पूर्व सीएम भू-पे बघेल की निलंबित उपसचिव और कोल लेवी और शराब घोटाले में लिप्त आरोपी सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका हुई रद्द, एक्शन में ईओडब्लू

रिपोर्ट:मनोज सिंह ठाकुर
रायपुर(गंगा प्रकाश)।
छत्तीसगढ़ में करीब 600 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में आरोपी सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका रायपुर की विशेष अदालत में खारिज कर दी गई है। मंगलवार को आरोपी की दूसरी जमानत याचिका पर रायपुर की स्पेशल ईडी कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। जानकारी के मुताबिक सौम्या की जमानत खारिज कर दी गई है।
पूर्व सीएम भू-पे की करीबी निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया 16 महीनों से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है। उनके खिलाफ 22 सौ करोड़ के शराब घोटाले में भी एक अन्य एफ आई आर  ईओडब्लू में दर्ज की गई है। सूत्रों के मुताबिक दर्ज हुए नए मामलों को लेकर भी सौम्या चौरसिया और उसकी टोली के खिलाफ ईओडब्लू वैधानिक कार्यवाही में जुटा है।राज्य प्रशासनिक सेवा कैडर की डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया को तत्कालीन भू-पे सरकार में “सुपर सीएम” का दर्जा प्राप्त था।मुख्यमंत्री के अधिकारों का उपयोग-दुरूपयोग करने के मामले में आरोपी अपनी सेवा काल में कभी पीछे नही रही। उनका फरमान भू-पे के लिए पत्थर की लकीर साबित होता था। ईडी  और ईओडब्लू की तफ्तीश में आरोपी सौम्या के खिलाफ कई पुख्ता सबूत सामने आए हैं। इसका हवाला एजेंसियों ने चार्जशीट जारी कर अदालत को भी सौंपा है। राजनैतिक संरक्षण में आरोपी सौम्या चौरसिया ने कई अपराधों और घोटालों को अंजाम देकर तत्कालीन मुख्यमंत्री भू-पे को भी मुश्किल में डाल दिया है। बताते हैं कि भू-पे पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।अधिवक्ता कैलाश भादुड़ी ने पैरवी की थी। जबकि ईडी की ओर से विशेष लोक अभियोजक सौरभ पांडेय ने शासन का पक्ष रखा था। आरोपी की ओर से दो जुड़वा बच्चों की परवरिश का हवाला देते हुए जमानत की मांग की गई थी।
गौरतलब है कि इन्हीं जुड़वा बच्चों को लेकर भी विवाद की स्थिति बनी हुई है। आरोपी के कब्जे में मौजूद जुड़वा बच्चों के DNA टैस्ट का मामला भी अदालती गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बच्चों के मालिकाना हक का मामला भू-पे और सौम्या के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।

16 महीनों से जेल में बंद है चौरसिया

बनाते चले कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले और मनी लांड्रिंग मामले को लेकर छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान मुख्यमंत्री की उपसचिव रही सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया गया था। कोयल मामले को लेकर ईडी ने सौम्या चौरसिया को 2 दिसंबर 2022  में गिरफ्तार करने के बाद पूछताछ की थी। इस पूछताछ के बाद से सौम्या चौरसिया सेंट्रल जेल रायपुर में बंद है। रायपुर की विशेष अदालत में सौम्या चौरसिया को ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल में रखा है। सौम्या चौरसिया अपनी जमानत की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जा चुकी हैं। जहां से सुप्रीम कोर्ट ने चौरसिया की जमानत को खारिज करते हुए कोर्ट में गलत तथ्य पेश करने के कारण उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जा चुका है। वहीं अब रायपुर की विशेष अदालत में सौम्या चौरसिया के वकील के द्वारा लगाई गई दूसरी जमानत याचिका को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

कोयला मामले पर लगे यह आरोप

छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में ताकतवर और प्रभावशील अफसर रही सौम्या चौरसिया पर ईडी ने जांच के बाद छत्तीसगढ़ में कथित कोयला घोटाले में 500 रुपए की अवैध उगाही के मामले में पूछताछ की थी। इस कथित कोयले घोटाले एवं मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर ईडी की रेड‌ के बाद सौम्या चौरसिया की करोड़ों की संपत्ति को सीज करने का काम भी किया गया है। ईडी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में हुए कोयले घोटाले में सौम्या चौरसिया की महत्वपूर्ण भूमिका बताई गई है। मामले में किगपिन सूर्यकांत तिवारी के ऊपर सौम्या चौरसिया का प्रशासनिक सपोर्ट बताया गया है।

ईडी के हत्थे चढ़ी छत्तीसगढ़ के भ्रष्ट्रासुरो की मम्मी उर्फ “बबली”?भ्रष्ट्राचारी सकते में था सरगना?

छत्तीसगढ़ की जनता का पैसा “बंटी-बबली” की तर्ज पर लूटकर विदेशो में पैसा भेजे जाने मनी लॉन्ड्रिंग,हवाला,बेनामी संपत्ति की खरीद फरोख्त और पत्रकारों को परेशान करने और फर्जी मामले में फंसाए जाने को लेकर भी एजेंसियों ने सौम्या चौरसिया से पूछताछ की थी। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में सरकारी मशीनरी जाम कर सौम्या चौरसिया के साथ मिलकर कई अफसर रोजाना करोडो का भ्रष्टाचार कर रहे थे। इस गिरोह ने “गब्बर सिंह टैक्स” के रूप में हर माह 800 करोड़ से ज्यादा की अवैध वसूली का टारगेट पूरा किया था।लगातार मीडिया द्वारा इस गिरोह का भंडाफोड़ कर गब्बर सिंह टैक्स वसूली करने वाले रैकेट का खुलासा किया था। इसके अलावा भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार में भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों के काले कारनामो से राष्ट्रीय जगत विजन ने जनता को रूबरू कराया था। इससे बौखलाई सौम्या चौरसिया ने जगत विजन की संपादक और ब्यूरो चीफ के खिलाफ फर्जी मामले दर्ज सिविल लाइन रायपुर में कराए थे। फिर भी मीडिया ने इस गिरोह के सामने घुटने नहीं टेके थे।उन्होंने इस गिरोह की असल गतिविधियों को उजागर करना जारी रखा था जो निरंतर जारी है।फिलहाल सौम्या चौरसिया  जेल में है किंतु सवाल यहा भी उठता हैं कि आखिरी इस बबली के कितने बंटी हैं? जिनकी कितनी लम्बी लिस्ट हैं जिस बजह से अब तक ईडी इन बंटियों तक नही पहुंच पाई हैं?। उसके अलावा उसकी माँ शांति देवी,भाई अमित और नवनीत चौरसिया एवं एक अन्यहिस्ट्रीशीटर जेके चौरसिया से भी पूछताछ की खबर है। हालाँकि अभी सौम्या चौरसिया की गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
में नकदी तो मिली ही थी, करोड़ों के गहने भी जब्त किए गए।लेकिन मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी फरार पाया गया था, कलेक्टर रानु साहू भी जांच एजेंसी की रडार से दूर रहीं।

छग के ताकतवर अफसरों में शुमार रहा हैं नाम

ईडी की इस छापेमार कार्रवाई में सबसे बड़ा नाम सौम्या चौरसिया का है। क्योंकि सौम्या चौरसिया के घर इससे पहले भी आयकर विभाग की टीम ने सर्च कार्रवाई की थी। छत्तीसगढ़ में कथित रूप से ताकतवर अफसरों में शामिल सौम्या चौरसिया  से चर्चा में आई थी। जून जुलाई में सौम्या चौरसिया समेत प्रदेश के कई बड़े लोगों के ठिकानों पर पर आयकर विभाग की छापेमारी हुई थी। सौम्या चौरसिया के अलावा सत्ताधारी दल के करीबी सूर्यकांत तिवारी के यहां भी आयकर विभाग के छापे पड़े थे। छापेमारी के बाद सूर्यकांत तिवारी ने आयकर विभाग पर कई आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा थो आईटी के अधिकारी उन्हें महाराष्ट्र की तरह विधायक तोड़ने के लिए कह रहे थे। सूर्यकांत तिवारी ने यह भी आरोप लगाया है कि उनसे सौम्या चौरसिया का नाम भी लेने को कहा जा रहा था। ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ की राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में पहली बार सौम्या चौरसिया का नाम उभर का आया है। सौम्या की गिनती शासन के करीबी अफसरों में होती है। कुछ साल पहले भी उनके ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी हुई थी। इसमें करोड़ों रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ था। इसके बाद जुलाई 2022 में उनके ठिकानों पर कार्रवाई हुई थी। छापेमारी के दौरान क्या कुछ मिला है, इसे लेकर आयकर विभाग ने आजतक आधिकारिक रूप से कोई जानकारी साझा नहीं की।

ब्लैकमनी के हब“छत्तीसगढ़” में रोजाना 50 करोड़ से अधिक की काली कमाई पहुंची “सौदागरों” की तिजोरी में?

दरअसल छत्तीसगढ़ में कोयले के टेंडर घोटाला और उन काले कारोबारियों के साथ कई सरकारी अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका की वजह से इस मामले की पड़ताल शुरू की गई थी। लिहाजा मामले की तफ्तीश के पहले काफी जांच पड़ताल की गई और काफी पुख्ता इनपुट्स मिलने के बाद रायपुर के देवेंद्र नगर इलाके में स्थित एक चार्टेड एकाउंटेंट विजय मालू, रायगढ़ में आईएएस अधिकारी रानू साहू,महासमुंद्र में कांग्रेस नेता अग्नि चंद्राकर और अनुपम नगर में सूर्यकांत तिवारी के आवास सहित अन्य लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया गया,इस मामले की तफ्तीश के दौरान ईडी की टीम को कई ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज और सबूत मिले हैं, जिससे कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल सूत्रों की मानें तो जांच एजेंसी के तफ्तीशकर्ताओं को सर्च ऑपरेशन के दौरान कई ऐसे दस्तावेज बरामद मिले हैं, जिससे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में राजनीतिक गलियारों के कई वरिष्ठ नेताओं, राज्य में कार्यरत कई वरिष्ठ अधिकारी और कोयले का काला कारोबार करने वाले बिचौलियों की मदद से कुछ कारोबारी ‘लेवी वसूली ” का खेल खेल रहे हैं।सूत्रों के मुताबिक, कई सरकारी अधिकारियों को इस काले धंधे का बैसाखी बनाकर करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही थी। जांच एजेंसी के राडार पर फिलहाल 500 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता दिख रहा है, जो आने वाले वक्त में तफ्तीश के बाद और ज्यादा बढ़ भी सकता है।

’25 रुपये प्रति टन था लेवी रेट’

​जांच एजेंसी ईडी की तफ्तीश में ये भी पता चला है कि कोयले के अवैध कारोबार के लिए 25 रुपये प्रति टन के हिसाब से अवैध वसूली यानी लेवी का रेट तय किया था, जिसे सभी कारोबारियों को देना था।इस हिसाब से तय समय के अंतराल और अब तक की तफ्तीश में ही ये आंकड़ा 500 करोड़ रुपये को पार जा चुका है।
सूत्रों के मुताबिक आने वाले वक्त में इस मामले में और ज्यादा इजाफा देखने को मिल सकता है और कई बड़े खुलासे तथा आरोपियों की गिरफ्तारी भी देखने को मिल सकती है। ईडी मुख्यालय में तैनात सूत्र के मुताबिक इस मामले में आने वाले वक्त में कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि अभी तफ्तीश शुरू हुई है ऐसे में उसके बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

रोजाना आमदनी के मामले में अडानी-अंबानी को भी पछाड़ा कबीले के “सरदार” ने?शराब, खनिज,कल कारखानों और MOU से ब्लैक मनी की हो रही हैं बंपर पैदावार?

देश में छत्तीसगढ़ ने एक नया आयाम गढ़ा है।हालांकि यह ताज्जुब करने वाली बात नहीं है।क्योंकि कबीले के “सरदार” ने पहले ही “गढ़बो नया छत्तीसगढ़” के नारे का एलान कर रखा है।एक जानकारी के मुताबिक “सरदार” की तिजोरी में रोजाना 50 करोड़ से ज्यादा की रकम इक्क्ठा हो रही है।बताया जा रहा है कि भारी-भरकम रकम का एक बड़ा हिस्सा देश दुनिया के मिडिल ईस्ट तक के इलाकों में निवेश हो रहा है। रकम का कुछ भाग एक राजनैतिक दल और उसके नंबरदारों के हाथों में भी जाना बताया जा रहा है।ब्लैक मनी की बंदरबांट में सौदागर के कर्णधार भी पीछे नहीं है,कुछ चुनिंदा कर्णधारों के दोनों हाथ घी में और सिर कढ़ाई में बताया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य उद्योग धंधों और खनिज के दोहन के मामले में देश में अग्रणी माना जाता है।लेकिन अब इसकी गिनती ब्लैक मनी के हब के रूप में भी होने लगी है।भले ही आप यह सुनकर हैरत में पड़ जाए,कि बगैर खून खराबा किए कबीले का सरदार कैसे रोजाना करोड़ों की रकम अपनी तिजोरी में भर रहा है।तो समझ लीजिए सरदार का हुनर,ब्लैक मनी के कारोबार पर चार चांद लगाने के लिए सरदार ने किन किन क्षेत्रों में अपने कर्णधारों को बागडोर सौंपी है।छत्तीसगढ़ में रोजाना 25 करोड़ रूपये से ज्यादा की अवैध शराब की बिक्री का दावा किया जा रहा है।राज्य के दर्जनों जिलों में आय दिन प्रदेश के बाहर से तस्करी कर लाई जा रही शराब की खपत हो रही है।हाल ये है कि पुलिस को इसकी धर पकड़ के लिए सिर्फ खानापूर्ति पर जोर दिया जा रहा है।कुछ एक जिलों में तस्करी कर लाई जा रही शराब की खेप की खेप पुलिस ने अपने कब्जे में की है।लेकिन असल सौदागर तक पुलिस के हाथ नहीं पहुँच पाए है। यही हाल सरकारी शराब दुकानों का है।रायपुर रेलवे स्टेशन के निकट स्थित एक सरकारी शराब दुकान में राज्य से बाहर की बियर की खेप पकड़ी गई थी। लेकिन अधिकारियों ने मामले की तह में जाने के बजाय यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि “मिस हेंडलिंग” की वजह से बाहरी राज्यों के शराब सरकारी दुकान में पाई गई।जानकारी के मुताबिक राज्य की ज्यादातर सरकारी शराब दुकानों में सरकारी और गैर सरकारी दो भागों में शराब की बिक्री हो रही है।यहां शराब की खपत और आमदनी के दो रजिस्टर मैंटेन किए जाने की चर्चा आम है।ब्लैकमनी के इक्क्ठा होने की जानकारी के कारण ही कई सेल्समेन शराब दुकानों से नगदी लेकर भाग खड़े हो रहे है।यह भी बताया जा रहा है कि कुछ खास ब्रांड की शराब बेचने पर ही अफसर जोर देते है , उसकी खपत के लिए आबकारी विभाग ने कोटा भी तय कर दिया है।हाल ही के महीनों में छत्तीसगढ़ में शराब की खपत के मामले में दिन दुनि रात चौगुनी प्रगति हुई है।यह प्रदेश अब शराबखोरी के मामले में पहले पायदान पर है। बीते 8 माह में 24 अरब से ज्यादा की शराब की बिक्री हुई।यह आंकड़ा अधिकृत रजिस्टर में दर्ज की गई रकम का बताया जाता है।यह रकम सरकार की तिजोरी में जाती है।लेकिन गैर सरकारी रजिस्टर में भी इस अवधि में अरबों की एंट्री है।बताया जाता है कि यह रकम रायपुर में एक होटल-बिल्डर कारोबारी के हाथों से सरदार की तिजोरी तक पहुंचती है।यह कारोबारी कबीले का कर्णधार नंबर-वन बताया जाता है।

गब्बर सिंह टेक्स का दायरा

वर्ष 2020 की तुलना में अब काफी व्यापक बताया जा रहा है।इसकी वजह कई बड़ी कंपनियों को कोयले पर 25 रूपये प्रति टन की दर से लेव्ही देने के लिए राजी कर लिया जाना बताया जा रहा है।जानकारी के मुताबिक कोरबा,रायगढ़,अंबिकापुर,जांजगीर,बिलासपुर,सूरजपुर और कोरिया जिले से रोजाना 2 से 3 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध वसूली हो रही है।कोयले का कारोबार करने वाले व्यापारी हो या फिर उद्योगपति,प्रत्येक पर गब्बर सिंह टेक्स थोप दिया गया है।इससे होने वाली अवैध वसूली की कमान कबीले के कर्णधार नबर-दो के हाथों में है।

सीमेंट पर भी गब्बर सिंह टेक्स लगा दिए जाने की खबर है।

बताया जाता है कि राज्य के सीमेंट उत्पादक कल कारखानों से 15 रूपये प्रति बैग गब्बर सिंह टेक्स वसूला जा रहा है।इसके चलते सीमेंट कंपनियों ने अपने उत्पादों के बाजार भाव में 20 रूपये से ज्यादा की प्रति बैग बढ़ोत्तरी कर दी है।यही हाल आयरन ओर इंडस्ट्री का है।छत्तीसगढ़ में लोहे की कीमते आसमान छू रही है।सरिया की बढ़ी कीमतों के चलते उन लोगों का बुरा हाल है,जो अपने घरों का निर्माण कर रहे थे।स्टील इंडस्ट्री ने लोहे की कीमतों में अचानक इतनी वृद्धि कर दी है कि सरकारी निर्माण कार्य भी ठप्प पड़ रहे है।
हाल ये है कि ठेकेदारों के संगठनों ने लोहे के दाम में कमी लाने और उसे नियंत्रित करने के लिए सरकार को ज्ञापन सौंपा था। बताया जा रहा है कि विभिन्न ब्रांड का 34 से 36 हजार रूपये टन बिकने वाला सरिया चंद माह में 55 हजार रूपये टन तक जा पहुंचा है।स्टील इंडस्ट्री से जुड़े उद्योगपति बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे है। उनके मुताबिक कोयला और आयरन ओर पर गब्बर सिंह टेक्स लग जाने से कीमते तो बढ़ेगी ही।उनके मुताबिक औद्योगिक प्रयोजन के लिए होने वाले MOU एक हाथ दो , दूसरे हाथ लो की तर्ज पर हो रहे है।

रेत से भी तेल निकालने में माहिर है “सरदार”

काली कमाई के सरताज का कामकाज का तरीका भी काफी उन्नत और सुनियोजित बताया जा रहा है।कहा जा रहा है कि इस काम में अखिल भारतीय सेवाओं के कुछ अफसरों की सहभागिता भी है।सरदार के कर्णधारों में उनका भी ओहदा उच्च कोटि का है।ब्लैक मनी का हिसाब किताब सँभालने में डिप्टी कलेक्टर रैंक से लेकर सचिव स्तर तक की सेवाओं से जुड़े कर्णधारों का नाम लिया जा रहा है।बताया जाता है कि काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा रेत खदानों और उसके आवंटन से हो रहा है।छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर रेत की तस्करी हो रही है।अंबिकापुर, बलरामपुर,जशपुर और सूरजपुर इलाकों से रोजाना 500 से ज्यादा ट्रक रेत उत्तर प्रदेश के जिलों में सप्लाई की जा रही है।
बताया जाता है कि नियमानुसार रेत का उत्खनन करने के बजाए तमाम रेत घाटों में बड़ी बड़ी मशीने लगाई गई है।जेसीबी और दूसरी खनन मशीनों से रोजाना सैकड़ों ट्रक रेत प्रतापपुर होते हुए उत्तर प्रदेश की सरहद पर स्थित जिलों में पहुँच रही है।जानकारी के मुताबिक यूपी के किसी “पुनिया” नामक ठेकेदार ने इस अवैध कारोबार की कमान संभाल रखी है।उसके तार रायपुर से भी जुड़े बताए जा रहे है।यही हाल अन्य जिलों का है।अवैध खनन और रेत के कारोबार ने “सरदार” की तिजोरी भर दी है।लोगों के मुताबिक राज्य सरकार और खनिज विभाग ने रेत का बाजार भाव तय कर रखा है।लेकिन रेत माफियाओं के हावी रहने के चलते आम लोगों को सरकारी दर पर नहीं,बल्कि सरदार द्वारा तय की गई कीमत पर रेत खरीदने को विवश होना पड़ता है।

छत्तीसगढ़ में खनिजों के अलावा उसकी खदानों में भी बड़े पैमाने पर धांधली बरती जा रही है

बताया जा रहा है कि कांकेर-भानुप्रतापपुर स्थित आरी-डोंगरी आयरन ओर खदान आवंटन के लिए ऑनलाइन निविदा के बजाए ऑफ़ लाइन टेंडर जारी किये गए,ताकि “सरदार” को ही उनके करीबियों के नाम से यह खदान आवंटित की जा सके,बताया जाता है कि इसके लिए अपनाई गई प्रक्रिया से सरकारी तिजोरी पर 500 करोड़ से ज्यादा की चपत लग रही हैं, साफ है कि ऑफ़लाइन टेडंर से “सरदार” की तिजोरी भरेगी।रायपुर समेत छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में नामचीन इमारतों,होटलों और जमीनों की खरीदी को लेकर “सरदार” के कर्णधारो के सौदों की चर्चा भी जोरो पर है।बताया जाता है कि भिलाई-दुर्ग के कुछ मेडिकल और डेंटल कॉलेज,होटलें और बेशकीमती जमीनों के सौदे “सरदार” के कर्णधारों ने किये है।बेनामी संपत्ति की खरीद-फरोख्त के लिए कर्णधारों के नाते-रिश्तेदारों के नाम सुर्खियों में है।इसी कड़ी में बिलासपुर की जेबीएल होटल और खपरगंज में गोलबाजार स्थित कुछ विवादित इमारतें लगभग 50 करोड़ की लागत से बुधिया बंधुओं ने खरीदी है। “सरदार” के कर्णधारों में से एक प्रभावशील महिला की चल अचल संपत्ति के दस्तावेज भी लंबे अरसे से सोशल मीडिया में वायरल होते रहे है।

छत्तीसगढ़ में ब्लैकमनी की लहलहाती फसलों से केंद्रीय जांच एजेंसियां भी सकते में है

हालांकि उन्हें भी मैनेज करने का दावा किया जा रहा है। बताया जाता है कि “सरदार” के कर्णधारों में कुछ आईएएस और आईपीएस अफसर ऐसे है,जिनका दावा है कि उनकी ED,विजिलेंस और सीबीडीटी जैसे संस्थानों में गहरी पैठ है।छत्तीसगढ़ में कानून का राज स्थापित है या नहीं,फ़िलहाल तो इस तथ्य को लेकर प्रशासनिक महकमों से लेकर राजनीति के गलियारों मे चर्चा छिड़ी हुई है।वही गढ़बो छत्तीसगढ़ के मायने भी निकाले जा रहे है।

ईडी क्यों सुर्खियों में?

छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश मे विगत 3-4 वर्षों से ईडी का नाम बहुत ही चर्चा में रहा हैं सबसे पहले हमें जान ले कि आखिर प्रवर्तन निदेशालय क्या है और ED का कार्य क्या है?आपको ज्ञात हो कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (ED) एक वित्तीय जांच एजेंसी है, जो केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन काम करती है। ईडी पर यह आरोप भी लगते रहे हैं कि यह एजेंसी सरकार के इशारे पर उसके विरोधियों को ठिकाने लगाने का काम करती है। ईडी को आर्थिक मामलों की जांच के साथ ही गिरफ्तारी के अधिकार भी प्राप्त हैं। ED की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी।
ईडी इन दिनों दिग्गज हस्तियों पर हाथ डालने के कारण सुर्खियों में है। ईडी ने हाल ही में पश्चिम बंगाल में मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के निकट सहयोगी पार्थ चटर्जी की करीबी कैश कन्या अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर छापा मारकर 50 करोड़ से ज्यादा की नकदी बरामद की थी। इसके चलते पार्थ चटर्जी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था।इसके अलावा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी से नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लंबी पूछताछ और नेशनल हेराल्ड के दफ्तर को सील करने के चलते भी यह एजेंसी सुर्खियों में है। ईडी की पूछताछ के चलते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर प्रदर्शन किया था। शिवसेना सांसद संजय राउत की गिरफ्तारी भी ईडी की ताकत को दर्शाती है।2000 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी सिंघल को मनरेगा योजना में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 11 मई को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने उसके परिसरों पर छापेमारी भी की थी। मामले में व्यवसायी पति और एक चार्टर्ड एकाउंटेंट भी शामिल थे। उन्हें राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था। अधिकारी फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।और इनदिनों छत्तीसगढ़ जो कि कांग्रेस नीत भूपेश सरकार में भ्रष्ट्राचार का गढ़ बन चुका हैं जंहा कोयले के काले कारोबार में संलिप्त बड़े बड़े सूरमा को ईडी ने जेल में डाला हैं वंही समीर विश्नोई आईएएस अधिकारी जिनके घर ईडी की दविश के दौरान नगद राशि 46लाख 5किलो सोना,20 कॅरिट हीरा जप्त कर ईडी ने जेल का रास्ता दिखाया हैं इतना ही नही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की अति करीबी और छत्तीसगढ़ कथित सीएम सौम्या चौरसिया को भी जेल भेज दिया हैं।और इसको क्यों दबोचा गया हैं इसकी चर्चा हम कुछ देर बाद करेंगे हम अभी ईडी पर ही चर्चा करते हैं तो चले आगे बढ़ते हैं।
ईडी के अधिकार

ईडी को आर्थिक मामलों की जांच, कुर्की, जब्ती के साथ ही गिरफ्तारी और अभियोजन की कार्रवाई का भी अधिकार प्राप्त है। यह एजेंसी भगोड़े अपराधियों की संपत्ति को कुर्क कर सकती है। विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे भगोड़ों की संपत्ति भी ईडी द्वारा कुर्क की गई थी।

ईडी का कार्यक्षेत्र

दिल्ली स्थित मुख्‍यालय के अलावा ईडी को 5 क्षेत्रों- मध्य क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, उत्तरी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र में बांटा गया है। इस एजेंसी के मुखिया को प्रवर्तन निदेशक कहा जाता है। इसके अलावा विशेष निदेशक, उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक, अपर निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद भी होते हैं।

किन कानूनों के तहत कार्य करता है ईडी?धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA)

यह एक आपराधिक कानून है जिसे धन शोधन को रोकने के लिए और धन शोधन से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती के लिए अधिनियमित किया गया है। ईडी को को इस तरह के अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति का पता लगाने हेतु जांच करने, संपत्ति को अस्थायी रूप से अटैच करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने और विशेष अदालत द्वारा संपत्ति की जब्ती सुनिश्चित करवाते हुए प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA)

इस कानून के तहत विदेशी व्यापार और भुगतान की सुविधा से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने और भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के व्यवस्थित विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए अधिनियमित किया गया है। इस तरह के मामलों में ईडी को जांच के साथ ही जुर्माना लगाने की जिम्मेदारी भी दी गई है।

भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA)

यह कानून आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर भागकर भारतीय कानून की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत ऐसे आर्थिक अपराधी, जो भारत से बाहर भाग गए हैं, उनकी संपत्तियों को कुर्क करने के लिए तथा उनकी संपत्तियों को केंद्र सरकार से अटैच करने का प्रावधान किया गया है।

विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 (FERA)

निरसित (Repealed) एफआईआर के तहत उक्त अधिनियम के कथित उल्लंघनों के लिए अधिनियम के तहत 31 अप्रैल 2002 तक जारी कारण बताओ नोटिस का न्याय निर्णयन करना है। इसके आधार पर संबंधित पर जुर्माना लगाया जा सकता है और एफआईआर के तहत शुरू किए गए मुकदमों को आगे बढ़ाया जा सकता है।

सीओएफईपीओएसए के तहत प्रायोजक एजेंसी

विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम,1974 (सीओएफइपीओएसए) के तहत इस निदेशालय को फेमा के उल्लंघनों के संबंध में निवारक निरोध के मामलों को प्रायोजित करने का अधिकार है।

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