छत्तीसगढ़ को “भ्रष्ट्राचार” का गढ़ बनाने के बाद पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड बीजेपी के द्वार पर, पार्टी प्रवेश की तैयारी में लेकिन “भ्रष्ट्राचार” के मामलों पर गृह मंत्रालय सख्त

रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर(गंगा प्रकाश)।
छत्तीसगढ़ के विवादास्पद पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड बीजेपी में शामिल होने के लिए इन दिनों जमकर हांथ पैर मार रहे हैं। इसके लिए उन्हें बीजेपी की नीतियां खूब रास आ रही है। राज्य में लगातार फिर बीजेपी की सरकार 15 वर्षों तक कायम रखने का नुस्खा भी राजनीति के इस नए “आचार्य” के पास ही है। इस दावे के साथ ढांड एक्सप्रेस बीजेपी मुख्यालय के सामने खड़ी है। उसे हरी झंडी का इंतजार है। कहते हैं कि स्टेट इकाई को ढांड के बीजेपी प्रवेश पर कोई आपत्ति नही है, बावजूद इसके पूर्व नौकरशाह के पार्टी प्रवेश का मामला दिल्ली दरबार में उलझ गया है। बीजेपी प्रवेश करने वाले नौकरशाहों की ताजा सूची में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव का नाम नदारद बताया जाता है।कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य इकाई को ढांड के पार्टी प्रवेश की सिफारिश की जाने वाली थी, लेकिन अंतिम दौर में उनका पत्ता साफ हो गया। फिलहाल अटकलों का बाजार गर्म है। बीजेपी गलियारों से मिली खबरों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का बीजेपी प्रवेश का मामला उलझ गया है। बताते हैं कि मौजूदा लोकसभा चुनाव की बेला में ही ढांड ने बीजेपी प्रवेश की पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन पार्टी की एक तरोताजा सूची में उनका नाम शामिल नही किया गया है। हालाकि प्रदेश की राजनीति के तमाम धड़ों में समीकरण ढांड के पक्ष में बताए जाते हैं। राजनीति में उतर कर अपने विरोधियों से दो-दो हांथ करने की तैयारी में ढांड जोर शोर से जुटे हुए बताए जाते हैं। राज्य के कई बड़े नेताओ से बीजेपी में प्रवेश बाबत उनकी बातचीत भी हो चुकी है।

मामला अंतिम दौर में उलझ गया, बताया जाता है। सूत्रों के मुताबिक नौकरशाहों के बीजेपी में प्रवेश से पूर्व उनका कैरियर भी जांचा-परखा जा रहा है। इसी पड़ताल में विवेक ढांड का मामला अधर में लटका, बताया जा रहा है। देश में लोकसभा चुनाव के प्रचार के जोर पकड़ते ही कई नौकरशाह पेशेवर राजनीति में कूद रहे हैं। इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों में एक विशेष सेल भी कार्य कर रहा है। जबकि आप और टीएमसी में गिने चुने नौकरशाह ही दिलचस्पी दिखा रहे हैं। दिल्ली के अलावा बीजेपी शासित ज्यादातर राज्यों में नौकरशाहों का पार्टी प्रवेश जारी है।

पार्टी की स्थानीय यूनिट की सिफारिश पर केन्द्रीय नेतृत्व नौकरशाहों की ताज-पोशी में जुटा है। कई चर्चित नौकरशाह और सरकारी सेवक कांग्रेस के बजाए बीजेपी में शामिल होना मुनासिफ समझ रहे हैं। यहां उन्हें अपना भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा है। इसके चलते पार्टी कार्यालयों में नौकरशाहों के प्रवेश को लेकर काफी तवज्जो दी जा रही है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के चर्चित नौकरशाह और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड का नाम सुर्खियों मे है। सूत्रों का दावा है कि ढांड का बीजेपी प्रवेश अब-तब में है। उनके कार्यकाल और अपराधों को देखते हुए फिलहाल बीजेपी प्रवेश लटकता नजर आ रहा है, ढांड एक्सप्रेस को दफ्तर के आउटर में खड़ा कर दिया गया है। केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद ही ढांड बीजेपी में प्रवेश कर पाएंगे ? फिलहाल तो उनका पार्टी प्रवेश खटाई में पड़ गया है।

सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में नौकरशाहों के राजनीति में प्रवेश की होड़ को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय भी सक्रिय है। राज्य के एक रिटायर्ड IAS अफसर की कुंडली खंगालने से दिल्ली दरबार के कई नेताओं के कान खड़े हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक विवेक ढांड, बीजेपी प्रवेश की तैयारी में है। राज्य के “चलनशील” नेताओं को उनके पार्टी प्रवेश से कोई परहेज नही है। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज की है।

माना जा रहा है कि ढांड का बीजेपी प्रवेश अधर में लटक गया है। विवेक ढांड पिछले 4 माह से बीजेपी में शामिल होने के लिए जी जान से जुटे हुए, बताए जाते हैं। उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं, IT, ED, CBI, और EOW, एंटी करप्शन ब्यूरो जैसी कई संवैधानिक एजेंसियां जांच में जुटी है। यह देखना गौरतलब होगा कि राजनीति के नए आचार्य को आखिर कहां ठिकाना मुहैय्या होता है।

क्या ?सलाखों के पीछे होगा 1 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का मास्टर माइंड विवेक ढांड?

छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्य सचिव और वर्तमान में रेरा के चेयरमैन पद पर पदस्थ आईएएस अफसर विवेक ढांड की मुश्किले कम होती दिखाई नहीं पड़ती थी। पहले ही शासकीय जमीन को अपने परिजनों के नाम से परिवर्तित करने के मामले में विवादों में रहे विवेक ढांड के इरादे कितने नेक है कि इस बात का अंदाजा इससे ठीक ढंग से लगाया जा सकता है कि जमीन के नाम परिवर्तन कराए जाने का मामला थमा भी नहीं था, कि विवेक ढांड ने अपने कुछ साथी अफसरों के साथ मिलकर एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया था। इस पूरे घोटाले का मास्टर माइंड विवेक ढांड को ही बताया माना जाता हैं।इनके ही इशारे में अफसरों ने कागजों पर एक फर्जी संस्था बनाकर उसके खाते में एक हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए और उसके बाद एक के एक पूरा पैसा उसके खाते से निकाल लिया था। बाद में जांच करने पर मालूम चला कि छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई संस्था अस्तित्व में नहीं है।
कर्ज में डूबे राज्य को इस स्थिति तक पहुंचाने का कारण कहीं न कहीं विवेक ढांड है। बताया जाता है कि वर्ष 2004 से 2018 तक बीजेपी शासनकाल में अफसरों की तूती बोलती थी, उसी दौरान विवेक ढांड ने इस फर्जीवाड़े का षडयंत्र रचा।बीजेपी शासनकाल में वैसे भी आईएएस अफसर बुरी तरह से सरकार पर हावी रहे और उन्होंने पूरे प्रदेश का संचालन अपनी इच्छानुसार कराया। यही वजह है कि अफसरों का यह दल प्रदेश में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करने में कामयाब हो पाया। जाहिर है कि इस पूरे मामले में विवेक ढांड, एनके राउत, आलोक शुक्ला, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल, सतीश पांडेय, पीपी सोती, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय, पंकज वर्मा के खिलाफ कोर्ट ने पहले एफआईआर दर्ज करने का भी आदेश दिए थे। इन सभी के लोगों के जरिए कागजी संस्थान स्टेट रिसोर्स सेंटर (एसआरसी) (राज्य स्रोत निशक्त जन संस्थान) बनाकर उसके नाम पर एक हजार करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया है। इस स्टेट रिसोर्स सेंटर का कार्यालय रायपुर में बताया गया, जो समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है। एसआरसी ने बैंक ऑफ इंडिया के अकाउंट और एसबीआई मोतीबाग के तीन एकाउंट से संस्थान में कार्यरत अलग-अलग लोगों के नाम पर फर्जी आधार कार्ड से खाते खुलवाकर रुपए निकाले गए।
सुप्रीम कोर्ट से मिले निर्देश के बाद इस पूरे मामले की जांच सीबीआई की टीम नए सिरे से कर रही थी और वो समय दूर नहीं जब कोर्ट इस पूरे मामले के मास्टर माइंड रहे विवेक ढांड और उनके साथ इस मामले में लिप्त रहे अन्य अफसरों से भ्रष्टाचार की इस राशि की रिकवरी कर आरोपियों को जेल सलाखों के पीछे भेज दे?

क्या था मामला

बताते चले कि रायपुर कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने प्रदेश में प्रशासनिक लगाम संभालने वाले कुछ IAS अफसरों पर गंभीर आरोप लगाए थे। एक जनहित याचिका दायर कर रिटायर्ड अफसरों द्वारा बड़ी गड़बड़ी करने का दावा किया था। बताया गया है कि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल करने पर कई तथ्य सामने आए थे, पता चला  कि नया रायपुर स्थित इस कथित नि:शक्त जन अस्पताल को एक NGO द्वारा चलाया जा रहा था। अस्पताल में करोड़ों की मशीनें खरीदी गईं हैं। रखरखाव में भी करोड़ों का खर्च आना बताया गया। तब ये जानकारी सामने आई थी कि न कोई अस्पताल है न कोई NGO, सब सिर्फ कागजों में है। मामला साल 2015-2016 के आसपास का है।
ज्ञातव्य हो कि साल 2018 में जनहित याचिका एडवोकेट देवर्षि ठाकुर के माध्यम से पेश की गई थी। मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया था कि ये 1 हजार करोड़ का घोटाला है। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने साल 2019 में हुई सुनवाई में घोटाले में शामिल अफसरों पर एफआईआर दर्ज कर करने के निर्देश दिए थे। तब महाधिवक्ता ने शासन का पक्ष प्रस्तुत किया था उन्होंने बताया था कि CBI की जगह यह मामला राज्य पुलिस को सौंपा जाए।सरकार की तरफ से कहा गया था कि पुलिस जो जांच करे उसे स्वयं हाईकोर्ट अपनी निगरानी मे रखे। दूसरी तरफ रिटायर्ड IAS और प्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके विवेक ढांढ और एम के राउत ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की थी। इसी पर सुनवाई करते हुए अदालत ने हाईकोर्ट को सुनवाई करने के निर्देश दिए थे।बता दें कि कुंदन सिंह ठाकुर की ओर से अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया था कि राज्य के 6 आईएएस अफसर आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा ने फर्जी संस्थान स्टेट रिसोर्स सेंटर (SRC) (राज्य स्रोत नि:शक्तजन संस्थान) के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। इसी मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट ने CBI से इस पर FIR दर्ज कर जांच करने कहा था।

क्या चावल घोटाला पर विष्णु राज में कसेगा शिकंजा? ढांड-टुटेजा असली मास्टरमाइंड,600 करोड़ का हुआ चांवल घोटाला

छत्तीसगढ़ के विष्णुदेव साय राज में चांऊर वाला बाबा एक बार फिर सुर्खियों में है।राज्य की गरीब जनता का सैकड़ो करोड़ का चांवल डकारने वाले छत्तीसगढ़ महतारी के दुश्मनों को ढूंढ निकालने की जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों के कंधों पर डाल दी गई है. मामले की जांच विधायकों की कमेटी करेगी. यह फरमान प्रजातंत्र के मंदिर से डॉ रमन सिंह ने जारी जारी किया है.विधानसभा अध्यक्ष ने आज सदन में चांवल घोटाले की जांच को लेकर पूरी जवाबदारी के साथ अपनी वचनबद्धता दौहराई. बीजेपी के वरिष्ठ विधायको द्वारा दागे गए सवाल जवाब का दौर काफी गहमागहमी से भरा रहा.इसके बाद चांवल घोटाले की जांच विधायकों की कमेटी से कराने की घोषणा डॉ. रमन सिंह ने की। वैसे ही कई विधायकों की आंखें नम हो गई. ये विधायक सिर्फ सत्ताधारी दल बीजेपी के ही नही थे बल्कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के भी थे।राज्य में करोना काल समाज के हर वर्ग पर भारी पड़ा है, ऐसे दौर में भारत सरकार द्वारा भेजी गई चांवल की बड़ी खेप भू-पे सरकार के कर्णधार ही हजम कर गए। सिर्फ कागजों में चांवल वितरण दर्ज किया गया जबकि एक बड़ी आबादी चांवल खाने को मोहताज रही. हालाकि एक ओर जहां दानदाताओं ने गरीबों को राशन मुहैय्या करवाया. उनकी सहायता की वहीं दूसरी ओर “चांवल चोर”रोजाना अपनी तिजोरियां भरते रहे. गरीबों का चांवल खुले बाजार में बेच दिया गया और तत्कालिन मुख्यमंत्री “भू-पे”-बघेल और उनकी पूरी सरकार चांवल चोरों को संरक्षण देते रही.विधानसभा में आज का दिन गरीबों के नाम रहा।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार का यह बड़ा फैसला चर्चा में है। छत्तीसगढ़ में चांवल घोटाला कोई नई बात नही है लेकिन भू-पे सरकार ने सरकारी धन की लूट और योजनाओं से खुद लाभ उठाने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी थी. सदन में सत्ताधारी दल और विपक्ष के कई सदस्य अपनी ही पार्टी के नेताओं के कारनामे सुनकर स्तब्ध नजर आए. हालाकि सामान्य टोका टाकी के बीच राज्य की बीजेपी सरकार विपक्ष पर भारी पड़ी। वो अपने मंसूबों पर कामयाब रही।
छत्तीसगढ़ में करीब 600 करोड़ के चांवल घोटाले की प्राथमिक पड़ताल में 216 करोड़ का हेर फेर पहली ही नजर में पाया गया था.यह पड़ताल तत्कालिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में आने के बावजूद कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे. बताया जाता है कि तत्कालिन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, आईएएस अनिल टुटेजा और पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड ही इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे. ऐसे में अपनो को घिरता देख भू-पे सरकार ने जांच में कोई रुचि नही दिखाई थी. बीजेपी विधायको समेत तमाम नेता मामले की जांच की मांग को लेकर सड़को से लेकर सदन तक सक्रिय नजर आए थे. बावजूद इसके कांग्रेस सरकार ने गरीबों को खाना खिलाने के मामले से ही मुंह मोड़ लिया था।
मंत्रियों और नेताओं समेत कई अधिकारी रोजाना हजारों क्विंटल चांवल डकारते रहे. बताते हैं कि चंद दिनों में ही 600 करोड़ से ज्यादा का चांवल, गुड़ और शक्कर भी इन्होंने हजम कर लिया गया था। बताया जाता है कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री अन्न योजना में बंटने वाले फ्री चांवल को भी घोटालेबाज़ों ने अपने गोदामों में भर लिया था. अब यह मामला तूल पकड़ रहा है, महालेखाकार की रिपोर्ट में इस घोटाले को लेकर गंभीर टिप्पणियां भी की गई थी।
विधानसभा में खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने मामले की जांच विधायकों की कमेटी से कराए जाने का ऐलान कर, प्रदेश की करीब ढाई करोड़ की आबादी को बड़ा तोहफा दिया है. राज्य में चांवल मुख्य भोजन के रुप में गरीबों की थाली में सजता है. बताते हैं कि भूपेश बघेल सरकार ने घोटाला करने के लिए इस थाली तक में छेद कर डाला था.
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर,राजेश मूणत और धरमलाल कौशिक ने बजट सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में इस मामले को उठाकर राजनैतिक तूफान खड़ा कर दिया है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जल्द ही राज्य में प्रवेश करने वाली है. ऐसे में अन्न की खाली थाली लेकर उस राह में पीड़ित जनता, राहुल गांधी से मेल मुलाकात के लिए जोर शोर से तैयारी कर रही है. वो इस घोटाले के कांग्रेस सरकार के जिम्मेदार लोगों को जेल भेजने में कितनी रुचि दिखाएंगे? इसे लेकर भी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. बताते हैं कि घोटाले पे घोटाला करने के चलते कांग्रेस के कई नेता भू-पे के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में जुटे हैं. उनकी दलील है कि आगाह करने के बावजूद भू-पे, घोटालेबाजों के साथ हरदम खड़े नजर आए थे।
इसके चलते कांग्रेस को ना केवल सत्ता गंवानी पड़ी बल्कि उसके कई नेता रोजाना अप्रिय स्थिति का सामना कर रहे हैं. उनके ठिकानों से करोड़ो की नगदी और बेनामी जमीनों की खरीद फरोख्त के सबूत उजागर हो रहे हैं. IT-ED की छापेमारी से भू-पे सरकार का काला चिट्ठा सामने आ रहा है। फजीहत कांग्रेस की हो रही है. पार्टी के कई नेता यह दावा भी करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस की लुटती इज्जत से पार्टी के कई नेता हैरत में हैं लेकिन करें भी तो क्या? उनके मुताबिक दागदार चेहरों को सामने कर देने से राहुल गांधी की छत्तीसगढ़ यात्रा विवादों से घिरती जा रही है।

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