छत्तीसगढ़ के “भ्रष्ट्राचार शिरोमणि” भू-पे बघेल और “षडयंत्रकारी”अनिल टुटेजा, क्या होंगे गिरफ्तार ? स्टे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती ? EOW और महाधिवक्ता कार्यालय के बीच कमजोर कड़ी का मिला था फायदा?

रायपुर(गंगा प्रकाश)।  छत्तीसगढ़ में घोटालों के सरताज कुख्यात पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल और उसका बंदोबस्त अधिकारी पूर्व IAS अनिल टुटेजा सुर्खियों में है। जनधन की लूट में शामिल रहीं टुटेजा एंड कंपनी भी, क्या वाकई गिरफ्तार होंगी यह देखना गौरतलब है ? दरअसल कारोबारी अनवर ढेबर,अचानक EOW के हत्थे चढ़ गए हैं। बताते हैं कि बारी पहले भू-पे और टुटेजा पिता-पुत्र की थी। लेकिन इसके पहले ही EOW में ऐसा उलटफेर हुआ कि गाज”अनवर मियां”पर गिर गई। अनवर के बयान भी भू-पे बघेल को जेल की हवा खिलाने में कारगर साबित होंगे, जानकारी यही सामने आ रही है। EOW के हत्थे चढ़ने से पहले अनवर ढेबर ने एक बार फिर दावा किया था कि वे पाक-साफ हैं। उन्हें राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के चलते फंसाया जा रहा है, ढेबर ने अपना पक्ष अदालत में भी रखा है।

अंतरिम जमानत पर छूटे कारोबारी अनवर ढेबर की इस बार गिरफ्तारी EOW ने की है। इसके पूर्व ED ने उन्हें शराब घोटाले में नामजद आरोपी बनाया था। बीमारी का हवाला देने के बाद ढेबर को हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली थी। महीनों बाद ढेबर अब ED के सवालों का जवाब देने में जुटे हैं। EOW ढेबर से पूछताछ करने में जुटी है। छत्तीसगढ में शराब घोटाले को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। अनवर ढेबर की गिरफ्तारी के बाद भूपेश बघेल और अनिल टुटेजा की भी गिरफ्तारी को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।

कानूनी दांव-पेचों के चलते दोनों ही आरोपी अभी तक बचते रहे हैं।इस बीच खबर आ रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल की करीबी निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया ने भी अब अपना मुंह खोला है। EOW की टीम आरोपी सौम्या से पूछताछ करने में जुटी है। उससे सच उगलवाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक अब तक की पूछताछ में सौम्या चौरसिया ने पहले तो किसी शराब घोटाले के होने से ही इंकार किया था। लेकिन EOW द्वारा काला चिट्ठा दिखाए जाने के बाद सौम्या ने सारा दोष पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे पर मढ दिया है। उसने साफ तौर पर कहा है कि अधिकारी “सरकार” के निर्देश पर कार्य कर रहे थे। “सरकार” शब्द से उसका तात्पर्य भू-पे बघेल ही बताया जा रहा है।

EOW की टीम आने वाले दो दिनों तक सौम्या चौरसिया के अलावा निलंबित IAS रानू साहू से भी पूछताछ करेगी। रानू साहू भी हकीकत बयान कर रही है, उनके मुताबिक सौम्या चौरसिया और भू-पे, दोनों हमजोली की तरह दबाव बना कर गैर कानूनी कार्यों में जुटे हुए थे। सूत्रों के मुताबिक रानू साहू ने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जाहिर कर भू-पे और कोयला माफिया सूर्यकांत तिवारी के काले कारनामों के कई राज उगले हैं।शराब घोटाले के आरोपियों से जेल में ही पूछताछ की जा रही है, जबकि EOW की एक अन्य टीम अनवर से अपने ही दफ्तर में पूछताछ में जुटी हुई है, अनवर ढेबर को आज अदालत में पेश कर EOW ने रिमांड भी मांगा है। फिलहाल मामले की सुनवाई जारी है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल भूमिगत होने की तैयारी में जुटे बताए जाते हैं। उन्हें भी अपने गिरफ्तारी का अंदेशा सता रहा है।

छत्तीसगढ़ में EOW ने घोटालेबाजों के खिलाफ अपनी कार्यवाही तेज कर दी है। अब आरोपियों पर शिकंजा कसने के लिए विधिसंगत कदम उठाए जा रहे हैं, इसके पूर्व EOW का महात्मा कुख्यात आरोपियों को बचाने में जुटा था। जेल में बंद आरोपियों से पूछताछ और नई गिरफ्तारी से EOW और आरोपियों के बीच लंबे अरसे से जारी आंख मिचौली का खेल नए मोड़ में आ गया है। अब पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल की गिरफ्तारी के कयास लगाए जा रहे हैं। हालाकि बघेल अपने बचाव में इसे बीजेपी की हताशा करार दे रहे हैं। दूसरी ओर लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि दर्जनों घोटाले करने के बावजूद आखिर कोई शख्स चुनाव का हवाला देकर कैसे बच निकल सकता है ? चाहे राजनीति के बघेल क्यों ना हों ? क्या कानून ऐसे गिरोहबाजों पर लगाम कसने के मामले में सक्रियता दिखाएगा ? जनता अब यह सवाल भी पूछने लगी है।

भू-पे राज से लेकर आखिर क्यों अभी तक फिसड्डी साबित हुआ था EOW का अमला। इसे लेकर राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा सरगर्म है। सूत्रों का दावा है कि भूपे गिरोह में शामिल कुछ चुनिंदा IPS अधिकारी अभी भी सौम्या चौरसिया के संपर्क में हैं। अब नए अफसर नए फरमान के चलते अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि जल्द भू-पे और उनकी टोली भी EOW की गिरफ्त में होगी। अदालती सूत्र बताते हैं कि बिलासपुर हाई कोर्ट में टुटेजा एंड कंपनी की कई याचिका पर झूठे कथन डार्क किए हैं। भू-पे राज में जारी सुनवाई के लिए EOW के कुछ चुनिंदा अफसरों ने सरकारी पक्ष के तथ्यों को कमजोर बना कर पेश कर दिया था।

सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के सत्ता में आने के बावजूद दागी अफसरों की निष्ठा शासन के प्रति ना होकर दागी मुख्यमंत्री भू-पे और अनिल टुटेजा के पक्ष में नजर आती है। कानून के जानकार बताते हैं कि सौम्या और टुटेजा के खिलाफ दर्ज तमाम मामलों में अभी तक EOW का रूख कमजोर दलीलों के साथ अदालत में उपस्थित होता था। इस मामले में IPS पी.सदानंद की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। EOW के तत्कालिन SP रहे पी. सदानंद और आरोपी टुटेजा एंड कंपनी, पिता-पुत्र की कई व्हाट्सएप चैट सार्वजनिक हुई है।

यह अनुशासनहीनता और कानून के उल्लंघन के दायरे में है।EOW द्वारा आरोपियों के पक्ष में गैर कानूनी सहायता दिए जाने के मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। इससे जुड़ी ED की पड़ताल में कई चैट भी सामने आई है।पता चलता है कि EOW खुद शुरुवाती दौर से टुटेजा एंड कंपनी के बचाव में जुटा था। लेकिन अब बीजेपी के सत्ता में आने के बाद EOW ने कानून की राह पकड़ ली है। नई टीम के साथ EOW ने आरोपियों के खिलाफ विधिसंगत कार्यवाही शुरू कर दी है।

पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ, अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर सहित 14 लोगों के ठिकानों पर ईडी ने दी थी दबिश

सनद हो कि शराब घोटाला में ईओडब्ल्यू एसीबी की बड़ी कार्यवाही की सूचना आ रही है। EOW ने आबकारी स्कैम में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व में 14 बड़े लोगों के ठिकानों पर दबिश दी थी।ईओडब्ल्यू ने जिन लोगों के ठिकानों पर दबिश दी है इनमें पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढँड, पूर्व आईएएस निरंदास दास, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, सरकारी शराब कंपनी के पूर्व एमडी अरुण पति त्रिपाठी, आबकारी अधिकारी सौरभ बख्शी, अशोक सिंह, अरविंद सिंह, सिद्धार्थ सिंघानिया शामिल हैं।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ के तीनों बड़े डिस्टिलरी केडिया, वेलकम और भाटिया ग्रुप के ठिकानों पर भी eow की टीम पहुँची है। अरुण पति चूंकि जेल से निकलने के बाद से ग़ायब हैं। सो eow की टीम उनके घर के बाहर बैठी है। eow के अफ़सरों ने बताया कि 150 अफ़सरों की टीम इस छापे के लिए लगाई गई है। इससे पहले विशेष न्यायाधीश निधि शर्मा की कोर्ट से eow ने सर्च वारंट लिया और तड़के 14 ठिकानों पर धमक गई। बता दे, ईड़ी के प्रतिवेदन पर eow ने केस दर्ज किया था, उसी मामले में कार्रवाई हुई थी।
बता दें की ईडी के पत्र के आधार पर एसीबी ईओडब्ल्यू ने इसी साल जनवरी में एफआईआर दर्ज किया है। ईडी की सूचना के आधार पर ईओडब्‍ल्‍यू में दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्‍टर माइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस व अन्‍य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्‍सा इन्‍हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस अफसर हैं, जब यह घोटाला हुआ तब वे वाणिज्‍य एवं उद्योग विभाग के संयुक्‍त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्‍तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी थे। वहीं, ढेबर कारोबारी हैं। एफआईआर के अनुसार ढेबर और टुटेजा ने मिलकर पूरी प्‍लानिंग की थी।

इन लोगों ने परिवार के सदस्‍यों के नाम पर किया निवेश

एफआईआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्‍त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं, त्रिपाठी ने अपनी पत्‍नी अपनी पत्‍नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। वहीं, ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया।

शराब घोटाला में क्‍या है विवेक ढांड की भूमिका

एफआईआर में छत्‍तीगसढ़ के पूर्व मुख्‍य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। रिपोर्ट के अनुसार इस बात का खुलासा 2020 में ढांड के यहां आयकर विभाग के सर्च के दौरान मिले दस्‍तावेजों से हुआ है।

टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर मास्टर माइंड

छत्तीसगढ़ में ऐसा शराब घोटाला जो इसके पहले देश में कहीं नहीं हुआ… छत्तीसगढ़ में पैसों की लूट की ये योजना पूरे देश में आज तक किसी ने नहीं बनाई … पैसों को लूटने के लिए छत्तीसगढ़ में गज़ब का घोटाला किया गया और ये पूरा पैसा छत्तीसगढ़िया लोगों से ही लूटा गया है।दिल्ली में शराब घोटाला आपको देश के सभी चैनल में दिखेगा पर छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले की खबरें नहीं दिखेंगी? जो सरकार के दाग को मिटाने के लिए और अपने आकाओं को बचाने के लिए दिल्ली में बैठे बड़े-बड़े मीडिया हाउसों को मैनेज करने का काम करती है।घोटालों पर पर्दा डालने के लिए बड़े मीडिया हाउस के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के खबरों को दिखाने वाले उनके प्रभारी ओबलाइज होकर लाल हो गए हैं।किसको कितना और किस तरह का लाभ दिया गया, ये सबको पता है।बहरहाल अब बात करते हैं देश के सबसे बड़े शराब घोटाले की …कैसे लूटा छत्तीसगढ़िया को उनकी ही चुनी हुई ईमानदारी का दावा करने वाली सरकार, नेताओं और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने … जब छत्तीसगढ़ में शराबियों के साथ हुए इस महाघोटाला को सुनेंगे तो इसके सामने दिल्ली के शराब घोटाले के भ्रष्टाचारी नेता और अधिकारी बहुत छोटे नज़र आएंगे कैसे जनता के पैसों को लूट कर चुनावी प्रचार और नेताओं अधिकारियों की जेब भरने में लगाया गया हैं।छत्तीसगढ़ में शराब का सारा कारोबार राज्य सरकार ही चलाती हैं।यहां 800 शराब की दुकानें हैं।यहां प्राइवेट शराब की दुकानें खोलने की इजाजत नहीं है।यहां बिकने वाली शराब का स्टॉक छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) करता है।साथ ही शराब दुकान चलाने, बोतल बनाने और कैश कलेक्शन जैसे काम में लगने वाले लोगों के लिए भी टेंडर जारी करता है..खेल यहीं से शुरू हुआ।ED ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में 2 हज़ार करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार किया गया।एक सिंडीकेट बनाया गया जो इस पूरे नेक्सस को संचालित कर रहा था।छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में वो तरीके क्या हैं जिससे इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया।कैसे इन भ्रष्ट लोगों ने अपने ही राज्य के लोगों को लूटा है।बताते चलें कि छत्‍तीसगढ़ की सियासत में भूचाल लाने वाले शराब घोटले को लेकर दर्ज हुए FIR में बड़े खुलासे हुए हैं। FIR से यह भी पता चलता है कि, यह घोटला हुआ कैसे। ईडी की सूचना पर जिन लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज की गई है शराब घोटाले में उनकी भूमिका क्‍या रही, यह भी पता चला है। इस काली कमाई का कितना हिस्सा किस नेता, मंत्री और अफसरों को किस तरह से मिले इस बात का खुलासा भी FIR से होता है। इतना ही नहीं बल्कि FIR में यह भी दर्ज है कि, इस पैसे को नेताओं, अफसरों ने कहां-कैसे और किसके नाम पर निवेश किया, इन सभी प्रश्‍नों के जवाब एफआईआर में मौजूद हैं।बताते चले कि शराब की बिक्री के लिए भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई नई आबकारी नीति में संशोधन कर कांग्रेस सरकार ने छत्‍तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले को अंजाम दिया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने नियम बनाया था कि सभी एजेंसियों से शराब की खरीदी शासन द्वारा की जाएगी और इसे ही दुकानों में बेचा जाएगा, लेकिन कांग्रेस सरकार के इशारे पर अफसरों ने इसमें संशोधन करते हुए एफएल 10 लाइसेंस का नियम बनाया और अपनी चहेती तीन फर्मों को इसकी सप्लाई का जिम्मा दे दिया।साथ ही नकली होलोग्राम की भी सप्लाई करवाई गई और इन्हें बाटलों में चिपकाया गया और इसके जरिए बिना स्कैनिंग के बिकने वाली शराब तैयार की गई। प्रतिमाह दो सौ गाड़ियां शराब की सप्लाई इन एजेंसियों के माध्यम से करती हैं और इसमें 800 केस प्रति गाड़ी में अवैध शराब के रखे जाते थे। 560 रुपये प्रति प्रकरण के हिसाब से शराब मंगवाई जाती थी, जिसे 2,880 रुपये एमआरपी पर बेचा जाता था। इसी तरीके से 2019 से लेकर 2022 तक सरकार ने 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले को अंजाम दिया।

शराब घोटाला का मास्टर माइंड

इस पूरे प्रकरण में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को ही मास्टर माइंड बताया गया है, क्योंकि इनके जरिए ही सिंडीकेट बनाया गया और पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। एफआइआर में शामिल बाकी आइएएस और अन्य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था।

परिवार के सदस्यों के नाम पर भी निवेश

एफआइआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजुला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाई, जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड था। वहीं ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों की फर्म में पैसे का निवेश किया।

मंत्री कवासी लखमा और सचिव को 50 लाख महीना

एफआइआर में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। वहीं तत्कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर माह 50 लाख रुपये, विभागीय सचिव आइएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की ओर से 50 लाख रुपये महीने दिए जा रहे थे।

शराब घोटाले में इनके खिलाफ मामला

अनिल टूटेजा, यश टूटेजा, विवेक ढांड, अनवर ढेबर, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लकमा, अरुणपति त्रिपाठी, आइएएस निरजंन दास, आबकारी आयुक्त, जनार्दन कौरव, अनिमेश नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पटले, प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजुश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, आशीष श्रीवास्तव, अशोक कुमार सिंह, मोहित कुमार जायसवाल, नीतू नोतानी, रविश तिवारी, गरीबपाल दर्दी, नोहर सिंह ठाकुर, सोनल नेताम, अरविंद सिंह, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, नवनीत गुप्ता, पिंकी सिंह, विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, नितेश पुरोहित, यश पुरोहित, अभिषेक सिंह, मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा, विजय भाटिया, आशीष सौरभ, सिद्धार्थ सिंघानिया, बच्चा राज लोहिया, अमित मित्तल, उदयराव, लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल, विधू गुप्ता, दीपक दुआरी, दीपेन चावडा, उमेर ढेबर, जुनैद ढेबर, अख्तर ढेबर, अशोक सिंह, सुमीत मलो, रवि बजाज, अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारी, अन्य आबकारी अधिकारी, विकास अग्रवाल के साथीगण और अन्य के खिलाफ षड्यंत्र रचकर धोखाधड़ी करने की धाराओं में मामला दर्ज किया है।

छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला कैसे हुआ उजागर… जानें इस मामले की पूरी जानकारी

देश में इन दिनों दो कथित शराब घोटालों की बड़ी चर्चा है। एक देश की राजधानी AAP-शासित दिल्ली के शराब घोटाले की, तो दूसरे कांग्रेस-शासित छतीसगढ़ में 2161 करोड़ के शराब घोटाले की दोनों जगह के शराब घोटाले सियासी मुद्दा बन चुके हैं। दिल्ली और छत्तीसगढ़, दोनों जगह की दोनो राजनैतिक पार्टियां केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही हैं। दोनों घोटाले में समानताएं भी हैं, लेकिन असल में दोनों शराब घोटालों में काफी अंतर है।

छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला कैसे हुआ उजागर…?

छत्तीसगढ़ सरकार के करीबी अफसर IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है, जिसमें रायपुर महापौर एजाज ढेबर का भाई अनवर धेनर अवैध वसूली करता है।दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA Act के तहत मामला दर्ज किया. आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ED ने अब तक की जांच, गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया है।

ED का कहना है कि अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर आरोपी अनवर ढेबर CSMCL के कमिश्नर और एमडी को भ्रष्टाचार में हमसफ़र बना कर उनकी मदद से CSMCL में विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह जैसों को नौकरी दिलवाई… इस तरह से उसने छत्तीसगढ़ के शराब कारोबार की पूरी प्रक्रिया पर कब्जा कर लिया..

ED के अनुसार अभी तक कुल 180 करोड़ की चल-अचल संपत्ति जब्त हो चुकी है.. जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है कि उनमें अनिल टुटेजा (ये वही अधिकारी है जिसको भूपेश बघेल ने रमन सरकार के दौरान नान घोटाले का मास्टर माइंड बताया था और भ्रष्टाचारी बता कर खूब राजनीति की थी, आज वही इनका सबसे विशेष अवैध वसूली का चेहरा है) की 12 संपत्तियां हैं, जिनका मूल्य 8.83 करोड़ है।
अनवर ढेबर (शराब घोटाले का मास्टरमाइंड और कांग्रेसी नेता व रायपुर के मेयर एजाज़ ढेबर का भाई) की 98.78 करोड़ रुपये की 69 संपत्तियों को जब्त किया गया है..विकास अग्रवाल की 1.54 करोड़ की तीन संपत्तियां, अरविंद सिंह की 11.35 करोड़ की 32 संपत्तियां, अरुणपति त्रिपाठी की 1.35 करोड़ रुपये की एक संपत्ति को जब्त किया गया है..ईडी का दावा है की बीते चार सालों में 2000 करोड़ रुपये की काली कमाई की गई है ..ईडी ने 2019 से 2023 के बीच छत्तीसगढ़ में शराब की खरीद और बिक्री में 2000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है..
घोटाले के आरोप में ईडी अनवर ढेबर, नीतेश पुरोहित, त्रिलोक सिंह ढल्लन और अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार कर चुकी है।(साभार न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़)

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