प्रतिदिन आसपास गांवों से सुनने के लिए सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं सभी भक्ति के रंग में डूबे दिखे

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। नगर पंचायत से लगे दर्रीपार पूरी तरह से अपने चहुंओर भक्ति के रंग में डूबे दिखाई दे रहे हैं छत्तीसगढ़ राज्य अलग-अलग जिलों से श्रीराम कथा कहने के लिए पहुंचे हुए थे। बता दें प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी वार्ड नंबर दो दर्रीपार फिंगेश्वर में तीन दिवसीय संगीतमय राज्यस्तरीय श्रीराम चरित मानस सम्मेलन का आयोजन समस्त वार्ड वासियों के सहयोग से किया जा रहा है समापन अवसर पर आठ मंडलियों ने संगीतमय प्रस्तुति करण दी भूषण कुंजे व्याख्याकार जय किरण मानस परिवार पाली ने कहा भक्ति की शुरुआत माता पिता के चरणों के साथ होती हैं यदि भक्ति को प्राप्त करनी हो तो सबसे पहले अपने माता पिता का पूजन-अर्चन कर उनके आदर्शों पर चले यही काम श्रीराम चरित मानस में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र ने किया जब राजा दशरथ के द्वारा चौदह वर्ष का वनवास मिला तो एक ही बार में ही सहर्ष स्वीकार करते हुए वन को चले गए पूरे जीवन काल तक मर्यादा में रहकर धर्म का पालन किया इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। श्रीराम अपने माता पिता को अपना आदर्श मानते हुए हमेशा उनके प्रति आस्था एवं विश्वास को बनाए रखा भले ही शरीर से आत्मा चले जाए पर माता पिता का वचन माथे शिरोधार्य हमारे प्रथम गुरु होने के साथ परमात्मा के स्वरूप का प्रथम दर्शन किया घर को आज भी स्वर्ग बनाया जा सकता हैं बसर्ते एक दूसरे पर सम्मान का भाव छोटों के प्रति स्नेह का भाव माता पिता गुरू के प्रति आस्था का भाव मन में हो तो आज भी घर को स्वर्ग बनाया जा सकता है। समापन दिवस में प्रस्तुति देने वाले मंडलियों में जय किरण मानस परिवार पाली फिंगेश्वर, स्तुति बालिका मानस परिवार अमोरी महासमुंद, मधुरिमा मानस परिवार बरोड़ा चौक महासमुन्द,श्रद्धा के फूल मानस परिवार मुनगा शेर, करपुरेश्वर मानस परिवार कोपरा, जय जगजननी महिला मानस परिवार बठेना धमतरी, शिवभक्त मानस परिवार सलिहाटोला राजनांदगांव, बरखा रानी मानस परिवार बागोडार कांकेर पूरे आयोजन को सफल बनाने में रामाधीन साहू अध्यक्ष, सुकालू राम साहू उपाध्यक्ष, हुलास राम साहू कोषाध्यक्ष, वेदराम साहू सचिव ठाकुर राम साहू सह सचिव एवं समस्त वार्ड वासियों का सराहनीय योगदान रहा। पूरे कार्यक्रम का संचालन नंद कुमार यादव प्रधानपाठक ने किया बाहर से पहुंचे सभी श्रद्धालु भक्त जनो के के लिए कौशिल्या भंडारे में विशाल भोजन प्रसादी की व्यवस्था की गई थी।

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