
रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर(गंगा प्रकाश)। सैनिक किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति में से एक होते हैं। वे राष्ट्र के संरक्षक हैं और हर कीमत पर अपने नागरिकों की रक्षा करते हैं। इसके अलावा, वे बहुत निस्वार्थ लोग हैं जो देश के हित को अपने व्यक्तिगत हित से ऊपर रखते हैं। एक सैनिक की नौकरी दुनिया में सबसे कठिन कामों में से एक है।सैनिक हमारे देश का गौरव और हमारे देश की सबसे बड़ी संपत्ति हैं। वे हमारी मातृभूमि की रक्षा करते हैं और हर कीमत पर नागरिकों की रक्षा करते हैं। सैनिक अपने देश को अपने स्वार्थ से ऊपर रखते हैं। एक सैनिक का पेशा इंसान के सर्वोत्तम गुणों जैसे अनुशासन, शिष्टता, वफादारी, टीम भावना और दृढ़ता को सामने लाता है। इस दुनिया में एक सैनिक की नौकरी सबसे चुनौतीपूर्ण होती है. सैनिक सर्वोत्तम क्षमताओं से अपने देश की सेवा करते हैं। वे कठिनाइयों के बावजूद सदैव अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। एक बहादुर सैनिक बनने के लिए व्यक्ति में असाधारण गुण होने चाहिए। युद्ध क्षेत्र में भेजे जाने से पहले सैनिकों को वर्षों तक प्रशिक्षित किया जाता है। यह प्रशिक्षण अवधि चुनौतीपूर्ण है, उनमें सर्वश्रेष्ठ को सामने लाना और उन्हें युद्ध के मैदान के लिए तैयार करना है।
हमें कारगिल युद्ध में लड़ने वाले हमारे बहादुर सैनिकों की कहानियाँ सुनने को मिलती हैं। और आए दिन हमे छत्तीसगढ़ राज्य में नक्सलियों से मुठभेड़ की खबरे सुनने को मिलती हैं।एक सैनिक का जीवन हमारे युवाओं के लिए प्रेरणा का उत्कृष्ट स्रोत है। उदाहरण के तौर पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस को आज भी उनके वीरतापूर्ण कार्यों के लिए याद किया जाता है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान दे दी।बताना लाजमी होगा कि छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में अंजाम दिए गए तमाम घोटालों की जांच शुरू हो गई है। राज्य की विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का पालन कर विधिसंगत कार्यवाही में जुटी है। पूर्ववर्ती घोटाले बाज भूपेश सरकार ने निर्लज्जता की सभी हदें पार करते हुए सैनिकों की सुरक्षा और उनके जीवन के साथ भद्दा मजाक करते हुए सैनिकों के बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदे में कमीशन खोरी करते हुए घोटाला कर डाला।इस कड़ी में बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले की जांच को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। बताया जाता है कि मुख्य सचिव कार्यालय ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव कार्यालय ने एक शिकायत को संज्ञान में लेकर गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को खरीदी की प्रक्रिया और शिकायत का हवाला देते हुए निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासनिक सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बीजेपी नेता नरेश गुप्ता की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव कार्यालय ने जांच के निर्देश दिए हैं।
छत्तीसगढ़ में तत्कालीन सुपर सीएम अनिल टुटेजा की सरपरस्ती में पुलिस मुख्यालय को भी आय का जरिया बना लिया गया था। यहां नक्सली मोर्चे में डटे जवानों के लिए घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट की आपूर्ति कर दी गई थी। दिलचस्प बात यह है कि टूटेजा के ससुराल पक्ष बिलासपुर से हथियारों और रक्षा उपकरणों के सौदागरों की टोली को थाली में परोस कर 13 करोड़ का वर्क ऑर्डर सौंप दिया गया था। बताते हैं कि कई नामी गिरामी कंपनियों को प्रतियोगिता से बाहर करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय में टुटेजा एंड कंपनी ने धरना दे दिया था।
नतीजतन तयशुदा समुचित सरकारी रक्षा खरीदी प्रक्रिया का पालन किए बगैर सौदागरों के हाथों में सैनिकों की रक्षा की जवाबदारी सौंप दी गई थी। उधर लगभग 13 करोड़ का वर्क आर्डर मिलने से बिलासपुर की यह कंपनी भी सुर्खियों में है। छत्तीसगढ़ में भू-पे सरकार के काले कारनामे लगातार सामने आ रहे हैं, प्याज के छिलकों की तर्ज पर घोटालों और सुनियोजित भ्रष्टाचार के एक के बाद एक मामले उजागर होने से आम जनता ही नही बल्कि शासन प्रशासन भी हैरान है। टुटेजा के सुपर सीएम बनने के बाद कई सरकारी योजनाओं और खरीद फरोख्त में बड़े पैमाने पर धांधली बरती गई थी। नान घोटाले और शराब घोटाले की तर्ज पर बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले को भी अंजाम दिया गया था। यहां तक कि हमारे सैनिकों की जीवन सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ करने के मामले में तत्कालीन भू-पे सरकार ने कोई कसर बाकी नही छोड़ी थी। बीजेपी शासनकाल में अब न्याय की बयार बहने लगी है। सदन के भीतर से लेकर सड़को तक भ्रष्टाचार की जांच को लेकर एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं।
इससे राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में गहमा गहमी है। इस बीच बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले की जांच की मांग वाली एक शिकायत के रंग लाने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी नेता नरेश गुप्ता की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए मुख्य सचिव कार्यालय ने जांच के निर्देश दिए हैं। बताया जाता है कि भू-पे राज में खुलेआम अंजाम दिए गए कई घोटालों की शिकायत करने में बीजेपी नेता नरेश गुप्ता सक्रिय रहे हैं। कई दबाव और कठिनाइयों को झेलने के बावजूद नरेश गुप्ता ने गंभीर शिकायतों की जांच की मांग को लेकर ED और CBI का दरवाजा खटखटाया था। गुप्ता ने राज्य सरकार को भी बेलगाम नौकरशाहों की काली करतूतों से अवगत कराया था। राज्य में बीजेपी सरकार के गठन के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही शुरू हो गई है। इस सिलसिले में बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले की भी सुध ले ली गई है।
सूत्रों के मुताबिक पुलिस मुख्यालय ने वर्ष 2021-2022 में करीब 13 करोड़ की लागत से बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी की थी। रक्षा उपकरणों की खरीदी की प्रक्रिया और गुणवत्ता को लेकर तय मापदंडों पर बताया जाता है कि आपूर्तिकर्ता कंपनी खरी नही उतरी थी। कांग्रेस सरकार में तत्कालीन सुपर सीएम अनिल टुटेजा ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए आपूर्तिकर्ता कंपनी के हाथों में टैंडर सौंप दिया था। जबकि टैंडर की शर्तों का समुचित पालन करने वाली कंपनियों को प्रतियोगिता से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।
यह भी तथ्य सामने आया है कि बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी मामले में तत्कालीन गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू से कोई विधिवत नोटशीट में अनुमति भी नही ली गई थी। सुपर सीएम टुटेजा के दबाव के चलते PHQ स्तर पर भी टैंडर की शर्तों के साथ एकतरफा शिथिलता बरतते हुए वर्क ऑर्डर टुटेजा एंड कंपनी को सौंप दिया गया था। इस अनुचित प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज करने के बजाए PHQ में पदस्थ जिम्मेदार IPS अधिकारी मौन साधे रहे। बताते हैं कि टुटेजा एंड कंपनी के हितों को ध्यान में रखते हुए कतिपय IPS अधिकारियों ने भारी लापरवाही बरती है। उनकी कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में है।
मुख्य सचिव कार्यालय में की गई शिकायत में यह भी बताया गया है कि बुलेट प्रूफ जैकेट ब्रांडेड और आईएसआई स्तर का ना होकर घटिया स्तर का है। इसका बैलेस्टिक टेस्ट भी शिकायतों के दायरे में बताया जाता है। जबकि टैंडर के दौरान बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माण करने वाली कंपनियों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। सूत्रों के मुताबिक टुटेजा ब्रांड आपूर्तिकर्ता कंपनी ने कई दस्तावेजों में हेर-फेर कर यह टैंडर हासिल किया था। उसने खुले बाजार से बुलेट प्रूफ जैकेट सस्ते में खरीद कर PHQ को मोटी रकम में आपूर्ति किया था।
बताते हैं कि इस तथ्य को जानते बूझते हुए भी PHQ स्तर में घटिया रक्षा उपकरणों की खरीद फरोख्त की गई थी। जानकारी के मुताबिक घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदे जाने की जानकारी हासिल होने के बाद तत्कालीन गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने PHQ की टैंडर प्रक्रिया से खुद को अलग कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक आपात स्थिति में जारी होने वाले टैंडर प्रक्रिया का हवाला देते हुए तत्कालीन उद्योग विभाग के सचिव अनिल टुटेजा ने खुद ही टैंडर स्वीकृत कर पुलिस मुख्यालय को मौखिक दिशा निर्देश दिए थे। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री भू-पे ने भी आंख मूंद कर सरकारी स्वीकृति प्रदान की थी।

बताया जाता है कि आपसी तालमेल के बाद टुटेजा के गुर्गों को ही बुलेट प्रूफ जैकेट की आपूर्ति का ठेका सौंप दिया गया था। सूत्र बताते हैं कि टैंडर प्रक्रिया के दौरान बुलेट प्रूफ जैकेट कुछ और दिखाई गई थी, लेकिन आपूर्ति गुणवत्ताविहीन जैकेट की हुई है। फिलहाल यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि टैंडर प्रक्रिया को किसके हितों को ध्यान में रखते हुए प्राभावित किया गया था। सैनिकों के जीवन के साथ समझौता करने में आखिर किसने दिलचस्पी दिखाई थी। जनता को जांच शुरू होने का इंतजार है।
टैंडर प्रक्रिया के दौरान बुलेट प्रूफ जैकेट कुछ और दिखाई गई थी, लेकिन आपूर्ति गुणवत्ताविहीन जैकेट की हुई है। फिलहाल यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि टैंडर प्रक्रिया को किसके हितों को ध्यान में रखते हुए प्राभावित किया गया था। सैनिकों के जीवन के साथ समझौता करने में आखिर किसने दिलचस्पी दिखाई थी। जनता को जांच शुरू होने का इंतजार है।
पूर्ववर्ती भ्रष्ट भूपेश सरकार की एक और काली करतूत आई सामने ,13 करोड़ के घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट की हुई खरीदी



“जय जवान जय किसान” का नारा एक प्रसिद्ध नारा है जो वर्ष 1965 में भारत के दूसरे प्रधान मंत्री स्व. श्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिया गया था। तब से, इस नारे का उपयोग कई नेताओं द्वारा विभिन्न प्लेटफार्मों पर कई बार किया गया हैं।जिसे छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत भूपेश सरकार ने कलंकित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा हैं। बताते चले कि छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर तैनात वीर सैनिकों की सुरक्षा से खिलवाड़ का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले में लगभग 13 करोड़ के घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद लिए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक यह वो बुलेट प्रूफ जैकेट हैं,जिसे हैदराबाद में बैलेस्टिक टेस्ट के दौरान फेल कर दिया गया था। इसकी विधिवत सूचना संबंधित कंपनी को भी भेजी गई थी। बावजूद इसके कंपनी ने खुले बाजार में उपलब्ध घटिया लॉट छत्तीसगढ़ में खपा दिया है। यही नही यह जांच का विषय है कि पुलिस मुख्यालय में तैनात वरिष्ठ अफसरों ने सब कुछ जानते बुझते हुए भी आखिर क्यों इस कंपनी की गैर-कानूनी रुप से मदद की ? इस डील ने भू-पे सरकार की एक बार फिर पोल-खोल कर रख दी है। मौजूदा बीजेपी सरकार से कई सैनिक परिवार डिफेंस सप्लाई डील की जांच की मांग कर रहे हैं।
बताया जाता है कि नक्सली मोर्चों पर डटे जवानों की हिफाजत के लिए वर्ष 2018,2019-2020 में बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी की कावायत शुरू की गई थी। बताते हैं कि इसकी निविदा में दिल्ली समेत अन्य बड़े राज्यों की डिफेंस डील करने वाली बड़ी कंपनियों ने टैंडर में शामिल होकर तमाम औपचारिकताएं भी पूरी की थी। इस दौरान लगभग 13 करोड़ की लागत से यह बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदे जाने थे। लिहाजा अनुकूल शर्तों के साथ टैंडर जारी किए गए थे। यह भी बताया जाता है कि टैंडर में समुचित प्रक्रिया का पालन होने के बावजूद बगैर किसी ठोस कारण के यह टैंडर-निविदा निरस्त कर दी गई थी। इसके बाद 14 फरवरी 2020 को बगैर किसी नोटिफिकेशन के इस निविदा को निरस्त कर पुनः दिनांक 19.03.21 को नई शर्तों के साथ निविदा टैंडर जारी किए गए थे। इसमें पुनः 3 कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा में शामिल होकर बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई के लिए रूचि दिखाई थी।
सूत्रों के मुताबिक नए टैंडर में मेसर्स प्रगति डिफेंस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड बिलासपुर को बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई का ऑर्डर देने के लिए खाका खींचा गया था। इसमें अन्य दो निविदाकारों मेसर्स स्टार वायर इंडिया लिमिटेड और मेसर्स M.K.U दिल्ली को बगैर किसी ठोस कारण के निविदा से बाहर कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक टैंडर प्राप्त करने वाली बिलासपुर की यह कंपनी डिफेंस डील के मामले में फिसड्डी थी। लिहाजा इसे फायदा पहुंचाने के लिए टैंडर प्रक्रिया को प्रभावित किया गया था।बताते हैं कि बिलासपुर स्थित इस कंपनी का मुख्य कर्ताधर्ता दागी IAS अनिल टुटेजा ही था। लिहाजा इस कंपनी ने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कर बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई का ऑर्डर हथिया लिया था।
सूत्रों के मुताबिक टुटेजा ब्रांडकंपनी द्वारा प्रदाय किए गए बुलेट प्रूफ जैकेट, बैलेस्टिक टेस्ट में भी फेल हो गए थे। बावजूद इसके बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी कर ली गई।सूत्र यह भी बताते हैं कि इस टेस्ट में दोबारा शामिल होने के लिए मेसर्स प्रगति डिफेंस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड बिलासपुर ने पुलिस मुख्यालय से अवैध रूप से संरक्षण प्राप्त कर कई दस्तावेजों की कूटरचना भी की थी। ताकि बाजार में उपलब्ध घटिया जैकेट की सप्लाई की जा सके। इसे खपाने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय वर्क-ऑर्डर भी प्राप्त कर लिया गया। सूत्र बता रहे हैं कि टुटेजा के वरदहस्त वाली इस कंपनी ने बैलेस्टिक टेस्ट में दोबारा शामिल होकर गिने चुने गुणवत्ता वाले बुलेट प्रूफ जैकेट टेस्ट कराए थे ताकि वो टेस्ट में पास हो सके। बताते हैं कि टेस्ट में पास बुलेट प्रूफ जैकेट जवानों को उपल्ब्ध ही नही कराए गए। ऐसे गुणवत्ता वाले जैकेट की सप्लाई ही नही की गई। बताते हैं कि जिस बुलेट प्रूफ जैकेट को टेस्ट में पहले उपलब्ध कराया गया था, उसकी आज दिनांक तक सप्लाई ही नही की गई है। कंपनी द्वारा पूर्व में उपल्ब्ध कराया गया घटिया जैकेट हमारे जवानों के कंधों पर आज भी सज रहा है।
बताया जाता है कि बैलेस्टिक टेस्ट में सिर्फ मेटेरियल पास होने के लिए पुलिस मुख्यालय की आलमारियों में कैद रहे। जबकि घटिया माल की सप्लाई बिल निकलने से पहले ही कर दी गई।जानकारों के मुताबिक टैंडर की शर्तों के अनुरूप बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीदी नही होने से हमारे जवानों की जान जोखिम में है। बैलेस्टिक टेस्ट में उपलब्ध कराए गए बुलेट प्रूफ जैकेट की गुणवत्ता और PHQ में सप्लाई लॉट, दोनो की गुणवत्ता में काफी अंतर बताया जाता है। जनहित में इसका परीक्षण कराया जाना बेहद जरूरी बताया जा रहा है।
यह भी बताया जाता है कि टैंडर में शामिल दो नामी-गिरामी कंपनियां बुलेट प्रूफ जैकेट निर्माता हैं,जिनका डिफेंस सिस्टम का कारोबार हर माह करोड़ों में है।जबकि बिलासपुर की टुटेजा ब्रांड कंपनी रातों रात खुले बाजार से घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद कर PHQ में खपाने में जुटी, बताई जाती थी। सूत्रों के मुताबिक इस कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए टैंडर की शर्तों में काफी बदलाव भी किए गए थे। इसमें पहले और दूसरे टैंडर में निविदा में शामिल होने वाली डिफेंस कंपनी के सालाना कारोबार और टर्न ओवर में काफी बदलाव किया गया था। इसका मकसद टुटेजा टुटेजा ब्रांड कंपनी को फायदा पहुंचाया बताया जा रहा है। बताते हैं कि टुटेजा ब्रांड कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए PHQ में तैनात कुछ वरिष्ठ अफसरों ने टैंडर की शर्तों में आपराधिक शिथिलता बरती है।
यह भी बताया जाता है कि बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी में भ्रष्टाचार की बू आने पर तत्कालीन गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने इसकी खरीदी से खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने टुटेजा द्वारा निर्मित खरीदी से संबंधित नोटशीट को ही दरकिनार कर दिया था। ऐसी स्थिती में पुलिस मुख्यालय ने अपनी सजक कार्यप्रणाली का परिचय ना देते हुए टुटेजा ब्रांड कंपनी के पक्ष में टैंडर प्रक्रिया शुरू कर दी। बताते हैं कि ऐसी स्थिती में अनिल टुटेजा ने एक ही दिन के भीतर नए टैंडर के लिए उद्योग विभाग से सभी आवश्यक मंजूरी भी दिलवा दी। बताते हैं कि भू-पे कार्यकाल में फायदे के धंधे से जुड़े तमाम कारोबार में टुटेजा पिता-पुत्र भी शामिल हो गए थे। उनके द्वारा डिफेंस आइटम सप्लाई के कारोबार को राज्य में जोर शोर से संचालित किया जा रहा था।
बताया जाता है कि बुलेट प्रूफ जैकेट निविदा में एक मात्र टुटेजा ब्रांड कंपनी के योग्य पाए जाने पर नए सिरे से टैंडर जारी किए जाने थे, ताकि नियमानुसार कम से कम तीन योग्य कंपनियां प्रतिस्पर्धा में शामिल हों सके।लेकिन ऐसा नही हो पाया। बताते हैं कि कई जिम्मेदार वरिष्ठ अफसरों की विधिसंगत राय को नजरंदाज कर PHQ ने घटिया बुलेट प्रूफ जैकेट की सप्लाई को मंजूरी दे दी। सूत्रों के मुताबिक बुलेट प्रूफ जैकेट घोटाले का यह मामला काफी गंभीर है, यह जवानों की सुरक्षा से जुड़ा है। लिहाजा शिकायतकर्ता ने विष्णुदेव साय सरकार से मांग की है कि फौरन घोटाले की जांच कराई जाए? शिकायत में यह भी कहा गया है कि टुटेजा ब्रांड कंपनी के समस्त दस्तावेजों की पड़ताल भी कराई जाए? उसके द्वारा DRDO से संबंधित दस्तावेजों पर भी सवालिया निशान लग रहा है।न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मामले में DGP से प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क भी साधा, लेकिन कोई प्रत्युत्तर नही प्राप्त हो पाया।
सैनिकों के कर्तव्य

सैनिक किसी भी देश की सबसे बड़ी संपत्ति में से एक होते हैं। वे राष्ट्र के संरक्षक हैं और हर कीमत पर अपने नागरिकों की रक्षा करते हैं। इसके अलावा, वे बहुत निस्वार्थ लोग हैं जो देश के हित को अपने व्यक्तिगत हित से ऊपर रखते हैं। एक सैनिक की नौकरी दुनिया में सबसे कठिन कामों में से एक है। हालाँकि, उनका जीवन बहुत कठिन है। बहरहाल, वे कठिनाइयों के बावजूद हमेशा अपने कर्तव्यों को पूरा करते हैं।
जब सैनिक अपना कर्तव्य निभाता है तो देश चैन की नींद सोता है। एक सैनिक का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य बिना किसी स्वार्थ के अपने देश की सेवा करना है। एक व्यक्ति आमतौर पर अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम और उसकी रक्षा के लिए सेना में भर्ती होता है। भले ही वे जानते हैं कि उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, फिर भी वे अपने देश के लिए ऐसा करते हैं।इसके अलावा, एक सैनिक अपने देश के सम्मान की रक्षा करता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें देश के लिए अपनी जान भी देनी पड़ेगी, वे खुशी-खुशी ऐसा करने को तैयार हैं। साथ ही जवानों को भी हर वक्त सतर्क रहना पड़ता है।वह कभी ड्यूटी से बाहर नहीं होता, चाहे वह सो रहा हो या युद्ध के मैदान पर, वह पूरे समय सतर्क रहता है।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक सैनिक का कर्तव्य देश की शांति और सद्भाव बनाए रखना है। वह सभी के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेता है। सीमा की रक्षा करने के अलावा, वे आपातकालीन स्थिति में भी हमेशा मौजूद रहते हैं। वे हर स्थिति को सावधानी से संभालना सीखते हैं चाहे वह आतंकवादी हमला हो या प्राकृतिक आपदा। दूसरे शब्दों में, स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए स्थानीय अधिकारियों को उनकी आवश्यकता है।एक सैनिक बनना आसान नहीं है, वास्तव में, यह सबसे चुनौतीपूर्ण कामों में से एक है। उनका जीवन कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा होता है। कभी-कभी, भोजन की राशनिंग कम होती है, कभी-कभी वे बिना किसी सिग्नल के दूरदराज के इलाकों में तैनात हो जाते हैं।
इसके बाद, उन्हें सबसे कठिन मौसम की स्थिति में भी काम करना पड़ता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भीषण गर्मी है या कंपकंपा देने वाली ठंड, उन्हें युद्ध के मैदान में उतरना ही होगा। इसी तरह उन्हें पर्याप्त बुलेटप्रूफ उपकरण भी नहीं मिलते जो उन्हें सुरक्षित रख सकें,इस प्रकार, हम देखते हैं कि हमारे सैनिक अपने देश की रक्षा के लिए कितना चुनौतीपूर्ण जीवन जीते हैं।
आप सभी को भली भांति ज्ञात है और आपको पता है कि देश की अंदरूनी और बाहरी रक्षा में सैनिकों का योगदान महत्वपूर्ण है। गर्मी, बरसात व ठंड के मौसम में खुले आसमान तले रहते हुए देश की सीमा और देश की अंदरूनी नक्सल समस्या के विरुद्ध डटे रहते हैं और जरूरत पड़ने पर जान की बाजी लगा देते हैं। हमें अपने देश के सैनिकों पर गर्व है और इसी कारण हर देश प्रेमी सैनिकों के जज्बे को सलाम करता है और उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखता है। सैनिकों के हौसले से ही देश की सीमाएं और देश के की अंदरूनी समस्या के बाबजूद हम सुरक्षित हैं और करोड़ों लोग खुली हवा में सांस ले रहे हैं। सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं और देश प्रगति कर रहा है।
क्यों कि हमारे सैनिक सीमा की सुरक्षा के साथ ही देश पर आने वाली आपदा में भी पूरा सहयोग करते हैं। आपदा विशेषकर प्रलयंकारी बाढ़ आने पर हमारे सैनिक जहां भी लगाए जाते हें वहां लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जान दांव पर लगा देते हैं और जाति, धर्म से ऊपर उठकर संकट में परे हर व्यक्ति के जीवन की रक्षा के लिए जुट जाते हैं।
एक सैनिक के रूप में, सबसे पहला और महत्वपूर्ण कर्तव्य अपने देश की सेवा करना है। देश के नागरिक तब चैन की नींद सोते हैं जब उनके सैनिक ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। आमतौर पर कोई भी व्यक्ति देश के प्रति अपना प्यार दिखाने के लिए सेना में शामिल होता है। एक सैनिक का जीवन कठिन होता है और उन्हें कई समस्याओं से गुजरना पड़ता है, लेकिन फिर भी लोग सेना में शामिल होना चाहते हैं।एक सैनिक के रूप में उन्हें अपने देश के सम्मान की रक्षा करनी है। सैनिक कभी हार नहीं मानते और किसी भी विकट परिस्थिति में अंतिम सांस तक लड़ते हैं। साथ ही उन्हें लगातार सतर्क रहना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि एक सैनिक कभी ड्यूटी से बाहर नहीं होता।एक सैनिक का दूसरा कर्तव्य देश के भीतर शांति और सद्भाव बनाए रखना है। सभी के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है।’ साथ ही जवानों को भी हर वक्त सतर्क रहना पड़ता है. राज्य और राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करने के अलावा, वे आपात स्थिति के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। एक सैनिक जानता है कि प्राकृतिक आपदा या आतंकवादी हमले से कैसे निपटना है।
सैनिकों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ
परिवार से दूर उनका अधिकतर समय देश की सेवा में व्यतीत होता है। दुर्भाग्य से, उन्हें त्योहारों या पारिवारिक समारोहों के दौरान भी शायद ही कोई छुट्टियाँ मिलती हैं। वे अपने प्रियजनों से दूर रहते हैं, जो सैनिक होने का सबसे चुनौतीपूर्ण और भावनात्मक हिस्सा है। यदि किसी तरह उनकी छुट्टियां स्वीकृत हो जाती हैं, तो उन्हें आपातकालीन स्थिति में अपने बेस पर वापस रिपोर्ट करना होगा।
शारीरिक प्रशिक्षण
एक सैनिक बनने के लिए उन्हें कठोर शारीरिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। वे लगातार घंटों व्यायाम करते हैं और विभिन्न शारीरिक व्यायाम करते हैं। यह रंगरूटों के लिए असाधारण रूप से कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
आपूर्ति का अभाव
चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सैनिकों को दूरदराज के इलाकों में विस्तारित मिशनों पर जाने की जरूरत है। उचित भोजन जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी दूरदराज के इलाकों में सैनिकों के जीवन को और भी कठिन बना देती है। हालाँकि, वे ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपना कर्तव्य निभाते हैं।
मुश्किल मौसम की स्थिति
सैनिक कड़ाके की ठंड, चिलचिलाती गर्मी और भारी बारिश जैसी चरम मौसम स्थितियों में तैनात रहते हैं। वे घने जंगलों और बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच लड़ते हैं। इसके अलावा, वे हमेशा अपने देश की रक्षा के लिए मैदान पर रहते हैं।
बुलेटप्रूफ उपकरणों की कमी

युद्ध के समय सैनिकों को लगातार गोलियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें बुलेटप्रूफ कपड़े और शील्ड से लैस किया जाना चाहिए. दुर्भाग्य से, भारत सहित कई देशों में, हमें बुलेटप्रूफ उपकरणों की कमी दिखाई देती है।हर सैनिक के लिए मातृभूमि की रक्षा प्राथमिकता होती है। सैनिक निस्वार्थ भाव से अपना कर्तव्य निभाते हैं और उनमें सम्मान, अनुशासन, टीम वर्क, वफादारी और बहादुरी जैसे गुण होते हैं। वे राष्ट्र और लोगों के लिए अपना जीवन बलिदान कर देते हैं।
विश्व में सैनिक ही राष्ट्रों की रक्षा प्रणाली हैं। वे ही हैं जो साहसपूर्वक विभिन्न खतरों और दुश्मनों से लोगों और राष्ट्र की रक्षा करते हैं। वे दुनिया के देशों का सबसे अविश्वसनीय गौरव हैं।
एक आदर्श सैनिक देश के लिए होना चाहिए. उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे निस्वार्थ भाव से अपने देश की सेवा करें और अपने सम्मान के लिए अपना जीवन बलिदान कर दें। हम ऐसी महान आत्माओं को सलाम करते हैं और प्रेरणा के लिए उनकी ओर देखते हैं।