
सुसाइड नोट में अश्विनी मिश्रा ने भूपेश बघेल के ओएसडी अरुण मरकाम और सौम्या चौरसिया का लिया नाम

रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर(गंगा प्रकाश )। भ्रष्टाचार और भू से भूपेश, दोनों का मतलब एक ही हैं ।सच बात है कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पांच सालो में जो कार्य और करनी किया वो पिछले 15 सालो में बीजेपी नहीं कर पाई पाई थी कांग्रेस का यह दावा वाजिब नजर आता है कि पूर्व सीएम बघेल और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के कार्यकाल में लिए गए कर्जो का ब्यौरा और विकास कार्यो का लेखा जोखा राज्य की जनता देख चुकी हैं ।राजनैतिक दलों और उनके नेताओ के काम काज का आकलन जनता करने लगी है। इस बीच केंद्रीय जाँच एजेंसियों की सक्रियता ने जनता को सोचने पर विवश कर दिया है। वही पूर्व मुख्यमंत्री बघेल अब तक तय नहीं कर पाए है कि उनकी कमाई पर्याप्त है, या फिर और प्राप्त है, लिहाजा उनकी कार्यप्रणाली ही नहीं प्रवर्ति पर भी लोगो की निगाहें लगी हुई है।”प्रत्यक्षं किम प्रमाणम”कहते हैं न कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती आईटी और ईडी के साथ मुख्यमंत्री के करीबियों का लेना देना जनता देख रही है, एजेंसियां ढूंढ-ढूंढ कर ला रही है और सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ करने वाले अपने असल ठिकानों पर पहुचाये जा रहे है, जाहिर हो रहा है कि भ्रष्टाचार और शिष्टाचार के बीच छत्तीसगढ़ में रंग भेद की नीति ख़त्म कर दी गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय से ही समस्त प्रकार के भ्रष्टाचार को खाद-पानी मुहैया हो रहा है, साफ है ये पब्लिक है सब जानती है। छत्तीसगढ़ में भा से भ्रष्टाचार और भू से भूपेश, दोनों का मतलब एक ही निकाला जाने लगा है।निवर्तमान भूपेश बघेल की सरकार के कर्म काण्ड की लंबी सूची में से एक छत्तीसगढ़ के पीएससी घोटाले की गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है। जिसकी राज्य में सरकार बदलते ही मोदी गारंटी के साथ विष्णु सरकार जिसकी जांच सीबीआई से करवाने सभी औपचारिकता पूर्ण कर चुकी हैं।बता दें कि पीएससी 2021 के परीक्षा परिणाम आने के बाद इस पूरे घोटाले की पोल खोल दी है। इस परीक्षा में एक दो नहीं बल्कि 18 पदों पर हुई नियुक्ति संदेह के घेरे में हैं। जिसमें सबसे प्रमुख नाम तो पीएससी के चैयरमेन तामन सिंह सोनवानी के परिवार और रिश्तेदार के 05 लोगों की नियुक्ति को लेकर है। वहीं कांग्रेस के नेताओं के परिवार वाले और मुख्यमंत्री के खास अधिकारियों के परिवार वालों की नियुक्ति भी है। मामला उजागर होने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अगले आदेश तक सभी नियुक्तियों को स्थिगित कर दिया है। नियुक्तियों में सरनेम छिपाने तक का फर्जीवाड़ा किया गया है। वहीं पीएससी घोटाले पर हाईकोर्ट की ओर से सरकार को कड़ी फटकार मिली है। साथ में यह भी सिद्ध हो गया कि अब राज्य में हर स्तर पर भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें जकड़ ली हैं। बड़ी बात यह है कि क्या छत्तीसगढ़ पीएससी घोटाला के तार मुख्यमंत्री और उनके प्रमुखों से जुड़े हैं? इसका खुलासा भूपेश बघेल और उनके परिवार से पिछले 22 वर्षों से जुड़े अश्विनी मिश्रा की आत्महत्या ने सिद्ध कर दिया है। आपको बता दें कि 10 मई 2023 को अश्विनी मिश्रा ने कीटनाशक पिया था और 11 मई 2023 को जय मां अम्बे हॉस्पिटल देवपुरी में मृत्यु हो गई थी।
पीएससी भर्ती मामले में इस बार कुछ ज्यादा बड़ा बवाल मच गया। अफसरों व नेताओं के बच्चों का टॉप में आना चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा के वरिष्ठ विधायक पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने भूपेश बघेल सरकार में हुई भर्तियों को लेकर कई बार बयान जारी कर अपना विरोध जताया था। भर्ती में पैसों का खेल किया गया। इस बात का भी जिक्र किया था। इस के साथ ही भाजपा विधायक ननकीराम कंवर ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी लगाई थी। जिस पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी नाराजगी भी व्यक्त की है। पीएससी घोटाले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कड़े तेवर दिखाए। बहस की वायरल वीडियो में चीफ जस्टिस कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि इन 18 लोगों की नियुक्ति रोक दी जाए। हालांकि, ये हाईकोर्ट का अधिकारिक आदेश नहीं है। बता दें कि पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई का जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह काफी गंभीर है। इसमें चीफ जस्टिस कहते सुनाई पड़ रहे हैं कि ये ठीक है कि बड़े पदों पर बैठे लोगों के बच्चे ही ऐसे पदों पर सलेक्ट हो सकते हैं। मगर ऐसा क्या संयोग कि पीएससी चेयरमैन और सेकेट्री के नजदीकी नाते-रिश्तेदारों का चयन हो जाए।
निश्चित ही यह बहुत बड़ा घोटाला है जिसके तार कहीं न कहीं मुख्यमंत्री हाउस से जुड़े हुए हैं क्योंकि इतना बड़ा और व्यापक घोटाला बगैर सीएम की जानकारी के नहीं हो सकता है। साथ ही सीएम की हरी झंडी मिलने पर इसे अंजाम दिया होगा। साथ पीएससी परिणामों में भ्रष्टाचार होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। नियुक्तियों की लिस्ट देखकर पता चलता है कि यह नियुक्तियां पीएससी के सबसे प्रमुख पदों पर धांधलियां हुई हैं। छोटे पदों पर होने वाली नियुक्तियां का तो अभी पता भी नहीं है। हो सकता है कि इन छोटे पदों पर भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार या भाई भतीजावाद चला होगा। पीएससी घोटाले की जांच भी जल्द केंद्रीय एजेंसियां अपने हाथ में लेगी।
आत्महत्या करने वाले अश्विनी मिश्रा के सुसाइट नोट और आडियो क्लिप ने खोली पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार की पोल
अश्विनी मिश्रा की अपने दोस्त के साथ हुई वार्तालाप की ऑडियो क्लिप और सुसाइड नोट से खुलासा होता है। स्व. अश्विनी मिश्रा के सुसाइड नोट में लिखा है कि “प्यारे बच्चो मैं इस घटिया राजनीति और हुक्मरानों के धोखे का शिकार हो गया हूं। आप दादा, अपनी मम्मी, चाचा और बुआ के साथ हिल मिलकर रहना। मैं दुखी हुआ। अति आत्मविश्वास और भरोसा करने के से आज माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी जिस तरह से छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए काम कर रहे हैं, उस पर कुछ अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। लोगों का काम करना तो दूर झूठा आश्वासन देकर घुमा रहे हैं। मैं 23 साल से मुख्यमंत्री के परिवार का हिस्सा रहा। सन् 2000 से लेकर अब तक सेवा की। मगर उन्होंने मुझे न पद दिया, न सम्मान दिया। वह ब्राम्हणों के प्रति बहुत ईर्ष्या रखते हैं। मैंने नंदकुमार बघेल जी की अपना पिता तुल्य मानकर सेवा की, लेकिन उन्होंने मुझे केवल नौकर समझा। आज हर एक कार्यकर्ता की औकात नौकर की भांति हो गई है। मेरे बच्चों अपने दादा का ख्याल रखना। खूब पढ़ाई करना और अपनी मंजिल की ओर अग्रसर रहना। मैं तो इन अधिकारियों की गिरफ्त में फंस गया। लोगों को गुमराह करना अधिकारियों की फितरत बन गई है। कोई भी काम सी.एम. हाऊस से होगा। पर करेगा कौन, यह सवाल उठता है। अरूण मरकाम, सौम्या जी से लेकर तमाम अफसरों को कौन नही जानता। पर जुबान कोई नही खोलता। मेरी मौत के जिम्मेदार छत्तीसगढ़ सरकार के वे अधिकारी हैं, जिन्होंने मुझे अंत तक गुमराह किया। मैं अपनों की नजरों में न गिरू, इसलिए यह कदम सोच समझकर उठा रहा हूं। हे ईश्वर मुझे माफ करना, यह निर्णय मेरे लिए वज्रपात के समान है। छत्तीसगढ़ के उन तमाम कार्यकर्ताओं की उपेक्षा न हो, सरकार केवल चुनाव में उपयोग न करे। यही सद्बुद्धि सरकार को मिले, प्रार्थना है।
क्या अश्वनी मिश्रा ने की थी पीएससी घोटाले की वजह से आत्महत्या क्या मोदी गारंटी दिलाएगी न्याय?
बताते चले कि आज समूचे भारतवर्ष में एक ही गारंटी पर भरोसा और विश्वास हैं तो वो सिर्फ मोदी गारंटी पर हैं आज देश मोदी गारंटी पर भरोसा कर रहा हैं ऐसे में एक सवाल यहा भी उठ रहा हैं की मोदी गारंटी पर मुहर लगाते हुए राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पीएससी घोटाला की जांच सीबीआई से करवा रहें हैं जैसा कि चुनाव के दौरान वादा किया गया था और प्रदेश में आज मोदी गारंटी पर ही भरोसा किया जा रहा हैं लेकिन अश्वनी मिश्रा के परिवार को भी आज न्याय की उम्मीद हैं की आखिर अश्वनी मिश्रा के साथ ऐसा क्या हुआ था कि उन्हें आत्म हत्या करने जैसा कदम उठाया क्या मोदी गारंटी अश्वनी मिश्रा को न्याय दिलाने में कारगर साबित होगी आज ऐ सवाल भी मिश्रा परिवार के जहन में बार बार उठ रहा हैं। यहां पर बताना लाजमी होगा कि छत्तीसगढ़ में पीएससी 2021 के रिजल्ट में गड़बड़ी के आरोपों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधान सभा चुनाव के दौरान बिलासपुर में पीएससी के रिजल्ट में गड़बड़ी का मामला उठाया था और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना साधा था दूसरी तरफ पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भी पीएससी के रिजल्ट में गड़बड़ी के मामले पर जांच कराने की बात कर रहे थे डिप्टी कलेक्टर सहित अन्य पदों के चयन प्रक्रिया में धांधली मामला विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा मुद्दा बन गया था इसका असर चुनाव पर भी देखने को मिला था।दरअसल 30 सितंबर को बिलासपुर में आयोजित बीजेपी की परिवर्तन महासंकल्प रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीजी पीएससी कथित घोटाले को लेकर प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लिया था उन्होंने सवाल किया था कि कांग्रेस की सरकार ने छत्तीसगढ़ के नौजवानों को क्या दिया? सीजी पीएससी घोटाला युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा है। छत्तीसगढ़ के जिन नौजवानों की नौकरी लगी, उनके सामने भी अनिश्चितता है और जिनको वंचित किया गया उनके साथ अन्याय हुआ उन्होंने कहा था कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को आश्वस्त करता हूं कि जो भी इसके दोषी हैं, बीजेपी सरकार बनते ही उन पर कठोर कार्रवाई होगी।बताते चलें कि नई सरकार के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही पीएससी घोटाले में अहम फैसले होंगे। उन प्रबंधकों और कर्मचारियों की नियुक्ति निलंबित कर दी गई है। जो अभी तक कंपनी में शामिल नहीं हुए हैं। आपको बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में लगभग हर रैली में युवाओं के साथ खिलवाड़ करने के लिए पीएससी पर जोरदार हमला बोला था और जांच कराने की घोषणा की थी।जब हमारी सरकार बनेगी तो युवाओं के उत्पात से होगी, कोई नहीं बचेगा। अब तक डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी सहित कई कैडर अधिकारियों ने पीएससी-2021 और 2022 में भाग नहीं लिया है। हालांकि, बिलासपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने मांग की कि जो लोग भाग नहीं लेंगे उन्हें फैसला आने तक निलंबित कर दिया जाए। क्योंकि सरकार बदल गयी है। अटॉर्नी जनरल का कार्यालय भी मुकदमों का बचाव करने के बजाय कार्रवाई करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही पीएससी घोटाले की जांच की घोषणा होने की उम्मीद है। इस उद्देश्य से एक एसआईटी प्रकार की समिति का गठन किया जा सकता है। यह स्पष्ट है कि सरकार सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के खिलाफ कुछ नहीं कर सकती। राज्यपाल अपने कार्यालय को निलंबित कर सकता है, लेकिन अगर उसे पद से हटाया जाना है, तो भी इसे विधायिका द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। हालाँकि, समस्या यह है कि राष्ट्रपति के इस्तीफा देने के बाद उन्हें निलंबित नहीं किया जा सकता है।जांच तभी संभव है जब कोई व्यक्ति पुलिस में एफआईआर दर्ज कराए। कथित तौर पर सरकार जांच पूरी होने के बाद एक और पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने की योजना बना रही है। नई सरकार को पीएससी घोटाले पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी क्योंकि इस मुद्दे को लेकर प्रदेश के युवा कांग्रेस सरकार से नाराज थे। और हम देख सकते हैं कि भाजपा को युवाओं से पक्षपातपूर्ण वोट मिल रहे हैं। भाजपा के युवा नेता उज्जवल दीपक भी पीएससी घोटाले में सक्रिय रहे। इसका मतलब यह है कि पार्टी के युवाओं पर भी कार्य करने का भारी दबाव है। इस स्थिति के कारण सरकार मौलिक कदम उठाने को मजबूर है।
छत्तीसगढ़ में रेवड़ी की तरह बाँटे गए डिप्टी कलेक्टर और DSP के पद
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में इसके चेयरमैन, पूर्व की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के नेताओं और अधिकारियों के रिश्तेदारों के सेलेक्शन पर हाईकोर्ट हैरान है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के बिलासपुर ने इस मामले में सुनवाई करते हुए ऐसे 18 अधिकारियों की नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट ने हैरानी जताई कि छत्तीसगढ़ पीएससी में अधिकारी और नेताओं के बेटे-बेटियों सहित रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे पद दिए गए हैं। लाभ पाने वाले लोगों में कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी और सुधीर कटियार की बेटी-दामाद शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ पीएससी के चेयरमैन को पार्टी बनाने के बारे में पूछा
केस की सुनवाई बिलासपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई थी उन्होंने सुनवाई के दौरान पूछा था कि इतने गंभीर मामले में पीएससी के चेयरमैन को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया।इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने चेयरमैन के पद के संवैधानिक होने की मजबूरी गिनाई गई थी। हालाँकि, कोर्ट ने साफ कहा था कि इन नियुक्तियों को रोका जाए और इस केस के साथ नोट भी अटैच किया जाए।
पूर्ववर्ती सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के नेताओं के नजदीकी रिश्तेदारों पर भी जताई थी हैरानी
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक ननकीराम कंवर ने इस मामले में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने छत्तीसगढ़ पीएससी को नोटिस जारी कर जवाब माँगा था।हाईकोर्ट ने कहा था कि अधिकारियों की छोड़िए, यहाँ छत्तीसगढ़ पीएससी के चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के 5-5 नजदीकी रिश्तेदारों का चयन हुआ है। हाईकोर्ट ने चेयरमैन, अधिकारी और सत्ताधारी दल के नेताओं के करीबियों के 18 पदों की नियुक्ति की जाँच कराने के निर्देश दिए।
इन लोगों की नियुक्तियों पर सवाल
बिलासपुर हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक, इन 18 लोगों को बड़े और अहम पद बाँटे गए हैं और करोड़ों का भ्रष्टाचार भी किया गया है। आरोप पत्र के मुताबिक, छत्तीसगढ़ पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के बेटे नितेश की नियुक्ति डिप्टी कलेक्टर के पद पर, बहू निशा कोशले डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुई है।इसके अलावा, उनके बड़े भाई के बेटे साहिल का चयन डीएसपी के पद पर हुआ है। इनके सरनेम भी छिपाए गए हैं। यही नहीं, उनके भाई की बहू दीपा अजगले की नियुक्ति जिला आबकारी अधिकारी के पद पर और बहन की बेटी सुनीता जोशी को श्रम अधिकारी बनाया गया है।इसके अलावा, कांग्रेस नेता के ओएसडी के साढू भाई की बेटी खुशबू बिजौरी को भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित किया गया है। कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम शुक्ला को डिप्टी कलेक्टर का पद दिया गया है। कांग्रेस नेता सुधीर कटियार के दामाद शशांक गोयल और बेटी भूमिका कटियार को भी डिप्टी कलेक्टर पद दिया गया है।
अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यपाल के सचिव अमृत खलको की बेटी नेहा खलको और उनके बेटे निखिल खलको दोनों को ही डिप्टी कलेक्टर का पद दिया गया है। इसके अलावा कांग्रेस नेता के ओएसडी के रिश्तेदार की बेटी प्रज्ञा नायक और बेटे प्रखर नायक को भी डिप्टी कलेक्टर बनाया गया है।बताते चलें कि छत्तीसगढ़ पीएससी 2021 का अंतिम परिणाम 11 मई 2023 को जारी हुआ था। इसमें 171 पदों पर भर्ती की गई है, जिनमें 15 लोगों का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ है। इस मेरिट लिस्ट में पीएससी चेयरमैन के रिश्तेदारों और कांग्रेस नेताओं के करीबियों को जगह मिली।रिजल्ट सामने आने के बाद विवाद शुरू हो गया था भाजपा नेता इन नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। आरोप लगाया कि साल 2019-2023 तक छत्तीसगढ़ की सभी भर्तियाँ विवादित रही हैं। इसके बाद से अब लोक सेवा आयोग आरोपों के घेरे में है।
सरकार ने क्या बताया?
CGPSC भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोपों पर पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत भूपेश सरकार ने कोर्ट में सरकार ने अपना पक्ष रख दिया था। उसने एक स्टेटमेंट जारी कर बताया था कि
“PSC भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के मामले की सुनवाई कोर्ट में चल रही है।सरकार ने अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखा है. मामले की जांच की जाएगी और उसको कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा। जिन कैंडिडेट्स पर आरोप लगे हैं, उनकी नियुक्ति कोर्ट के अगले आदेश तक रोक दी गई है।वहीं जिन कैंडिडेट्स को नियुक्ति मिल गई है, उनकी नियुक्ति कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगी।सरकार की तरफ से बताया गया है कि कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई आने वाले हफ्ते में की जाएगी,कोर्ट ने राज्य सरकार और छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन को याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने को कहा है। इतना ही नहीं, कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया है कि अगर मामले में कोई भी जानकारी तथ्यात्मक नहीं पाई गई, तो याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
विपक्ष की बीजेपी ने कई और आरोप लगाए थे
CGPSC की भर्ती परीक्षाओं में बीजेपी की तरफ से लगातार गड़बड़ी के दावे किए जा रहे हैं।अब तो CBI जांच की मांग भी उठने लगी है।बीजेपी के महामंत्री ओपी चौधरी ने परीक्षा की एक आंसर शीट सामने रखते हुए कहा था कि परीक्षा में 8 अंकों का एक प्रश्न पूछा गया था, प्रश्न 1857 क्रांति में वीर हनुमान सिंह के योगदान से जुड़ा हुआ था,इस प्रश्न के उत्तर में एक अभ्यर्थी ने हनुमान सिंह की जगह वीर नारायण सिंह लिखा,इस अभ्यर्थी को 8 में से साढ़े 5 नंबर दिए गए,वहीं जिस अभ्यर्थी ने वीर हनुमान सिह के बारे में लिखा उसे सिर्फ 4 अंक दिए गए।
श्री चौधरी ने कहा था कि इस तरह की आंसर शीट का मूल्यांकन एग्जामिनर, डिप्टी हेड एग्जामिनर और हेड एग्जामिनर तीनों स्तर पर होता है।लेकिन तीनों ने एक तरह के नंबर दिए हैं।चौधरी ने इसी बात पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है? या तो आंसर शीट की ठीक से जांच नहीं हुई या लापरवाही की गई है।परीक्षा में गड़बड़ी सामने आने पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव(पूर्व के अध्यक्ष वर्तमान उप मुख्यमंत्री) ने कहा था कि ये राज्य सरकार के गाल पर जोरदार तमाचा है।राज्य का युवा और बीजेपी इस धांधली की आवाज उठा रहे थे, लेकिन राज्य सरकार ने इसकी जांच के आदेश नहीं दिए,उन्होंने कहा था कि कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है।
“विष्णु सरकार” के मंत्रिपरिषद की बैठक में फैसला के बाद सीजी पीएससी भर्ती घोटाला का मामला सीबीआई के हवाले
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित पीएससी भर्ती घोटाला का केस राज्य सरकार ने सीबीआई को दे दिया है। इस मामले में सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसके अलावा EOW – ACB में दर्ज एफआईआर के साथ पीएससी घोटाला में दर्ज करवा दी है । वहीं एफआईआर को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया है।सीजी पीएससी की भर्ती में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप लगे है इसे लेकर पीएससी के कई अफसर मामले में फंसे हुए हैं। उनपर आरोप है कि, भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी करके नेताओं के रिश्तेंदारों को नौकरी दी गई है। यही मुद्दा विधानसभा चुनाव के वक्त उठा था। लेकिन अब इसी साल 3 जनवरी को मोदी गारंटी पर एक और मुहर लगाते हुए”विष्णु सरकार” की मंत्रिपरिषद की बैठक में इस मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला ले लिया गया था।
बता दें, CG PSC भर्ती घोटाला में राज्यउ में 2 एफआईआर दर्ज हुई है। एक एफआईआर शासन के निर्देश पर की है। वहीं, दूसरी एफआईआर बालोद के अर्जुंदा थाने में दर्ज हुई है। इसके बाद गृह विभाग से अधिसूचना पर दोनों ही मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी है।
इस मामले में अफसरों और कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगे हैं। गृह विभाग से जारी पत्र के आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया था कि, छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित प्रतियोगी परीक्षा 2021 जो 170 पदों के लिए ली गई थी और जिसके परिणाम 11 मई 2021 को जारी किए जाने किए गए थे।
किस-किस की नियुक्तियां संदेह के दायरे में
· छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी के पुत्र के नाम (नीतेश) में सरनेम छुपाया गया। इसका चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है।
· छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी के बड़े भाई के पुत्र का (साहिल) सरनेम छुपाया गया है। जिसका चयन डीएसपी पद पर हुआ है।
· छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी के पुत्र नीतेश की पत्नि निशा कौशले का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है।*
· छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी के भाई की बहु दीपा अजगले आदिल जिला आबकारी अधिकारी के पद पर हुआ है।
· छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी की बहिन की पुत्री सुनीता जोशी का लेवर अधिकारी के पद पर हुआ है।
· छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के सचिव के पुत्र सुमित ध्रुव का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है।
· राज्यपाल के सचिव अमृत खलखो की पुत्री Neha Xalxo का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· राज्यपाल के सचिव अमृत खलखो के पुत्र Nikhil Xalxo का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· बस्तर नक्सल आपरेशन के डीआईजी ध्रुव की पुत्री साक्षी ध्रुव डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· कांग्रेस नेता के ओएसडी के रिश्तेदार की पुत्री प्रज्ञा नायक का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· कांग्रेस नेता के ओएसडी के रिश्तेदार की पुत्र प्रखर नायक का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· वरिष्ठ कांग्रेस नेता की पुत्री अनन्या अग्रवाल का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· वष्ठि कांग्रेस नेता सुधीर कटियार के दामाद शशांक गोयल का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· वष्ठि कांग्रेस नेता सुधीर कटियार की पुत्री भूमिका कटियार का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· कांग्रेस नेता के ओएसडी साहू भाई की पुत्री खुश्बू बिजावरा का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· कांग्रेस नेता राजेन्द्र शुक्ला की पुत्री स्वर्णिम शुक्ला का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· वरिष्ठ कांग्रेस नेता के पुत्र राजेन्द्र कुमार कौशिक का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।
· गनवीर सिंह की पुत्री मीनाक्षी गनवीर का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन।