कार्यवाही के दुसरे दिन भी चलता रहा रेत उतखनन, जप्त की गई चैन माउंटेन में ही की खुदाई

आखिरकार इन रेत माफियाओं को कौन दे रहा है संरक्षण?

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। प्रशासनिक अधिकारियो एवं राजनितिक संरक्षण के चलते रेत माफियाओ के हौसले बुलंदी पर है कल चम्पारण एवं परसदाजोशी आमने सामने रेत घाट से कलेक्टर के कड़े निर्देश के बाद खनिज अधिकारियो ने 6 बड़ी बड़ी चैन माउंटेन मशीनो को पकड़ा तो जरूर और उनमे सील लगाया परन्तु इन चैन मशीनो से प्रतिदिन सैकड़ो की संख्या में परिवहन की जा रही 1 भी हाइवा वाहनों का ना पकड़ा जाना वैसे ही काफी संदेहात्मक था परन्तु आज रेत माफियाओ ने उससे भी आगे बढ़कर खनिज अधिकारी,एस डी एम,तहसीलसर की कार्यवाही को आर्थिक संरक्षण राजनैतिक संरक्षण के बल बुते परसदाजोशी रेत घाट की जब्त की हुई अधिकारियो द्वारा सील लगाई गयी चैन माउंटेन मशीनो के सील को तोड़कर रात्रि में फिर सैकड़ो हाइवा रेत का खनन कर परिवहन किया है। भाजपा के शासनकाल में रेत माफियाओ के इस दुस्साहस को राजनैतिक संरक्षण एवं भृष्टाचार की खुली किताब बताया जा रहा है। ग्रामीणों ने आज सुबह इस प्रतिनिधि को मामले की जानकारी दी तो हमारे प्रतिनिधि ने पहले खनिज अधिकारी फागुलाल नागेश एवं एस डी एम राजिम को जानकारी देते हुए पूछा तो उन्होंने कहा की मामले की जानकारी उन्हें मिली है और खनिज निरीक्षक सुभाष साहू को दल बल के साथ मौका स्थल पर भेजा गया है इस मामले के आगे की कार्यवाही इस प्रकार है।
कार्यवाही की जानकारी लेने खनिज निरीक्षक सुभाष साहू को कई बार मोबाईल लगाया गया परन्तु उन्होंने मोबाईल नहीं उठाया। ग्रामीणों ने बताया है कि अधिकारी परसदाजोशी घाट से दो सील टूटी हुई चैन माउन्टींग को ट्रेलर में डालकर पाण्डुका थाना ले जाया गया है। जबकि वहां खड़ी तीसरी चैन माउन्टींग को रेत माफियाओं ने तार तोड़कर खराब कर दिया है। इस कारण चैन माउन्टींग स्टार्ट नहीं होने के कारण एक चैन माउन्टींग को छोड़ दिया है। इसके विपरीत सामने के चंपारण रेत घाट में जब्त की हुई तीन चैन माउन्टींग खड़ी हुई है। इससे रेत माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। राजनीतिक संरक्षण तथा भ्रष्टाचार का ही परिणाम बताया जा रहा है। इस मामले के बारे में जिला कलेक्टर दीपक अग्रवाल से मोबाईल से चर्चा करने पर उन्होंने शाम 5.30 बजे इस मामले के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की तथा कहा कि मैं मामले को दिखवाता हूं। इससे ही समझा जा सकता है कि इतने बड़े मामले की जानकारी जिले के सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारियों को न देते हुए खनिज अधिकारियों ने आनन फानन में मामले को कमजोर करने का षड़यंत्र किया है। अंचल में रेत माफियाओं की इस करतूत को राजनीतिक, प्रशासनिक संरक्षण के रूप में देखा जा रहा है।

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