कथा समाप्ति उपरांत शानदार शोभायात्रा में छत्तीसगढ़ी, रावत नृत्य के उमंग उत्साह के साथ शोभायात्रा पूरे नगर में घुमी

गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। बबली-दीपक तिवारी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह की आज बुधवार 03 अप्रैल को कथा समाप्ति उपरांत शानदार शोभायात्रा निकाली गई। देर शाम कथा स्थल से घोड़ा के रथ में भागवत को स्थापित कर भगवताचार्य भागीरथी महाराज विराजित हुए। छत्तीसगढ़ी, रावत नृत्य के उमंग उत्साह के साथ शोभायात्रा पूरे नगर में घुमने उपरांत कथा स्थल पहुंची। पूरे रास्ते श्रद्धालुजनों ने अपने अपने घरों के सामने भागवत भगवान की पूजा अर्चना की। नगर में भव्य शोभायात्रा की काफी चर्चा रही। इसके पूर्व आज कथा प्रसंग में भगवताचार्य ने व्यासपीठ से परीक्षित मोक्ष की कथा पर शानदार प्रवचन दिया। भगवत प्रेम की प्राप्ति बिना यात्रा अधूरी है। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि जिस प्रकार बच्चें भी देखकर सीखते है सुनकर नहीं। सुनाकर, अच्छाईयां एवं संस्कार बच्चों को नहीं सिखाया जा सकता है। बच्चों को सिखाना है तो हमें अच्छी बातें, अच्छी आदतें स्वयं में लानी होगी। उन्होंने अपने सारगर्भित प्रवचन में बताया कि इस संसार में मनुष्य शरीर मिलने के बाद व्यक्ति जैसा कर्म उसका फल उसे कभी न कभी अवश्य भोगना पड़ता है। अच्छे कर्म का अच्छा फल एवं बुरे कर्मो का बुरा फल मिलता है। व्यक्ति अपने ही किए गए कर्मो का फल भोगता है। सुकदेव का भवपार भी उसके सतकर्मो से ही हुआ। भगवताचार्य ने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार अनिवार्य है। बिना संस्कार के मनुष्य का जीवन पशुतुल्य है। इसलिए बच्चों में शिक्षा से ज्यादा संस्कार देने उन्हें सांस्कारिक बनाने मेहनत होनी चाहिए। तिवारी परिवार द्वारा आयोजित भागवत पुराण कथा के आज अंतिम दिन श्रद्धालुजनों के भावविहल के साथ भागवत भगवान को विश्राम दिया गया। कल गुरूवार को गीता, तुलसी वर्षा, हवन एवं पूर्णाहूति के साथ श्राद्ध का भण्डारा का आयोजन रखा गया है। तिवारी परिवार ने आगुतकों एवं आमंत्रित जनों, परिजनों, नगरवासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थित होने की अपील की है।

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