
रायपुर(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के 22 सौ करोड़ के शराब घोटाले को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में राज्य के शराब घोटाले को लेकर दिए गए फैसले के अध्ययन के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं। अब वो पूरी सजकता के साथ नई कार्यवाही को नियमानुसार अंजाम दे रही है। यद्यपि तकनीकी त्रुटि के चलते ईडी को सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी हो लेकिन सुप्रीम फरमान के अध्ययन के बाद उसकी जांच की राह तय हो गई है। ईडी और इओडब्लू की सक्रियता ने टुटेजा एंड कंपनी समेत आरोपियों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक राज्य के सबसे बड़े शराब घोटाले के आरोपी जल्द ही ईडी की गिरफ्त में होंगे ? इसके लिए नई ईसीआईआर दर्ज करने पर विचार विमर्श जारी है। बताते हैं कि इओडब्लू में दर्ज एफ आई आर को प्रेडिकेट अफेंस के रूप में संज्ञान लेकर प्रवर्तन निदेशालय नई ई सी आई आर दर्ज कर सकता है, इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। इसके साथ ही आरोपियों से पूछताछ को लेकर इओडब्लू भी सक्रिय हो गया है। कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह की गिरफ्तारी के बाद नए आरोपियों की तलाश शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि अभी कई और आरोपी इओडब्लू के हत्थे चढ़ सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनिल टुटेजा एंड कंपनी समेत लगभग आधा दर्जन आरोपियों को राहत दी थी। अदालत में ईडी की पूर्व में दर्ज ईसीआईआर खारिज कर दी गई थी। अदालत में आयकर विभाग की कार्यवाही को ईडी के लिए प्रेडिकेट अफेंस के दायरे में नही पाया था। जबकि दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में आयकर विभाग द्वारा दायर एक परिवाद को आरोपी अनिल टुटेजा और उनके पुत्र यश टुटेजा ने कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें ईडी की कार्यवाही को गैर कानूनी बताया गया था। बताया जाता है कि भू-पे राज में शराब घोटाले के आरोपियों को इओडब्लू और विधि विभाग के कई तत्कालीन अधिकारियों का सहयोग और संरक्षण प्राप्त था। नतीजतन जांच कार्यवाही को लेकर ईडी की टीम अलग थलग पड़ गईं थी।
उसने आयकर विभाग के परिवाद में दर्ज धारा 120 बी को आधार बनाकर टुटेजा एंड कंपनी के खिलाफ ईसीआईआर दर्ज किया था। अदालत में यह कार्यवाही टांय-टांय फिस्स हो गई। कानून के जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने आयकर की धाराओं के तहत कार्यवाही को तो उपयुक्त माना, लेकिन उसमें आई पी सी की धारा 120 बी को भी दर्ज किए जाने के मामले को आपत्ति जनक और गैर जरूरी पाया गया। उनके मुताबिक आयकर विभाग अपनी कार्यवाही में आई पी सी की धाराओं का उपयोग करने के बजाए सिर्फ आयकर एक्ट की धाराओं के तहत ही सीमित रहना था। इस तकनीकी त्रुटि के चलते टुटेजा एंड कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी। उनके खिलाफ ईडी में दर्ज ईसीआईआर को कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सूत्रों का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अध्ययन के बाद एजेंसियों ने तकनीकी त्रुटि और भूल सुधार करने में जोर दिया है।इसके तहत आरोपियों के खिलाफ नई ईसीआईआर दर्ज करने का फैसला भी लिया गया है। इस ईसीआईआर में आबकारी विभाग के कई दागी अधिकारियों के खिलाफ भी नामजद अपराध पंजीबद्ध करने के फरमान प्राप्त हुए हैं। सूत्रों का दावा है कि नई ई सी आई आर में लगभग एक दर्जन आरोपियों के खिलाफ नामजद प्रकरण दर्ज किए जाने की एक सूचि तैयार कर ली गई है। इस सूचि में शामिल किए गए संभावित आरोपियों के नाम चौंकाने वाले बताए जाते है।
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के बीच दागी अधिकारियों और भ्रष्टाचार में लिप्त आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही को लेकर राजनैतिक सरगर्मियां तेज हैं। एजेंसियों ने अपनी कार्यवाही शुरू कर दी है, इसमें उन आरोपियों पर लगातार शिकंजा कस रहा है, जिनका नाता शराब घोटाले से जुड़ा था। राज्य की लगभग सभी 11 सीटों पर भ्रष्टाचार के मुद्दे ने मतदाताओं को प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
जनता आरोपियों की धर-पकड़ और कड़ी कार्यवाही की उम्मीद कर रही है, जबकि कानूनी दांव-पेचों का सहारा लेकर आरोपियों और जांच एजेंसियों के बीच आंख मिचौली का खेल जारी है। इस बीच कानून के जानकारों की निगाहें विष्णुदेव साय सरकार के रूख पर टिकी हुई हैं। कयास लगाया जा रहा है कि शराब घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए राज्य सरकार सी बी आई का दरवाजा भी खटखटा सकती है।
सनद हो कि शराब घोटाला में ईओडब्ल्यू एसीबी की बड़ी कार्यवाही की सूचना आ रही है। EOW ने आबकारी स्कैम में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व में 14 बड़े लोगों के ठिकानों पर दबिश दी थी।ईओडब्ल्यू ने जिन लोगों के ठिकानों पर दबिश दी है इनमें पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढँड, पूर्व आईएएस निरंदास दास, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, सरकारी शराब कंपनी के पूर्व एमडी अरुण पति त्रिपाठी, आबकारी अधिकारी सौरभ बख्शी, अशोक सिंह, अरविंद सिंह, सिद्धार्थ सिंघानिया शामिल हैं।
इसके अलावा छत्तीसगढ़ के तीनों बड़े डिस्टिलरी केडिया, वेलकम और भाटिया ग्रुप के ठिकानों पर भी ईओडब्लू की टीम पहुँची है। अरुण पति चूंकि जेल से निकलने के बाद से ग़ायब हैं। सो ईओडब्लू की टीम उनके घर के बाहर बैठी है। eow के अफ़सरों ने बताया कि 150 अफ़सरों की टीम इस छापे के लिए लगाई गई है। इससे पहले विशेष न्यायाधीश निधि शर्मा की कोर्ट से ईओडब्लू ने सर्च वारंट लिया और तड़के 14 ठिकानों पर धमक गई। बता दे, ईड़ी के प्रतिवेदन पर eow ने केस दर्ज किया था, उसी मामले में कार्रवाई हुई थी।
बता दें की ईडी के पत्र के आधार पर एसीबी ईओडब्ल्यू ने इसी साल जनवरी में एफआईआर दर्ज किया है। ईडी की सूचना के आधार पर ईओडब्ल्यू में दर्ज एफआईआर में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को शराब घोटाला का मास्टर माइंड बताया गया है। एफआईआर में शामिल बाकी आईएएस व अन्य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था। टुटेजा आईएएस अफसर हैं, जब यह घोटाला हुआ तब वे वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव थे। दूरसंचार सेवा से प्रतिनियुक्ति पर आए त्रिपाठी आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ मार्केटिंग कार्पोरेशन के एमडी थे। वहीं, ढेबर कारोबारी हैं। एफआईआर के अनुसार ढेबर और टुटेजा ने मिलकर पूरी प्लानिंग की थी।
इन लोगों ने परिवार के सदस्यों के नाम पर किया निवेश
एफआईआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं, त्रिपाठी ने अपनी पत्नी अपनी पत्नी मंजूला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाया जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्रइवेट लिमिटेड था। वहीं, ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों के फर्म में पैसे का निवेश किया।

शराब घोटाला में क्या है विवेक ढांड की भूमिका
एफआईआर में छत्तीगसढ़ के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का भी नाम है। ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। रिपोर्ट के अनुसार इस बात का खुलासा 2020 में ढांड के यहां आयकर विभाग के सर्च के दौरान मिले दस्तावेजों से हुआ है।
टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर मास्टर माइंड
छत्तीसगढ़ में ऐसा शराब घोटाला जो इसके पहले देश में कहीं नहीं हुआ… छत्तीसगढ़ में पैसों की लूट की ये योजना पूरे देश में आज तक किसी ने नहीं बनाई … पैसों को लूटने के लिए छत्तीसगढ़ में गज़ब का घोटाला किया गया और ये पूरा पैसा छत्तीसगढ़िया लोगों से ही लूटा गया है।दिल्ली में शराब घोटाला आपको देश के सभी चैनल में दिखेगा पर छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले की खबरें नहीं दिखेंगी? जो सरकार के दाग को मिटाने के लिए और अपने आकाओं को बचाने के लिए दिल्ली में बैठे बड़े-बड़े मीडिया हाउसों को मैनेज करने का काम करती है।घोटालों पर पर्दा डालने के लिए बड़े मीडिया हाउस के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के खबरों को दिखाने वाले उनके प्रभारी ओबलाइज होकर लाल हो गए हैं।किसको कितना और किस तरह का लाभ दिया गया, ये सबको पता है।बहरहाल अब बात करते हैं देश के सबसे बड़े शराब घोटाले की …कैसे लूटा छत्तीसगढ़िया को उनकी ही चुनी हुई ईमानदारी का दावा करने वाली सरकार, नेताओं और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने … जब छत्तीसगढ़ में शराबियों के साथ हुए इस महाघोटाला को सुनेंगे तो इसके सामने दिल्ली के शराब घोटाले के भ्रष्टाचारी नेता और अधिकारी बहुत छोटे नज़र आएंगे कैसे जनता के पैसों को लूट कर चुनावी प्रचार और नेताओं अधिकारियों की जेब भरने में लगाया गया हैं।छत्तीसगढ़ में शराब का सारा कारोबार राज्य सरकार ही चलाती हैं।यहां 800 शराब की दुकानें हैं।यहां प्राइवेट शराब की दुकानें खोलने की इजाजत नहीं है।यहां बिकने वाली शराब का स्टॉक छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) करता है।साथ ही शराब दुकान चलाने, बोतल बनाने और कैश कलेक्शन जैसे काम में लगने वाले लोगों के लिए भी टेंडर जारी करता है..खेल यहीं से शुरू हुआ। ईडी ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में 2 हज़ार करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार किया गया।एक सिंडीकेट बनाया गया जो इस पूरे नेक्सस को संचालित कर रहा था।छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में वो तरीके क्या हैं जिससे इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया।कैसे इन भ्रष्ट लोगों ने अपने ही राज्य के लोगों को लूटा है।बताते चलें कि छत्तीसगढ़ की सियासत में भूचाल लाने वाले शराब घोटले को लेकर दर्ज हुए FIR में बड़े खुलासे हुए हैं। FIR से यह भी पता चलता है कि, यह घोटला हुआ कैसे। ईडी की सूचना पर जिन लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज की गई है शराब घोटाले में उनकी भूमिका क्या रही, यह भी पता चला है। इस काली कमाई का कितना हिस्सा किस नेता, मंत्री और अफसरों को किस तरह से मिले इस बात का खुलासा भी एफ आई आर से होता है। इतना ही नहीं बल्कि एफ आई आर में यह भी दर्ज है कि, इस पैसे को नेताओं, अफसरों ने कहां-कैसे और किसके नाम पर निवेश किया, इन सभी प्रश्नों के जवाब एफआईआर में मौजूद हैं।बताते चले कि शराब की बिक्री के लिए भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई नई आबकारी नीति में संशोधन कर कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले को अंजाम दिया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने नियम बनाया था कि सभी एजेंसियों से शराब की खरीदी शासन द्वारा की जाएगी और इसे ही दुकानों में बेचा जाएगा, लेकिन कांग्रेस सरकार के इशारे पर अफसरों ने इसमें संशोधन करते हुए एफएल 10 लाइसेंस का नियम बनाया और अपनी चहेती तीन फर्मों को इसकी सप्लाई का जिम्मा दे दिया।साथ ही नकली होलोग्राम की भी सप्लाई करवाई गई और इन्हें बाटलों में चिपकाया गया और इसके जरिए बिना स्कैनिंग के बिकने वाली शराब तैयार की गई। प्रतिमाह दो सौ गाड़ियां शराब की सप्लाई इन एजेंसियों के माध्यम से करती हैं और इसमें 800 केस प्रति गाड़ी में अवैध शराब के रखे जाते थे। 560 रुपये प्रति प्रकरण के हिसाब से शराब मंगवाई जाती थी, जिसे 2,880 रुपये एमआरपी पर बेचा जाता था। इसी तरीके से 2019 से लेकर 2022 तक सरकार ने 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले को अंजाम दिया।

शराब घोटाला का मास्टर माइंड
इस पूरे प्रकरण में अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर को ही मास्टर माइंड बताया गया है, क्योंकि इनके जरिए ही सिंडीकेट बनाया गया और पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। एफआइआर में शामिल बाकी आइएएस और अन्य सरकारी अफसर और लोग सहयोगी की भूमिका में थे। शराब घोटाला से होने वाली आमदनी का बड़ा हिस्सा इन्हीं तीनों को जाता था।
परिवार के सदस्यों के नाम पर भी निवेश
एफआइआर के अनुसार अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर ने शराब घोटाला से प्राप्त रकम को अपने परिवार वालों के नाम पर निवेश किया। टुटेजा ने अपने बेटे यश टुटेजा के नाम पर निवेश किया। वहीं त्रिपाठी ने अपनी पत्नी मंजुला त्रिपाठी के नाम पर फर्म बनाई, जिसका नाम रतनप्रिया मीडिया प्राइवेट लिमिटेड था। वहीं ढेबर ने अपने बेटे और भतीजों की फर्म में पैसे का निवेश किया।
मंत्री कवासी लखमा और सचिव को 50 लाख महीना
एफआइआर में पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड पर टुटेजा, त्रिपाठी और ढेबर के शराब सिंडीकेट को संरक्षण देने का आरोप है। इसके लिए ढांड को सिंडीकेट की तरफ से राशि भी दी जाती थी। वहीं तत्कालीन विभागीय मंत्री कवासी लखमा को हर माह 50 लाख रुपये, विभागीय सचिव आइएएस निरंजन दास को भी सिंडीकेट की ओर से 50 लाख रुपये महीने दिए जा रहे थे।
शराब घोटाले में इनके खिलाफ मामला
अनिल टूटेजा, यश टूटेजा, विवेक ढांड, अनवर ढेबर, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लकमा, अरुणपति त्रिपाठी, आइएएस निरजंन दास, आबकारी आयुक्त, जनार्दन कौरव, अनिमेश नेताम, विजय सेन शर्मा, अरविंद कुमार पटले, प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, इकबाल खान, नितिन खंडुजा, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजुश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, आशीष श्रीवास्तव, अशोक कुमार सिंह, मोहित कुमार जायसवाल, नीतू नोतानी, रविश तिवारी, गरीबपाल दर्दी, नोहर सिंह ठाकुर, सोनल नेताम, अरविंद सिंह, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, नवनीत गुप्ता, पिंकी सिंह, विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, नितेश पुरोहित, यश पुरोहित, अभिषेक सिंह, मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, अतुल कुमार सिंह, मुकेश मनचंदा, विजय भाटिया, आशीष सौरभ, सिद्धार्थ सिंघानिया, बच्चा राज लोहिया, अमित मित्तल, उदयराव, लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल, विधू गुप्ता, दीपक दुआरी, दीपेन चावडा, उमेर ढेबर, जुनैद ढेबर, अख्तर ढेबर, अशोक सिंह, सुमीत मलो, रवि बजाज, अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारी, अन्य आबकारी अधिकारी, विकास अग्रवाल के साथीगण और अन्य के खिलाफ षड्यंत्र रचकर धोखाधड़ी करने की धाराओं में मामला दर्ज किया है।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला कैसे हुआ उजागर… जानें इस मामले की पूरी जानकारी
देश में इन दिनों दो कथित शराब घोटालों की बड़ी चर्चा है। एक देश की राजधानी AAP-शासित दिल्ली के शराब घोटाले की, तो दूसरे कांग्रेस-शासित छतीसगढ़ में 2161 करोड़ के शराब घोटाले की दोनों जगह के शराब घोटाले सियासी मुद्दा बन चुके हैं। दिल्ली और छत्तीसगढ़, दोनों जगह की दोनो राजनैतिक पार्टियां केंद्र सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही हैं। दोनों घोटाले में समानताएं भी हैं, लेकिन असल में दोनों शराब घोटालों में काफी अंतर है।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला कैसे हुआ उजागर…?

छत्तीसगढ़ सरकार के करीबी अफसर आई ए एस अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और मुख्यमंत्री सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है, जिसमें रायपुर महापौर एजाज ढेबर का भाई अनवर धेनर अवैध वसूली करता है।दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ईडी ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA Act के तहत मामला दर्ज किया. आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ईडी ने अब तक की जांच, गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया है।
ईडी का कहना है कि अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर आरोपी अनवर ढेबर CSMCL के कमिश्नर और एमडी को भ्रष्टाचार में हमसफ़र बना कर उनकी मदद से CSMCL में विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह जैसों को नौकरी दिलवाई… इस तरह से उसने छत्तीसगढ़ के शराब कारोबार की पूरी प्रक्रिया पर कब्जा कर लिया..
ईडी के अनुसार अभी तक कुल 180 करोड़ की चल-अचल संपत्ति जब्त हो चुकी है.. जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है कि उनमें अनिल टुटेजा (ये वही अधिकारी है जिसको भूपेश बघेल ने रमन सरकार के दौरान नान घोटाले का मास्टर माइंड बताया था और भ्रष्टाचारी बता कर खूब राजनीति की थी, आज वही इनका सबसे विशेष अवैध वसूली का चेहरा है) की 12 संपत्तियां हैं, जिनका मूल्य 8.83 करोड़ है।
अनवर ढेबर (शराब घोटाले का मास्टरमाइंड और कांग्रेसी नेता व रायपुर के मेयर एजाज़ ढेबर का भाई) की 98.78 करोड़ रुपये की 69 संपत्तियों को जब्त किया गया है..विकास अग्रवाल की 1.54 करोड़ की तीन संपत्तियां, अरविंद सिंह की 11.35 करोड़ की 32 संपत्तियां, अरुणपति त्रिपाठी की 1.35 करोड़ रुपये की एक संपत्ति को जब्त किया गया है..ईडी का दावा है की बीते चार सालों में 2000 करोड़ रुपये की काली कमाई की गई है ..ईडी ने 2019 से 2023 के बीच छत्तीसगढ़ में शराब की खरीद और बिक्री में 2000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है..
घोटाले के आरोप में ईडी अनवर ढेबर, नीतेश पुरोहित, त्रिलोक सिंह ढल्लन और अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार कर चुकी है।
विदेश भागने की फिराक में थे अनवर ढेबर और अरविंद सिंह, फिल्मी अंदाज में ए सी बी और ईओडब्लू की टीम लिया था अपनी गिरफ्त में 12 अप्रैल रिमांड पर
आबकारी घोटाले में आरोपी अरविंद सिंह और अनवर ढेबर को ACB/EOW ने फिल्मी अंदाज में कुम्हारी टोल प्लॉजा के पास से गिरफ्तार कर लिया था। हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बुधवार रात जेल से छूटा अरविंद सिंह अनवर ढेबर के साथ विदेश भागने के फिराक में था। ACB/EOW ने अरविंद सिंह को गिरफ्तार करने के बाद 7 दिन की रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में पेश किया है। ACB/EOW द्वारा दर्ज शराब घोटाले में अरविंद सिंह के साथ अनवर ढेबर का नाम आरोपी के तौर पर दर्ज है। कोर्ट से रिमांड पर लेने के बाद ACB/EOW पूछताछ करेगी। सनद हो कि शराब घाेटाले मामले में ACB/EOW ने आज अनवर ढेबर और अरविंद सिंह को कोर्ट में पेश किया, जहां दोनों को 12 अप्रैल तक ACB/EOW की रिमांड पर भेजा गया । बता दें कि अनवर ढेबर और अरविंद सिंह की रिमांड खत्म होने के बाद आज दोनों को निधि शर्मा तिवारी की कोर्ट में पेश किया गया था, जहां शराब घोटाले मामले में कोर्ट ने कारोबारी अनवर ढेबर और अरविंद सिंह की रिमांड मंजूर की है।बता दें कि इस घोटाले में अरविंद सिंह को देर रात हिरासत में लिया है। एक दिन पहले ही अरविंद सिंह को हाई कोर्ट से जमानत मिली थी। जेल से छूटने के बाद एसीबी/ईओडब्ल्यू की टीम ने हिरासत में लिया है। फिलहाल अरविंद सिंह से गोपनीय जगह पर पूछताछ चल रही है।बता दें कि रायपुर जेल में बंद 2200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले के आरोपित अरविंद सिंह को मिली सशर्त जमानत मिली थी। अरविंद सिंह को एक लाख रुपए के मुचलके पर जमानत मिली थी। हाईकोर्ट बिलासपुर में जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू की कोर्ट ने जमानत आदेश जारी किया है।
21 मार्च को दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने दो अप्रैल को जारी फैसले में सशर्त जमानत दी थी। वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव ने बचाव पक्ष और डा. सौरभ कुमार पांडे ने ईडी की तरफ से पैरवी की थी। जेल से बाहर आने के दूसरे दिन ही एसीबी/ईओडब्ल्यू की टीम ने पकड़ा है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अरविंद सिंह अनवर ढेवर के साथ विदेश भागने की फिराक में था।बता दे कि छत्तीसगढ़ में ऐसा शराब घोटाला जो इसके पहले देश में कहीं नहीं हुआ छत्तीसगढ़ में पैसों की लूट की ये योजना पूरे देश में आज तक किसी ने नहीं बनाई … पैसों को लूटने के लिए छत्तीसगढ़ में गज़ब का घोटाला किया गया और ये पूरा पैसा छत्तीसगढ़िया लोगों से ही लूटा गया है।दिल्ली में शराब घोटाला आपको देश के सभी चैनल में दिखेगा पर छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले की खबरें नहीं दिखेंगी? जो सरकार के दाग को मिटाने के लिए और अपने आकाओं को बचाने के लिए दिल्ली में बैठे बड़े-बड़े मीडिया हाउसों को मैनेज करने का काम करती है।घोटालों पर पर्दा डालने के लिए बड़े मीडिया हाउस के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के खबरों को दिखाने वाले उनके प्रभारी ओबलाइज होकर लाल हो गए हैं।किसको कितना और किस तरह का लाभ दिया गया, ये सबको पता है।बहरहाल अब बात करते हैं देश के सबसे बड़े शराब घोटाले की …कैसे लूटा छत्तीसगढ़िया को उनकी ही चुनी हुई ईमानदारी का दावा करने वाली सरकार, नेताओं और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने … जब छत्तीसगढ़ में शराबियों के साथ हुए इस महाघोटाला को सुनेंगे तो इसके सामने दिल्ली के शराब घोटाले के भ्रष्टाचारी नेता और अधिकारी बहुत छोटे नज़र आएंगे कैसे जनता के पैसों को लूट कर चुनावी प्रचार और नेताओं अधिकारियों की जेब भरने में लगाया गया हैं।छत्तीसगढ़ में शराब का सारा कारोबार राज्य सरकार ही चलाती हैं।यहां 800 शराब की दुकानें हैं।यहां प्राइवेट शराब की दुकानें खोलने की इजाजत नहीं है।यहां बिकने वाली शराब का स्टॉक छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL) करता है।साथ ही शराब दुकान चलाने, बोतल बनाने और कैश कलेक्शन जैसे काम में लगने वाले लोगों के लिए भी टेंडर जारी करता है..खेल यहीं से शुरू हुआ।ED ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में 2 हज़ार करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार किया गया।एक सिंडीकेट बनाया गया जो इस पूरे नेक्सस को संचालित कर रहा था।छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में वो तरीके क्या हैं जिससे इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया।कैसे इन भ्रष्ट लोगों ने अपने ही राज्य के लोगों को लूटा है।बताते चलें कि छत्तीसगढ़ की सियासत में भूचाल लाने वाले शराब घोटले को लेकर दर्ज हुए FIR में बड़े खुलासे हुए हैं। FIR से यह भी पता चलता है कि, यह घोटला हुआ कैसे। ईडी की सूचना पर जिन लोगों के नाम पर एफआईआर दर्ज की गई है शराब घोटाले में उनकी भूमिका क्या रही, यह भी पता चला है। इस काली कमाई का कितना हिस्सा किस नेता, मंत्री और अफसरों को किस तरह से मिले इस बात का खुलासा भी FIR से होता है। इतना ही नहीं बल्कि FIR में यह भी दर्ज है कि, इस पैसे को नेताओं, अफसरों ने कहां-कैसे और किसके नाम पर निवेश किया, इन सभी प्रश्नों के जवाब एफआईआर में मौजूद हैं।बताते चले कि शराब की बिक्री के लिए भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई नई आबकारी नीति में संशोधन कर कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले को अंजाम दिया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने नियम बनाया था कि सभी एजेंसियों से शराब की खरीदी शासन द्वारा की जाएगी और इसे ही दुकानों में बेचा जाएगा, लेकिन कांग्रेस सरकार के इशारे पर अफसरों ने इसमें संशोधन करते हुए एफएल 10 लाइसेंस का नियम बनाया और अपनी चहेती तीन फर्मों को इसकी सप्लाई का जिम्मा दे दिया।साथ ही नकली होलोग्राम की भी सप्लाई करवाई गई और इन्हें बाटलों में चिपकाया गया और इसके जरिए बिना स्कैनिंग के बिकने वाली शराब तैयार की गई। प्रतिमाह दो सौ गाड़ियां शराब की सप्लाई इन एजेंसियों के माध्यम से करती हैं और इसमें 800 केस प्रति गाड़ी में अवैध शराब के रखे जाते थे। 560 रुपये प्रति प्रकरण के हिसाब से शराब मंगवाई जाती थी, जिसे 2,880 रुपये एमआरपी पर बेचा जाता था। इसी तरीके से 2019 से लेकर 2022 तक सरकार ने 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले को अंजाम दिया।
(साभार न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़)