां भाजपा पूर्व की बघेल सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बना रही है, वहीं दूसरी तरफ कई कांग्रेसी उम्मीदवारों पर ईडी की जांच और कार्रवाईयों ने पार्टी की मुसीबत को बढ़ा दिया है।
दरअसल, कांग्रेस ने राज्य की 11 लोकसभा सीटों में से तीन सीटों पर ऐसे उम्मीदवारों को मौका दिया है, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इनमें राजनांदगांव सीट से प्रत्याशी बनाए गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, बस्तर सीट से प्रत्याशी कवासी लखमा और बिलासपुर से पार्टी उम्मीदवार देवेंद्र सिंह यादव शामिल हैं। पूर्व सीएम बघेल पर महादेव ऑनलाइन सट्टा एप मामले में 508 करोड़ रुपए लेने का आरोप हैं।ईडी की जांच चल रही है। वहीं ईओडब्ल्यू भी इस मामले में जांच पड़ताल कर रही है। जबकि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा राज्य के कथित शराब घोटाले में मामले में घिरे हैं। इस मामले में ईडी ने जांच के बाद प्रदेश में 2,161 करोड़ के शराब घोटाले में 70 व्यक्तियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई है। इसमें पूर्व मंत्री लखमा समेत कई पूर्व मंत्री,पूर्व विधायक और कई अफसर शामिल हैं।
इसी तरह भिलाई से विधायक देवेंद्र सिंह यादव राज्य के चर्चित कोयला घोटाला मामले में आरोपी हैं। प्रदेश में कोयला घोटाला बड़ा मुद्दा रहा है। ईडी के मुताबिक, कोयले के परिवहन में प्रति टन 25 रुपये की वसूली हुई है। इसमें नेता से लेकर अधिकारियों और कारोबारियों की मिलीभगत की बात सामने आई है। मामले में ईडी ने 540 करोड़ रुपये के कोयला घोटाला होने का तथ्य लाकर 70 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। इसमें कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव समेत कांग्रेस कई कांग्रेस नेता, पूर्व विधायक और कई आईएएस अफसरों के नाम शामिल हैं।

राजनीति में आरोप का कोई प्रभाव नहीं
छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि राजनीति में आरोप का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। आरोप तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह पर लगे थे। उनका नाम भी घोटाले में सामने आया था। अभी सरगुजा के भाजपा प्रत्याशी चिंतामणि महाराज के खिलाफ भी एक मामला सामने आया था। कई प्रत्याशियों के खिलाफ मामले हैं। अभी जो सत्ता में है, वह चाहे जो कर सकता है, मगर आरोप होने से कोई दोषी नहीं है, इसका चुनाव में कोई असर नहीं पड़ेगा।
इधर, छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में पांच वर्षों तक भ्रष्टाचार हुए हैं। इनमें लगातार कार्रवाईयां भी हुई हैं। कई लोग जेल भी गए हैं। यह केवल आरोप नहीं है, यह घोटाला तो केंद्रीय एजेंसियों ने ही उजागर किया है। जिन लोगों को जेल हुई है, उनकी अभी तक जमानत नहीं हुई है। निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव में भी भ्रष्टाचार मुद्दा बनेगा। इन चुनाव में जनता कांग्रेस को सबक सिखाएगी।
जब दोनो पूर्व मुख्यमंत्री का चला था वाक्य युद्ध?सोनिया गांधी के ATM हैं भूपेश बघेल, रमन सिंह के इस बयान पर भूपेश बघेल ने दी थी कार्रवाई करने की चेतावनी
छत्तीसगढ़ के बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए भूपेश बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के उस बयान पर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी जिसमें उन्होंने बघेल को कांग्रेस पार्टी और अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का ‘एटीएम’ कहा था। बघेल ने सिंह से इस बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहा था। तत्कालिन मुख्यमंत्री बघेल ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सिंह के बयान पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि रमन सिंह जी ने जो बयान दिया है वह घोर आपत्तिजनक है। वह कहते हैं कि सोनिया गांधी जी का एटीएम हूं। यह प्रमाणित करें, अन्यथा सार्वजनिक रूप से माफी मांगे। नहीं तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उनके खिलाफ मैं मानहानि का दावा भी करूंगा।
कौन किसका एटीएम है, इसका प्रमाण तो देना ही पड़ेगा?
इसके साथ ही बघेल ने सिंह पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए हिंदी में भी ट्वीट किया था कि “भ्रष्टाचार के अंतरराष्ट्रीय पितामह को लगता है कि मार्गदर्शक मंडल में हुई वाइल्ड कार्ड एंट्री से बाहर आने के लिए छत्तीसगढ़ को बदनाम करेंगे, ये नहीं चलेगा। कौन किसका एटीएम है, इसका प्रमाण तो देना ही पड़ेगा। पनामा के खाते में दर्ज है जिनका नाम वो फिर करने लगे छत्तीसगढ़ को बदनाम।
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का झंडा गाड़ा जा रहा है: रमन सिंह
बघेल ने लिखा है, ”वैसे नान की डायरी में नागपुर से लखनऊ तक का जिक्र है वो किस स्वाइप मशीन से हस्तांतरित हुए थे, प्रदेश की जनता जानना चाह रही है।” बघेल पिछले बीजेपी शासन के दौरान वर्ष 2015 में नागरिक आपूर्ति निगम में सामने आए कथित घोटाले का जिक्र कर रहे थे। राज्य में प्रवर्तन निदेशालय के छापे को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने पूर्व की सत्ताधारी दल कांग्रेस पर निशाना साधा था और कहा था कि देश और दुनिया के सामने छत्तीसगढ़ शर्मसार हुआ है। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का झंडा गाड़ा जा रहा है। हमने कभी कल्पना नहीं की थी कि 40 अधिकारियों के घरों पर ईडी का छापा पड़ेगा।
अब यहां काली कमाई का पोल खुलने लगा है: पूर्व मुख्यमंत्री
सिंह ने कहा था कि मैं पहले से कह रहा हूं कि भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी का एटीएम है। राज्य में अवैध वसूली हो रही है। कोयले में अवैध वसूली हो रही है। अब यहां काली कमाई का पोल खुलने लगा है। सच सामने आएगा और सब सामने आएगा।” उन्होंने कहा था कि यह सरकार जाने वाली है। यहां कई हजार करोड़ रुपये का खेल हो रहा है, यहां सभी जानते हैं। सरकार विकास कार्य नहीं कर पा रही है, लेकिन वसूली करके असम और उत्तर प्रदेश के चुनावों (विधानसभा) में भेजने के लिए पर्याप्त पैसे हैं।अब दोनो पूर्व मुख्यमंत्री के इस वाक्य युद्ध से तर्क लगाया जा सकता हैं अब कौन सी कांग्रेस हैं जिसने लोकसभा चुनाव तीन दागी को चुनावी मैदान मे उतारा हैं।और वो कौन सी कांग्रेस थी जिसने कभी जैन हवाला डायरी में नाम आने से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं वीसी, कमलनाथ, अरविन्द नेताम को टिकट नहीं दिया था।
‘कांग्रेस राज’ में 48,20,69,00,00,000 का घोटाला, बीजेपी ने आरोपों पर जारी किया ‘Congress Files’ का पहला एपिसोड
केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर नए सिरे से हमला करते हुए उसके शासनकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। बीजेपी ने रविवार को ‘कांग्रेस फाइल्स’ नाम से आरोपों का पहला एपिसोड जारी किया हैं बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, “Congress Files के पहले एपिसोड में देखिए, कैसे कांग्रेस राज में एक के बाद एक भ्रष्टाचार और घोटाले हुए…”‘कांग्रेस मतलब करप्शन’ नामक शीर्षक वाले वीडियो में बीजेपी ने आरोप लगाया है, “कांग्रेस ने अपने 70 वर्षों के शासनकाल में जनता के 48,20,69,00,00,000 रुपये लूटे हैं। उस पैसे का उपयोग जनता के लिए उपयोगी विकास के कामों और उनकी सुरक्षा के लिए किया जा सकता था।
बीजेपी ने वीडियो संदेश में कहा है, “इतनी राशि से 24 INS विक्रांत, 300 राफेल जेट और 1000 मंगल मिशन बनाए या खरीदे जा सकते थे लेकिन देश को कांग्रेस के भ्रष्टाचार की कीमत चुकानी पड़ी और वह प्रगति की दौड़ में पिछड़ गया।”
आंखें मूंदे रहते थे मनमोहन सिंह’
बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए वीडियो में 2004-2014 के मनमोहन सिंह के कार्यकाल को ‘खोया हुआ दशक’ करार दिया है। बीजेपी ने वीडियो में कहा, “पूरे 70 साल को एक तरफ रखकर, अगर हम केवल 2004-14 के पिछले कार्यकाल को देखें, तो वह एक ‘खोया हुआ दशक’ था। तब सरकार का नेतृत्व मनमोहन सिंह कर रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने शासन में होने वाले सभी भ्रष्टाचारों पर आंखें मूंद ली थीं। उन दिनों अखबार भ्रष्टाचार की खबरों से भरे रहते थे, जिसे देखकर हर भारतीय का सिर शर्म से झुक जाता था।”बीजेपी ने वीडियो में आरोप लगाया, “कांग्रेस के शासनकाल में 1.86 लाख करोड़ रुपये का कोयला घोटाला, 1.76 लाख करोड़ रुपये का 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला,10 लाख करोड़ रुपये का मनरेगा घोटाला, 70,000 करोड़ रुपये का कॉमनवेल्थ घोटाला, इटली से हेलिकॉप्टर सौदे में 362 करोड़ रुपये की घूस, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के लिए 12 करोड़ की घूस की घटनाएं हुई हैं।”
वीडियो संदेश के अंत में बीजेपी ने कहा, ‘यह कांग्रेस के भ्रष्टाचार की सिर्फ झांकी है, फिल्म अभी खत्म नहीं हुई है।’ इससे पहले कांग्रेस ने भी अडानी मुद्दे पर बीजेपी पर हमला बोला था और ‘हम अदानी के हैं कौन’ अभियान के तहत सवालों के कई सेट जारी किए थे। पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने विभिन्न परियोजनाओं में अडानी समूह को “एकाधिकार” दे दिया है।
क्या भ्रष्ट्राचार बन गया है आज की कांग्रेस का शिष्टाचार ?
गांधी जी जैसा समाज चाहते हैं उन्होंने स्वयं को वैसा बनाया उनके नेतृत्व में लोगों में अपूर्व त्याग,परमार्थ की भावना पैदा हुई। जिस कारण आजादी में असंख्य भारतवासियों ने अपने हितों का त्यागकर जन-कल्याण के लिए अपना सर्वस्व उत्कर्ष किया था।जैसा कि हम जानते हैं कि भ्रष्ट्राचार और अपराध की प्रवृतियों ने समाज में अपने जड़ें व्यापक रुप से जम चुकी हैं। बिनोवाभावे के शब्दों में”भ्रष्ट्राचार आज की कांग्रेस का शिष्टाचार” बनकर रह गया है। जब सभी लोग ऐसा करने लगे तो वह केवल शिष्टाचार रह जाता है। वह भ्रष्ट्राचार तबतक है जबतक उसे कुछ लोग करते हैं। लेकिन जब इसे सभी अपने आचरण में अपनाने लगे तो वह एक भ्रष्ट्राचार बनकर रह जाता है।
बात भी बिल्कुल सही है,आज भ्रष्टाचार ने जन-जीवन को प्रभावित कर रखा है। नौकरी,व्यापार,राजनीति,व्यक्तिगत पारिवारिक जीवन आदि में भ्रष्ट्राचार अन्दर तक घर कर चुका है। व्यक्ति के आचरण,सच्चाई,ईमानदारी,कर्तव्य परायणता,न्याय आदि में व्यवहार अनुकूल न होकर बेईमानी,झूठ,स्वार्थ और अन्याय संगत होता चला जा रहा है। क्योंकि जबतक व्यक्तिगत जीवन से भ्रष्ट्राचार दूर नहीं होगा तब तक व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में प्रगति और उन्नति की सभी योजनायें अपूर्ण ही रहेंगी।
अनेकों लोगों का मत है कि भ्रष्ट्राचार सरकारी संयंत्र पर दूर करने के लिए बड़े कानूनों बनाने की आवश्यकता है। जो कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आवश्यक भी है। इस प्रकार भ्रष्टाचार को सरकारी नियंत्रण से काफी हदतक दबाया भी जा सकता है। दुनिया के आज जितने भी प्रधान शासक वाले देश हैं उनमें ऐसा भी होता है। और उन देशों में काफी हदतक इसमें सफलता भी मिली है। किन्तु भ्रष्ट्राचार रुपी बुराइयों को शासन स्तर पर तबतक पूर्णतया मिटाया नहीं जा सकता है जबतक सरकारी कार्य प्रणाली इससे प्रभावित रहेगी तब तक कानून इसमें कारगर साबित नहीं होगा। क्योंकि सरकारी स्तर पर उससे बचने के पहले ही रास्ते निकाल लिए जाते हैं। देखने में आता है,कि अनेकों बार इसमें दोषी व्यक्ति भी दोषमुक्त हो जाते हैं। और आज यही हो रहा है।
इस तरह का सरकारी प्रयत्न भ्रष्ट्राचार रोकने का पूर्ण समाधान नहीं है। कुछ अंशों में भ्रष्ट्राचार जैसी समस्या को दूर करने में सहायक जरुर हो सकता है। लेकिन भ्रष्ट्राचार की समस्या मूलतः सामाजिक समस्या है जो कि समाज के चरित्र और स्वभाव से सम्बन्ध रखती है। जबतक मनुष्य का सामाजिक स्तर पर चरित्र उत्कृष्ट नहीं होगा तब तक उसका स्वभाव उत्तम नहीं बनेगा।आज लोगों को चरित्र निर्माण की दिशा में प्रोत्साहित किया जाना आवश्यक है। तभी सामाजिक स्तर पर भ्रष्ट्राचार मिटेगा।
इसके लिए सबसे पहले समाजसेवी, राजनेता,प्रबुद्ध जन, सरकारी अधिकारी, कर्मचारी,शिक्षक आदि को अपना आदेश चरित्र और सद्व्यवहार का उत्कृष्ट उदाहरण जन साधारण के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। किसी भी वस्तुस्थिति को समाज में प्रस्तुत करने के लिए उसे सबसे पहले अपने आचरण में अपनाना होगा तभी समाज के अन्य लोग उसका आचरण करेंगे।
सामाजिक,राजनैतिक,नौकरशाह आदि लोग प्रत्यक्ष अपने आचरण और उदाहरण द्वारा चरित्र निर्माण के मार्ग पर चलकर भ्रष्ट्राचार जैसी बुराई को त्यागकर सही मार्ग नहीं दिखायेंगे तब तक भ्रष्टाचार, अपराध की प्रवृत्तियां हमारे समाज से दूर नहीं हटेगी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उदाहरण हम सबके सामने है। उन्होंने न तो कानून बनाने की कभी वकालत की,न दोषी को सजा देने का प्रावधान रखा और न कभी समाज को दोषी ठहराया उन्होंने जैसा समाज को बनाना चाहा उसके अनुसार उन्होंने स्वयं को बनाया। यही कारण था कि आजादी में गांधी जी के नेतृत्व में लोगों के अंदर अपूर्व त्याग, परमार्थ की भावना पैदा हुई थी।जिस कारण उनके नेतृत्व में असंख्य भारतवासियों ने अपने हितों का त्यागकर जन-कल्याण के लिए अपना सर्वस्व उत्कर्ष किया था। जबतक हम अपने इस आदर्श का अवलंबन नहीं करेंगे तब तक साधारण जन सामान्य भी इन आदर्शों को अंगीकार नहीं करेगा।हमें अपने अनैतिक रुप से अर्जित अर्थोंपार्जन के तौर-तरीकों को त्यागना पड़ेगा आज की सबसे बड़ी समस्या राजनेता, नौकरशाह,व्यापारी सभी में है। कि वे परमपिता परमात्मा द्वारा मिले धन से संतुष्ट नहीं हैं वे अपनी आवश्यकताओं से अधिक सम्पत्ति के अर्जन में लगे हैं। जो भ्रष्ट्राचार और अपराध दूर करने में सबसे बड़ी बाधा है। आज सामाजिक स्तर पर, सरकारी प्रतिष्ठानों एवं अन्य कार्यालयों में ऐसे वातावरण बनाने की आवश्यकता है जिससे लोगों को अपनी भ्रष्ट्राचार,अपराध जैसी बुराई छोड़ने की प्रेरणा मिलें और लोगों को सामूहिक एवं व्यक्तिगत रुप से मिलावट,घूस न लेने और न देने एवं अपने कर्त्तव्य की प्रतिज्ञाएं कराईं जाए जिससे समाज में भ्रष्ट्राचार विरोधी वातावरण का निर्माण हो।
अगर देखा जाए तो भ्रष्ट्राचार करने वाले हम स्वयं ही हैं जबतक हम सामूहिक रुप से इस बुराई का त्याग नहीं करेंगे हमें अपने उत्कृष्ट आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करना होगा तभी भ्रष्ट्राचार और अपराध का भूत समाज से नष्ट हो पायेगा। अक्सर हम परस्पर शिकायत करते हैं कि”भ्रष्ट्राचार बढ़ गया है” “अमुक व्यक्ति दोषी है” लेकिन अपने कर्त्तव्य पर धांधली करने वाले अधिकारी, कर्मचारी के विरुद्ध कितने लोगों लिखित में अपने अधिकारों का प्रयोग करते हैं। अपने काम में लेट लतीफी और लापरवाही करने वालों के खिलाफ कितने लोग बोलते हैं-? कोई नहीं…. उल्टा हम घूस देकर अपना काम निकाल लेना हम ज्यादा पसंद करते हैं। इस तरह के अन्याय,अत्याचार,रिश्र्वत, भ्रष्ट्राचार,अपराध आदि के विरुद्ध सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है साथ ही समाज में आज ऐसे व्यक्तियों को निस्वार्थ भाव से आगे आने की आवश्यकता है जिनमें जनसेवा की भावना हो और जो निडर होकर इन बुराइयों का तत्परता से सामना कर सकें।
आज देश में भ्रष्टाचार और अपराध की एक बड़ी समस्या के रुप में अपनी नागरुपी बन फैला रही है। इसे दूर करना आज आवश्यक हो गया है। इसे मिटाये बिना हमारी विकास रुपी आत्मनिर्भरता अधूरी है।लेकिन आज आज की कांग्रेस का भ्रष्ट्राचार ही शिष्टाचार बन गया हैं?